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Tuesday 31 December 2013

कल को बिताये पल आज हुए हैं पुराने....

इस साल के बीतने का मुझे उतना ही गम हैं
जितनी ख़ुशी हैं नए साल के आने की !!
2014 का एक-एक बीतता दिन हमें 2013 से और
ज्यादा दूर लेकर जाता रहेगा और फिर
वो वक़्त भी आएगा जब बाकी बीते सालों
की तरह २०१३ की यादें भी कुछ धुंधली सी हो जायेगी:-)
2013 मेरी जिंदगी का कभी ना भुलाने वाला साल
काफी दिनों से इसकी यादों को ही कैद करने में उलझी हुयी हू
पर जिद्दी पन्ने कुछ नया लिखने ही नहीं दे रहे हैं :(
आज मुझे मेरी डायरी के पहले पृष्ठ पर लिखी हुई लाइन्स सही लग रही हैं कि-
"जिंदगी को कभी भी डायरी में नहीं लिख सकते!!"
अब सोचो भला क्या-क्या लिखू डायरी में
365 दिन ,8760 घंटे या फिर-
कॉलेज कैंप वाले वो दिन,वो बालोतरा वाला सफर,
वो दरगाह की मस्तियाँ
thank you khuda....
ab sari duae kabul ho gayi hain.....:-)
,वो मीरा मंदिर में की गयी शैतानियाँ
वो फेसबुक पर हर पल अपडेट करने की आदत
वो अपनी माँ को परेशान करने वाले पल
वो रामद्वारा में जाकर हर बार भगवानजी से वादा करना कि
आज के बाद कभी भी आपको एक पल के लिये भी नहीं भुलाऊगी ,
प्रॉमिस अब कभी भी गुस्सा नहीं करुँगी etc…।
वो भाई के साथ झगड़ा करना कि आज के बाद तुझसे कभी बात नहीं करुँगी
और उसके जेएनयू में पहुँचते ही मेरा कॉल करके शिकायत करना
कि मुझे बाय क्यों नहीं बोलकर गया ??????
वो पापा का कहना कि मेहनत की पूजा होती हैं
और मेरा उल-फिजूल बातों के बारे में सोचकर नाराज हो जाना और
फिर कहना अच्छा तो आपका मतलब मैं मेहनत नहीं करती हू ????
(सोच रही हू कि क्यों ना अब मैं अपना नाम मेहनत रख लू..... हा.… हा )
वो हर रोज मेरे अपनों का मेरे लिये ख्वाब सजाने वाले पल.....
वो मेरा अपने आपसे सौ वादे करना जिनमें से निन्यानवें तोड़ देना
और एक को मेरे द्वारा ना निभाए जाने का अफ़सोस करना :(
कितना कुछ हैं ना अब बताओ क्या लिखू ????????
वो बेवजह बेचैन हो जाना………
खैर आज मैं २०१३ से कहना चाहती हू कि
शुक्रिया मुझे बेपनाह खुशियां देने के लिये
थोड़ा समझदार बनाने के लिए
गिराकर फिर से सम्भालने के लिए(वैसे भी गिरते वो लोग हैं जो सम्भलना जानते हैं)
सच मैंने इस बार अपनी जिंदगी को,उम्मीदों को,नये सपनों को तुममें जिया हैं :-)
सबसे अच्छी बात कि इस बार जितने भी एग्जाम का रिजल्ट आया
सबने बेपनाह ख़ुशी दी और जो एग्जाम दे रखे हैं
आई विश कि उनका परिणाम भी अच्छा ही आए और यह नया साल भी मुझे तोहफा दे दें
ऑफ्टर all मैं इतनी अच्छी बच्ची जो हू :-)2014 का भी मेरे लिये इतना तो करने का फर्ज़ बनता ही हैं
२०१३ में मैंने केवल अपने बगीचे के फूलों को ही चुनकर इकठ्ठा किया था
इसलिए शायद आज मुझे बिल्कुल भी चुभन नहीं हो रही हैं
शायद इस साल में मुझे अच्छे-बुरे में फर्क पता नहीं चला था या
फिर मैंने मेरी जिंदगी के सारे कोने खुशियों के लिये ही रिज़र्व कर रखे थे
तभी तो कड़वाहटों को कहीं जगह ही नहीं मिली
उम्मीद करती हू आने वाला हर साल भी इस जाने वाले साल की तरह हो
आज अब मैं २०१३ के चंद लम्हों को केवल अपनी नम आँखों से बीतते हुए देख सकती हू
सिवा इसके कुछ कर भी तो नहीं सकती खाश यह वक़्त भी ठहर जाता कुछ और दिन मेरे साथ
इसे हथेलियों में कैद करके भी तो नहीं रख सकती मेरा मोहताज थोड़े ही ना हैं
आज बिल्कुल वैसा ही लग रहा हैं जैसे स्कूल में किन्हीं favourite टीचर का ट्रान्सफर
हो जाता या वो छोड़कर चले जाते तो हम बच्चे भी जिद्द पकड़कर बैठ जाते कि
उनके बिना यह सब्जेक्ट किसी और से पढ़ेंगे ही नहीं :-)
खैर जाना तो हैं ही सो अलविदा २०१३ और
स्वागत हैं २०१४ का,नए सपनों का
नयी उम्मीदों का,दुनिया बदलने के जज्बे का.…।
सबकों नववर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ 
wish u a very happy new year to all....:-)

Thursday 26 December 2013

.......कि अब पतंग कटी

मुझे गांव में रहना हमेशा सुकून दे जाता हैं.…।
यहाँ कि मिट्टी में अपनेपन का एक अलग ही एहसास होता हैं
जिसे मैं कभी भी शहर की बड़ी-२ इमारतों में भी नहीं पा सकती
खैर यह सब बातें गांव वाले चैप्टर में लिखेंगे किसी रोज :-))
अभी छत पर टहलते हुए मेरी नजरें पियूष पर जा टिकी थी
वो मुझसे बेखबर था और बस अपनी पतंगबाज़ी में मस्त था
तो मैंने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और बस अपने विचारों की
दुनिया में लौट आयी.……
मुझे लगा सच इस दुनिया में केवल दो ही चीज़ें सबसे प्यारी हैं
नींद और बचपन बस :-))
नींद को  मैंने मेरे हिसाब से चुना हैं क्यूंकि
मेरे हर मर्ज का इलाज मुझे नींद में ही नजर आता हैं सो.……
बचपन……… ज्यादा अच्छे से जी नहीं पायी ना इसलिए
अच्छा लगता हैं
बड़े होने की जिद्द और समझदारी के आगोश में ही
शायद कहीं खो गया था :-))
खैर अब अपनी सारी हरकतें बच्चों से कहीं कम नहीं होती हैं :-)
वैसे बात पियूष की थी सो.…-
4th कक्षा में पढ़ता हैं,पर अभी छुटियां हैं तो
बुक्स की तरफ मुँह भी नहीं करता हैं
उसका पूरा दिन बिना कुछ खाये,बिना किसी अपने के
यू ही बच्चों के साथ पतंग उड़ाने में कब बीत जाता
हैं शायद उसे खुद भी नहीं पता :(
ना किसी से आगे निकलने की जिद्द और
ना किसी से पीछे रहने का डर
ना दुनियादारी की कोई फिकर और
ना ही झूठे रिश्तों की उलझन
हां अभी पतंग उड़ाते हुए उसे एक डर सता रहा हैं कि
कहीं मेरी पतंग कट ना जाये बिल्कुल
जिंदगी की साँसों की तरह :-)
कल तो मैंने उसे यू ही डरा दिया था कि
आज पापाजी को बोलूंगी कि तुझे पढ़ाये
वो मेरे पास आया और बोला जब तक पापा आयेंगे तब तक मैं सो जाऊगा
पागल बच्चा:-))
एक दिन मैंने बेवजह पियूष के दो चांटे लगा दिये थे
खैर बाद में मुझे मेरा अहम् बहुत अच्छे से नजर आ रहा था
for that day really i m so sorry piyush.....:-))
मैं दुआ करती हू कि तुम्हारी पतंग कभी ना कटे :-))

Tuesday 24 December 2013

बँटवारा......

आज तुम यह सोचकर गलतफहमी मत पाल बैठना कि
आज मैं फिर से वो सारी बातें  कहूँगी कि
चलो ना हम आपस में जमीं और आसमां को बाँट लेते हैं ?????
हां तो -
आसमां तुम्हारा, जमीं मेरी
सारे हिरे-मोती तुम्हारे और नदी के किनारे की सारी सीपियां मेरी
सारा समुंद्र तुम्हारा और तुम्हारी आँखों का पानी मेरा
चाँद-सितारे तुम्हारे दिन को तपता सूरज मेरा
ओके बाबा चलो सारी दुनिया तुम्हारी और तुम सिर्फ मेरे
समझे ना सिर्फ मेरे ??????
किसी के साथ शेयर करने का तो ख्याल भी मत लाना अपने मन :-))
हा.…। हा.…… !!!!!!!!!!!
ओफ़्फ़ो मैं भी ना फिर से  ……………। ??????
एक्चुअली बताना भूल गयी कि बंटवारा इस बार चीजों का नहीं
ब्लॉग्स का हुआ हैं,हमारे प्यार और दर्द का हुआ हैं :(
माफ करना पर अब यहाँ फिर से कभी तुम्हारा जिक्र नहीं होगा :-))
जो कि तुम्हें बेइंतहा दर्द और दूसरों को बेपनाह खुशी देगा :-))
अब तुम्हारी खुशियों का हिसाब कैसे चुकाऊ ???????//
तुम खुश रह सकते हो मुझे पता हैं सो @!!!!!!!
चलो यह सब छोड़ते हैं फिर से एक नयी शुरुआत करते हैं :-))
क्यूँकि पुरानी बातों को नहीं भुलायेंगे तो किसी नएपन की शुरुआत कैसे होगी ???????
और अगर कुछ नया नहीं करेंगे तो यह पुरानी बातों का बोझा कब तक
ढोते रहेंगे ?????????
afterall अभी तो एक पूरी जिंदगी गुजारनी(काटनी) हैं वो भी अकेले
अब यह तो हैं  नहीं कि तुम साथ हो जो कि साल पलों में कट जायेंगे :-))


"सुनो !बदल रहा हैं यह साल और 
बदल रही हू मैं ,मेरा मन और मेरा दीवानापन :-))"

खैर सब-कुछ तुमसे ही तो सीखा हैं
"अब मुझे मिल गए हैं 
जीने के बहाने और आगे बढ़ने के सपने :-))"
तुम्हारे लहेजे में बोलू तो -
don`t let ur dreams just be dreams....:-))
आगे तुम खुद भी बहुत समझदार हो। .... lol 

मेरी जिंदगी और मेरा वक़्त अब तुम्हारे मोहताज नहीं रहे :(
अब तुम भी जरा तलाश लेना शायर बनने के कुछ बहाने :-)
शायद थोड़ा सुकून मिल जाये !!!!!!!!!!!

Thursday 19 December 2013

तेरा शुक्रिया,ऐ मेरे खुदा :-))

PRECIOUS MOMENTS-
(a)-जब मेरे पापाजी मेरी गुल्लक के  पास में पैसे रख देते हैं :-))

(b)-जब मेरी माँ कोई काम करते हैं तो बोलते हैं
बेटा!यह ठीक हैं ना ??????
आखिर अपनी भी तो भागीदारी बनती हैं :-))

(c)-जब मेरे पापाजी मेरा चेहरा देखकर मेरा हाल बता देते हैं और
दर्द को बाँट लेते हैं तथा खुशियों को शेयर कर लेते हैं :-))

(d)-जब भगवानजी को कुछ बोलती हू
और वो विश उसी वक़्त पूरी हो जाये -
यह नहीं हैं कि सोना-चांदी मांगू और मिल जाए
मेरा मतलब छोटी-२ wishes से हैं जैसे-
भगवानजी नेट अच्छा चला दो ना,
यह सोंग जल्दी से सेंड कर दो ना
आज तो सुबह वक़्त पे उठा दोगे ना ????
आज का दिन अच्छा बीतेगा ना ?????etc
एंड दिन के अंत में मेरे लबों पे होता हैं
लोट ऑफ़ थैंक्स भगवानजी दिनभर मेरे साथ रहने के लिये
मुझे अपनी जिंदगी का एक और बहूत ही अच्छा दिन जीने का अधिकार देने के लिए
थैंक यू :-))

आखिर छोटे-२ पलों से ही तो मिलकर बनती हैं एक दिन पूरी जिंदगी
जिसके  कुछ लम्हें कही बिखरे मिलते हैं तो कहीं और ही हम :-))

सुना हैं साल बदल रहा हैं:-))

सभी बिते पलों को कैद कर रहे हैं,
सबको यू वक़्त को समेटते हुए देखकर मैं थोड़ा बैचैन हो उठी
फिर जेहन में आया क्यों ना मैं भी कुछ बीते पलों को संजोने का प्रयास करुँ :-))
कि तभी सोचा चलो हिसाब करते हैं क्या खोया,क्या पाया
तभी लगा नहीं,नहीं जो बीत गया उसे जाने दू ना
वरना पता नहीं यह किस्मत कौनसी कयामत ढा देगी फिर से !!!!!!!!
मन भी बावरा पता नहीं क्या-२ सोचता रहता हैं ???????
तभी सोचा क्यों ना डायरी को पढ़ा जाय
फिर उससे अच्छे पलों को चुनकर रिजल्ट निकालकर
वो पल लिखे जाए बस ताकि मुझे लगेगा कि हां मैं खुश हू बिन तुम्हारे भी :-))
ऊफ्फ डायरी भी एक ही हाथ लगी थी 2011 की -
मैं थोड़ा चौंक गयी थी
फिर अपने आपसे ही फुसफुसाई यह २०११ नहीं 2013 खत्म होने को आया हैं :(
सारे पेज पलटे उन पर भी बिल्कुल मेरी जिंदगी की तरह रंज सी जम गयी थी
मैंने उन्हें साफ़ किया,बिना वक़्त जाया किये सारे पेज पलट डाले
इसी उधेड़बुन में कि क्या पता शायद कही २०१३ और २०१३ का भी जिक्र मिल जाए ?????
पर अफ़सोस जो काले पन्ने थे वो सब तुम्हारा जिक्र कर रहे थे
बाकी बचे सफ़ेद पन्ने मेरी तरफ देखकर हंस पड़े और फिर बोलें-
"अब तुम्हारा जीवन भी कोरा कागज :-))"
सच यह साल भी बदल रहा हैं मेरी आँखों के सामने ,बिल्कुल वैसे ही जैसे बदलते हैं इंसान
पहले उनके चहेरे,फिर उनके विचार और फिर उनके अपनों की लिस्ट :-))




ओफ्फो क्या लिख रही थी चलो अपने विचारों को विराम देते हैं
क्यूंकि अभी अभी भी हमने किसी लाश को देख लिया हैं सो
माइंड पूरा डाइवर्ट हो गया हैं,अब मन बड़ों सी बातें करने लगा हैं
तुम्हें डर लगा क्या ??????????
उफ्फ़ नहीं ना पर मुझे लग रहा हैं एक दिन इसी तरह मैं भी चली जाउगी ना?????
यह मौत भी ना,अगर मैं खुदा होती ना तो हर चीज को परमानेंट बना देती
लोगों को,वक़्त को,उपलब्धियों को
तभी तो नहीं हू :-))

Tuesday 17 December 2013

SOME MESSAGES:-))-february-2012

                                                  १ 
आग लगी है इस दिल में ,
                                   दुनिया में आग लगाने दो
नंगे जलते पैरो से ,
                           भूतल पर राख बिछाने दो !!
इन नोखंडे महलों के निचे
                                     कुटिया मुझे बनाने दो
सदियों से सोयी हुई
                                शक्ति की अब तो ज्योति जलाने दो !!!!!!!!!

                                                                  २ 
उड़ते पंछी ने सोचा
                            मैंने गगन को बदला हैं
चमकते झुंगनू ने सोचा
                                  मैंने चमन को बदला हैं
पर मैंने तो यह समझा कि -
लोगों का नजरियां तो मेरा ही हैं
                                                पर लोगों ने तर्क जरुर बदला हैं :-))

                                                      ३ 
टूटते हुए ख्वाबों में हकीकत ढूंढती हू
पत्थर के दिलों में मोहब्बत ढूंढती हू
नादान हू मैं अब तक यह भी नहीं समझी
बेजान बातों में इबादत ढूंढती हू !!!!!

मेरे जज्बातों की कीमत यहाँ कुछ भी नहीं
बईमानी के बाजारों में शराफत ढूंढती हू
इस अजनबी दुनिया में अपना कोई भी नहीं
गैरों की आँखों में अपनी सूरत ढूंढती हू !!!!!!!!!

"उम्मीद की थी प्यार की 
                                  बस यही भूल थी मेरी 
गिरते हुए आंसुओं में अपनी हसरत ढूंढती हू :-))"


                                                        ४ 
गनीमत हैं नगर वालों लुटेरों से लुटे हो
गाँव में तो अक्सर हमें दरोगा ही लूट ले जाता हैं :-))


अब बस बहुत हैं
बोलों तो अब लब थरथराते हैं इसलिये फिर कभी लिखेंगे
रेत पर बिखरे हुए रिश्तों को
तब तक कोशिश करते हैं इन्हें थोड़ा संजोने का
उफ्फ़ आँखों में चुभता कल का धुँआ :-))

मिस यू निर्भया(ज्योति):-))

सॉरी!!!!!एक्चुअली कल से कोशिश कर रही थी निर्भया तुम्हारे बारे में लिखने की :-))
और बेशक अगर पोस्ट भी कल ही अपडेट करती तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता
पर क्या करू वक़्त और दिमाग दोनों एक साथ में साथ नहीं दे पा रहे है मेरा पता नहीं क्यों ?????
शायद वो इसलिए भी कि मैं अगर मन की कड़वाहटें लिखने लगी तो पता नहीं क्या-२ लिख दुगी
और तुम्हे पता हैं ना कि हम लड़कियाँ सवतंत्र नहीं है
हमें बोलने का अधिकार नहीं हैं
पता नहीं किस किसको बुरा बता देती -
वक़्त,समाज ,दोगले इंसानों को ??????
देखो ना क्या लिखू ??????
एक्चुअली मैं तुम्हारे लिए शब्द ढूंढ नहीं पा रही हू
चलो कल कुछ लिखा था तुम्हारे लिये वो पोस्ट कर दू बस-

"वैसे मुझे अक्सर अपने आपसे ही उलझना अच्छा लगता है 
पर आज सुबह आँख खुली तो आज की डेट याद करके अनायास ही 
लबों पर तुम्हारा नाम आ गया था :-))
मुझे नहीं पता तुम कैसी थी बस मैं केवल इतना जानती हू कि 
तुम भी बिल्कुल मेरी तरह अपने पेरेंट्स की प्यारी-दुलारी बच्ची थी 

वैसे जन्म से आज तक मैंने कभी विरोध करना सिखा ही नहीं 
और मुझे कभी लगा भी नहीं कि मुझे कभी ऐसा करना चाहिए 
अक्सर मैं तो सोचा करती थी कि 
विरोध करने से केवल मन में कड़वाहटें ही पैदा होगी और कुछ नहीं 
सो हमेशा लगा कि बड़ों का कहा सर -आँखों पर 
पर नहीं अब मुझे लगता है अगर बड़े गलत हो तो हमें जरुरत हैं 
विरोध करने की ,अपना हक़ और अधिकार मांगने की :-))
उफ्फ यह कैसी दूनिया ,कैसा न्याय ,कैसा अधिकार 
आज एक साल हो गया है जबकि बदला क्या ?????
अगर हमारा सविंधान और उसकी रक्षा करने वाले लोग इतने ही कमजोर हैं 
तो अपराधियों को जनता के हवाले कर देना चाहिए था 
ताकि उस वक़्त यह जनता न्याय कर देती पर यह लोग बड़े समझदार है 
इन्हे पता हैं जनता केवल विरोध चार ही दिन करती हैं 
फिर वो भूल जाती हैं सब -कुछ वैसे ही जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो 
और अगर यह लोग सचमुच में ताकतवर हैं तो फिर 
सजा घोषित करने के बाद भी अब क्या उन्हें सजा देने के लिए 
किसी और अपराधी के आने का इंतज़ार कर रहे हैं ??????
ताकि जेल में जो उनकी जगह हैं वो खाली ना रहे :-((
उफ्फ क्या बदला शायद कुछ भी तो नहीं 
बेशक तुम्हारे जाने के बाद भी हत्यायें हुई हैं ,बलात्कार भी हुए है 
और तो और हद तो तब हो गयी जब बड़े -२ पदों पर आसीन लोग 
औरतोँ के अधिकारों के लिये लड़ने वाले लोगों का नाम भी 
बलात्कारियों में शामिल हो गया 
उफ्फ बचपन में गुनगुनाया करते थे ना कि -
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान ????
निर्भया !शायद अभी इन लोगों के लिये एक निर्भया का बलिदान काफी नहीं हैं :-))"

मुझे खुद को समझ में नहीं आया कि मैंने क्या लिखा ओफ्फ
खैर परिवार की ख़ुशी के लिये महिला की साधी गयी चुप्पी को
उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए :-))
नहीं तो फिर -
"यह जंग की आग जलनी ही चाहिए 
तेरे दिल में नहीं तो ,मेरे दिल में ही सही ;-))"

Sunday 15 December 2013

खास यू होता,हर शाम साथ तू होता :-))

जिंदगी का सबसे मुश्किल वक़्त हम अकेले अनजानी सी राहों पर
ना मंजिल का पता ना राहों की खबर :-))
अजनबी शहर में अकेले तन्हा ,बेवजह वक़्त की फिक्र
अपनों से दूर रहने का गम :-((
एक अनजान सा शहर अनजाने से लोग
बेशक वक़्त के साथ-साथ वहाँ के लोगों के चेहरे भी थोड़े
जाने-पहचाने से लगने लग ही जाते हैं :-))
तंग गलियाँ बेपनाह भीड़
जिसमे दूर-दूर तक ना कोई अपना नजर आये
"तब दिल कह उठता है खास -
इस भीड़ में कोई अपना भी होता 
गर पर लड़खड़ाते तो उसकी बाँहें थाम लेते :-))"
इस भीड़ से दूर जाने के लिये थोड़ा उसके साथ ठहरते 
किसी की आँखों में खोने के लिये 
थोड़ा जिंदगी की खुशियों का गणित मिलाते ;-))


कभी अकेले बैठकर सोचती हू खास कोई ऐसा अपना होता 
जिसके साथ कुछ देर बैठते ,बिना कहे वो सब-कुछ सून लेता 
जिसके साथ हम अपने दिल में दबे सारे राज खोल देते 
जिसके महज होने भर से अपनी दुनिया बदल जाती :-))
"आई मीन कभी-कभार भावनाओं को शब्द देना मुश्किल हो जाता हैं :-))"
ऊफ्फ आज फिर से वो बात याद आ गयी तुम्हें भी याद हैं ना ?????
कि -
शब्दों में क्या रखा हैं ,भावनाओं को समझो 
हा....हा ...…हा …हा … :-))
जस्ट चिल सारु। ……। सेन्टी कहीं की :-))

"इस दिल की जिद्द हो तुम वरना 
इन आँखों ने हसीन बहुत देखे हैं :-))" 

Friday 13 December 2013

8/12/2010....

जन्म लिया जिसकी कोख से
वो माँ मेरी परियों के देश से
चलना सिखा जिनकी उंगली थामके
वो पापा मेरे दुनिया की भीड़ से
बचपन था मेरा प्यारा सा
भाई-बहनों के संग गुज़ारा था
जब वो बचपन छूट गया
जिंदगी का हसीं रंग लूट गया
नादानी की कहीं नादानियों में
सम्भाला माँ-पापा ने हर मोड़ पर
कैसे चुकायेंगे कर्ज़ उनका
होगा उनका शुक्रिया अदा हर सोच में
ये दिन ना लौट आयेंगे ,ना ये पल लौट आयेंगे
दे दो उन्हें हर लम्हा ख़ुशी का
क्यूँकि फिर ना मिलेगा ये बसेरा सपनों का :-))
"जब पहली बार गर्ल्स के टॉपिक पे लिखना 
शुरू किया उस दिन मैंने सबसे पहले यह लिखा था लाइक 
that first of all some lines for my parents:-))"
n today i wanna say that-
मेरी दुनिया ,मेरी दुनिया बस आप हो ;-))

बिटिया-रानी

अहसास की गर्मी से तपाए
ऐसा लगाव हैं बेटी
हृदय में सोया हुआ एक कोमल भाव हैं बेटी
प्रीत की क्यार में बाबुल की फुलवारी में
रंग और खुशबु से भरा गुलाब हैं बेटी !!!!!!!!!
जिंदगी यदि गीत है तो ताल है बेटी
घर की आन-बान और सम्मान है बेटी !!
रिश्तों के जंगल में भटके हुए मानव को
नेह-नाजों से भरी मुस्कान है बेटी !!!!!!!!
मुस्कान और अनुराग की मनुहार होती है बेटी
दुनिया के रिश्तों में खरा व्यवहार होती है बेटी !!
बेटी जहाँ हंसती है :-))
बाबुल के आँगन में जगमग करती है
दीवाली का त्यौहार होती है बहना
प्रभु की वंदना होती हैं :-))
मंदिर का दीपक होती है बिटिया
पिता के माथे पे चंदन होती हैं !!!!!!!!!:-))))
"यह हम नहीं कहते यह तो खुदा कहता हैं कि 
जब मैं बहूत खुश होता हू तब जन्म लेती है बेटियां :-))"

Tuesday 10 December 2013

एक था वो भी दिन

कल रात को एक अजीब सी कश्मकश थी
सर थोडा भारी सा ,मन बहूत हल्का
बस बहूत देर तक यू ही करवटें बदलती रही
पर नींद ने बहुत देर तक मेरे दरवाज़े पर दस्तक नहीं दी थी
शायद रास्ता भटक गयी होगी बिल्कुल मेरी तरह :-))
तभी तुम बहुत याद आये
एक अजीब सी बेचैनी ने आ घेरा था मुझे
तुम ठीक तो हो ना ,खुश तो हो ना ??????
या कही फिर से !!!!!!!!
नहीं   नहीं मैं भी ना पता नहीं क्या-२ सोच लेती हू ????
फिर सोचा तुम्हें तो कभी मैं याद आती ही नहीं हू 
तो फिर यू ही खामखां बेवजह वक़्त बेवक़्त मैं तुम्हारी फिक्र क्यूँ कर बैठती हू ??????
हर वो अपना-बेगाना सा पल याद आया
तुम्हारा रूठना,मेरा मनाना तुम्हें याद है ना वो सारे पल ?????
अपना रिश्ता एक अनाम सा जिसकी जड़े हर रिश्ते से ज्यादा गहरी थी
पर उसके टूटने पर पता चला कि मैं एक कमजोर तना तो
तुम तूफान थे :-((
मैं भी भला तुम्हारे आगे कब तक डटी रह सकती थी
मुझे तो टूटकर बिखरना ही था
फिर चाहे वो तेरी बाहें थी या मिट्ठी :-))
बातें ख़त्म झगड़े शुरू
दूरियों का एहसास हो गया था मुझे पर
यह इतनी और यू बढ़ेगी मुझे पता ना था :-))
सिवाय तुम्हारी यादों के मेरे पास कुछ भी तो ना बचा था
फिर एक दिन हैरान परेशां सी उठी मैं
मैंने अपने आपको सम्भाला सोचा किसी एक के लिये सारी दुनिया से मुँह मोड़ लेना अच्छा नहीं ;-((
कड़वाहटों से जिंदगी को कब तक काटती रहुंगी ?????
या तो जब हम थे तब मैं नहीं थी ,या फिर अब मैं नहीं हू :-))
जो सब -कुछ बिखर गया था उसे समेटा 
फिर खुद को भी आखिर मैं भी तो एक लिपटा हुआ सामान मात्र ही तो रह गयी थी :-))
सच थका कोई एक ही था पर हम दोनों ही हार गये :-)))
क्यों ,कब ,कैसे और किसके लिये कुछ पता नहीं???????

"कुछ शरारतें है तुम्हारी,कुछ नादानियां हैं मेरी। … 
यह तो वक़्त ही बड़ा बेरहम निकला वरना ना बेवफा तुम थे और ना मैं :-))"

Sunday 1 December 2013

मेरा पहला वोट :-))

सही कहते है बच्चे बड़े जल्दी ही बड़े हो जाते है :-))
सच वक़्त पंख लगाकर उड़ता चला जाता है
लाख कोशिश करो पर ठहरता ही नहीं हैं
यप्प फाइनली बच्ची बड़ी हो गयी हा.…… हा :-))
आज मैंने अपनी जिंदगी का पहला वोट दिया है
चलो जी अब तो किसी काम में अपनी भी तो भागीदारी
बनती है आफ्टर ऑल हम भी जागरूक नागरिकों में आते है
(अब कितने जागरूक है यह तो वो खुदा ही जाने :-))
पर सुबह से बड़ी excited थी कि मुझे भी वोट देना है
और दे भी दिया वैसे मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी
नहीं है सो मैंने इस बार नए बटन नोटा का यूज़ किया है :-))
हां कुछ औरतों  ने तो कहा भी कि मैं यहाँ वोट कैसे दे सकती हू ?????
अब यह उनकी सोच है
उफ्फ मैं भी ना कितनी भुलक्कड़ हू
बचपन में सुना नहीं क्या कि बेटी का असली घर तो उसका अपना
ससुराल होता है
रीत, रस्में-रिवाजें!!!!!!!!!!!!

खैर मुझे ना इस घर से मतलब हैं और ना ही उस घर से
मुझे मतलब है केवल अपने आपसे,मेरे काम से
और जो मेरे लिये सबसे जरुरी है वो मेरे पेरेंट्स है
जिनसे मुझे कभी भी कोई भी दूर नहीं कर सकता
जान ना ले लू अगर कोई कोशिश भी कर ले तो :-))

खैर मैं कोशिश करुँगी कि मैं पहले एक अच्छी इंसान बनू
जो गलत के विरोध में आवाज उठा सके
अपने हक़ के लिये लड़ सके, अपने अधिकारों का
सही उपयोग कर सके

"लहरों ने बगावत की तो ,समुंद्र का क्या होगा !!!!
सितारों ने बगावत की तो ,आसमान का क्या होगा ????
बेटियों को अभिशाप समझने वालों ,अगर हम जैसी 
बेटियों ने बगावत की तो ,इस समाज का क्या होगा ????
                                      इस देश का क्या होगा -२ ?????????'"

जवाब दो ??????
हम्म :-))

Friday 29 November 2013

इंसानी फितरत :(

तुमसे बात करके हमेशा सोचा करती थी कि
खुदा अभी तो अच्छे लोगों को बनाना भुला नहीं है
तुम्हारा बेवजह हर जगह मेरा साथ देना
बिन कुछ मांगे ही मुझे अपना सब-कुछ दे देना
कायल थी तुम्हारी इस आदत की !!!!!!!!!!!!!!!
तुम्हारी बेवजह चाहत की :-))
पर नहीं ………… शायद मेरा अंतर्मन कभी
झूठ के पीछे छुपे सच को जान ही नहीं पाता है
या जानकर भी अनजान बने रहना मेरी फितरत में हैं :-))
आज तुमने मेरे सारे भ्रम तोड़ दिये
वो सब बेवजह नहीं था पर शायद कुछ मेरी समझ से परे था
ओफ्फो … माफ करना जनाब आपके कुछ एहसान जरुर है
हम पर पर अभी हम उनके तले दबे नहीं है
फुर्सत में उनका भी हिसाब चुकता कर ही देंगे :-))


"हर रोज टूटता है एक और पुराना ख्वाब 
और उस ख्वाब के साथ ही टूटती हू मैं  ,मेरा मन 
मेरी उम्मीदें ,मेरे सपने और शायद बहुत कुछ। …। :-))"

अब समझ में आया भला बिना कीमत
के भी कोई रिश्ते बनाये और निभाये थोड़े ही ना जाते
है पता हैं मुझे तुम सब समझते हो ,,,,,,,,,,मैं बावली कहीं की :-))
"जिंदगी के इस मंडप में हर ख़ुशी कंवारी हैं ,
किससे मांगने जाए ,यहाँ हर कोई भिखारी हैं :-))"

Wednesday 27 November 2013

आज बस कुछ यू ही

तुम मुझसे प्यार करती हो और मैं तुमसे तो
चलो ना हम दोनों अपनी एक नयी दुनिया बसाये -
(नोट-यह सारी बातें काल्पनिक है
सोच रही हू अगर कभी कोई ऐसा कहे तो हा.… हा :-))

और भी लोग है मेरी इस दुनिया में केवल तुम ही तो नहीं
"अब जब मैं समझदार हो गयी हू तो कैसे ये बच्चों सी नादानियाँ कर बैठू ??????"
तुमने केवल मेरी जुबान के लफ़्ज़ों को सुना है
आज मेरी रूह की आवाज को जरा गौर से सुनो -

"सुनो !जिस शाम में मेरे बाबा के साथ बैठकर ख़ुशी से चार पल ना बाँट लू
वो शाम उनकी अधूरी सी होती हैं
और रात मेरे ही विचारों की कश्मकश में बीत जाती हैं
बिना एक पल सोये :-))"

मेरी माँ और चाची को जब तक यह ना कह दू कि
आप लोग कुछ भी नहीं जानते हो ,
ना कोई काम ढंग से करना आता हैं और
ना ही इस दुनियादारी को सही से सम्भाल पाते हो
पता नहीं क्यों लेकर आये आपको हा..... हा..... हा..... :-))
उनसे बिना लड़े मेरा दिन बीत ही नहीं सकता :-))


अपने भाई-बहनों के झगड़े का तो क्या कहना………… वो तो होने ही है
ऐसे अनगिनत पल है जिन्हें ना बातों में और
ना ही यादों में संजोया जा सकता हैं :-))


तुम पागल मत बनो यह दुनिया,समाज और लोग
तुम्हें सिवाय रीति-रिवाजों,रुढ़िवादी सोच और अनचाहे बोझ की
गठरी के सिवा कुछ ना देगा :(
तुम्हें उड़ना हैं ना आजाद परिंदो की तरह
चलो ना मैं तुम्हें यू खोने नहीं दे सकता :-))


नहीं जनाब आज मेरे दिल और दिमाग की जंग में
दिमाग थोडा ज्यादा ही हावी हैं
सो आज तुम मुझे एक देहाती औरत ही बनने दो
जिने दो मुझे हर वो पल जो कल को मेरी माँ ने जीया था :-))
खोने दो मुझे इस रिश्तों के बंधन में
जहाँ ना कोई दिखावा और ना ही कोई फरेब हैं :-))
फिर कभी दूसरा जन्म लेंगे तुमसे प्यार करने के लिए भी
और तुम्हारे साथ आजादी की जिंदगी जीने के लिये भी :-))
फिर से कभी इन पैरो को फड़फड़ायेंगे इस गंगन को चूमने के लिए
पर आज नहीं;;;;;;;और हां तुम यह मत समझाना कि मेरे
पैरों में बेड़िया है यह तो पायल है पागल हा..... हा :-))
मैंने हर पल अपनों में जिया है ना कि अपने आपमें :-))


"ओके तो मैं भी जा रहा हू किसी और के साथ उड़ने के लिये :-))"


शौक से जाइये जनाब और हां सुनो
बोझ वो रस्में नहीं तुम्हारा झूठा प्यार है
सो यह बोझा भी ढोते जाओ जिसमें मैंने तुम्हारी यादों
और तुम्हारे साथ बिताये हर पल को कैद करके सम्भाल के रखा था
पर अब तेरा तुझको अर्पण।।।।।भला इतना भी निर्दयी होता है कोई ???????
याद रखना -
"मोहब्बत वो नहीं होती जो रिश्ते भुला देती है 
बल्कि मोहब्बत वो होती है जो बुजुर्गों का आशीर्वाद लेती हैं :-))""

Tuesday 26 November 2013

लव यू माँ और बाबा :-))

तुम मेरी कल्पना हो और
यह लोग मेरी हकीकत है और शायद मेरी दुनिया भी !!१

मैं तुम्हारे बिना साँसे ले सकती हू
पर इनके बिना जी नहीं सकती :-))२

मैं तुम्हारे लिए सारे दर्द सह सकती हू पर
इनकी आँखों में बेबसी का एक आंसू भी नहीं देख सकती !!!३

तुमने मुझे दर्द क्या होता हैं इससे रुबरु करवाया पर
इन्होंने मुझे हर पल बेवजह व बेपनाह खुशियां दी है :-))४

तुमने मुझे पल-२ मेरे पराया होने का एहसास करवाया है पर
इन्होंने मुझे हर पल अपने सीने में छिपाकर रखा है!!!!५


मेरे पेरेंट्स ने मुझ तक दर्द के किसी झोंके तक को नहीं पहुँचने दिया है
तुम्हारे लिये मेरी खुशियां और मेरे गम कोई मायना नहीं रखते है
सो जनाब किसी रोज हम भी चलेंगे,,,,,बिल्कुल आपकी  तरह :-))
पर आज थोड़ा ठहर जाने में ही सुकून नजर आ रहा है :-))

आईना ,,,,,ख्वाब या कुछ और ही :-))

आज उन्हीं पद्चिन्हों पर मैं भी चली
जहाँ अक्सर तुम्हारा आना जाना लगा 
रहता था यू ही बेवजह :-))
कि अचानक से मेरे पैर में कुछ चुभा 
और उसी चुभन के साथ मेरी आँखें 
भी बरस पड़ी!!!!!!!!!!१ 
हाथ में उठाकर देखा तो कांच बिखरे पड़े थे 
(अनायास ही मुझे वो लाइन्स याद आ गयी 
जो कभी मैंने तुम्हें लिखी थी कि -
"आईना तो नहीं था ख्वाब मेरा ,
जो कि टूटकर आँखों में चुभ रहा है :-")


पर आज यकीं भी हो गया कि ,,,,,,
आईना ही तो था 
बिल्कुल नहीं बदले हो कितनी बार समझाया था कि 
कांच की चीजों को जरा सम्भाल कर  रखा करो 
(handle with care yar)
पता है ना कि जब टूट जाए तो दर्द बहुत होता है 
पर नहीं सहेज सके 
तोड़ दिया ना 
बिना यह सोचे कि इसके टूटने से 
बिना कोई आवाज किये भी मेरे 
अंदर का न जाने क्या-२ टूट जायेगा 
और शायद "मैं "भी :-))

बस इतनी सी हसरत हैं :-))

तुम आ गए ना............. 
हां मुझे पता था कि तुम जरुर आओगे 
"उम्मीदों से ही तो यह जिंदगी हसीं है :-))"
वैसे भी माँ ने बचपन में बताया था कि 
सुबह का भुला ,शाम को जरुर लौट आता है :-))

बहुत सारी बातें जेहन में आती है पर
चाहकर भी सब लिखी नहीं जाती 
कितना भी समेट लू ,कुछ तो छूट ही जाता है 
कितना भी थाम लू पर 
यह वक़्त मुठ्ठी से फिसल ही जाता है 

बस फिर\भी\कभी-कभार अनमने मन से कुछ लिख ही लेती हुँ 
अपनी डायरी और जिंदगी दोनों के खाली  पड़े पन्नों पर :-))
और वैसे भी अभी मैं बच्ची हुँ सो 
मुझे बड़ो जैसी बातें नहीं करनी आती !!!!!!!!
अभी मैं बहुत जीना चाहती हुँ यू ही खामखां और बेवजह 
मैं अपनी जिंदगी को हर रोज एक नये रंग में रंगना चाहती हुँ 
मैं अपने परों को और ज्यादा फैलाना चाहती हुँ 
इन्हे फड़फड़ाना चाहती हुँ ,और बहुत दूर तक उड़ना चाहती हुँ :-))
बहुत कुछ चाहती हु जिसे लफ्ज़ों में बयां नहीं किया जा सकता :-))

Monday 25 November 2013

अनाम शीर्षक :-))

जैसे ही चुनाव आते है जनता भी नेताओं की तरह चुनावी रंग में रंग ही जाती है 
सबको फिकर लग जाती है उनसे मिलने की और 
उनके साथ फ़ोटो क्लिक करवाने की :-))
सच में रांझना में धनुष ने सही डायलाग बोला था!!!!!!
चुनाव के वक़्त तो ये नेता लोग क्या-२  नहीं करते है 
पर इनके जितने के बाद किसी की क्या मंजाल की इनके पास भी बैठ पाए :-))
मैं देख रही हू कि लोगों में काफी उत्साह है 
वो घंटे-२ घंटे से किसी के आने का इंतजार कर रहे है 
"उफ्फ.... इतनी शिद्दत से तो हम किसी अपने के आने 
पर भी इंतजार नहीं करते हैं :-))"
अक्सर लोग बड़े बनने के बाद वक़्त की कीमत ही 
भूल जाते है इंतजार करता आम इंसान और वक़्त को 
अपने पैरों तले कुचलते वो लोग :(
 हा अब इंतजार की घड़िया खत्म हुई नेताजी पधार गए है 
बहुत सारी भीड़ के साथ शायद डरते होंगे सो इस झमेलें को 
अपने साथ लेके चलते हैं :-))
खैर औरतें भी देखने व सुनने को उत्सुक है सो 
वो भी घर की छतों  व स्कूल के सामने से तांक-झांक कर रही है 
एक गाड़ी में उनके गुरूजी भी बैठे थे क्योंकि 
वो हर जगह पहले उनका आशीर्वाद लेते है और फिर भाषण देते है 
और वो सही भी तो है क्यूंकि हम भारतीय है 
जहाँ दवा भी काम ना आये ,वहाँ दुआ काम कर जाती हैं :-))
अब गुरूजी गाड़ी में अकेले रह गये है सो मैं जा टपकी उनके पास  
मैंने उनसे काफी बातें करने के बाद कह ही दिया ठीक गुरूजी 
फिर आप मेरे भी सिर पर हाथ रख कर मुझे भी आशीर्वाद देते जाओ 
उन्होंने भी बिना वक़्त बर्बाद किये मुझे आशीर्वाद दे दिया :-))
बताइए मैं आपकी क्या सेवा करुँ ????चाय पिओगे ????
नहीं बेटा !मैं चाय नहीं पीता !!
तो दूध ले आऊ ??????
नहीं नहीं ……
मैंने भी जिद्द की पर वो नहीं माने शायद चुनाव कुछ ही 
दिनों में ना होते तो वो मुझे झिड़क भी देते पर शुक्र है 
उस खुदा का सो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया :-)))))
अजीब हैं ना इन लोगों को गावों के नाम तक पता नहीं होते है 
फिर भी भाषण में सात जन्मों पुराने  रिश्तों  का  जिक्र करके चले जाते है 
वो लोग जाने लगे तब मैं भी बाहर आयी मेरा मन किया
मैं  जोर-जोर से चिलाउ और उनसे अपनी फरमाइशें साझा कर दू कि -
(a)-सर !जीतने के बाद मेरे गांव के लोगों का शुक्रिया अदा 
करने भी जरुर आइएगा :-))
(b)-सर !आप देख रहे हो ना कि आपकी गाड़ियाँ इस चौराहे की 
छोटी-छोटी सड़कों के बीच कैसे फंस सी गयी है 
तो जब जीत जाओ तो थोडा हाल इनका भी जान लेना जी :-))
(c)-सर !गरीबों को आसानी से मीठा पानी मिले वादा किया है तो 
प्लीज इसे भूलियेगा मत ,अपनी इंसानियत का परिचय जरुर देना जी :-))
(d )-सर !विकास की बातों को केवल जुबान तक सिमेट कर 
मत रखना ,उन्हें भी कुछ रंग दे ही देना :-))
बहुत कुछ कहना था पर नहीं कह सकी 
मैं भी बस उन जाती हुई गाड़ियों को ठगी सी नज़रों से 
एकटक देखती सी रह गयी बिल्कुल लाचार,बेबस और मजबूर इंसान सी :-))
और अगर कह भी देती तो पता नहीं मुझ पर कौनसी कयामत आ जाती 
पता नहीं क्या-क्या सुनने को मिलता कि 
मनचली है किसी का कहना मानती ही नहीं है 
कितनी बार समझाया है कि जब बड़े बातें कर रहे हो 
तब बच्चे नहीं बोला करते ,औरत का चुप रहना ही बेहतर होता है etc :-))
आखिर हम समाज में रहने वाले जो है खैर 
मैं यह सोच ही रही थी कि मेरे जीजू आ गये जो कि अध्यापक है 
मैं उनसे बातें करने लग गयी मैंने कहा -
मैं एक बहुत ही अच्छी इंसान बनना चाहती हू 
देखो ना जैसे कि लाइट वेस्ट मत करो व्यर्थ पानी ना बहाओ ये सारे काम 
जैसे लोग समझते है कि केवल बच्चोँ के लिए ही है 
मैं बहुत सारे पैसे कमाना चाहती हू ,फिर एक बहूत बड़ी समाजसेविका बनना चाहती हू 
वो मेरी तरफ देखकर हंस दिए और फिर बोले 
अच्छाइयाँ कभी नहीं छुपती है ,नेकदिली करती रहो यही काफी है और 
रही बात पैसों की तो अक्सर लोग पैसा होने के बाद ही 
इंसानियत के नाते को भूल से जाते हैं :-))))))
और तुम बहुत अच्छे से जानती हो कि -
"जो विख्यात होगा ,वो कुख्यात भी होगा :-))"

Thursday 21 November 2013

खिलने दो, खुशबु पहचानों :-))

"मैं नहीं हू सागर सी खारी ,मैं तो नदी की मीठी धार हू 
भवसागर का ज्वार हू ,अभी अजन्मी बच्ची हू !!!!
रक्त में सरोबार हू ,मुझे खिलने दो फूलों के समान 
खुशबु पहचानों मेरी ,फिर देखो मेरी क्षमताऐं !!!!!!
आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरूंगी ,इसलिए कहती हू मुझे जन्म लेने दो 
परम्परा की कैंची से न काटो ,
नीड़ से निकली नवजात चिड़िया हू पर फड़फड़ाने दो मुझे !!!!!!!!
मेरे पर ना काटो ,बेरंग चिठ्ठी सा मुझे ना छांटों 
मैं तो झरने सी कलकल करती ,नदी की सुमधुर आवाज हू !!!!!!!
दूर तक सुनायी देने वाला साज हू ,मुझे आप आत्मविश्वास के स्वर दो 
नहीं किसी पर बनू मैं बोझ ,आपके स्वप्न करुँ साकार :-))
ऐसा वरदान दो सार्थक जीवन का सार बन 
घर ,परिवार ,समाज और राष्ट्र का नाम करुँ इस वन्दनीय भूमि पर !!!!!!!!!!
प्रार्थना करती हू बस मुझे जीने का अधिकार दो 
विश्वास का संसार दो ………:-))"


दिनांक -12th मई -2012 :-))

Wednesday 20 November 2013

नारी-मेरी डायरी-3…… :-))

मासूम सा चेहरा लिए ,मन में कुछ उमंग भी है 
कमजोर ना समझो मुझे ,कुछ करने का दम भी है !!!
पतझड़ में भी बहार ला दू ,ऐसी ताकत है मुझमें 
वीराने में भी जहाँ बसा दू ,ऐसी चाहत है मुझमें !!!!
सबके लिए कुछ करते जाना ,नियति है मेरी ,कृति है मेरी 
क्योंकि मैं हू एक भारतीय नारी ,कुदरत की सबसे प्यारी !!!!!!!
"अक्सर हवाओं के तूफान पहाड़ों को 
देखकर अपना रुख बदल देते है 
लेकिन नारी तो वह तूफान है 
जो पहाड़ों को चीर कर आगे निकल जाती हैं !!!!!!!!"

Monday 18 November 2013

मेरी गुल्लक :-))

आज मेरी गुल्लक भी मेरी तरह बड़ा खुश नजर आ रही हैं 
बिल्कुल मेरी तरह आज उसका भी चेहरा खुश है 
क्यूंकि आज सुबह -२ पापाजी ने पैसे दिए थे 
सो आज उसके भी भाव बढ़ गए है हा … हा 
मेरी प्यारी गुल्लक जिस पर अब तक पता नहीं 
कितने लोग मेरे अपने होने का दावा करके 
अपना कुछ हक उसपे भी जता गए हैं :-))
खैर उसमें सारे पैसे केवल मेरे पापाजी के 
दिए हुए हैं और शायद वो भी कुछ रोज बादआजकल  
मुझे केवल इसलिए पैसे दे देते हैं ताकि 
वो सारिका की वो वाली ख़ुशी देख सके 
जब वो पैसे अपने हाथों में ले फिर अपनी गुल्लक 
फिर एक प्यारी सी स्माइल और थैंक्स पापाजी को बोलें 
और बस फिर वो पैसे पाकर मेरी गुल्लक भी खुश हो जाये :-))
हम्म,,,,,,लव यू पापा :-))
"such u r the best,
love a lot
lot of thanks papaji:-))"
also how can i forget about you
thank you so much bhagwanji
for giving me all these happiness
n such a vry lovely family
that love n care for me:-))"


Wednesday 13 November 2013

गुजारा :-))

जिंदगी बस तेरी छाम में गुजरी
बराबर दर्द और आह में गुजरी
एहसान से उन्हें निभाने में गूजरी
उम्र सारी गुनाह में गुजरी
है यह जिंदगी की हर एक घड़ी
जो तेरे दिल-ओ-गाह में गूजरी
सबकी नजरों में अपनापन था
जब तक उनकी निगाह में गूजरी
मैं एक मुहब्बत की राही हू
जिसकी मंज़िल भी राह में गुजरी
एक ख़ुशी हमने दिल से चाही थी
वो भी गम की पनाह में गूजरी
जिंदगी अपनी ये ए-प्रीतम
अब तक रस्म रिवाजों की कड़वाहट में गूजरी :-))


हाँ हम हैं मनचले ;-))

अक्सर मेरे जैसे नमूनों को सहन कर पाना आम लोगों
के लिये बहूत मुश्किल होता हैं ,
अनायास ही वो लोग मुझ जैसे लोगों से कुण्ठित हो
ही उठते हैं और मन ही मन सोचते हैं -

"यह छोरी नकचढ़ी हैं अभी इसे समाज में ठीक से रहना भी
 नहीं आता है भला ऐसी  भी कोई लडकियां होती हैं क्या ?????????
ढंग से सलवार-कमीज तक नहीं पहन पाती हैं :-(
पहन ले तो कभी दुपट्टा नहीं सम्भाल पाती हैं तो
कभी पायजामे में पैर फसाकर गिर पड़ती हैं
और तो और हद हो गयी बालों को ढंग से बांधना तक नहीं आता हैं
उफ्फ। …। यहाँ तो जैसे-तैसे माता-पिता सम्भाल लेते हैं
पर कल को पक्का इन्हें ही भला-बुरा सुनवायेगी :-(
खुद को मेहंदी लगाने से जीतना परहेज उससे
कहीं ज्यादा मुश्किल हैं कोन को सही से हाथ में पकड़ पाना :-))
अब इस बेवकूफ को कौन समझाये कि
औरत के सोलह क्षृंगारौ में से मेहंदी भी एक हैं
ऐसी बहुत सारी बातें हैं खैर इन लोगों के प्यार के लिये
बस इतना ही काफी हैं :-))))"

"अब मैं इन्हें कैसे समझाऊ कि मेरे जैसे लोग तीसरी दूनिया से आये हैं
उन्हें ना किसी की फिक्र हैं और ना ही किसी की चिंता :-))
बस हम लोग बगावत नहीं आजादी चाहते हैं :-)"

"जीन्स और t-शर्ट महज हमारे कपड़े हैं 
हमारा चरित्र नहीं !!!
हमें फुर्सत नहीं हैं अपनों की यादों से ही तो 
कब और कैसे चूल्हा -चौकी का काम और बालों को गूँथना सीखे ???"

देखो ना वो बूढ़ी अम्मा कितनी ललचायी नजरों से देख रही हैं 
हाँ शायद मैं उन्हें समझदार लगी हू 
इसलिए वो मुझसे बात करने को बेताब हैं 
जो कि कुछ देर पहले ही अपनी परफेक्ट बहू से 
फर्श पर पानी गीरा देने के कारण 
जहर सी कड़वी बातों के घूँट पीकर आयी हैं :-))

Tuesday 12 November 2013

वो मेरी परछाई हैं :-))

वो आयी मेरे पास बैठी और कहा बहुत भूख लगी हैं
मैंने कहा बैठो खाना खा लो
बचपन की आदत को आज तक नहीं छोड़ पायी हैं 
थाली में झूठन छोड़ दी मेरे लिए
मैंने कहा अब तो सुधर जाओ, क्यूंकि तुम अब बच्ची नहीं रही 
उसने कहा झूठा खाने से प्यार बढ़ता हैं 
और मैं नहीं चाहती कि हमारा प्यार कभी भी कम हो :-))
उसने पूछा और कैसे हो ??????
मैंने कहा मैं ठीक रहती हू पर तुम्हारी फिकर सताती रहती हैं
ओहह..... आप फिर से शुरू हो गए कितनी बार कहू कि आप मेरी टेंशन मत लिया
करो मैं भी हमेशा वडिया ही रहती हू :-))
मैंने पूछा अब आगे का क्या प्रोग्राम हैं ?????
उसने कहा बहुत सारे काम बाकी हैं
पता हैं ना आपको कि मैं एक अच्छी इंसान बनना चाहती हू
मैंने कहा यह काम तुम शादी करके भी तो कर सकती हो
मुझे समझ में नहीं आता कि तुम शादी क्यों नहीं कर लेती ?????
उसने कहा उफ्फ मैं भुल ही गयी थी कि मुझे बच्चों ने बुलाया हैं
मुझे उनके साथ स्कूल में जाकर पौधे जो लगवाने हैं
"अब मैं चलती हू बाय माँ और हां आप टेंशन में 
रहते हो तब काफी अच्छे दिखते हो सो बाकी की टेंशन्स 
अगली बार के लिये :-))"
वो चली गयी और मैं उसे बस एकटक सी देखती रह गयी 
क्या सच में सारी बेटियां ऐसी होती हैं ?????????

Monday 11 November 2013

विश्राम :-))

साहब चलो २५१ रू. तो दे ही दो :-))
पहले बताओ तुम्हारा नाम क्या हैं ????
जी "विश्राम ":-))
अनायास ही मैं यह नाम सुनकर थोड़ा ठहर गयी थी ,
अजीब लगता हैं ना भला ऐसा भी कोई नाम हो सकता हैं ????
  तभी सहसा मेरे दिमाग में कुछ बचपन की यादें उभर आयी 
मैं अपने आपसे ही उलझ बैठी 
क्या सारिका तु तो बड़ी-2 करती हैं कि मेरी याद्दाश्त बहुत अच्छी हैं 
तो फिर आज क्या हुआ तू उस विश्राम को कैसे भूल गयी ???????

हा अब याद आया यह बात तब की हैं जब मैं शायद 7th कक्षा में पढ़ती थी 
पास वाले अंकल के घर में एक शहर का लड़का आया था 
तब तक मेरा किसी भी शहर के लोगों से कम ही नाता था 
क्यूँकि मैंने अपनी सारी दूनिया को बस अपने गांव के चारों और तक समेट रखा था :-))
अक्सर हम बच्चें शाम को खेला करते थे एक दिन वो भी आ गया हमारे साथ खेलने 
आया ही था कि हम लोगों ने खेल को छोड़कर बस उसकी क्लास लेनी शुरू कर दी 
जो सवाल हमने पुछे वो सब तो मुझे याद नहीं पर कुछ बातें जरूर याद हैं -

"तुम्हारा नाम क्या हैं ?????
वो -विश्राम !!!!!
तुम कहां के हो ????
वो -किशनगढ़ शहर का हू मैं !!
तुम्हारे पापा क्या करते हैं ???????
वो -मेरे पापा का कुछ साल पहले निधन हो गया, माँ कहते हैं कि तब मैं बहूत छोटा था :-(
तुम्हारी पढ़ाई के पैसे ????
वो -मेरी माँ मेरी हर जरूरत को पूरा करते हैं वो मुझसे बहूत प्यार करती हैं 
क्योंकि इस दूनिया में मेरे अलावा उनका अपना कोई नहीं हैं :-)"

फिर वो हमेशा हम लोगों के साथ खेलता था और 
वैसे भी मेरी और उसकी बहूत बनती भी थी पर मुझे उसकी साथ की गयी बातों में से केवल एक ही बात याद हैं :-)))

"जब भी मैं उसे देखती थी मैं बिल्कुल विश्राम की स्थिति में खड़ी होकर बोलती  :-विश्राम 
फिर वो मेरी तरफ देखकर बिल्कुल तनकर खड़ा होता और बोलता :-सावधान !!!!!
बस इसी बात पे हम दोनों हंस पड़ते थे :-))"

सावन की तरह आया था बस कुछ दिन हरियाली जरुर रही थी 
पर फिर से पतझड़ आने को बेताब थे सो शायद उसे भी जाना ही था 
और वो चला गया :-(

(जब जाना ही हैं तो ,क्यों आते हैं मेहमान !!)

तभी सुनाई दिया सरिता इन्हें खाना खिला दो 
हा यह बात मेरे पापाजी ने कही थी उनके सामने जो विश्राम नाम का इंसान खड़ा 
था उसे खिलाने के लिये बोल रहे थे 
उफ्फ कहाँ और किस जहां में खो गयी मैं भी ना 
तभी मैंने कहा ठीक हैं अभी लायी पर उसने मना कर दिया 
तभी मैं सोचने लगी कहीं यह वो तो नहीं ???????
नहीं ,नहीं यह नहीं हो सकता इसके तो माँ-बाबा ,भाई-बहिन सब तो हैं 
और फिर यह तो "बहुरूपिया" हैं यह तो वो हो ही नहीं सकता :-))

पर यह जो कोई भी हैं मैं इसे भी तहेदिल से शुक्रिया बोलना चाहती हू 
इसकी वजह से आज एक बार फिर से मैंने अपना अच्छा सा बचपना जिया था :-))

मुझे नहीं पता अब वो कहाँ हैं और कैसा हैं ?????
पर उम्मीद करती हू जहाँ भी हो अच्छा व खुश हो 
माँ का ख्याल रखने वाला एक अच्छा बेटा बना हो :-)))


पता नहीं ज़िंदगी के कितने और कैसे मोड़ पर हम एक-दुसरे से मिले होंगे 
पर शायद हम लोगों ने एक-दूसरे को पहचाना तक नहीं होगा 
शायद अब उसे तो मेरा नाम तक पता नहीं होगा 
सच में फिर तो मान गए कि सारिका की याद्दाशत बड़ी तेज हैं 
ऑफ्टर आल बादाम जो खाती हू असर तो दिखेगा ही ना :-)) हा हा हा। …… "


खैर इतने वर्षों में वो मुझे एक पल के लिये भी याद नहीं आया था 
पर शायद भगवानजी ने आज मुझे एक बहाना दिया था उसे याद करने का 
सो लॉट ऑफ थैंक्स "भगवानजी ":-)))


बरसों बाद ही सही पर फिर भी इस बार की दीपावली 
तुम्हें बहूत-2 मुबारक हो विश्राम :-))!!!!!!!

"सच में बहूत दिनों से डायरी के बीच में इन्द्रधनुष  को कैद कर रखा था 
आज वो पन्ना खोला कि बादल बरस पड़े :-))"!!!!!!!!!!!!


दिनांक -3th नवंबर २०१३ !!!!!!!!!!!!!

उलझन ....:-)

कुछ यादें वक़्त के साथ बहूत धुंधली सी हो जाती हैं कि
लाख कोशीश करो पर फिर भी हम उन्हें समेट नहीं पाते हैं :-)
   वक़्त बहुत जल्द अपनी करवट बदल लेता हैं ,
और हम केवल उसके हाथों ठगे से रह जाते हैं बस :-)
कभी कुछ पुरानी यादें दिल के बहूत करीब जैसे
कि दिल के किसी एक कोने में संभालके रखी हो
आंखें बंद करते ही बस एक पल में ही उभर आयेगी
और कभी केवल आंखों में तैरती हुई हमसे बहूत
दूर जाती हुई सी प्रतीत होती हैं। …… :-))
अक्सर वो दिन याद आते हैं -


"जब मैं दुसरे बच्चों को चॉकलेट खाते हुए देख बस अपनी ललचाई
नजरों से देखकर ठगी सी रह जाती थी


वो खेतों की पगडंडियों पर अठखेलियां करते हुए सबके साथ चलना
ना किसी से पीछे रहने का डर और ना ही किसी से आगे निकलने की जिद्द :-))

हम अक्सर इंतजार किया करते थे दीपावली के आने का और
बड़ो से आशीर्वाद लेने का पर पर अब खुद बड़े हो गये हैं ना सो
खुद के झुकने में कमर के लचक जाने का डर रहता हैं जी :-))"


बिना मन के कुछ लिखना भी बहुत मुश्किल होता हैं
दिनांक -29th oct. २०१३ !!!!!!!!!!!!!

Saturday 9 November 2013

तुम्हारे लिये :-)

तुम मेरे जैसे क्यों नहीं हो ???????????
खैर इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं मैंने ही चुना हैं इस बेदर्दी को :-)
कुछ बातें तुम्हारे लिये -


" कहने  को तो "हमदर्द" बहौत हैं मेरे. .
. .और हर "दर्द" इन हमदर्दों की "हमदर्दी" है. . !"

क्या कसूर था के ग़ालिब इश्क़ कर बैठा,
ता उम्र गुजर गई इम्तिहान देते-देते.."

बुलंदियों को पाने कि ख्वाइश तो बहुत है मगर ,
तुम्हारी तरह दूसरों को रौंदने का हुनर कहाँ से लाऊं .... ??"


 थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इज़हार नहीं करते...;-)

 एक नफरत ही है जिसे दुनिया लम्हों में ही जान लेती है,वरना चाहत का पता लगाने में तो जमाने बीत जाते हैं.

"मौसम बदल रहा है तुम अपना ख्याल रखना,
बदलता मौसम और बदलते लोग बहुत तकलीफ देते हैं..:-)"


heart touching:-)

This was shared by someone on
facebook and we are not sure if
this is real- but this is definitely
interesting to read!
As the dream of most parents I
had acquired a degree in
Software Engineering and joined
a company based in USA, the
land of braves and opportunity.
When I arrived in the USA, it
was as if a dream had come true.
Here at last I was in the place
where I want to be. I decided I
would be staying in this country
for about Five years in which
time I would have earned enough
money to settle down in India.
My father was a government
employee and after his retirement,
the only asset he could acquire
was a decent one bedroom flat.
I wanted to do some thing more
than him. I started feeling
homesick and lonely as the time
passed. I used to call home and
speak to my parents every week
using cheap international phone
cards. Two years passed, two
years of Burgers at McDonald's
and
pizzas and discos and 2 years
watching the foreign exchange
rate getting happy whenever the
Rupee value went down.
Finally I decided to get married.
Told my parents that I have
only 10 days of holidays and
everything must be done within
these 10 days. I got my ticket
booked in the cheapest flight.
Was jubilant and was actually
enjoying hopping for gifts for
all my friends back home. If I miss
anyone then there will be
talks. After reaching home I spent
home one week going through
all the photographs of girls and as
the time was getting
shorter I was forced to select one
candidate.
In-laws told me, to my surprise,
that I would have to get
married in 2-3 days, as I will not
get anymore holidays. After
the marriage, it was time to
return to USA, after giving some
money to my parents and telling
the neighbors to look after
them, we returned to USA.
My wife enjoyed this country for
about two months and then she
started feeling lonely. The
frequency of calling India
increased to twice in a week
sometimes 3 times a week. Our
savings started diminishing.
After two more years we started
to
have kids. Two lovely kids, a boy
and a girl, were gifted to us
by the almighty. Every time I spoke
to my parents, they asked
me to come to India so that they
can see their grand-children.
Every year I decide to go to India…
But part work part
monetary conditions prevented it.
Years went by and visiting
India was a distant dream. Then
suddenly one day I got a
message that my parents were
seriously sick. I tried but I
couldn't get any holidays and thus
could not go to India ... The
next message I got was my
parents had passed away and as
there
was no one to do the last rights
the society members had done
whatever they could. I was
depressed. My parents had passed
away without seeing their grand
children.
After couple more years passed
away, much to my children's
dislike and my wife's joy we
returned to India to settle down.
I started to look for a suitable
property, but to my dismay my
savings were short and the
property prices had gone up
during
all these years. I had to return to
the USA...
My wife refused to come back
with me and my children refused
to
stay in India... My 2 children and I
returned to USA after
promising my wife I would be
back for good after two years.
Time passed by, my daughter
decided to get married to an
American and my son was happy
living in USA... I decided that
had enough and wound-up every
thing and returned to India... I
had just enough money to buy a
decent 02 bedroom flat in a
well-developed locality.
Now I am 60 years old and the
only time I go out of the flat is
for the routine visit to the nearby
temple. My faithful wife
has also left me and gone to the
holy abode.
Sometimes
I wondered was it worth all this?
My father, even after staying in
India,
Had a house to his name and I too
have
the same nothing more.
I lost my parents and children for
just ONE EXTRA BEDROOM.
Looking out from the window I
see a lot of children dancing.
This damned cable TV has spoiled
our new generation and these
children are losing their values
and culture because of it. I
get occasional cards from my
children asking I am alright. Well
at least they remember me.
Now perhaps after I die it will be
the neighbors again who will
be performing my last rights, God
Bless them.
But the question
still
remains 'was all this worth it?'
I am still searching for an
answer.................!!!
START THINKING
IS IT JUST FOR ONE EXTRA
BEDROOM???
LIFE IS BEYOND THIS …..DON'T JUST
LEAVE YOUR LIFE ……..
START LIVING IT …….
LIVE IT AS YOU WANT IT TO BE ……:-)