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Friday 28 February 2014

पुराने पन्नें और नया वक़्त....

खुश हू, सन्तुष्ट हू.…
इन २-४ दिनों से बीतते वक़्त से हर खूबसूरत से पल
को चुराने में मैं कामयाब हो पा रही हू :-)
सच जब हम अपने साथ अकेले में वक़्त बिताते हैं
तब हम अपने आपको और ज्यादा करीब से जान जाते हैं
आजकल थोड़ा जान रही हू मैं भी अपने आपको
पुरानी यादों को थोड़ा समेट रही हू इन दिनों
ताकि होली वाले दिन फिर से इन पर कोई दूसरा नया रंग चढ़ायेंगे !!
 आज डायरी को पढ़ रही थी कि 16th जुलाई 2011 को लिखी कुछ बातें
मेरी आँखों के सामने उभर आयी अच्छी लगी-
"जिंदगी कैसी हैं ना कब क्या हो जाए कोई नहीं जनता ??
पता नहीं कब सपने टूट जाये कब अपने रूठ जाए ??
रोने का मन तो बहुत करता हैं पर आँसू पोंछने वाला कोई नहीं :(
कब हमें जिंदगी भी बोझ लगने लग जाय कोई नहीं जानता 
इस दूनिया में हर कोई वादा करता हैं कि वो देगा साथ हमारा 
लेकिन इतना धोखा मिलता हैं कि खुद को जला डालने का मन करता हैं 
आज यू लगा जैसे कि मेरे ही जिस्म के किसी टुकड़े को मुझसे अलग करके 
उसे जलाने का दायित्व भी मूझे ही सौंपा गया हो :(
इस दुनिया में सब बकवास हैं केवल हकीकत यह हैं कि 
जीना इंसान को अकेले ही पड़ता हैं 
यह दुनिया उसकी जिंदगी में बस केवल उसे दुःखी करने का रोल अदा कर सकती हैं :-)"
ओहो..... मेरी  यादें इतनी अच्छी हैं कि वो खुदा भी आज तो बरस पड़ा हैं
हम्म.…एक्चुअली कुछ तो बात थी इन यादों में जो कि आज बारिश हो रही हैं :-)

Wednesday 26 February 2014

यह तो नहीं हैं आशिक़ी......

सत्यम का कॉल देखते ही अविका ने एक मिनट भी बर्बाद नहीं किया और फटाफट से बोल पड़ी 
hi....hw`s u...???
क्या कर रहे थे ???
सत्यम-बस तुम्हें याद :-)
हुह..... कितना फेंकते हो तुम एनीवे बताओ क्या बात हैं ????
एक्चुअली कल मूवी देखने चले ????
अविका ने पूछा ठीक हैं पर कौनसी ????
सत्यम-आशिक़ी -2.... 
अविका-वोव इट्स अ अमेजिंग मूवी बताया मेरी फ्रेंड्स ने 
चलते हैं पर हां चलेंगे सत्यम सिनेप्लेक्स में ही ठीक हैं ना ???
सत्यम-ओके बाबा:-)
अकसर अविका और सत्यम भी मूवी देखते हुए अपने-२ अनुमान के 
अनुसार भविष्यवाणी करते रहते थे कि अब यह होगा, अब यह होगा ??
कि अविका बोल पड़ी तुम्हें पता हैं अब देखना इस मूवी में यह आरोही एक अच्छी सिंगर बन जायेगी !
सत्यम-हां सही हैं और देखो ना आरजे पागल हो गया हैं 
जो कि अपनी सारी शोहरतों का सहेरा इसके सर बाँधने जा रहा हैं 
पर देखना यह सब यह नहीं सम्भाल पायेगी :-)
अविका-ओफ्फो this is a movie don`t try to make b so senti:-)
और तुम्हें पता हैं अब मूवी एंड होने वाली सो आई थिंक अब आरजे अच्छा इंसान 
बन जाएगा जैसा कि आरोही चाहती हैं 
सत्यम -अविका तुम सच में बेवकूफ हो अब यह नहीं बनेगा अच्छा 
अगर बनना होता तो कब का ही बन गया होता 
ओफ्फो अगला दृश्य आरजे ने आत्महत्या कर ली 
अविका थोडा दुखी हुयी फिर वो थोड़ा घबराकर सत्यम की तरफ देखने लगी 
वो खुश था कि उसने सही सोचा और अविका दुखी थी यह जानकर कि 
सारे लड़कों की फितरत एक जैसी ही हैं 
"फिर वो अपने मन में आशिक़ी की बातों को सोचते हुए 
जिंदगी के सफ़र पर फिर चल पड़ी 
सड़क को कदमों से नापते हुए सोचा कितना नपा-तुला सा सफ़र तय कर लिया हैं 
इस दुनिया, इस भीड़ का पर आज तक उनके दिल के परदे के पीछे छुपे राज तक नहीं जान पायी 
नहीं.......नहीं यह तो नहीं हैं आशिक़ी :-)"  

यमराज जी:-)

जिंदगी का वक़्त चाहे अच्छा हो या बुरा गुजर ही जाता हैं
यह उम्र कट ही जाती हैं चाहे मुश्किल से या फिर आसानी से
लड़कपन के दिन भी निकल ही जाते हैं तो
बरसात सी किशोरावस्था भी बीत ही जाती हैं
कितना भागते हैं न हम जैसे कि यह सारी दूनिया सिर्फ हमारी वजह
से ही चल रही हो :-)
कितनी बड़ी ग़लतफ़हमी पाल बैठे हैं इस दुनिया में आकर
हम एक तुच्छ जीव फिर भी हमारा अभिमान, घमंड उस आसमां से भी ऊँचा हैं
अरे भाई! किस चीज़ का ?????
रावण राजा था सोने के जैसी लंका थी पर एक पल में सब खाक हो गया :(
उम्र को अँगुलियों के परवो पर गिनकर
फिर से सिकोड़कर इसे छोटा करने की ज़िद्द कर बैठे हैं
अभी थोड़ा और जी लेते हैं अरे अभी तो उम्र बहूत कम हुयी हैं
हम प्लान बना रहे होते हैं सदियों जीने का कि तभी टिंग टोंग........
उफ्फ डोरबेल बजी हैं बेवक़्त कौन आया होगा ????
सारी ज़िन्दगी का प्लान ही बिगाड़ दिया
यमराज जी .……  
(नोट-बस मैं तो यू ही कल्पना कर रही हू वरना
यमराज तो ना ही दरवाजे से आते हैं और ना ही हमें कुछ जाने का पता चलता हैं :-)
अब चल भी ले भई बहुत जी लिया
वो खुदा हर पल तेरी इबारतें सुनता हैं तेरा हर कहा पूरा करता हैं
फिर भी तू कहता हैं कि यह सब मैंने किया
और कुछ बुरा होने पर उसे दोष देने लग जाता हैं कि उसने ठीक नहीं किया
मौत के वक़्त भी उसे नहीं बक्श पाते हैं.…… 
कौन अपने ,कौन दूनिया ??????
जो महज कुछ दिन के दिखावे, दुनियादारी, आंसुओं के बाद हमें भुला देंगे वो ही ???
सच हैं जन्म के वक़्त भी कोई साथ नहीं होता हैं तो मरते वक़्त भी नहीं
"कितना जीना हैं ,हम क्यों खामखां ज़िद्द कर बैठे हैं 
पैसों के अलावा थोड़ा पाप पूण्य का भी हिसाब-किताब कर लो ना 
थोड़ा बोझ कम कर लो ना बहुत दूर ले जाना हैं बाबा 
सपनों और दूनिया दोनों को थोड़ा छोटा कर लो ना 
ताकि ज्यादा दूर तक ना बिखरे 
थोड़ा उन पँछियों की तरह भी जी लो ना बिना गगन को चूमे भी 
जी लो ना यह सारी उम्र बच्चों की तरह ,थोड़ा अहम् और दिखावे को कम कर दो ना :-)"
हूह..... शुक्रिया खुदा अपनी इतनी रहमत मुझ पर बिखरने के लिये 
और मेरे अपनों का इतना ख्याल रखने के लिये !!!!!!!
मुझे आपसे और इस जिंदगी से कोई गिला-शिकवा नहीं हैं :-)

Tuesday 25 February 2014

जीने दो.… जीने दो.......

आसान नहीं होता हैं खुद को मिटा डालना 
बहुत मुश्किल हैं इस जिंदगी को दूसरों के अनुसार बदल लेना 
हूह..... तभी तो लोग सही कहते हैं कि 
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले।।।
हम्म अब सोच लिया हैं मैंने कि जो होना हैं वो होकर रहेगा 
तो क्यूँ बेमतलब कि फिकर में अपनेआपको तकलीफें देना 
कहा तक ठीक हैं अपनों से मुँह मोड़ लेना ????
अपनों के साथ अपनी प्रॉबलम्स शेयर नहीं करना ????
अपने सारे एकाउंट्स से कन्नी काट लेना ?????
पुरानी बातों को भुला देने में ही सुकून हैं तो क्यूँ उनके साथ घुटना ??
क्यों उन सपनों को पंख देने जो सच नहीं होने ???
hmmmmmm............
जानती हू मैं बहुत नादान हू पर संभल जाऊगी मैं 
आज बहुत खुश हू कई अरसे बाद गीत से बात की हैं 
बहुत -२ आभार गीत..... :-)
तेरा सवाल अच्छा नहीं था कि मैंने तुझे कितनी बार याद किया ????
क्यूंकि तुझे नहीं पता तेरी दोस्ती के मायने मेरे लिये क्या हैं ???
इन दो -तीन सालों के वक़्त ने मुझे थोड़ा समझदार बना दिया हैं 
पर पता हैं अभी एक दिन चीकू खाते वक़्त मैंने और पापाजी ने 
कम्पटीशन किया यकीनन तुम और सुनीता बहूत याद आये 
याद हैं ना पावटा से कमला नेहरु तक की रोड चिकू और हम ????
एनीवे बात यह थी कि अब मैं आज और कल की फिकर में नहीं केवल आज मैं जिऊगी 
मुझे जो लोग अच्छे लगते हैं मैं उनके साथ अपना वक़्त बांटूगी 
जिंदगी की उलझनों को थोड़ा कम कर दूंगी 
बन जाऊगी मैं थोड़ी खुदगर्ज संवार लूगी थोड़ा और अपनेआपको 
फ़िक्र करुँगी केवल अपनी और अपनों की ना कि दूनिया की 
बन जाउगी मैं भी थोड़ी और बूरी :-)
"यह जिंदगी ना जाने कब और कौनसे मोड़ पर धोखा दे 
पर उस मोड़ से पहले मैं यु टर्न ले लेना चाहती हू 
उम्र काटना नहीं मैं जीना चाहती हू ,मैं जीना चाहती हू :-)"

Monday 24 February 2014

ब्लॉग,डायरी और मैं

ब्लॉग -अजीब बात हैं ना कि जब सारिका अपडेट करती थी
           तब मेरे यहाँ  लोगों का आना-जाना लगा रहता था
मेरी दुनिया बहुत बड़ी हो गयी थी, पर  उसके ना आने से यह थोड़ा सिमट गयी हैं
मैं तनहा हू अब ना मेरे लिए कुछ लिखा जाता हैं और ना कोई मेरा हाल जानता हैं ??
अब जब वो वापिस आयेगी तब मैं सूरज की हलकी किरणें उसके चेहरे पर फैला दूँगा
कह दूंगा उससे कि आज फिर से अपने सारे विचारों को  यहाँ लिख दो
कर दो ना मुझे रोशन प्लीज ?? :-)

डायरी -मेरी सबसे अच्छी दोस्त शायद कहीं खो गयी हैं
           अक्सर कहती थी कि डिअर डायरी तुम हो तो हू मैं पूरी
अगर तुम ना होती तो मैं इस मासूम सी जिंदगी को कैसे संजोती ??
पर आजकल मेरी तरफ मुँह ही नहीं करती
सोचती ही नहीं कि मेरे पन्नों पर रंज जम गयी होगी
या फिर अब मेरे पन्नें पुराने हो गए सो मैं उसे पसंद नहीं या मेरी जगह.
…। नहीं।।।।नहीं
मुझे विश्वास हैं वो लौट आएगी तब पहले तो उसे सारे गीले-शिकवे सुना दूंगी
पर फिर प्यार से अपने पन्नें उसकी तरफ कर दूंगी इनमें रंग भरने के लिये
कह दूंगी बाँट दो मेरे साथ अपने सारे दुःख-दर्द
और तकलीफों को आदी हो गयी हू मैं तुम्हारी, जी लो ना तुम भी मुझमें अपना आज और कल :-)


मैं -अजीब मुसीबत हैं यह जिंदगी सच कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता हैं
     कभी उलजाते रिश्तों के समीकरण तो कभी प्लस माइनस होती यह उम्र
हर सांस में कोई नहीं मरता जिंदगी का रंग धीरे -२ उतरता हैं 
धुप भी निकलते-२ निकलती हैं एक  पल में ही दूर नहीं हो जाता सारा कोहरा 
हर पल बाँहें फैला कर जीना अच्छा नहीं होता कभी पड़ता हैं सिकुड़ना भी 
यह जीवन हैं जिसमें भरमार हैं चाहतों की उम्मीदों की इच्छाओं की 
कभी तड़कते सपनों की तो कभी सब कुछ पा लेने की :-)
बस भई यू ही नहीं मर जाता हैं कोई  मार डालता  हैं उसे उसका अकेलापन व एकांत …………