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Monday 25 November 2013

अनाम शीर्षक :-))

जैसे ही चुनाव आते है जनता भी नेताओं की तरह चुनावी रंग में रंग ही जाती है 
सबको फिकर लग जाती है उनसे मिलने की और 
उनके साथ फ़ोटो क्लिक करवाने की :-))
सच में रांझना में धनुष ने सही डायलाग बोला था!!!!!!
चुनाव के वक़्त तो ये नेता लोग क्या-२  नहीं करते है 
पर इनके जितने के बाद किसी की क्या मंजाल की इनके पास भी बैठ पाए :-))
मैं देख रही हू कि लोगों में काफी उत्साह है 
वो घंटे-२ घंटे से किसी के आने का इंतजार कर रहे है 
"उफ्फ.... इतनी शिद्दत से तो हम किसी अपने के आने 
पर भी इंतजार नहीं करते हैं :-))"
अक्सर लोग बड़े बनने के बाद वक़्त की कीमत ही 
भूल जाते है इंतजार करता आम इंसान और वक़्त को 
अपने पैरों तले कुचलते वो लोग :(
 हा अब इंतजार की घड़िया खत्म हुई नेताजी पधार गए है 
बहुत सारी भीड़ के साथ शायद डरते होंगे सो इस झमेलें को 
अपने साथ लेके चलते हैं :-))
खैर औरतें भी देखने व सुनने को उत्सुक है सो 
वो भी घर की छतों  व स्कूल के सामने से तांक-झांक कर रही है 
एक गाड़ी में उनके गुरूजी भी बैठे थे क्योंकि 
वो हर जगह पहले उनका आशीर्वाद लेते है और फिर भाषण देते है 
और वो सही भी तो है क्यूंकि हम भारतीय है 
जहाँ दवा भी काम ना आये ,वहाँ दुआ काम कर जाती हैं :-))
अब गुरूजी गाड़ी में अकेले रह गये है सो मैं जा टपकी उनके पास  
मैंने उनसे काफी बातें करने के बाद कह ही दिया ठीक गुरूजी 
फिर आप मेरे भी सिर पर हाथ रख कर मुझे भी आशीर्वाद देते जाओ 
उन्होंने भी बिना वक़्त बर्बाद किये मुझे आशीर्वाद दे दिया :-))
बताइए मैं आपकी क्या सेवा करुँ ????चाय पिओगे ????
नहीं बेटा !मैं चाय नहीं पीता !!
तो दूध ले आऊ ??????
नहीं नहीं ……
मैंने भी जिद्द की पर वो नहीं माने शायद चुनाव कुछ ही 
दिनों में ना होते तो वो मुझे झिड़क भी देते पर शुक्र है 
उस खुदा का सो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया :-)))))
अजीब हैं ना इन लोगों को गावों के नाम तक पता नहीं होते है 
फिर भी भाषण में सात जन्मों पुराने  रिश्तों  का  जिक्र करके चले जाते है 
वो लोग जाने लगे तब मैं भी बाहर आयी मेरा मन किया
मैं  जोर-जोर से चिलाउ और उनसे अपनी फरमाइशें साझा कर दू कि -
(a)-सर !जीतने के बाद मेरे गांव के लोगों का शुक्रिया अदा 
करने भी जरुर आइएगा :-))
(b)-सर !आप देख रहे हो ना कि आपकी गाड़ियाँ इस चौराहे की 
छोटी-छोटी सड़कों के बीच कैसे फंस सी गयी है 
तो जब जीत जाओ तो थोडा हाल इनका भी जान लेना जी :-))
(c)-सर !गरीबों को आसानी से मीठा पानी मिले वादा किया है तो 
प्लीज इसे भूलियेगा मत ,अपनी इंसानियत का परिचय जरुर देना जी :-))
(d )-सर !विकास की बातों को केवल जुबान तक सिमेट कर 
मत रखना ,उन्हें भी कुछ रंग दे ही देना :-))
बहुत कुछ कहना था पर नहीं कह सकी 
मैं भी बस उन जाती हुई गाड़ियों को ठगी सी नज़रों से 
एकटक देखती सी रह गयी बिल्कुल लाचार,बेबस और मजबूर इंसान सी :-))
और अगर कह भी देती तो पता नहीं मुझ पर कौनसी कयामत आ जाती 
पता नहीं क्या-क्या सुनने को मिलता कि 
मनचली है किसी का कहना मानती ही नहीं है 
कितनी बार समझाया है कि जब बड़े बातें कर रहे हो 
तब बच्चे नहीं बोला करते ,औरत का चुप रहना ही बेहतर होता है etc :-))
आखिर हम समाज में रहने वाले जो है खैर 
मैं यह सोच ही रही थी कि मेरे जीजू आ गये जो कि अध्यापक है 
मैं उनसे बातें करने लग गयी मैंने कहा -
मैं एक बहुत ही अच्छी इंसान बनना चाहती हू 
देखो ना जैसे कि लाइट वेस्ट मत करो व्यर्थ पानी ना बहाओ ये सारे काम 
जैसे लोग समझते है कि केवल बच्चोँ के लिए ही है 
मैं बहुत सारे पैसे कमाना चाहती हू ,फिर एक बहूत बड़ी समाजसेविका बनना चाहती हू 
वो मेरी तरफ देखकर हंस दिए और फिर बोले 
अच्छाइयाँ कभी नहीं छुपती है ,नेकदिली करती रहो यही काफी है और 
रही बात पैसों की तो अक्सर लोग पैसा होने के बाद ही 
इंसानियत के नाते को भूल से जाते हैं :-))))))
और तुम बहुत अच्छे से जानती हो कि -
"जो विख्यात होगा ,वो कुख्यात भी होगा :-))"

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