Followers

Tuesday 17 December 2013

मिस यू निर्भया(ज्योति):-))

सॉरी!!!!!एक्चुअली कल से कोशिश कर रही थी निर्भया तुम्हारे बारे में लिखने की :-))
और बेशक अगर पोस्ट भी कल ही अपडेट करती तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता
पर क्या करू वक़्त और दिमाग दोनों एक साथ में साथ नहीं दे पा रहे है मेरा पता नहीं क्यों ?????
शायद वो इसलिए भी कि मैं अगर मन की कड़वाहटें लिखने लगी तो पता नहीं क्या-२ लिख दुगी
और तुम्हे पता हैं ना कि हम लड़कियाँ सवतंत्र नहीं है
हमें बोलने का अधिकार नहीं हैं
पता नहीं किस किसको बुरा बता देती -
वक़्त,समाज ,दोगले इंसानों को ??????
देखो ना क्या लिखू ??????
एक्चुअली मैं तुम्हारे लिए शब्द ढूंढ नहीं पा रही हू
चलो कल कुछ लिखा था तुम्हारे लिये वो पोस्ट कर दू बस-

"वैसे मुझे अक्सर अपने आपसे ही उलझना अच्छा लगता है 
पर आज सुबह आँख खुली तो आज की डेट याद करके अनायास ही 
लबों पर तुम्हारा नाम आ गया था :-))
मुझे नहीं पता तुम कैसी थी बस मैं केवल इतना जानती हू कि 
तुम भी बिल्कुल मेरी तरह अपने पेरेंट्स की प्यारी-दुलारी बच्ची थी 

वैसे जन्म से आज तक मैंने कभी विरोध करना सिखा ही नहीं 
और मुझे कभी लगा भी नहीं कि मुझे कभी ऐसा करना चाहिए 
अक्सर मैं तो सोचा करती थी कि 
विरोध करने से केवल मन में कड़वाहटें ही पैदा होगी और कुछ नहीं 
सो हमेशा लगा कि बड़ों का कहा सर -आँखों पर 
पर नहीं अब मुझे लगता है अगर बड़े गलत हो तो हमें जरुरत हैं 
विरोध करने की ,अपना हक़ और अधिकार मांगने की :-))
उफ्फ यह कैसी दूनिया ,कैसा न्याय ,कैसा अधिकार 
आज एक साल हो गया है जबकि बदला क्या ?????
अगर हमारा सविंधान और उसकी रक्षा करने वाले लोग इतने ही कमजोर हैं 
तो अपराधियों को जनता के हवाले कर देना चाहिए था 
ताकि उस वक़्त यह जनता न्याय कर देती पर यह लोग बड़े समझदार है 
इन्हे पता हैं जनता केवल विरोध चार ही दिन करती हैं 
फिर वो भूल जाती हैं सब -कुछ वैसे ही जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो 
और अगर यह लोग सचमुच में ताकतवर हैं तो फिर 
सजा घोषित करने के बाद भी अब क्या उन्हें सजा देने के लिए 
किसी और अपराधी के आने का इंतज़ार कर रहे हैं ??????
ताकि जेल में जो उनकी जगह हैं वो खाली ना रहे :-((
उफ्फ क्या बदला शायद कुछ भी तो नहीं 
बेशक तुम्हारे जाने के बाद भी हत्यायें हुई हैं ,बलात्कार भी हुए है 
और तो और हद तो तब हो गयी जब बड़े -२ पदों पर आसीन लोग 
औरतोँ के अधिकारों के लिये लड़ने वाले लोगों का नाम भी 
बलात्कारियों में शामिल हो गया 
उफ्फ बचपन में गुनगुनाया करते थे ना कि -
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान ????
निर्भया !शायद अभी इन लोगों के लिये एक निर्भया का बलिदान काफी नहीं हैं :-))"

मुझे खुद को समझ में नहीं आया कि मैंने क्या लिखा ओफ्फ
खैर परिवार की ख़ुशी के लिये महिला की साधी गयी चुप्पी को
उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए :-))
नहीं तो फिर -
"यह जंग की आग जलनी ही चाहिए 
तेरे दिल में नहीं तो ,मेरे दिल में ही सही ;-))"

No comments: