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Wednesday 31 December 2014

उफ़.....दर-बदर बदलता यह वक़्त :-)

वक़्त कभी भी अच्छा या बुरा नहीं होता हैं
यह महज वक़्त भर होता हैं ........
इसे अच्छे या बुरे का नाम हम व् हमारी परिस्थितियां देती हैं
लो यह साल भी फिर बदल गया :-(
नए साल के साथ ही कितना कुछ बदल जाता हैं ना. .......
हमारे सपने, हमारी उम्मीदें, हमारा हौसला और और बेशक हमारे संकल्प भी
साल ,में हम कितने संकल्प लेते और पूरा......
हुह होता नहीं महज एक छोटा सा संकल्प भी :-(
मैं कभी कोई संकल्प नहीं लेती क्यूंकि मुझसे निभते नहीं हैं
क्यों लेने हर रोज नए-नए संकल्प ???
मेरा मानना हैं क्यों ना हम अपने कर्तव्यों को निभाकर एक जिम्मेदार नागरिक बने
बस बेस्ट संकल्प तो यहीं होगा शायद......
हां मुझे हड़ताल नाम की चीज़ से सबसे ज्यादा नफरत हैं
हा हा हा ......भारत में यह चीज़ बहुत बड़े यन्त्र की तरह यूज़ की जाती हैं
बिना सोचे-समझे,.............
खश कि हड़ताल करने वाले लोग एक पल को इसके अंजाम को भी सोच लें
मैं ना तो किसी आंदोलन को सही ठहराउगी और
ना ही किसी चीज़ के लिए की गयी हड़ताल को ठीक मानती हूँ
क्यों ना थोड़ा इंसानियत का फ़र्ज़ निभाएं
जो नहीं मिलता उसके लिए मेहनत करें ना कि हड़ताल
बहुत कुछ बदला हैं 2014 में और काफी कुछ बदल जायेगा आने वाले सालों में
कहाँ हैं बुराई मुझे तो नजर नहीं आती तो भी हम हर पल बुराई-२ क्यों चिल्लाते रहते हैं ??
समाज के लोगों को मिलकर ही समाज को अच्छा बनाना होगा
रोड पर चिल्लाकर "भ्रष्ट्राचार खत्म करों" ,
"बलात्कारियों को फांसी दो" etc नारे लगाने से सूरत व सीरत नहीं बदलेगी
इसके लिए शुरुआत हमें ही करनी होगी
अपने आपसे, अपने परिवार से व अपने ही समाज से
बाकि बदलावों का इतिहास'रचने की तो हमारी कोई "ज़िद्द" हैं ही नहीं जी :-)
हां मैं कौनसा संकल्प लूँ आज ??
कौनसी बुराई हैं जिसे छोड़ूँ ??
चलो इस साल आप लोग सलाह देना ताकि अगले साल हो
सका तो मैं भी कोई नया संकल्प लूंगी :-)पर आज तो अपना ऐसा कोई नेक इरादा नहीं हैं जी
हां पिछले दिनों एक पोएट्री की बुक पढ़ी थी
अब हमें भी त्रिवेणी, हाइकू व नज्म जैसे शब्द थोड़े से समझ आने लगे हैं
चलिए इसी बात पर हम पेश करते हैं आज अपनी चुनी हुई एक त्रिवेणी-
"एक से घर हैं सभी , एक से बाशिंदे हैं
अजनबी शहर में कुछ अजनबी लगता ही नहीं !

एक से दर्द हैं सब, एक से ही रिश्ते हैं :-)!!"

WISH YOU A VERY HAPPY NEW YEAR TO ALL!!

पता नहीं लिखना क्या था और ना जाने लिख क्या दिया हैं :-(

Wednesday 22 October 2014

अब मैं तुमसे कभी ना मिलूँगी..:-(

 जब कुछ चीजों को हम आखरी बार कर रहे होते हैं 
तब समझ में नहीं आता हैं कि क्या करें और क्या ना करें ?
आज ठीक वैसा ही कुछ हाल मेरा हैं 
समझ में नहीं आ रहा हैं कि तुम्हारे लिए क्या लिखूँ और क्या नहीं ??
इरादा तो था "तुम्हारा लौट आना" नामक पोस्ट को लिखने का 
पर तुम्हें तो पता हैं कि आज तक तुमने मेरी उम्मीदों पर पानी ही डाला हैं 
ठीक वैसे ही पोस्ट भी बदल गयी 
तुम्हें पता हैं मैंने तो कितना कुछ सोच लिया था -
ठीक तुम ट्रैन से उतरोगे कि मैं तुम्हें सामने खड़ी मिलूँगी 
फिर तुम्हें अपनी बाहों में समेटते हुए कहूँगी 
तीन साल कम नहीं होते हैं तुम्हें पता हैं ना ??
एक-२ सांस मैंने तुम्हारे नाम की ली हैं 
ऐसे भी भला कोई अपनों को छोड़कर जाता हैं क्या ??
ऐसा क्या रूठना, अगर मेरी जान चली जाती तो ??:-(
कि फिर तुम दुःखी होकर मेरा चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहोगे 
मुझे माफ कर दो :-) अब मैं कभी भी एक पल को भी तुमसे दूर नहीं जाऊगा............

पर तुम्हें तो पता हैं ना कि मेरी चाहतों में और तुम्हारी उम्मीदों में कितना फर्क हैं 
हुआ वो ही जो तुम्हारी इच्छा थी :-(
तीन साल बहुत होते हैं किसी को भुलाने के लिए, बेवफा होने के लिए :-)
तुम्हारी तरह जीना मैं भी जानती हूँ............
पर मैंने तुम्हें बहुत वक़्त दिया 
और अब तुम कभी नहीं समझ पाओगे मेरा व मेरी मोहब्बत का मोल 
और वैसे भी हम दोनों बहुत अनमोल हैं और अनमोल चीज़ें तुम्हारी किस्मत में हैं ही नहीं 
तुम भी कुछ दीवानों की तरह अब ग़लतफ़हमी मत पाल बैठना कि 
तुम्हारे पास सफलता आते ही वक़्त के साथ मैं भी लौट आउंगी 
कुछ लोग महज सफलता व पैसों के भूखे नहीं होते हैं 
और अगर होते हैं तो उन्हें उस इंसान से नहीं उन चीज़ों से प्यार होता हैं 
अरे बुद्धू मैं तो हमेशा से तुम्हारे साथ तब थी जब तुम्हारे साथ कोई नहीं था 
जब तुम्हारे पास कुछ था भी नहीं और जब कुछ हुआ तुम्हारे पास 
तो तुम्हारे चारों और इतनी भीड़ थी कि मैं तुम्हें कहीं नजर ही नहीं आई :-(
और मैंने भी तो तुम्हें दुःखी करना नहीं चाहा घुमसुम सी चली गई थी मैं तुम्हारी जिंदगी से 
क्यूंकि तुम्हारी दुनिया तो पूरी थी बिना मेरे भी :-)
अब जब फिर तुम्हें सहारे की जरुरत हैं तो सोचते हो कि सब-कुछ पहले जैसा हो जाए 
अरे तुमने तो मुझे पहले जैसा रहने कहाँ दिया हैं 
तुमने तो कुछ वक़्त में ही मुझे जिंदगी के सारे मायने समझा दिये 
क्यों भूल जाते हो कि जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरुरत थी तब तुम मेरे साथ नहीं थे :-(
आज तुम्हें लगता हैं कि कुछ पुरानी ग़लतफहमियों को हमें मिलकर दूर कर लेना चाहिए 
पर क्यों बाबा अगर उन ग़लतफहमियों से मेरी जान निकल जाती तो ??
तुम सब-कुछ अपने हाथों से बिखेरकर सोच रहे हो कि मैं सब समेट लूँगा 
तुम गलत हो जनाब हमेशा वो खुदा केवल आप पर ही अपनी रहमत नहीं बरसायेगा :-)
अब मैं समझ सकती हू कि तुम्हें कुछ चीज़ों के खोने का एहसास हैं 
पर अफ़सोस...........................
बहुत कुछ लिख सकती हू पर अब से मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखुंगी 

मेरी जिंदगी से तुम्हारे हिस्से की सांसें तुम बहुत पहले छीन चुके हो 
अब मैं उतनी कमजोर नहीं जो कि आज कहू अबसे तुम्हें कभी याद नहीं करुँगी 
और कल को तुम्हें इनबॉक्स में मैसेज मिले तुम बहुत याद आ रहे हो 
बहुत बार भीख मांगी थी मैंने तुमसे हमारी दोस्ती की, अनकहे से उस रिश्ते की 
जीने की वजह मांगी थी, अपने हिस्से की सांसें मांगी थी………
तुम बहुत निर्दयी हो इसलिए तुमने मुझे कुछ भी उधार नहीं दिया था 
महज कुछ कड़वे शब्दों के किस्से मेरे हिस्से में जरूर आए थे 
बहूत वक़्त दिया था मैंने, बहूत इंतज़ार किया था तुम्हारे लौट आने का 
पर तुम कभी नहीं बदले फिर भी तुम्हारे प्रति मेरा प्यार हमेशा बढ़ता ही गया 
मेरे दोस्त वक़्त का रुख हमेशा एक सा नहीं होता हैं 
आज मैं तुम्हें व तुम्हारी दुनिया को ठोकर मारती हू 
अपनी दोस्ती व जिंदगी से तुम्हें आजाद करती हू :-)
नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी जिंदगी में वो स्पेशल फ्रेंड वाली जगह !!
बड़ी मुश्किल से आज चैन मिला हैं शुक्रिया 
आज से तुम्हें तुम्हारी अमावस्या मुबारक हो 
और मुझे इंतज़ार हैं पूर्णिमा का जिस दिन मेरा पूरा चाँद होगा मेरे साथ बिल्कुल पूरा 
और बस मैं बिलकुल भी तो अधूरी नहीं रहूगी बिना तुम्हारे भी 
दीपावली मुबारक हो और तुम्हारी जिंदगी भी :-)

Sunday 21 September 2014

KUCH FURSAT KE LAMHE MILE TO BAAT BANE..:-)

BAHUT KUCH LIKHA JAA SAKTA HAIN....
APNE AAGE BADHTE KADMON KA HAUSLA LIKHA JAA SAKTA HAIN
KISI KE LIE THAHAR JAANE KI BEBASI V LACHARI KO KOSA JAA SAKTA HAIN
KISI KE DIL DUKHANE KI AADAT KO GINAYA JAA SAKTA H
HAR PAL KISI KE SATH DENE KI WAJAH KA SHUKRIYA ADA KIYA JAA SAKTA H
HAA....MARRY KOM MOVIE KO APNE BHI BLOG PAR FIR SE NARRATE KIYA JAA SAKTA HAIN....:-)
GEET, SARITA, MAINA, RINKU, SUMAN ETC. SE MILNE PAR HONE WALE KHUSHI KE EHSAS KO JATAYA JAA SAKTA HAIN...SHBD DIYE JAA SAKTE H...
BAHUT KUCH LIKHNE KO HONE KE BAWJUD BHI AAJ KUCH NHI LIKHA JAA SAKTA HAIN......:-(


HAA KAL KA EK KISSA JARUR LIKHA JAA SAKTA HAIN-
MATHURADAS MATHUR HOSPITAL KE AAGHE SE GUJRANA HUA
KUCH DER WAHA BAITHE LOGON KO TAKNE LAGI KI 
MAINE DEKHA EK LADKI PHONE PAR BAAT KARTE HUE ROE JAA RAHI THI
USKE SATH ME 4-5 BOYS BAITHE THE WO BHI RONI SI SURAT LIE HUE
PATA NAHI KYA WAJAH THI...??
ICHCHA HUI MERI US LADKI SE PUCHNE KI....MAN KIYA USSE KAHU
"TUM IS DUNIYA KI SABSE TAKATWAR INSAN HO...
KYA GAM HO JO KI YU HAUSLA HAAR RAHI HO...
UTHO AAGHE BADHO.....
SARA AASMAN TUMHARA HAIN, JITNA CHAHO UTNA CHU LO..:-)"
KI MAINE DEKHA USNE PHONE APNE PAS BAITHE LADKE KO DIYA
OR USSE CIGRATE KA PACKET V MACHIS LI
UFF...USME EK HI CIGRATTE THI...
USNE CIGERATTE KO JALAYA OR WO SULAGANE LAGI THI US AAG KE SATH.:-(
"USE SUKUN MIL RAHA THA US DHUE ME OR
MAIN APNE AAPKO ASAHAY SA MAHSUS KAR RAHI THI
USKE HAR KASH KE SATH GIRTI RAKH SA..."
FIR APNE AAPKO HI SAMBHALA OR SOCHA-
SAB-KUCH HAMESHA APNA HI KIYA DHARA HOTA HAIN
OR BS BINA PICHE MUDE MAIN WAHA SE AAGHE BADH GAYI THI..:-)


IN DINO EK SABSE ACHCHI BAAT HAIN KI M DINBHAR BUSY RAHTI HU...
SUNO ISILIE TUM KABHI YAAD NAHI AATE....
PAR AAGHE BADHNA BHI TO TUMHI SE SIKHA HAIN...
FIKAR MAT KARNA AAGHE BADHNE KE BAD BHI MAIN TUMHARE PYAR KE PARTI KABHI BEWAFA NAHI HOUGI...
AAKHIR TUMHARA PYAR HI TO HIMMAT V HAUSLA DETA HAIN AAGHE BADHNE KA,,...THANK U....:-)
TUMNE MUJHE ITNA ACHCHA BANAYA HAIN KI MUJHE DUSRO KI BURAIYON ME BHI UNKI ACHCHAIYAAN HI NAJAR AATI HAIN....
.......
KAFI HAIN AAJ ITNA HI.....:-)

Sunday 6 July 2014

कल रात को नींद बहुत मुश्किल से आई
देर रात तक तुम्हारे बारे में ही सोचा
फिर तुम्हारा भी ख्याल आया मैं सोचने लगी
शायद तुम भी आज मेरी तरह ही परेशान हुए होंगे ना ??
मेरे शब्द तुम्हें बहुत आहात कर जाते हैं ना ??
तुम भी डर रहें होंगें यह सोचकर कि क्या सच में मैं अब कभी तुम याद नहीं करुँगी ??
मेरी और तुम्हारी जिंदगी कितनी अलग हैं ना
बिल्कुल दो नादाँ परिंदों सी फिर भी

Friday 4 July 2014

पुराना सा शहर:-)

 कई मिलों की दूरी भी हम केवल तभी तय कर पाते हैं 
जब आगे बढ़ने के लिए हम पहला कदम बढ़ा पाते हैं :-)
इस बार तय कर लिया था मैंने सब-कुछ, बढ़ा-घटाकर भी फायदा अपना सोच लिया था :(
एक जुलाई को मैंने अपना पहला कदम बढ़ा दिया था "जोधपुर" की तरफ :-)
मन में आंशका व डर था फिर से वहाँ जाऊ या नहीं 
पर इस बार इरादा पक्का था इसलिए मेरे हर कदम के साथ 
मेरे और उस पुराने से शहर के बीच दूरियाँ कम होती जा रही थी :-)
उस शहर से मुझे बहुत सारे गीले-शिकवे थे 
मैं वहाँ फाइनल ईयर के बाद दोबारा कभी नहीं जाना चाहती थी 
पर दो साल के फ़ासलें ने सब पुरानी यादें व बातें भुला दी :-)
मैंने राई का बाघ पहुँचते ही एक नजर कमला नेहरू कॉलेज पर डाली 
फिर प्यार भरी स्माइल के साथ कॉलेज को मन ही मन थैंक्यू कहा :-)
चारों तरफ अपनी नजरें गुमायी, मुझे हर पुरानी सी चीज़ बिल्कुल नयी सी लग रही थी 
कि तभी फ़ोन बजा ओहो सुनीता का कॉल था 
हैलो सारी पहुँच गयी क्या ??
हां पहुंच गयी अब तेरे घर मैं अकेले नहीं आउगी तू लेने आ मुझे :-)
यार मुझे कुछ काम हैं तू अकेले ही आ जाना (मूवी देखने का काम lol:-)
मैंने अनमने से कह दिया ओके मैं अकेले आ जाऊगी :(
चौराहे पर पहुंचकर देखा मैडम को मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं हैं 
बस दो लड़कियों के साथ बातें करने में मशगूल हैं 
अबे मेरी तरफ भी देख तो जरा 
ओहो सॉरी यार, हम्म बिना कोई फॉर्मेलिटी किये हम घर पहुँचे !!
बैग्स रखने के बाद उसने मुझे पानी की बोतल लाकर दी 
मैं दो बून्द पानी पीते हुए सोच ही रही थी कि अब मुझे सुनीता से गले मिलना चाहिए 
कि मेरे बोतल रखते ही वो मेरे करीब आई तथा थोड़ी आगे मैं बढ़ गयी थी 
हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं थी फिर भी फाइनल ईयर में कुछ दूरियां बढ़ गयी थी 
पर अब सारे गीले-शिकवे दूर हो गए व दूरियां मिट चुकी थी 
उस वक़्त हमें सॉरी बोलने व अफ़सोस जताने की कोई जरुरत नहीं थी :-)
अब तीनों एस में से एक एस की अभी भी कमी थी सोनू उर्फ़ गीत की :-)
बहुत याद आई यार गीत तेरी भी अब तू भी जल्दी आ जाना :-)
लोग सही ही कहते हैं कुछ बातें किस्मत ही तय करती हैं 
मुझे गणेश डूंगरी या गणेश मंदिर (जी टी) जाने का ना ही हमेशा से शौक रहा हैं 
और ना जोधपुर में गुमने की मेरी लिस्ट की पसंदीदा जगहों में यह शामिल हैं 
फिर भी बुधवार को मेरी किस्मत ले ही गयी मुझे वहाँ 
मैंने सुनीता को कहा मैं बहुत हद तक बदल गयी हू 
फिर भी पहाड़ियों पर घूमने का शौक आज तक नहीं छूटा हैं 
गणेश मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने से पहले एक नजर वहाँ डाली जिस जगह को समतल किया जा रहा हैं 
केदारनाथ की याद आ गयी खैर मन ही मन सबको सलामत रखने की दुआ की मैंने :-)
फिर मैंने सुनीता से कहा मैं इस शहर को एक बार जी भरके देख लेना चाहती हू !!
मैंने एक नजर चारों तरफ डाली फिर प्यार से मसुरियां की पहाड़ी को निहारा 
एक नजर मेहरानगढ़ व जसवंतड़ा को भी ताका :-)
उम्मैद पैलेस को भी निहार लिया 
फिर मैंने गहरी सांस लेते हुए कहा नेक्स्ट टाइम जब भी ब्लॉग पर पोस्ट लिखुंगी तो 
सबसे पहले "पुराना सा शहर" टाइटल की पोस्ट लिखुंगी 
उसने बस केवल वाओ कहा मैं मुस्कुरा दी :-)
फाइनली मैंने बोला अब चलते हैं मंदिर की तरफ वरना गणेश जी नाराज हो गए 
तो शिवजी के पास भी चलना पड़ेगा 
मौसम ठीक था या फिर कोई और वजह थी पता नहीं पर दिन में भी मंदिर काफी लोग आ रहे थे 
मंदिर में हम पांच मिनट बैठ गए वो थोड़ी शांति मिलती हैं ना सो :-)
पहाड़ियों पर घूमने का मन था पर पता नहीं क्यों शायद फिर से वो किस्मत वाली 
बात लागू हो गयी होगी सो नहीं घूम पाये :-)
फिर घर पहुँचते ही सुनीता ने भैया से ज़िद्द की कि हमारी फोटो लो 
क्या करें कहना तो मानना ही पड़ता हैं हम्म :-)
इस बार यह शहर मुझे बिल्कुल अपना सा लग रहा हैं 
बहूत नया सा लग रहा हैं यह शहर मुझे 
शायद ज़माने के साथ-२ यह भी मॉडर्न हो गया हैं जी :-)
आफ्टर ऑल अब यही शहर ही तो हैं मेरी दुनिया कब तक यह नहीं पता :(
थैंक्यू भगवानजी !!!

ओहो हां याद आया कल बच्ची(मतलब मेरा) का जन्मदिन हैं
हम्म देखते हैं किसकी-२ दुआएं व आशीर्वाद मिलता हैं :-)
HAPPY BIRTHDAY TO ME...IN ADVACE:-)
ALSO GOD bless me:)शुक्रिया ओ मेरे खुदा !!

Saturday 28 June 2014

खुबसूरत सा दिन :-)

वैसे लिखना जरुरी तो नहीं हैं लेकिन विचार ही इतने
खूबसूरत से हैं आज जो कि इन्हें शब्द देना जरुरी हैं :-)
फादर`स डे पर पापाजी साथ में नहीं थे इसलिए आज वो शिकायत भी दूर हो ही गयी
दिनभर पापाजी मेरे साथ थे इसकी शायद वजह अब कुछ दिनों बाद मेरा चले जाना भी हो सकती हैं
हां मैं अब कुछ वक़्त के लिए अपने पापा से दूर रहूँगी
पता नहीं कब तक अनिश्चित काल के लिए :-(
आज हमनें दिनभर जी भरकर बातें की
मुझे गॉड गिफ्ट के रिश्तों में से सबसे अच्छा व प्यारा रिश्ता पिता-पुत्री का लगता हैं
यह रिश्ता मेरे लिए एहसास, सपना व हकीकत सब कुछ हैं
बेशक इस दुनिया में मैं सबसे ज्यादा अपने पापा से प्यार करती हू
माँ से भी करती हू पर वो कभी-कभार मुझे समझ नहीं पाते हैं
खैर आज हमनें विश्वास, यकीं और भरोसे की बातें की तो
विश्वास तोड़ने वालों और विश्वास ना करने वालों को भी कोसा
आज पापाजी ने मेरी सारी दोस्तों को याद किया
सुनीता, सुमन, रिंकू, सोनू(इसका तो वैसे भी कभी-कभार बेवजह भी जिक्र हो ही जाता हैं),
सरोज, प्रीती, भगवती etc लिस्ट बहुत लम्बी हैं भई
शादी के बारे में मेरे विचार भी जानें तो दुनियादारी भी समझायी
ओहो मैना का नाम लेना भूल गयी इससे याद आया
हमनें प्यार के बारे में भी अपने नजरिए से विचार साझा किए
मेरे लिए तो प्यार के मायने ही यह हैं हर रिश्ता इसीसे खूबसूरत होता हैं
हां पापाजी ने याद किया तो मैंने भी रजाक के बारे में अपने विचार बताए
रजाक नाम का जिकर मेरे ब्लॉग पर पहली बार खैर एक
दिन मैं इनके लिए पोस्ट लिख रही थी जब पापाजी इनसे मिलकर आए थे
"जनाब के नाम मेरा खुला पत्र"
पर फिर सिर फिर गया और मैंने उसे अपडेट नहीं किया
खैर रजाक के बारे में आज के मेरे विचार कुछ यू थे -
"पापा रजाक एक अलग इंसान हैं
मैं आज तक जितने लोगों से मिली हू उन सबमें से यह अलग हैं
एक ऐसा इंसान जिसे महज सफलता नाम की चीज़ से प्यार हैं
(हां यह और बात हैं कि कोई पागल सी दीवानी हैं जिससे भी बहुत प्यार हैं
खैर मैं हमेशा से उन्हें समझने व जज करने में गलत ही साबित हुई हू :-)
जिसे रिश्ते, दुनियादारी से कोई मतलब नहीं वो भावनाओं में नहीं बहते हैं
वो स्वाभिमान व आत्म-सम्मान वाले इंसान हैं "
खैर यह पोस्ट गलत राह पकड़ रही हैं सो फिर से पटरी पर लाते हैं वरना एक्सीडेंट……
ओफ्फो हां फिर पापाजी ने कहा देखते हैं तुझमें कितनी हिम्मत हैं
चल हम देखते हैं कौन किसे हराता हैं फिर हमनें वो वाला गेम खेला
अरे वो ही जो फिल्मों में खेला जाता हैं और अक्सर लड़का हार जाता हैं
हाथ को कौन जमीन पर टिका देगा
आज तो बेटी ने भी बहुत हिम्मत दिखाई मैं जीत गयी थी :-)
वैसे अक्सर पेरेंट्स बच्चों के लिए सब-कुछ हार ही जाते हैं
फिर मेरा मन कर गया सो मैंने, माँ ने व पापाजी ने साथ में मुगफली खायी
माँ ने मेरी तरफ देखते हुए कहा वैसे आजकल सरिता की हेल्थ ठीक हो रही हैं
मैं हँसने लगी कि पापा ने भी कह दिया हां अब तुम बिल्कुल ठीक हो
हम्म मैंने कहा वो इसलिए आजकल मैं डांस नहीं करती ना सो
कि माँ मेरे सारे एक्शंस बताने लग गए उफ्फ
पापाजी ने कहा तो अब तुम ट्रेंड हो गयी डांस में ??
मैंने कहा हां कर लेती हू ठीक-थक बस :-)
वैसे मेरे पापाजी की नज़रों में मैं एक समझदार बच्ची हू
जो कि मैं हमेशा बने रहना चाहती हू फिर चाहे यह मेरे लिए महज भ्रम भी क्यों ना हो ??
पेरेंट्स का साथ बस केवल पेरेंट्स का साथ चाहिए मुझे
मेरी फ्रेंड्स में से रिंकू व सरोज मेरे पापाजी को बहुत अच्छे से जानती व पहचानती हैं
तथा जैसे वो कभी-कभार मेरे पापाजी को जज करती हैं
उनके विचारों के आगे मैं नतमस्तक हो जाती हू
lot of thanks both of you....love u yar...:-)
सच बहुत खूबसूरत सा दिन था आज
उसकी कही गयी बात पर आज बहुत गुस्सा आया
कभी किसी ने कहा था कि -
"मुझे कोई हक़ व अधिकार नहीं हैं किसी से प्यार करने का:-)"
बेवकूफ कहीं का कितना बुझदिल व डरपोक हैं वो
जानती हू उसने यह बात क्यों कही थी पर आज मैं यकीन के
साथ कह सकती हू उसने कभी भी अपने पेरेंट्स व प्यार को समझा ही नहीं !!!
खैर हर पोस्ट में किसी भी रूप में उसका जिक्र जरुरी हैं
वरना अब तो बिन उसके व बिन प्यार के भी बिल्कुल पूरी हू मैं
अपने पेरेंट्स के साथ, अपनी जिंदगी के साथ खुश भी हू :-)
बेशक सब-कुछ भुला भी दिया अब तो एक धुंधला सा चेहरा नजर आता हैं
जो आएगा कभी किसी और रूप में मेरे सामने, बिल्कुल सामने !!!!!
बिना उसके जिक्र के भी पोस्ट तो पूरी हो गयी थी पर शायद जरुरी था :-)

Sunday 22 June 2014

मूक सा बचपन....

आज मेरे पास कुछ खाश विचार नहीं थे और
लिखने का भी कोई इरादा नहीं था पर अभी कुछ देर पहले ही
देखें गए एक दृश्य ने मुझे ऐसा कुछ लिखने को मजबूर कर दिया :-)
एक चीज़ तो बच्चें लाड़-प्यार से अच्छे नहीं बनते हैं
उन्हें अच्छा तो बेशक अनुशासन ही बनाता हैं
अफ़सोस मेरे पास अनुशासन नाम की कोई चीज़ हैं ही नहीं !!!
आज एक गाने के बोल याद आ गए -
बच्चों का क्या हैं बच्चे तो आखिर बच्चें हैं
समझा दो, बहला दो…………
पर मैं भी अभी तक बच्ची ही समझती आई हू अपने आपको
बेशक इसकी बहुत बड़ी वजह जिम्मेदारियों से डरना भी हो सकती हैं
खैर बचपन बिल्कुल पानी के जैसा ही होता हैं
जिस साँचे में डाला जाएगा वो उसी का ही रूप ले लेगा
हम ही हैं वो लोग जो बच्चों के गलत करने पर भी उन्हें गले से लगाते हैं
दूसरे बच्चों के बेकसूर होने पर भी अपने बच्चों को
सच्चा व अच्छा साबित करने की कोशिश करने वाले भी हम ही होते हैं
हम ही परिवारों का बंटवारा करके उन्हें सिखाते हैं बिखेरना
बच्चा बिल्कुल शांत सा बैठा बस एकटक देखता रहता हैं अपने परिवार को टूटता
हम ही हैं जो उन्हें धर्म व मजहब का पाठ पढ़ाते हैं
हम ही हैं जो उन्हें केवल पत्थर की मूर्ति में भगवान के होने का हवाला देते हैं
हम ही हैं जो उन्हें अमीर गरीब का भेद बताते हैं
हम ही हैं जो उन्हें संस्कारों से इतर महज हक़ व अधिकारों का पाठ पढ़ाते हैं
हम ही हैं जो उन्हें रियलिटी शोज में भेजकर उनके द्वारा अनाप-शनाप
व बेमतलब बोले जाने पर भी उन्हें तालियां बजाकर कहते हैं बहुत अच्छा :-)
हम ही हैं जो उन्हें यह सिखाते हैं कि हम जो भी करें वो सब जायज हैं
बहुत कुछ इंडिया में हो रहा हैं जो भारत में कभी नहीं होता था
बेशक भारत बेहद अच्छा व संस्कारित देश था
फिर भी कहते हैं इंडिया बहुत प्रगति कर रहा हैं
उफ़ यहाँ इंडिया में तो लड़कियों के कपड़े भी बहस का विषय बन जाते हैं
भारत में बच्चों को शीला की जवानी या मुन्नी बदनाम हुई देखने को नहीं मिलती थी
उस वक़्त बच्चों को रामायण-महाभारत दिखाई जाती थी
बच्चों को हक़ व अधिकार नहीं विरासत में संस्कार मिलते थे
शराब नहीं मिलती थी पिने को आजकल तो बाप-बेटे साथ में बैठकर पीते हैं जी
लड़कियों को बहन व माता जैसे शब्दों से सम्बोधित किया जाता था
भारत इंडिया बनते-२ बेशक अपनी पहचान खो चूका हैं
हम अमेरिका व इंग्लैंड की बराबरी कर पाएंगे या नहीं पता नहीं
पर बेशक हम आने वाली पीढ़ी को प्रगति का ऐसा पाठ पढ़ाने की कोशिश जरूर कर रहे हैं
जिसका मूल ध्येय सफलता और वो ना मिले तो बेशक आत्महत्या
इसमें कोई दोराय नहीं कि शादी सबको महज बंधन ही नजर आएगी
(बेशक मुझे तो अभी भी लगता हैं हम्म )
उफ़ फिर से दिमाग में जंग लग गयी
कहना यह था कि अगर हम समाज से वाकई बुराइयों को मिटाना चाहते हैं
तो हमें बच्चों के बचपन को अच्छाई के रंग में रंगना ही होगा :-)

Friday 20 June 2014

कच्ची उम्र के पक्के वादें

प्रिया अपने कमरे की चारों दीवारों को ताक रही थी
हमारा रिश्ता केवल इंसानों के साथ ही नहीं होता हैं
हम उस हर चीज़ से जुड़ जाते हैं जिसका वक़्त-बेवक़्त हमारी जिंदगी में दखल होता हैं
फिर चाहे वो दीवारें, किताबों के पन्नें या अपनी प्रिय डायरी ही क्यों ना हो
सबके साथ अपनत्व का रिश्ता तो बन ही जाता हैं
प्रिया ने एक निमंत्रण पत्र को देखा कि याद आया
उसे आज शाम को सम्मानित किया जायेगा
पर आज उसे जाने की कोई जल्दी व ख़ुशी नहीं थी
प्रिया ने सोचा यह मुकाम मैंने अपनी मेहनत से पाया हैं
फिर भी उसे किसी शख्स की कमी क्यों खल रही हैं ??
उसे बार-२ बस ना जाने क्यों यहीं शब्द याद आ रहे थे
तुम्हारी कोई मंजिल नहीं हैं, देखना तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगी
तुम्हारा कोई फ्यूचर नहीं हैं तुम्हारा जीवन लक्ष्यहीन हैं
प्रिया इसी उधेड़बुन में खोयी थी कि उसकी माँ ने कहा
प्रिया देखो तो यह ड्रेस ठीक हैं ना मैं आज के फंक्शन में यही पहन लू :-)
प्रिया ने आँखों को अपनी पुरानी डायरी से हटाते हुए पहले एक नजर अपनी माँ को देखा
और फिर उनकी ड्रेस को फिर अपनी माँ के गले में अपनी बाहों को डालते हुए बोली
माँ आपको पता हैं ना मुझे रंगों की ज्यादा समझ नहीं हैं और सजने-संवरने की भी
कि उसकी माँ तपाक से बोलें प्रिया चल मेरा छोड़ यह बता आज तू क्या पहन रही हैं ??
प्रिया ने बेमन से जवाब दिया माँ सम्मान समारोह में जा रहे हैं हम ना कि किसी फैशन शो में
बेशक मैं वो ही ब्लैक जीन्स व सफ़ेद कुर्ता ही पहनने वाली हू
माँ ने बिगड़ते हुए कहा तुझे मैं कैसे समझाऊ कि यह दुनिया रंगीन
हैं ब्लैक एंड वाइट का जमाना गया बेटा :-)
प्रिया ने माँ की बात को अनसुना करते हुए फिर से अपनी नज़रों को डायरी की और घुमा दिया
और अपनी डायरी में लिखी लाइन्स पढ़ने लगी-
"सोचती हू अगर जिंदगी के कभी किसी मोड़ पर तुम मुझे फिर मिल पाए तो
क्या तुम्हारी भी जिंदगी बिल्कुल मेरे जैसी ही बेरंग सी होगी ??
क्या तुम्हें भी लगेगा कि तुम्हारी हर सफलता मेरे बिना अधूरी हैं ??
क्या तुम्हें भी मेरी तरह अकेलापन अच्छा लगता होगा या
डर जाते हो अँधेरी व काली रातों में तन्हाई को देखकर ???
क्या तुम्हारे पास भी मेरे जैसी डायरी होगी जिसके हर पन्नें पर जिक्र होगा सिर्फ मेरा ??
या फिर तुम भी बिल्कुल मॉडर्न लोगों की तरह केवल मोबाइल में मैसेजेस से खुश हो ??
क्या कभी मुझे तुम्हारी आँखों में अपने लिए प्यार नजर आयेगा
या फिर वो ही पुरानी गुस्सैल सी आँखें तरस रही होगी मुझे काट खाने को ??
क्या तुम्हारी कही गयी कड़वाहट भरी बातें अब कच्ची दीवारों के तले दब गयी होगी ??
क्या अब तुम्हें भी कभी मेरी मासूमियत व मेरे बचपने पर प्यार आता होगा ??"
प्रिया का मन व आँखें दोनों ही डायरी को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे
पर प्रिया के जाने का वक़्त हो गया था माँ ने भी दो-तीन बार आवाज लगा दी थी
इसलिए प्रिया ने अपनी डायरी को सहलाते हुए टेबल पर रखा और चल दी
प्रिया और उसके मम्मी-पापा शाम होते ही बिल्कुल वक़्त पर ऑडिटोरियम में दाखिल हो गए
कि स्टेज से आवाज गूंजी और अब आज की हमारी खाश मेहमान प्रिया चौधरी हमारे बीच पहुँच चुकी हैं
जोरदार तालियों से उनका स्वागत कीजिए
प्रिया ने सबका अभिवादन स्वीकार किया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी
सभी लोगों की नजरें आज के खाश मेहमान पर ही टिकी थी मतलब प्रिया पर
प्रिया ने थोड़ा असहज महसूस किया फिर उसने एक नजर अपने आपको ही देखा
प्रिया बुदबुदाई मुझमें खास कुछ नहीं हैं फिर भी मैं आज की खाश मेहमान कैसे हुई ??
उसके इस सवाल का जवाब वहां लगे एक पोस्टर ने दिया-
"आर.अ.अस.(ras)-2012 की टॉपर प्रिया चौधरी का भव्य सम्मान समारोह":-)
प्रिया के पापा बेहद उत्साहित होकर सभी से यह बता रहे थे
यस शी इज़ माय डॉटर प्राउड ऑफ़ यू प्रिया :-)
यह शब्द सुनकर प्रिया का सीना जितना था उससे दुगुना चौड़ा हो गया था
और उसके पापा का सीना तो शायद उस वक़्त माप पाना भी मुमकिन नहीं था
कि प्रिया ने माइक की आवाज की और ध्यान दिया
जी हां तो अब आज की हमारी खाश मेहमान प्रिया जी स्टेज पर आए व
अपनी सफलता से जुड़े कुछ विचार व अनुभव हमारे साथ भी शेयर करें :-)
प्रिया ने कहा मैं सभी का शुक्रिया अदा करती हू मुझे इतना मान-सम्मान देने के लिए
हर सफलता का राज कड़ी मेहनत ही होती हैं
हार मानने से आसमां छुआ नहीं जा सकता
मुझे हमेशा से यह लाइन्स बेहद प्रेरित करती रही हैं कि-
"मुश्किलों से भाग जाना आसान होता हैं
हर पल जिंदगी का इम्तिहान होता हैं !
डरने वालों को कुछ नहीं मिलता
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता हैं !!"
और मेरी इस सफलता का श्रेय बेशक सबसे ज्यादा मेरे पेरेंट्स को जाता हैं
इनके अलावा भी किसी शख्स के कहे गए शब्दों ने कि
तुम कभी कुछ नहीं बन सकती को भी जाता हैं :-)
प्रिया के इतना बोलते ही तालियों की आवाज गूंजी जिसमें प्रिया द्वारा कही गयी
आखरी पंक्ति कि वो शख्श हैं यश चौधरी के शब्द कहीं घूम गए थे !!
कि फिर से सर स्टेज से बोलें
जी हां आज के हमारे मुख्य अतिथि यश चौधरी जी जो की ras-2010 के टॉपर थे
प्रिया को गुलदस्ता भेंट करेंगें व वो ही अपने शब्दों से आज के प्रोग्राम का समापन स्पीच देंगें
यश ना जाने क्यों यह नाम सुनकर प्रिया सहम गयी थी !!
तो मतलब यश सोचने लगी पर उस वक़्त सोचने का वक़्त कहा था
कि प्रिया को नजर आया वो ही पुराना व जाना-पहचाना सा चेहरा ,
वो ही पुराना सा चश्मा सोचने लगी अब चश्मे का नंबर तो बदल ही गया होगा
कि उसका ध्यान टुटा सामने था यश व उसके हाथों में प्राइज और गुलदस्ता
यश ने प्राइज देते हुए कहा प्रिया बधाई हो, happy to see you again..:-)
प्रिया बिना कोई जवाब दिए अपना इनाम लेकर आगे बढ़ गयी
बार-२ हैप्पी टू सी यू अगेन वर्ड्स बुदबुदाने लगी
वो इन शब्दों में इतना खो गयी कि उसने यश के स्पीच की और भी ध्यान नहीं दिया
सोचा तो क्या यश को भी मैं याद हू ??
रात को घर पहुंची तब तक प्रिया काफी थक गयी थी
यादों का बोझ कुछ ज्यादा ही थका जाता हैं
प्रिया माँ से बिना कुछ कहे ही अपने कमरे में चली गयी
रात भी काफी हो चुकी थी उसने अपनी डायरी में लिखा
"आज तुमसे मिली बेशक तुम्हारे अचंभित होने की सीमा नहीं रही होगी
जब तुमने मुझे इतने अच्छे मुकाम पर देखा
मैं तुम्हारे कहे गए शब्दों का जवाब देना चाहती थी
तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहती थी
पर फिर शायद वहाँ मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बाँध नहीं पाती
इसलिए बिना कोई जवाब दिए वहाँ से आगे बढ़ गयी
और वैसे भी मैं नहीं चाहती थी कि मेरे सवाल व शब्द तुम्हें तकलीफ दें :-)
गुड नाईट यश !!""
प्रिया सोने की बहुत कोशिश कर रही थी फिर भी काफी देर तक नींद ने उसके दरवाज़े पर दस्तक नहीं दी
इधर-उधर करवटें बदल रही थी कि फिर से उसकी आँखों के सामने यश का चेहरा नजर आ गया
प्रिया सोचने लगी -
आज से ठीक 8-9 साल पहले यश को उसने पहली बार देखा था
याद हैं सूरजमल मेमोरियल एजुकेशन सोसाइटी (SMES) जनकपुरी, देल्ही में
उस कैंप में सभी दसवीं कक्षा के ही तो बच्चे थे जिनमें यश व प्रिया भी तो थे
प्रिया को प्यार पर यकीं नहीं था पर ना जाने क्यों पहली ही नजर में यश पर यकीन जरूर हो गया था
कॉलेज मंडप में कैंप वाले बच्चों के लिए हवन करवाया गया
हवन के वक़्त बार-२ छुप-छुपके वो यश को ही देख रही थी
वो उसके चेहरे को देखकर कुछ पढ़ने की कोशिश कर रही थी पर नाकाम रही
कैंप के दूसरे ही दिन कर्नल गोपाल सर की क्लास थी
प्रिया ने अपने लक्ष्य व सपने तय नहीं किये थे सो
उसे कर्नल सर के गाइडेंस से ज्यादा अपनी नींद से प्यार था
और ना जाने कब यश के सपनों के गोते लगाते हुए वो नींद के गहरे सागर में डूबने ही वाली थी
कि कर्नल सर की चॉक ने उसके सपनों को चकनाचूर किया
सारी क्लास प्रिया को देखकर हंस रही थी और यश तो सबसे ज्यादा :(
कर्नल सर ने सवाल पूछा अभी भारत की जनसंख्या कितनी हैं ??
प्रिया को जैसे की सांप सूंघ गया या अल्लाह मुझे तो राजस्थान का भी नहीं पता भारत का क्या खाक पता होगा ??
प्रिया ने अपना मुँह जितना था उससे और ज्यादा निचा कर लिया
पढ़ना भी ना बड़ों को ख़ुशी व सुकून देता हैं पर
बच्चों के लिए तो पढ़ाई व किताबें किसी जानलेवा बीमारी से कम नहीं हैं
प्रिया सोच ही रही थी कि यश ने खड़े होकर एक ही सांस में सारे आंकड़ें बोल दिए
एक अरब दो करोड़ सत्यासी लाख सैंतीस हजार चार सौ छियासी (2001 के अनुसार) (1,02,87,37,486)
कर्नल सर ने कहा शाबाश लगता हैं बड़े होकर गणित के प्रोफेसर बनोगे :-)
प्रिया खुश होकर सोचने लगी ठीक हैं कल तो गणित की कक्षा में एक सीट मेरी भी रिज़र्व रहेगी
दूसरे दिन फिजिक्स व केमिस्ट्री की क्लासेज होने के बाद सर ने कहा
जिन लोगों को मैथ्स लेना हैं वो इसी रूम में बैठे रहे तथा
जिन्हें बायोलॉजी लेना हैं वो फोर्थ फ्लोर के रूम नंबर 24 में चले जायें
यह क्या प्रिया हैरान थी तो क्या यश बायोलॉजी लेगा ??
दिनभर अपने आपको कोसती रही कि इंतज़ार करने लगी रात के 9 बजने का
आज शाम को जब कॉमन रूम में जाने के लिए लाइन में खड़े रहेंगे तब यश से जरूर बात करुँगी
लाइन में खड़े-२ ही प्रिया लड़कों की बनी लाइन की तरफ तांक-झांक कर रही थी
कि बहुगुणा मैम बोले प्रिया बेटा वेट करो कुछ ही देर में दरवाजा खुलने वाला हैं
खड़ूस कहीं के मैं तो चाहती नहीं कि दरवाजे खुले ताकि मैं यश को देखती रहू प्रिया बुदबुदाई
कि लड़कियों के सबसे पीछे जाकर खड़ी हो गयी प्रिया तभी
कॉमन रूम का दरवाजा खुल गया
खुदा की टाइमिंग भी ना बहुत बुरी हैं और अपने पैरों को पटकते हुए रूम में चली गयी
लड़कों की साइड में जिस रो में यश बैठा था प्रिया लड़कियों की साइड में उसी पंक्ति में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गयी थी
उस शाम दूधवाले भैया प्रिया की लाइन तक पहुंचे तब उसने चुपके से यश की और देखा
वो दूध पी रहा था, उस शाम प्रिया ने भी बिना कोई नाटक किये एक गिलास अपने हाथ में ले लिया !!
इतेफाक से उसी शाम यश की टर्न आ गयी थी स्टेज पर बोलने की
"मैं यश चौधरी राजस्थान के अजमेर जिले का रहने वाला हू "
प्रिया अपनी सीट पर जोर से चिलाई युप्प वो मेरे शहर का हैं
कि ढाका जी सर जोर से बोलें क्या हुआ तुम्हें ??
देखा था उस वक़्त प्रिया ने यश चुपके से उसकी तरफ देखकर हंस दिया था
दो दिन बाद प्रिया ने निर्णय किया अब वो भी बायोलॉजी की क्लासेज अटेंड करेगी
वैसे भी उसे कौनसा यहाँ पढ़ना हैं और कैंप लगाया भी तो गाइड करने के लिए हैं
ताकि बच्चे सोच सके कि उन्हें कौनसा सब्जेक्ट लेना हैं ??
बायोलॉजी की क्लास में आज एक नयी स्टूडेंट थी प्रिया
सर ने उसीसे पूछ लिया बताओ कोशिका की खोज किसने की ??
उफ़ प्रिया मारे शर्म के पत्थर सी शीला बन गयी थी कि
फिर से जीनियस बच्चा खड़ा हो गया जी सर रॉबर्ट हुक ने :-)
वेरी गुड यश सिट डाउन, सिखने आए हो तो सीखो भी कुछ महज टाइमपास मत करो
प्रिया मन ही मन बुदबुदाई यश को इतना पढ़कर आने की कहाँ जरुरत हैं
कि यश प्रिया की तरफ देखता हुआ बोला
सर वैसे मुझे लगता हैं कि जो लोग फालतू बातों में इंटरेस्टेड हो उन्हें आर्ट्स ले लेना चाहिए
आफ्टर ऑल साइंस पढ़ना हर किसी के कहाँ बस में होता हैं :-)
प्रिया का मन किया यश को खींचकर एक चांटा लगा दे
पर भई मज़बूरी का नाम ही जिंदगी हैं इसलिए वो चुप ही रही
उस दिन प्रिया ने सोचा मुझे बायोलॉजी में ना तो लिवर की समझ हैं
और ना ही मैं RNA व DNA में अंतर समझ पाती हू
इससे अच्छी तो गणित हैं बाबा कम से कम मैं फायदा-नुकसान तो समझ पाती हू !!
फिर सैटरडे आ गया कर्नल सर आये फिर से क्लास लेने
बच्चों आज मैं आपको करियर के बारे में गाइडेंस दूंगा
आपमें से किसी को भी पता हैं क्या कि उसे क्या बनना हैं ??
उसे क्या अचीव करना हैं ??
यश खड़ा हुआ यस सर मुझे पता हैं कि मुझे क्या बनना हैं
सर ने कहा अच्छा बताओ क्या बनना हैं तुम्हें ??
सर मैं आरएएस बनूँगा :-)
शाबाश वेरी गुड !!
प्रिया ने एक बार फिर अपना सिर पकड़ लिया
आरएएस बनेगा उफ़ यहाँ तो टीचर बनने तक का भी नहीं सोच पा रही हू :(
क्लास ओवर होने से पहले सर ने कहा मुझे बताते हुए बेहद ख़ुशी हो रही हैं
कि कल हम आप सभी को घुमाने ले जायेंगे सबसे पहले आपको मेट्रो का सफर करवाया जायेगा
फिर इंदिरा गांधी एयरपोर्ट दिखाएंगे बाद में हमारे एनसीसी(NCC) हेडक्वार्टर जायेंगे
वहाँ आपको रिटायर्ड कर्नल सर स्पीच देंगें तथा डिफेन्स सर्विसेज के बारे में बताया जायेगा :-)
प्रिया संडे को सुबह थोड़ा जल्दी ही उठ गयी थी
कि सुबह-२  योगा क्लास में जाते-२ प्रिया दिन के प्रोग्राम के ख्वाब भी देख रही थी
योगा वाले सर ने सभी को दो मिनट लेट जाने को कहा
प्रिया की सबसे प्यारी दोस्त नींद ने एक ही पल में उसे अपने आगोश में ले लिया
सभी बच्चे फिर से बैठ गए थे पर प्रिया लेटी ही रह गयी
सर जोर से चिलाएँ अरे बच्ची रातभर क्या जागरण कर रही थी ??
उफ़ आज तो हिम्मत करके यश से बात कर ही लेती लेकिन नींद को भी शर्म नहीं आती वक़्त-बेवक़्त चली आती हैं
प्रिया हर दिन कुछ ऐसा कर ही देती जिससे उसका यश से बात कर पाना मुश्किल हो जाता
सोचती वो कितना समझदार और मैं कितनी बेवकूफ
प्यार तो बहुत दूर की बात हैं मैं तो उसकी दोस्ती के काबिल भी नहीं हू
यू ही छुपम-छुपाई में ही ना जाने कब महीना बीत गया था
लास्ट दिन प्रोग्राम के बाद प्रिया ने सोचा आज तो यश से बात करके ही रहूंगी
कि उसकी मैम ने कहा चलो बच्चों जल्दी से पैकिंग कर लो रात को नौ बजे हमारी ट्रैन हैं
इसलिए हम सात बजते ही जनकपुरी से पुरानी दिल्ली के लिए निकल जायेंगें
प्रिया ने अपनी मैम की बातों को नजरअंदाज किया और बदहवास सी भागी यश से मिलने के लिए
बॉयज हॉस्टल के बहार देवेन्द्र भैया खड़े थे
प्रिया ने पूछा भैया अभी तक आप गए नहीं ??
देवेन्द्र भैया प्रिया का चेहरा देखकर हँसे और फिर बोलें मुझसे पूछ रही हो या यश के बारे में जानना चाहती हो?प्रिया उसे अजमेर जाना था इसलिए वो चला गया और तुम्हें बता दू मुझे अजमेर नहीं बाड़मेर जाना हैं
पर भैया अजमेर तो हम लोग भी जायेंगे :-)
वैसे यश ने मेरे लिए कुछ कहा नहीं क्या ??
देवेन्द्र भैया ने कहा प्रिया उसने कुछ नहीं कहा लेकिन मैं कहना चाहता हू
मैं बाड़मेर के कवास गावं का रहने वाला हू जहाँ पिछले साल भयंकर बाढ़ आई थी
मेरी आँखों ने तबाही का मंजर देखा हैं वो काल मेरे सारे परिवार को खा गया था
मेरी एक छोटी सी प्यारी सी बहन थी बिल्कुल तुम्हारे जैसी
हर पल उसकी शरारतें याद आती हैं पर अब वो चेहरा कहीं नजर नहीं आता
मैं चाहता हू कि तुम मेरी मुँहबोली बहन बनो, मैं तुम्हारा जवाब जानना चाहता हू
प्रिया ने सोचा जिस दिन चोर बाजार में घूमने गए तब देवेन्द्र भैया ही तो उसे ढूंढकर लाये थे वरना वो तो घूम ही जाती देवेन्द्र भैया की बातों में प्रिया भूल ही गयी कि वो यश से बात करने आई थी
और मैम को भी तो कुछ बताया नहीं हैं पर उसने लापरवाही बरततें हुए
अपनी जेब से फ्रेंडशिप बेंड निकाला और कहा
भैया मैं यह लायी तो यश के लिए थी पर मैं आप जितने अच्छे इंसान को कैसे खो सकती हू
आप इसे ही राखी समझ लीजिए और प्रिया ने वो बेंड देवेन्द्र को दे दिया
ठीक हैं भैया अब मैं चलती हू मैम मुझे ढूंढकर परेशान हो रहे होंगें
प्रिया लौट आई दिल्ली से अपने राजस्थान, अपने हॉस्टल सोचा प्यार तो बेवजह होता हैं बातों से थोड़े ही !!
हॉस्टल पहुंचते ही बड़ी मैम की हिदायतें बच्चों का इंतज़ार कर रही थी
आज 1st जुलाई हो चुकी हैं उम्मीद करती हू सब बच्चें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देंगें :-)
वक़्त के साथ यादें धुंधला ही जाती हैं
कि तभी एक दिन प्रिया की रूममेट भागती हुई रूम में आई
प्रिया तुझे पता हैं अपने हॉस्टल में डिबेट कम्पटीशन में पार्टिसिपेट करने के लिए एक बेहद ही इंटेलीजेंट व स्मार्ट लड़का आया हैं यार:-)
 प्रिया ने उसकी बात की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया कि वो बोली उसका नाम यश बता रहे हैं
प्रिया भागती हुई ऑडिटोरियम में पहुँच गयी जहाँ डिबेट प्रतियोगिता होने वाली थी
उसने देखा यश तल्लीनता से डिबेट की तैयारी कर रहा था
उस दिन उसने अपनी सारी हदें पार कर दी
यश का हाथ थामकर बोली यश मैं तुमसे बेहद प्यार करती हू
शब्दों का रस कैसे गोलते हैं मुझे नहीं पता बस मैं शादी करुँगी तो तुमसे वरना करुँगी ही नहीं
यश ने अपने हाथों को प्रिया के हाथों से छुड़ाते हुए कहा how dare u..??
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की एक बार अपनी औकाद तो देख ली होती
देखना तुम ग्रेजुएशन तक नहीं कर पाओगी फोर्थ ग्रेड की नौकरी तक नहीं मिलेगी तुम्हें
कभी कुछ बन पाओ तो आना मेरे पास और बुदबुदाता हुआ यश वहाँ से चला गया था !!!
हल्की सी रौशनी की किरणें प्रिया के चेहरे पर उत्तर आई
उसने आँखें खोली उफ़ पता ही नहीं चला रात को सोचते-२ कब आँख लग गयी थी
माँ ने दरवाज़ा खटखटाया प्रिया उठो तो देखो तुम्हारी चिठ्ठी आई हैं
प्रिया ने आँखें मलते हुए चिठ्ठी खोली लिखा था
"हैलो प्रिया,
                   फिर से बधाई हो चाहता तो था तुम्हारे लिए फूल भेजूँ
पर फिर सोचा एक बार तुमसे इज्जाजत तो ले ली जाए
मैंने तुम्हें उस दिन भला-बुरा कहा उसके लिए माफी चाहता हू
लेकिन उसी का परिणाम हैं कि तुम आज इस मुकाम तक पहुंच पायी हो :-)
वरना प्यार तो मुझे भी तुमसे उसी दिन हो गया था जब तुम हवन के वक़्त बिल्कुल मेरे आगे बैठी व
बार-२ मुड़कर मेरी तरफ ही देख रही थी I LOVE YOU PRIYA"
क्या तुम अब भी प्यार करती हो मुझसे ??
तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा मुझे !!-यश
यश ने चिठ्ठी में अपने नंबर लिख दिए थे प्रिया ने अपना मोबाइल उठाया
टाइप किया शब्दों की समझ मुझे आज भी नहीं हैं
अक्सर कच्ची उम्र में किये गए वादें कच्चे नहीं होते हैं
जब पंद्रह साल की थी तभी तुम्हें अपना बनाने का सोच लिया था
इरादा नेक था इसलिए तुम पर मुझे पूरा भरोसा था
मैं तुम्हारे फूलों का इंतज़ार कर रही हु :-)  

Sunday 15 June 2014

कैसा यह नाता हैं??

 वक़्त बहुत देर से मिला शायद सुबह से अब तक
सभी ने शब्दों से अपने पिता का क़र्ज़ चूका ही दिया होगा ??
हम्म आप अब ज्यादा मत सोचिए कि सारिका हमेशा ऐसा ही क्यों सोचती हैं
सोच हैं बाबा विचारों का क्या हैं ??
वक़्त बदला कि सोच और इंसान सभी बदल जाते हैं :(
आज फादर`स डे हैं पापाजी तो अशोक सर के अभिनव राजस्थान अभियान
के प्रोग्राम में गए हैं और मैं भी अभी-२ कहीं जाकर ही आई हू !!
मेरी जिंदगी में सबसे ज्यादा मैंने अपने शौक व अपनी ख़ुशी के लिए लिखा हैं
फिर बहुत कुछ व बहुत ज्यादा अपने पिताजी को लिखा हैं
हर पत्र की शुरुआत कुछ यू होती हैं
"हैलो पापाजी,
                     रामजी-राम !!मैं जो कुछ भी सोचती हू या जो आपसे कहना चाहती हू
वो सब कह पाना मेरे लिए आसान नहीं हैं इसलिए लिख रही हू
जबसे होश संभाला हैं तबसे उस खुदा ने मुझे लिखने की थोड़ी कला सीखा दी
वरना बिन इन शब्दों के मेरा होता हैं ????"
फिर लास्ट लाइन
"उम्मीद करती हू आप मेरी बात को समझेंगें
शुक्रिया सारिका !!"
इस दुनिया में हर पिता अपने बच्चों को हर ख़ुशी देने की कोशिश करता हैं
और हर बच्चे के पापा उसके लिए दुनिया के बेस्ट पापा होते हैं !!
पापा अगर मुझे कुछ शब्दों की समझ होती तो मैं आपको अपनी
जिंदगी में लिखी बेस्ट लाइन्स डेडिकेट करती
मेरे पास जादू की छड़ी होती तो मैं उसे घुमाकर
इस दुनिया की सबसे बेस्ट, सच्ची, अच्छी व समझदार बेटी बनने की कोशिश करती

"पिता के धुप में तपते जूतों को छाया में रखती हैं बेटी
पिता के कहने से पहले शब्द समझ जाती हैं बेटी
पिता की आँखों का पानी पर सिर का नाज व गुमान होती हैं बेटी
पिता की हर ख़ामोशी का राज ढूंढती हैं बेटी
पिता के पसीने की कमाई पाई-२ का हिसाब रखती हैं बेटी
पिता के सिर पर बढ़ती हर सलवट का ख्याल रखती हैं बेटी :-)"
यह तो कुछ बातें हैं कि मैं ऐसा कुछ करती हू खैर आज फादर`स डे हैं
जब हम घूमने चले थे ना तब मैंने यह पिक चुपके से ले ली थी
वरना फोटो खिंचवाने का शौक तो आपने बहुत पहले ही छोड़ दिया :-)

"एक इंसान हैं जिनके जूते व उनकी सिम्प्लिसिटी कभी नहीं बदलती हैं
चाहे कितने भी मौसम बदले पर मेरे प्रति उनके विचार कभी नहीं बदलते हैं
चाहे कितने भी तूफान आए पर वो अपने बच्चों को हर ख़ुशी देने के लिए उनसे टकरा ही जाते हैं
चाहे हम बच्चे कितना भी गिरे पर वो हमारा ओहदा बढ़ा ही देते हैं "

कभी-कभार यू होता हैं कि विचारों का शब्द साथ नहीं दे पाते हैं
आज लिखना तो बहुत कुछ व बहुत अच्छा था पर..................
खैर पापाजी बस इतना ही कि जैसे जिंदगी के 20-21 साल आपके साथ बिताये हैं
वैसे ही मैं यह सारी उम्र व जिंदगी बिताना चाहती हु आपके साथ
सच आज शब्दों ने बिलकुल साथ नहीं दिया
इससे कहीं ज्यादा अच्छी पोस्ट तो वो भी हैं जो माँ के लिए लिखी थी
आप भी तो सब समझते हैं पापाजी
आज पुराने पत्रों में जो लाइन लिखी होती थी वो याद आ गयी
"अब आगे और क्या लिखू आप खुद भी बहुत समझदार हैं "

अक्सर जब मैं हॉस्टल में रहती थी तब जानवर मूवी का यह गाना बहुत याद आता था
"तुझको ना देखू तो जी घबराता हैं, देखके तुझको दिल को मेरे चैन आता हैं
यह कैसा रिश्ता, कैसा नाता हैं ???"

Friday 30 May 2014

जिया जाए ना :-)

आज सुबह से विचार करते-२ ही थक गयी कि पोस्ट अपडेट करू या नहीं :(
खैर फाइनली दिल का साथ दे रही हू 
हमेशा से मुझे लगता हैं कि जो इंसान सोंग्स लिखता हैं 
वो हीरो से भी बड़ा होता हैं, बहुत दिमाग वाले होते हैं भई यह लोग :-)
इनका एक्टिंग करने में कुछ नहीं जाता पर 
खुदा ही जाने कैसे गाने लिखने वाला भावनाओं को शब्द देता हैं :-)
शब्द भी ऐसे देखो ना सच्ची हर सिचुएशन पर परफेक्ट मैच होते हैं !!
मेरे जैसे लोग तो मूवी बिना देखे ही खुश रह सकते हैं 
पर प्लीज भगवानजी सोंग्स से दूरियाँ 
अहा! यह दुरी सही जाये ना............
वैसे यह बात नहीं हैं कि मुझे बेहूदा गाने भी अच्छे ही लगते हैं 
हुह बेशक शीला की जवानी ,मुन्नी बदनाम हुई etc मेरी लिस्ट में तो कभी नहीं हो सकते 
खैर वो आइटम हैं जी और आइटम जैसे नाम को भी हैंडल
 करने की हिम्मत नहीं हैं अपनी तो गाने तो फिर बहुत बड़ी बात हैं :-)
लगता हैं इंसान को प्यार होना जरुरी हैं जिंदगी में 
प्यार इंसान को अच्छा बना देता हैं 
रिश्ते-नाते समझा देता हैं 
इंसान को संवेदनशील बना देता हैं 
देखिए आप हर जगह सिनेमा को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते 
सोचो अगर यह नहीं होता तो 
क्या हम किसी का दिल टूटने पर उसे देवदास कहकर छेड़ पाते ??
कितना अच्छा किया हैं सिनेमा ने हमें हर पल गुनगुनाने का मौका दिया हैं 
हंसो तो गाओ- पार्टी ओन माय माइंड या पार्टी आल नाईट 
रोते-२ भी गा सकते हो-मेरा मन माने ना कि वो था बेगाना। ……………। 
किसी को बेपनाह चाहने पर-क्यूंकि तुम ही हो (मुझे कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता हैं यह)
किसी के इंतज़ार में गुनगुनाओ-मिलेंगे-२ ,आपसे यक़ीनन मिलेंगे 
ओहो आप थोड़े परेशान हो ओके आपके लिए भी हैं-रब्बा किस्मत के दरवाज़े अब तो खोल-खोल-खोल.………रब्बा और सहा ना जाए कुछ तो बोल-बोल-बोल :-)
कोई कुछ ना कह पाए तो-तूने जो ना कहा मैं वो सुनता रहा खामखां-बेवजह ख्वाब बुनता रहा 
(यह सॉन्ग उफ्फ शायद मेरे अलावा भी बाकी सभी को भी बेहद पसंद हैं)
अगर आज तक आप जी नहीं पाए हो तो यह भी गुनगुना सकते हो 
जीने लगा हु पहले से ज्यादा,पहले से ज्यादा...................
और साँस में सांस मिली तो मुझे सांस आई ,
हां बेशक इतनी देर तक तो अटकी हुई ही थी बस जान ही नहीं निकल पायी थी :-)
गौर फरमाइए कि दिल तू ही बता कहाँ था तू छुपा 
अरे बाबा मुझे तो अभी भी कहीं नजर नहीं आ रहा हेहेहे !!
वन मोर सॉन्ग अहम् जो हमेशा से मेरे दिल के बेहद करीब रहा हैं 
जाने नहीं देंगे तुझे फ्रॉम थ्री इडियट्स :-)
उफ़ सोंग्स की लिस्ट कुछ ज्यादा ही बड़ी नहीं हो गयी क्या ??
खाश मैं भी मेरे अपनों के लिए गाने लिख पाती हम्म :-)
कृपया ध्यान दें हम्म 
तो क्या इतनी देर आपका ध्यान मेरी पोस्ट पर नहीं था ??
हाहाहा बावली सारिका !!
मेरे सिर चढ़कर हल्ला मचा रहा हैं इन दिनों 
"मेरे मुस्कुराने की वजह तुम हो ,
मेरे गुनगुनाने की वजह तुम हो ,
मेरे जीने की वजह तुम हो :-)"
अब इसमें थोड़ा हम भी मशाला मिला देते हैं 
ताकि हमारी लेटेस्ट इच्छा कि किसी अपने के लिए लिखू पूरी हो जाए 
मेरी बेपनाह चाहत की वजह तुम हो 
मेरे अच्छेपन की वजह तुम हो 
मेरी दीवानगी की वजह तुम हो 
मेरे पागलपन की वजह तुम हो 
मेरे सांस लेने की वजह तुम हो 
मेरे जीने की वजह तुम हो मेरे प्रिय :-)
ध्यान रखना कहीं जान ना चली जाए मेरी 
वरना बेशक मेरे प्रिय मेरे मरने की वजह बनोगे तुम :(
हम्म ज्यादा ही सेंटीनूमा हो गया :-)
आज दिल शायराना-२ लगता हैं अरे नहीं बाबा आज तो यह पहले से ही हैं शायराना :-)
बस अब कहीं आप साड़ी के फॉल सा गिरा ना देना 
वरना मैं कहूँगी तुम जो ना आते तो अच्छा होता, आके जो ना जाते तो अच्छा था !!!
अरे भई बस पोस्ट तो यू ही……कहना तो यह था कि गाने सुना कीजिए 
वक़्त-बेवक़्त ऑफ्टर ऑल इतने बुरे वी नी होन्दे हम्म :-)

जिंदगी कैसी हैं पहेली, कभी यह रुलाये ,कभी यह हंसाये अहा बेस्ट फॉरएवर :-)

Friday 16 May 2014

"रुक जाना नहीं कहीं तू हार के"…

जिंदगी में फैसले लेना सबसे मुश्किल होता हैं 
कितने लोगों की खुशियों का ख्याल रखना पड़ता हैं 
कितने लोगों की मुस्कुराहट आँखों के सामने घूम जाती हैं 
कितने बेसहारे से चेहरे दिल को दुखा जाते हैं 
हक़ नहीं होता हैं केवल अपना ही अपनी जिंदगी में 
बाकि लोगों की खुशियां व् जिंदगियां भी जुड़ी होती हैं हमसे :-)
सपनों का, मंजिल का, अपनों की खुशियों का कितना कुछ हैं 
जिसका ध्यान व ख्याल रखना पड़ता हैं 
पिछले कुछ दिनों से इस दिमाग पर कोई भूत सवार हो रखा हैं 
सो पापा कहते हैं कौनसे फील्ड में जाना चाहती हो तो 
मेरा जवाब होता हैं मैं बहुत पैसे कमाना चाहती हू 
मैं चाहती हू कि मेरा बहूत बड़ा रुतबा हो 
वो थोड़े चिंतित हैं कि मैं भला ऐसी बातें क्यों कर रही हू ??
लोग पूछते हैं हमसे प्यार करती हो तो 
फिर से मेरे उटपटांग जवाब मुझे प्यार करने का कोई हक़ व अधिकार ही नहीं हैं :(
दोस्तों से भी गीले-शिकवे बयां कर रही हू 
अपनों से भी समस्याएं हो रही हैं 
उफ्फ आजकल तो सबसे ज्यादा अपने आपसे भी :-)
आज मैं अपने ही लिए कहना चाहूंगी -
"रुक जाना नहीं कहीं तू हार के"……………
अब मेरे व मेरी मंजिल के बीच कोई नहीं आ सकता 
इरादें व उम्मीदें बिल्कुल साफ़ व नेक हैं 
ना किसी का प्यार मुझे बहका सकता हैं 
ना अपनों के आंसू रोक सकते हैं 
ना अपनों की मजबूरियाँ बीच राह में रोक सकती हैं 
ना मेरे लिखने का पागलपन मुझे ठहरा सकता हैं 
अब मैं अपनी जिंदगी को एक नई करवट लेने दूंगी 
अब मैं अपनी साँसों को थोड़ा गुनगुनाने दूंगी 
मीन्स मैं कुछ वक़्त के लिए सबके साथ-२ अपनी 
जिंदगी की सबसे प्यारी डायरी मतलब ब्लॉग से भी ब्रेक ले रही हू :-)

Tuesday 13 May 2014

एक दिन फ़िर उसके शहर में :-)

अहा जब हम नये हैँ तो अंदाज क्यों हो पूराना ??
इस बार काफी वक़्त बाद उसके शहर में जाना हुआ 
सीधी सी बात हैं मेरी नजरेँ तो उसे ही ढूँढ़ रही थी 
कि शायद कहीं फ़िर से वो पुराना ,जाना-पहचाना सा चेहरा नजर आ जाए 
नजरें टिकाए बैठी थी तुम्हारे इँतजार में कि 
तभी मुझे नजर आया वो ही चेहरा जिसे मेरी नजरें तलाश रही थी :-)
खैर तुमने मेरी तरफ़ देखा तक नहीं होगा, तुम्हें तो अंदाजा तक नही होगा कि 
मैं तुम्हारे आसपास थी भी अरे वैसे भी मैं तुम्हारे लिए तो अजनबी हू :(
याद हैं मुझे जब पहली बार तुम्हेँ देखा था 
हुह गिरते-२ बची थी मैं 
तुम्हें देखने से पहले सुन्दर ,खूबसूरत व स्वीट और मासूम 
जैसे शब्द केवल लड़कियों के लिए ही अच्छे लगते थे 
कभी-२ जब तुम मुझे धुप में नजर आ जाते तो 
तुम्हारा चेहरा उफ्फ देखने लाईक होता था :-)
काफी वक़्त के बाद भी मैं तो तुम्हारा नाम तक जानने में क़ामयाब नहीं हो पा रही थी 
कि मैंने फ़िर से मासूम बच्चों की तरह उस खुदा के पास अर्जी लगाई 
हे भगवानजी प्लीज मेरी हेल्प करो ना मैं उस इंसान को जानना चाहती हू 
यक़ीनन उस दिन खुदा ने मेरी हेल्प की और मेरी अर्जी कबूल हो गयी 
तुम्हारा नाम पहली बार कहीं नजर आया -सुमित अरोड़ा :-)
अहा तुम्हारा नाम भी मेरी उम्मीद से बेहतर था 
उस दिन बिना वक़्त जाया किये मैंने सारि सोशल साइट्स पर तुम्हें सर्च किया 
पर अफ़सोस कहीं भी तुम्हारा अकाउंट नहीं था 
मैं सोचने लगी ऐसा कैसे हो सकता हैं 
इसके बाद भी ना जाने कितनी बार राहों पर चलते हुए तुम मुझे मिलें होंगे 
खैर कुछ वक़्त बाद मुझे एहसास हुआ कि वो सब मेरे पागलपन से ज्यादा कुछ नहीं हैं 
इसलिए वक़्त के साथ-२ जिंदगी के हर सच को स्वीकार कर लिया था मैंने 
हम दोनों ही एक-दूसरे के लिए अजनबी थे पर फ़िर भी मैं 
तुम्हारे बारे में काफी कुछ जान ही गयी थी 
इवन तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्तों को भी तो……………………… 
फिर मुझे भी लगा कि मैं तुमसे दोस्ती करके क्यूँ दुश्मनों की लीस्ट को और ज्यादा बढाऊ ??
अच्छा हुआ हम अजनबी रहे 
सच्ची अनकहा, अनजाना, अज़नबीपन वाला रिश्ता इस दुनिया में सबसे प्यारा होता हैं 
ना कोई शिकवा-शिकायतें और ना ही कोई अधिकार वाली बातें 
मैं यह सब सोच ही रही थी कि एक बाइक आकर मेरे पास रुकी 
उसने अपने सन ग्लासेज हटाते हुए कहा 
हाय i m sumit arora......पहचाना ???
हाहाहाहाहा मूझे काटो तो खून नहीं :-)
उफ्फ मैंने अपने आपको संभालते हुए जवाब दिया नहीं :(
और निकल पड़ी उन राहों जिन पर तुम मुझसे कभी नहीं टकरा सकते:-)

Sunday 11 May 2014

मैं क्या लिखूँ माँ ????

माँ आप मेरे लिए बेहद स्पेशल हो इसलिए आपकेँ लिए पोस्ट भी तो स्पेशल होनी चाहिए ना :-)
माँ सब लोग अपनी-२ माताओं को नयी-२ उपमाएं दे रहे हैं 
उन्हें तोहफे दे रहे हैं ,उनकी राहों में फूल बिछा रहे हैँ 
बाकि दिनों में माँ के हालचाल पता हो या नहीं लेकिन 
आज का सारा दिन वो अपनी माँ के साथ सेलिब्रेट करने के ख्वाब पाल रहे हैं :(
एक दिन में वो अपनी माँ के सारे क़र्ज़ चूका देना चाह रहे हैं 
हमेशा चाहे माँ से नौकरानी की तरह काम भले ही करवाते हो लेकिन 
एक दिन के लिए आज वो अपनी माँ को मालकिन बनाना चाह रहे हैँ 
माँ ज्यादा क्या कहू दुनिया का सच आप मुझसे कहीँ ज्यादा अच्छे से जानते हैं 
समझा करो कम से कम आज तो सभी यह दुनिया वालों को यह बताकर रहेंगें 
कि उनकी माँ दुनिया की सबसे बेस्ट माँ हैँ और वो सबसे बेस्ट बच्चे :-)
मेरे हिस्से के शब्द भी सभी ने बांट लिए होंगे 
अब आप ही बताओ कि आपकी तारीफ में मैं क्या लिखूँ ???
वैसे मैं हमेशा से पापा के ज्यादा क़रीब रही हू 
पर दूरियाँ कभी आपसे भी तो नहीं रही हैं :-)
माँ मैं अच्छी बेटी नहीं हू क्यूंकि 
मैँ बहुत सताती हू आपकों ,बहुत परेशां करती हुँ 
बात-बात पे नाराज हो जाती हुँ ,वक़्त-बेवक़्त आपका दिल दुखा देती हू 
खामखा-बेवजह आपकी हर अच्छी बात का भी बहुत बुरा मान जाती हूँ :(
ऐसी बहुत सी अनगिनत बातें हैं आप ही बताओ क्या-२ लिखू ??
मेरा रोना ,आपका सहलाना 
मेरा गिरना ,आपका सम्भालना 
मेरा बिखरना ,आपका समेटना 
मेरा टूटना ,आपका मुझे अपने अक्श से रुबरू कराना 
मेरा हर दर्द पर कराह उठना ,आपका उस दर्द के साये को भी मिटा देना 
मेरा ठहरना ,आपका मुझे आग़े बढने के लिए प्रेरित करना 
माँ ,माँ अब और नहीं लिखा जाता 
सच बड़ी किस्मत वाले होते हैं वो लोग जिनकी माँ होती हैं 
इसलिए आप हमेशा मेरे साथ रहना,मेरी अच्छी व प्यारी माँ :-)
आप अनमोल हो इसलिए मैं शब्दों में आपकी कीमत को भला कैसे बयां कर सकती हू ??
मैं क्या लिखूँ माँ आप ही बता दो ना 
शब्द सभी आप ही से तो सीखे हैं मैंने ,आखिर आप ही का तो अधीकार हैं इन सब पर :-)
माँ आपको हैं सब पता हैं ना माँ ???
लॉट ऑफ थैंक्स माँ फॉर बीइंग अ part ओफ़ माय लाइफ या 
फिर यू कहू फ़ॉर बीइंग माय ऑल लाइफ :-)

Friday 9 May 2014

शादी ,……शादी……शादी :-)

हाहाहाहाहा………ऐसा मत सोचिए कि कहीं मैं बावली तो नहीं हो गयी हूँ :-)
क्यूंकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ हैं :(
एक्चुअली पहली बार एक साथ इतनी सारी शादीयां देख रही हुँ 
सो बस थोड़ी सी एक्साइट हू ,हर पल खूशी से गा रा हैँ 
हम्म वैसे सही भी हैं कि मैं बावली हूँ 
क्यूंकि कभी-कभार मैं हद से ज्यादा खुश हो जाती हूँ तो 
कभी-कभार बेवजह अपनी खुशियों से मुँह मोड़ लेती हूँ :(
कभी-कभार किसी अपने को दुखी कर देतीं हू 
तो कभी-कभार किसी अपने की वजह से मैं बेहद दुःखी हो जाती हूँ :-)
खैर बात शादियों की हैं 
बहुत व्यस्त हूँ फ़िर भी वक़्त-बेवक़्त वक़्त से समझौता करके 
इस तीसरी दुनिया के लिए भी थोड़ा वक़्त निकाल ही लेती हूँ :-)
कल  मेरी पुरानी दोस्त सरोज मुवाल(चौधरी) की शादी थी 
सुबह के हालात ओर मेरे व राम के बिच क़ी नाराजगी को देखतें हुए 
मैं शादी में नहीं जाना चाहती थी पर मेरे पापाजी क़ी क़िसी बात 
को भला मैं कभी टाल सकती हू क्या ??
सुशील संग सरोज जस्ट वाओ……really they are made for each other...
सुशील जी बेहद sincere ,समझदार व् भले इँसान लगे मुझे :-)
हां कल मैने शादी के लिए कुछ बातें नोटिस की 
आफ्टरऑल किसी रोज हमारा भी तो नम्बर लगेगा 
हेहेहेहेहे.......इतनी बुरी भी नहीं होती हैँ शादी के बाद की दुनिया :-)
हां तो बातें यह हैं 
एक्चुअली जिस भी इंसान से शादी होगी  आइ जस्ट होप कि 
वो इंसान पहले मेरा यह ब्लॉग पढ़ लें कम से कम यह पोस्ट तो पढ ही लें :-)
हां तो जनाब आज तक मैंने शूज या फ्लैट चप्पल ही पहनीं हैं 
तो मेरे लाइक चप्पल लाने का ही कष्ट करें वरना 
कहीं सरोज की तरह मेरे कदम भी ना लड़खड़ा जायें 
वो जमाना गया जब इंसान की पहचान जूतों से होती थी समझेँ ??
प्लीज दुनिया के दिखावे से इतर मेरे बारे में भी सोचना और 
ड्रेस वैसी लाना जिसमें कम से कम वर्क हो ,जिसका वजन बेहद कम हो 
आपका रिश्ता मुझसे होगा ना कि कपड़ों से और इस दुनीया के दिखावे से ,हैँ ना ??
चूड़ियाँ हाहाहाहा लें आना जितनी चाहों उतनी मुझे बहूत पसन्द हैं :-)
प्लीज सोने से थोड़ी दूरी बनाकर ही रखना क्यूंकि मैँ अपनी नींद नहीं खो सकति :-)
हां बिच राहों में मेरा हाथ कहीं नहीं छोड़ना जैसे कि फेरों के वक़्त नहीं छोड़ोगे:-)
सच मैं हर चीज़ सह सकती हूँ पर अपनों से दूरियाँ नहीं :-)
अगर आप मेरे लिए अच्छे हो तो बेशक मैँ आपके लिए ऊससे कहीँ ज्यादा अच्च्छी बनकर रहूँगी :-)
हां मेरे पापा से दहेज मत लेना ना हाहाहाहाहा मुझे पढ़ा दिया काफि नहीं हैँ क्या ??
और डोंट वरी मैं खुद कमाकर अपना व अपनों का पेट भर सकती हूँ :-)
हां सरोज ने विदाई के वक़्त अपनी आँखों में एक आंसू तक़ नही आने दिया 
प्राउड ऑफ यू सरोज ,जिस दिन जरुरत हो तब मुझे भी इतनी सी हिम्मत दे देना प्लीज :-)
कुछ तो लोग कहेंगे ,लोगों का काम हैं कहना 
एक्चुअली हमारे यहाँ रस्म हैं विदाई के वक़्त रोने की सो :-)
हां अगर आपने कभी गांव की शादी नहीं देखीं हैं तो 
कर लीजिए मुझसे दोस्ती क्यूंकि मैं हू रहने वाली गांव क़ी 
तो आपको बुलाऊगी भी ओर गांव की शादी भी दिखाऊगी वक़्त आने पर :-)
अमेजिंग मोमेंट्स एक डीजे साउंड के पीछे……………देखेंगे तब समझेंगे :-)
उफ्फ पता नहीं मैं लिखते वक़्त भी ईतना गोल-२ क्यों घूम जाती हू ??

फाइनली लग रहा हैं इस पोस्ट को पब्लिश की जगह सेव कर देना चाहिए :(
हेहेहेहेहेहे :-)
नहीं बाबा अगर सेव कर दिया तो वो मेरा ख्याल कैसे रखेंगे ??

Wednesday 7 May 2014

ऐसा क्यों होता हैं....

जिंदगी को कभी भी सवाल-जवाबों में नहीं तराशना चाहिए 
हमेशा ऐसा क्यों होता हैं अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता हैं ??
जो मासूम लोग होते हैं खुदा उन पर अपनी रहमत बिखेरना क्यूँ भूल जाता हैँ ??
जो किसी का बुरा सोचते तक नहीं हैं उन्हीँ के साथ हमेशा बुरा क्यों होता हैँ ??
क्या किसी को बेवजह चाहना बुरा हैं ??
जिन्हें हम अपनी दुनिया समझते हैं वो ही क्यों हमारी दुनीया को जला डालते हैं ??
मैं उस खुदा से पूछना चाहती हू कि आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता हैं ??
मेरी तो ख्वाहिशें व उम्मीदें इस दुनिया के लोगों जितनी हैँ भी नहीं 
महज मैं खुश रहना चाहती हू ,कभी गलती से भी अपनों को हर्ट नहीं करना चाहती :(
मैं तो आपसे सोना-चांदी ,पैसे ऐसी भी कोई चीज़ नहीं मांगती हूँ 
मैं महज मेरी खुशियां मांगती हूँ ,महज अपनों के दिल में थोड़ी सी जगह मांगती हूँ 
हर अच्छा-बुरा तो मैं स्वीकार कर सकती ह पर आपको पता हैं 
मैं अपनों की नफरत बर्दाश्त नहीं कर सकती 
मैं अपनों के ओर मेरे बिच के फ़ासलें बर्दाश्त नहीं कर सकती 
मैं किसी की इग्नोरेंस नहीं सह सकतीं :(
राम आज तूने अच्छा नहीं किया 
हमेशा मैने तुझे अपना छोटा भाई समझकर व तेरी नासमझी को माफ किया हैं 
पर मैं भी इंसान हूँ जरुर तुझसे कम नॉलेज होगा मुझे 
पर मेरी जिंदगी बेस्ट वे में केवल मैँ ही जी सकती हू 
कभी ऐसा नहीं हुआ कि हम मिले और तुने मुझे रुलाया नहीं 
बचपना छोड़ दे ,अच्छा होगा 
मजबूरन कहना पड़ रहा हैं कि तू………
पापा ने बताया था कि गुस्से में भी कभी किसी को कोई कड़वी बात नहीं कहनी चाहिए :-)
बस इतना कहना चाहती हू कि मुझे जन्म से अफ़सोस रहा कि 
उस खुदा ने मुझे लड़की क्यों बनाया ??
अब प्लीज तु मुझे यह भी सोचने व कहने पर मजबूर मत कर 
कि आखिर मैं एक बहन क्यों हू ??
भाई के फ़र्ज़ नहीं निभा सकता तो कम से कम एक इंसान के फ़र्ज़ तो मत भूल ??
मुझे खुशियाँ तो दे नहीं सकता तो इतना सा रहम कर कि तेरि वजह से मेरि 
आँखों मे आंसू ना आये :(
छोटा हैं तो छोटा बनकर ही रह मुझे समझाने क़ी कोशिश मत कर 
बचपना अपने पास रख हर पल मुझे हर्ट करने से थोङा बाज भी आ जा भई 
बस इतना ही कि नहीं बनती तो मत किया कर मुझसे बात :(
कर दिया ना तूने मेरी खुशियो का कबाड़ा…………………


हुह ज़िन्दगी ऎसी ही हैं खैर यह नोंक-झोंक तो चलती रहेगी 
उफ्फ्फ………इस बार इतनी क्या शादियां हैँ हे भगवान :-)
हम्म अब तो भाई हम भी बिजी हैं कुछ दिन 
नाचना होगा ,गाना-बजाना होगा तो भला हम पीछे थोड़े ही ना रहेंगे ??
देखते हैं हम अब क्या नया लेकर आयेंगे :-)

Wednesday 30 April 2014

कुछ नए-पुराने दोस्त,....

कल लिखेंगे.............



7th मई 2014 -
उफ्फ अप्रैल भी खत्म हो ही गया ……
खैर हे भगवान कभी -कभार यह क्या हो जाता हैं 
आपको पता हैं ना मेरी कितनीं पोस्ट्स पेंडिंग हैं 
माफी चाहती हू कि वक़्त पर यह पोस्ट अपडेट नहीं कर पायी थी 
एक्चुअली मेरी तो कोई गलती थी ही नहीं 
मैं टाइप करके 1 st मई को ही अपडेट करने वाली थी कि………
खैर छोड़िए आप नहीं समझेंगे 
हां तो बात कर रहे थे कुछ नये पुराने दोस्तोँ की 
हुह नये दोस्तों से ना मुझे कोई उम्मीदें हैँ ओर ना ही कोई आशा 
और ना ही पुराने दोस्तों से कोई गिला-शिकवा हैं :-)
मैंने बचपन में कभी दोस्त नहीं बनाये या 
यू कह लीजिए तब मुझसे क़ोई दोस्ती करना ही नहीं चाहते थे 
कुछ बड़ी हुई कि मेरी किस्मत मुझे तेजास्थली में ले गयी 
तेजास्थली मिली ज़िन्दगी मिल गयी 
रिश्तों का मतलब समझ में आने लगा 
अपनापन क्या होता हैं यह जाना ,दुर जाने के बाद भी अपनों को दिल में जगह देना सीखा 
फिर बाहरवीं के बाद कुछ वक़्त रिंकू के साथ बिताया 
सच में उससे हर रिश्ते को सहजने की हिम्मत लेना चाहती हू :-)
किस्मत ने फ़िर अपना खेल खेला ओर ले गयी फ़िर से एक नये कॉलेज में 
जहां मेरे अपनों के चेहरे व नाम सब-कुछ बदल गये थे 
पर कमला नेहरू की कुड़ियों से मिलने के बाद मेरे सारे गिले-शिकवे दुर हो गये 
जिंदगी की सांसें उनके बिना अधूरी लगती थी 
यहाँ खेल खिलाड़ी सब बदल गये फ़िर भी खेलने में मजा आ रहा था 
पर कहते हैं ज्यादा प्रेम हानिकारक होता हैं 
यकीं मानिए अति हर चीज़ की बुरी होती हैं 
वक़्त के साथ मुझे फ़िर हर चीज़ से नफरत हो गयी 
दोस्तों से ,दोस्ती से व अपनेआपसे भी :(
इस बार मैंने अपने मन से कॉलेज चेंज किया था 
पर सम्भाल लिया ,अपने आपको समझा दिया था कि 
अब मैं अपनी जिंदगी में नये लोगों को बिल्कुल जगह नहीं दूंगी 
कुछ हद तक अपने आपको किताबों की दुनिया तक समेट लिया था 
कि एक दिन फ़िर से बिना इज्जाजत के वो मेरी जिंदगी मे आ गयी 
नाम किसी का भी ज्यादा महत्व नहीं रखता…………
आजकल अपनी जिंदगी को भी थोड़ा बदलनें का सोंचा हैँ 
सो देखो ना आज ही एक नयी फ्रैंड बनायीं हैँ 
हां अभी कुछ दिन पहले राना हॉस्पीटल गयी थीं 
तब भी तो एक नई फ्रेंड बनायीं थी पर अफ़सोस 
मुझे उसके नाम के अलावा उसके बारे मे सब-कुछ याद हैं 
वैसे ना आजकल दोस्ती थोड़ी संजीदगी के साथ करती हू 

याद हैं पहले दोस्त होते थे ना तब उनके नाम के सीवा 
उनके बारे में कोइ इन्क्वारी नहीं करते थे 
पर आजकल किसी के बारे में सब-कुछ जानने के बाद 
उन्हें दोस्त बनाते हैं 
अजीब हैं पर सच हैं :-)!!!!!

Sunday 20 April 2014

कुछ जोड़ना-घटाना नहीं हैं मुझे....

दुखी हू ,आहत हू किसी और की वजह से नहीं बस 
केवल अपनी ही वजह से :(
खफा हू, नाराज हू किसी और से नहीं 
बस केवल अपने आपसे व अपनी ही जिंदगी से :(
चलो बहुत भागे अपनों के पीछे व उनके रिश्तों के पीछे 
अब थोड़ा ठहर जाते हैं कुछ रिश्तों के धागे  क्यों ना अपने 
दिल व मन से बांधे जाए अच्छा हैं ना यह हमें कभी अकेला भी नहीं छोड़ता :(
परवाह बहुत कर ली अब थोड़े बेपरवाह हो जाते हैं 
क्या मिल जाएगा महज किसी से बात करने से ??
कौनसी सांसें रुक जाएगी किसी से चैट ना कर पाने से :(
कौनसी आफत आ जाएगी किसी के दर्द ना बाँटने से ??
हम क्या किसी के महज राह ना बताने भर से ही अपने सफर को थाम देंगे ??
कौनसा किसी के मिलने से जिंदगी भर की राहत मिल जायेगी ??
उसकी यादों के सिवा भी तो बहुत बहाने हैं अपने आपको व्यस्त रखने के :-)
यक़ीनन जब तक हम अपनों को जताते रहेंगे उनकी अहमियत 
तब तक वो हमें आजमाते रहेंगे :(
आजमा भई आजमा.......हम तो चिकने घड़े से भी ज्यादा चिकने हैं 
कोई फर्क नहीं पड़ने वाला हमें :(
लगता हैं दिल ,दोस्ती और डांस यह तीनों ही चीज़ें 
मेरी सेहत के लिए कुछ ज्यादा ही हानिकारक हैं 
मुझे समझ में नहीं आता मैं ऐसी क्यों हू ???
सच्ची मैं बेमतलब की बातों को भी कितना दिल से लगा बैठती हू >??
मुझे अपने आप पर बेइंतहा गुस्सा आता हैं 
मन करता हैं अपने आपको ही पिठू  :(
रिश्तों का मतलब तक नहीं समझती हु ,इवन मुझे तो आज तक अपनी 
जिंदगी का मतलब भी समझ में नहीं आया ??
कुछ पुराने लोगों को फिर से पाना चाहती थी और 
नए लोगों से रिश्ता जोड़ने में बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था 
पर हैं खुदा मुझे माफ कर दो ,प्लीज मुझे बक्श दो 
मैं अकेली खुश हू मैं अकेले जी सकती हू 
मेरी जिंदगी में अब दोस्तों और अपनों के लिए कोई कोना नहीं हैं :-)
बस एक कोने को तो सेफ रहने दो वरना 
उस इंसान को मैं जगह कहाँ से दूंगी ??
और आपको तो पता हैं ना दिल के मामले में मैं बहुत कच्ची हू 
सो उसके लिए किसी और के दिल का कोना उधार तो बिल्कुल नहीं ले सकती :-)
फाइनली लगता हैं अब शादी हम्म……………
कुछ समाज का भी सोचा जाना चाहिए 
क्या डरना रीति-रिवाजों  से ??
क्यों दूर भागना दुनिया की रस्मों से ??
क्यों तकलीफ देना अपनों को??
क्या डरना अपनी सवतन्त्रता के खो जाने से 
जन्म और मृत्यु सबके लिए समान होती हैं तो 
भई जिंदगी जीने का तरीका तो अलग होना ही चाहिए ना :(
पेरेंट्स ने कुछ सपोर्ट क्या किया मैं तो अपने आपको 
झाँसी की  रानी ही समझने लगी ??
अरे भई सपने केवल सोते वक़्त देख ले वो ही काफी हैं ??
उफ्फ ……in short jst i wanna say that-
मुझे ना ही आजादी चाहिए और ना ही कोई बगावत करनी हैं इस इंसानों के जहाँ में :-)

Saturday 19 April 2014

कुछ अपने बहुत याद आते हैं....

हैलो नानीजी ,
                      राम जी राम……लव यू अ लॉट :-)
आज ठीक पाँच साल बाद भी आपकी सारी यादों को मैंने अपने 
दिल के किसी एक खूबसूरत से कोने में बहुत अच्छे से सहेज के रखा हैं :-)
याद हैं मुझे 19th अप्रैल 2009 को मुझे बस स्टैंड से लाते 
हुए पापाजी ने बताया था कि सरिता अब तेरे नानीजी नहीं रहे :-)
एक ही पल में मुझे बहुत गहरा धक्का लगा था पर पापाजी मेरे 
साथ थे और उनसे ज्यादा अच्छे से भला मुझे कोई जान सकता हैं क्या ??
उस साल के बाद हर साल 19th अप्रैल के दिन मैं आपके नाम का 
एक पत्र लिखकर अपने पास रख लेती हू 
कुछ दिल की बातें बता देती हू आपको तो कुछ बातों के लिए आपका शुक्रिया अदा कर देती हू :-)
आज तक मुझे किसी चीज़ के खो जाने का दुःख नहीं हैं 
लेकिन आप मुझे छोड़कर चले गए इस बात का मुझे बहुत अफ़सोस हैं :(
आज तक जो लिखा उसमें से ही कुछ.............
(१)-19th अप्रैल 2010-
आपसे मैंने अपनी ही जिंदगी के बारे में जिकर किया था 
कुछ अपनी फ्रेंड्स के बारे में बताया था 
फर्स्ट ईयर में खूब सारी मिली थी ना सो 
जिनमें से सबसे ज्यादा जिक्र रिंकू का था :-)
(२)-19th अप्रैल 2011-
आपके गुजरने के बाद के बारह दिनों का जिक्र था 
"दुश्मनों से हो जाएगा प्यार ,
दोस्तों को आजमाते रहिए :-)"
नानीजी मुझे आपकी बहुत याद आती हैं 
जब आप चले गए तो अपनी इन यादों को पीछे क्यों छोड़ा ??
प्लीज इन यादों को बोलो मुझे आपकी याद ना दिलाए 
क्यूंकि जब मुझे आपकी याद आती हैं तब यह बड़ा रुलाती हैं :(
(३ )-19th अप्रैल 2012-
2012 वाले पेपर्स मिले नहीं हैं..........
(४)-19th अप्रैल 2013-
नानीजी मैंने जिंदगी के हर मोड़ पर आपको अपने साथ पाया हैं 
पिछले साल १९th अप्रैल के दिन नवरात्रा थे सो मैंने 21st अप्रैल को आपको लिखा था 
देखो आखिर याद आने की भी हद होती हैं 
अपनी यादों को बोला करो मुझे गाहे-बेगाहे यू ही परेशान ना किया करे 
हम तनहा ही अच्छे :(
लव यू सो मच मिस यू अ लॉट :-)


हम्म यह कुछ बातें थी पुराने जरोखे की 
और आज तो पुराना ही काफी हैं शायद 
कहा जरुरत हैं कुछ नया लिखने की :-)


life can give us beautiful relations but
only true relationship can give us beautiful life...:-)

Wednesday 16 April 2014

कितने पास.....??

जब भी मेरा ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन करता हैं 
तब पहले उस पोस्ट को मैं अपने रफ़ रजिस्टर में नोट करती ह 
फिर उसे एक-दो बार पढ़कर सोचती हू 
हां अब ठीक हैं तब अपडेट कर पाती हू 
पर जब मैंने अपनी सारी पोस्ट्स देखि तब मुझे लगा कि 
वो पोस्ट्स ज्यादा अच्छी/बेहतर थी जिन्हें मैंने बिना सोचे-समझे लिखा 
सोच-समझकर लिखी गयी पोस्ट्स के बारे में तो ऐसा लगा 
जैसे की चेहरे पर मेक अप का नकाब चढ़ा दिया गया हो 
हां भई मान गए फीलिंग्स नाम की भी कोई चीज़ होती हैं :-)
मेरा जीवन भटकती आत्मा जैसा हैं और मेरे विचार हेहेहेहेहे..........
आप भी ना अब अपनी प्रंशसा भला कोई खुद भी करता हैं क्या :-)
खैर आप बताइये आप किसी के करीब जाने में डरते हैं या नहीं ???
अब आप यह क्यों सोच रहे हैं कि कौन आपके करीब हैं और कौन नहीं ??
चलिए अब मुझे भी विश्वास हो गया कि केवल मेरे ही विचार नहीं भटकते हैं 
यह तो बस प्रकति का नियम हैं :-)
चलिए मैं बताती हू भई सच हैं मैं तो किसी के करीब जाने में बहुत ज्यादा ही डरती हू 
और दूर जाने में तो उससे भी कहीं ज्यादा पर दूरियों में थोड़ा सुकून नजर आता हैं 
सोचो भला कितने दूर ,कितने पास................
नजदीकियां- किसी से पहरों बातें करना और फिर उसी के ही ख्यालों में खो जाना 
भले ही वो इंसान हमसे हजारों किलोमीटर दूर बैठा हो फिर 
भी इन फासलों के बाद भी वो दिल के किसी एक कोने में बेहद करीब नजर आता हैं :-)
उसकी प्यार भरी कही गयी किसी एक बात का एहसास ही काफी होता हैं हर पल मुस्कुराने के लिए 
उसकी एक प्रंशसा काफी होती हैं अपने आपसे प्यार करने के लिए 
उसका वक़्त पर जवाब दे देना ही बहुत होता हैं अपने आपको व्यस्त रखने के लिए 
हमारी हर नाराजगी की दवा होता है उसका कॉल या एक मैसेज 
उफ्फ………………मन लफंगा बड़ा करे अपने ………………………
बहुत बेसुरी आवाज हैं मेरी इसलिए अपने लफ्जों को दफ़न कर दिया 

व्यवधान ………………………
हम्म अर्द्वीराम लगे तो वो बात तो समझ में आती ही हैं पर यहाँ तो 
जिंदगी पर पूरा विराम ही लग जाता हैं 
सलवटें सँवारी ही नहीं जाती मुझसे तो 
कहने का मतलब………………नहीं नहीं यह बात कहने की नहीं महज 
मेरे समझने के लिए ही हैं :-)
अब सोचो भला दूरियां, फासले, नजदीकियाँ इन्हें 
मेरी जगह तो मैं ही समझ सकती हू ना और भला लिखने से तो 
शब्द हैं भाई क्या पता जो दूरियाँ बढ़ाये 
शायद वो कुछ कम भी कर दे 
खैर जानती हू मैं कायर, कमजोर, बुझदिल व डरपोक लोगों के लिए यह बातें 
कोई मायना नहीं रखती और वो तो जन्म से ही…………हम्म 
यक़ीनन लग रहा हैं की आज की पोस्ट में दिल और दिमाग 
दोनों को ही मैंने जरा सी भी तकलीफ नहीं दी हैं :-)

Monday 14 April 2014

दिल चाहता हैं.....

हम्म पता हैं मेको यह तो किसी मूवी का नाम हैं 
उफ्फ डर लग रहा हैं पता नहीं मैंने किसी का टाइटल क्यों चुरा लिया 
हाहाहा………एक्चुअली वो आपकी समझ हैं 
आजकल के लोग ना मुझे समझ में नहीं आते 
सभी एक-दूसरे को चोर साबित करने पर तुले होते हैं ना सो 
अब देखिए भई विचार तो आखिर विचार होते हैं 
और इंसानों के विचार मिलने से ही तो यह दुनिया और हसीं होती हैं 
वरना विरोध तो तबाही ही हैं 
इसलिए आजकल लिखने का मन कम ही करता हैं 
क्या पता कोई पोस्ट लिखू और किसी के विचारों से मिल जाए तो ????
देखिए यह मेरी आदत ना पता नहीं कब जाएगी छोड़िए हम क्यों करें फ़िक्र :-)
कल एक बार फिर देखि दिल चाहता हैं मूवी 
देखने कि वजह यह थी की इस मूवी को बहुत पहले देखा था 
तब मतलब भावनाएँ कम और शब्द मुझे ज्यादा समझ में आते थे 
तो एक दिन बातों-२ में हम मूवीज कि बातें करने लगे 
मैंने कहा मुझे दिल चाहता हैं मूवी बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी 
उसने कहा फीलिंग्स होती तो समझ पाती :(
देट वॉस अन अमेजिंग मूवी..........
मुझे उसके शब्द चुभ गए व कुछ दर्द दे गए 
हाऊ कैन यू say देट कि आई एम फ़ीलिंगलेस व्हाट डू यू थिंक अबाउट me ????
पता नहीं इस छोटी सी बात पर मैं कितनी देर तक बड़बड़ाती रही :(
सुनो यू आर राइट यस यह दिल चाहता हैं वॉस अन अमेजिंग मूवी :-)
अब कुछ तो गुस्ताखियाँ तूम करो 
भावनाओं को समझते हो ना तो तुम क्यों नहीं समझते मेरे दिल की बेजुबां आवाज को 

उफ्फ बिना दिल के कहे कुछ लिखा वी नहीं जाता :-)क्यूंकि आज यह दिल तो कुछ नहीं चाह रहा हैं……
चलो पब्लिश करने में तो क्या हैं ड्राफ्ट में इन्हें क्यों कैद करू ??

Wednesday 9 April 2014

....कुछ मिलता सा हैं मेरे जीवन से :-)

एक दिन शाम बेहद ही उदास थी भविष्य की आकांक्षाओं व चिंताओ ने आ घेरा 
सो वक़्त व माहौल भी बदल गया था ,मैं थोड़ी संजीदा हो गयी थी 
माँ ने मेरा चेहरा पढ़ते हुए कहा बता दो हमें क्या फ़िक्र हैं ??
मैं उस खुदा का शुक्रिया अदा करती हू अपनी हर साँस में मुझे इतने 
अच्छे पेरेंट्स देने के लिए……जिनकी तारीफ के लिए मेरे  पास शब्द नहीं हैं :-)
वरना लोग चेहरा तो दूर की बात हैं कहे गए शब्द भी नहीं समझ पाते हैं :(
फिर पापाजी ने पूछा आजकल काफी परेशां रहती हो 
बताने भर से भी मन हल्का व आदि समस्या हल हो जाती हैं कह दो क्या टेंशन हैं ??
मेरी आँखें बरस पड़ी ,बहुत अधिकार जता देती हू मैं नाराज हो जाती हू 
अगर वो मुझे बुरे के लिए टोके तो जबकि मेरे हालातों व मेरे हर लड़खड़ाते 
कदम पर केवल वो ही तो लोग मुझे सहारा देते हैं ,मुझे सम्भालते हैं :-)
कुछ देर रोने के बाद मैं बोली -
पापाजी मैं बाकि लड़कियों की तरह नहीं जीना चाहती हू 
मेरा केवल एक यही सपना नहीं हैं कि बस केवल एक अपना परिवार हो और उम्र कट जाए 
मैं केवल इतना ही नहीं सोच सकती कि मुझे तकलीफ नहीं हैं मीन्स सारी दुनिया भी खुश हैं 
मैं अपने दम पर जीना चाहती हू ना कि दूसरों के कंधो पर 
मैं चाहती हू लोग मेरे मरने के बाद भी मेरी जिंदादिली को याद रखे 
वरना पनपते और टूटते तो पेड़-पौधे भी हैं :(
पापाजी आप भी जानते हैं कि जिस उम्र में लड़कियाँ बहकने सी बातें करती 
हैं उस उम्र में मैंने सब मुसीबतों को झेलना सिखा 
अपने आपको हर पल सम्भाले रखने की कोशिश की और कभी चुपके से आपने गिरने से बचा लिया 
जिस उम्र में लड़कियाँ कुछ वक़्त सजने-संवरने में बिता देती हैं 
उस उम्र में मैंने अपने आपको दुनिया की सोच ,फिकर ,कुछ लिखने की 
ज़िद्द में व्यस्त किया कि मुझे अपनी शक्ल याद ही नहीं रही :-)
जिस उम्र में लड़कियों पर अंगुलियाँ उठायी जाती हैं 
उस उम्र में मैंने अंगुलियों के पेरवे तक तो अपनी तरफ नहीं उठने दिया 
उल्टा परशंसा पाने के बाद भी मैंने उन्हीं अँगुलियों पर कुछ लिखा 
क्यूंकि वो अंगुलियां मेरी तरफ नहीं उठती हैं तो क्या हुआ 
मेरे जैसी ही मासूम बच्चियों पर तो उठती ही हैं :-)
जिस उम्र में किसी राजकुमार के सपने संजोये जाते हैं 
उस उम्र में मैंने कुछ अच्छा काम करने के सपने देखे हैं :-)
आप भी जानते हो कि मैंने कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ खोया व छोड़ा हैं 
पर मुझे कोई अफ़सोस नहीं हमेशा बस मेरी तो चाहत केवल इतनी ही रही
 कि कोई नेक काम किया जाए etc ................\
हूह उस दिन पहली बार पापाजी को जो मन में आया वो बताने में कामयाब हो पाई 
वरना आज तक मेरी सारी बातें वो केवल दो कागजों में ही पढ़ते थे 
जब-२ इच्छा होती हैं मैं उन्हें पत्र लिखने का ही काम करती हु 
हिम्मत आ गयी थी इस बार इसलिए बोलकर ही बता दिया था वाओ:-)
अब मन थोडा हल्का हो गया था ………
पापाजी ने कहा मैं केवल इतना चाहता हू कि तुम हमेशा खुश रहो 
मैं तुम्हारे चेहरे पर उदासी की शिकन तक नहीं देखना चाहता :-)
बहुत-२ आभार पापा ………बस यू ही वक़्त-बेवकत हमेशा मेरे साथ रहिए !!!

Tuesday 8 April 2014

उसकी शरण में.....

देखिए शरण ना ही पतियों की अच्छी होती हैं और ना ही प्रेमियों .............
खैर मैं तो उस ऊपर वाले की शरण की बात कर रही हू :-)
हम्म.......अगर आप आस्तिक हैं और आपको सच्चे सद्गुरु मिले हैं 
तो यकीं मानिए आप इस दुनिया में सबसे लकी हैं !!!!!
रामसभा में पिछली साल नवरात्रा पर नौ दिन तक शिमरण ही रखा गया था 
इसलिए इस साल के नवरात्रा का भी मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी :-)
और 31st मार्च को वो दिन आ ही गया था 
उफ्फ............11 से 2 बजे तक तो टोपोलॉजी का पेपर था खैर उस दिन का मूड व दिन दोनों 
ही अच्छे बीते सो पेपर भी ठीक ही जाना था 
शाम को पापाजी ने पूछा रामसभा जाना हैं अहा मैं भला मना कैसे कर सकती थी 
जाना तय हुआ ,मुझे लगा इस बार भी पिछले साल की तरह ही मेरा तो 
घर से रामसभा और रामसभा से घर तक का आना-जाना लगा रहेगा 
पर यू लगा वहाँ पर जाने के बाद किसी ने गोंद से ही नहीं 
शायद फेवी स्टिक से ही चिपका दिया होगा तभी तो अब आज घर पहुँच पाई हू :-)
खैर इस बार के नवरात्रा अब तक के नवरात्रा में से बेस्ट रहे :-)
कुछ चीज़ें मिस हुई जैसे कि वहाँ यादों का इडियट बॉक्स नहीं सुन पाती थी 
अपना जीमेल चेक नहीं कर सकती थी ,किसी का ब्लॉग नहीं पढ़ पाती थी 
इवन अपने भी ब्लॉग की खबर नहीं थी 
राजस्थान पत्रिका हाथ में लेती और बात-करामात कभी कभार पढ़ना भूल जाती 
तो भूल जाओ कि फिर से न्यूज़ पेपर मिलेगा भी क्या ????
खैर आज माँ का फ़ोन चेक किया कुछ लोगों के मैसेजस मिले 
कुछ कॉल्स भी हां कुछ मेल्स भी मिल गयी 
चलिए भई खुश हैं अभी भी कुछ तो लोग हैं जो हमें याद करते हैं :(
उफ्फ फिर से नकली दुनिया की बातें करने लगा हैं यह बावरा मन 
सबसे बेस्ट बात थी कि रामसभा में किसी के चेहरे पर नकाब नहीं होता हैं 
सब दुनिया की सच्चाई से बहुत ही अच्छे तरीके से रुबरु हो जाते हैं 
"हंसा रे हंस-२ मिठोई बोलणो ,जग में जीवणो थोड़ो भलाई लेवणो ":-)
मैंने खुशियाँ ढूंढी थी बच्चों में कैसे मुझे वो मना रहे थे जब मैं उन सबसे नाराज हो गयी थी 
उनके साथ होती थी मैं जब भी तब अपनी समझदारी वाले टैग को 
एक तरफ रख देती थी तथा मैं उनसे भी ज्यादा बेवकूफ बच्ची बन जाती थी :-)
वहाँ रहने पर पता चला मैं कितनी स्पेशल हू यू ही खामखां खुद को कोसती रहती हू 
मेरी खाना परोसने की अदा सबके दिल में कैसे घर कर गयी थी ना ????
सब ऑन्टीज मेरा कितना ख्याल रखते थे ……
कितनी अच्छी आदतें हो गयी थी उठते ही संता को प्रणाम करना 
और फिर सभी रामस्नेही लोगों को राम जी राम बोलना :-)
अब लगता हैं अपने भगवानजी के लिए भी एक स्पेशल ब्लॉग होना चाहिए :-)
बस थोड़ा और इंतज़ार…………
जितनी ख़ुशी मिली रामसभा में उससे कहीं ज्यादा सकून भी 
पापाजी थैंक यू :-)
यकीं मान लीजिए सबसे बेस्ट शरण बस केवल परम पिता परमेश्वर की ही होती हैं :-)

Saturday 29 March 2014

मेरी साँसें ,उसकी जिंदगी :-)

आज अक्षिता ,राज के साथ कुछ सालों पहले के फोटोज को देख रही थी 
कि उन्हें देखते हुए उसकी आँखें नम हो गयी थी ,
जो उसने एक दिन उसी नदी के सहारे राज के साथ क्लिक किये थे 
जहाँ एक दिन राज ने अपनी जिंदगी के सबसे अहम् पलों को अक्षिता से शेयर किया था 
जहाँ उसने अक्षिता को अपना जीवनसंगिनी बनाने का सपना देखा था 
कुछ यादों को समेटा था मन में ,उसने राज को फिर से एक नयी जिंदगी दी 
कुछ पुरानी यादें उसके जेहन में उभर आयी थी 
उसे याद हैं कैसे राज ने आज से चार साल पहले शाम के वक़्त कॉल करके 
उसने हल्के मन से कहा सुनो कल घूमने चले क्या ???
शायद यही सोचा होगा कि मैं मना कर दूंगी :-)
पर मेरे पास कोई वजह ही नहीं थी उसे मना करने की 
चिलमिलाती सी तपती धुप में भी निकल गयी थी मैं उसका साथ पाने के लिए :-)
कुछ दोस्त मिल बैठते हैं तब जिंदगी खुद-बेखुद अपनी कीमत बहुत बढ़ा लेती हैं 
इस बात का पता भी मुझे उसी वक़्त चला जब हम सब ख़ुशी से झूम उठे थे !!
अक्सर परिंदो सी उड़ती चली जाती मैं बिना यह सोचे कि अगर वो मुझसे पीछे रह जायेगा तो उसे कितनी तकलीफ होगी ??
और वो भी पागल कभी बयां ही नहीं करता कि मैं उसके लिए कितनी जरुरी हु :-)
मैं उससे आगे बढ़ ही रही थी कि उसने अपना अधिकार भाव जताते हुए 
उस दिन पहली बार मेरा हाथ अपने हाथों में थामते हुए बोला रुको ना 
हमेशा मुझसे आगे रहने की ज़िद्द हैं क्या ???
कभी थोड़ा मेरे साथ भी सुस्ता लो भई क्या पता कल को हमारा साथ भी नसीब ना हो :(
यह कहते हुए हम दोनों उसी नदी के किनारे बैठ गए थे 
कुछ देर दोनों की खामोश निगाहें ही काफी थी हालातों को बयां करने के लिए :-)
वो नदी ,उसका साथ और मेरा खाली मन………उफ्फ..........
कुछ देर हम दोनों खामोश रहे फिर उसने चुप्पी को तोड़ते हुए कहा -
मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हू :-)
उफ्फ मेरी तो साँसें ही थम गयी थी ,कितना डरती थी मैं इस पल से पर आखिर अब मुझे उन पलों का सामना करना ही था ,मन में विचारों की बहुत उथल-पूथल मची हुई थी 
क्या मेरे प्यार को इतना सस्ता समझ लिया हैं ना फूलों का गुलदस्ता लाया हैं और ना ही कुछ और ???
कि उसकी बातों को सुनने के लिए अपने विचारों को थोड़ा आराम दिया :(
तुम सोचती होगी कि मैं ऐसा क्यों हू ???अक्सर मैं क्यों अपने आपसे ही उलझ जाता हू ??
आखिर तुम मेरे बारे में जानती ही क्या हो ????
तुमने तो मुझे राज नाम यू ही दिया होगा पर सच में मेरी इस जिंदगी में बहुत गहरे राज भी हैं जो तुम बिल्कुल भी नहीं जानती.......तुमने महज एक हँसते हुए चेहरे को देखा हैं तुम्हें अंदाजा तक नहीं हैं कि इसके पीछे कितने गम ……तुम सोच भी नहीं सकती कि मेरी इन ऊंचाइयों के पीछे कितनी ठोकरें हैं जिन्होंने कभी मुझे गिराया ,कभी बहकाया ,कभी लड़खड़ाया तो कभी बेहद रुलाया हैं :(
मैंने कभी अपना बचपन नहीं जिया हैं ,तुम सब लोगों के पास अपना बचपना सहेजकर रखा हुआ हैं 
कैद करके रखा हैं उसे तस्वीरों में पर मेरे पास सिवाए कुछ धुंधली सी यादों के कुछ भी तो नहीं हैं :(
उम्र के सबसे मुश्किल पड़ाव पर जब सब लोग अपनी समस्याओं को अपने पापा के 
साथ बैठकर सुलझा लेते हैं मेरी जिंदगी का वो पड़ाव भी मैंने अकेले ही पार किया हैं 
नहीं थे इस दुनिया में मेरे पापा मेरा हाथ थामने के लिए ,मेरे लड़खड़ाते कदमों को सहारा देने के लिए ;(
मेरी जिंदगी इतनी बेरंग सी हैं उसमें तुम्हें ब्लैक एंड वाइट कलर भी कहीं नजर नहीं आएगा ;(
वो खुदा शायद जिसने मेरी खुशियाँ ही किसी और की झोली में डाल दी हैं 
वो मेरी परीक्षा लेने से कभी बाज ही नहीं आता हैं देखो ना तुम मिल गयी तुमसे प्यार हो गया 
सब-कुछ भुला दिया उसकी हर खता को माफ कर दिया क्यूंकि उसने तुम्हें मुझे दे दिया 
कोई गिला-शिकवा नहीं रहा तुम्हारे साथ ख़ुशी-२ पूरी उम्र काट देना चाहता था 
पर अब वादा करो कि तुम मेरे बिना भी उसी जिंदादिली से जिओगी जैसे कि तुम जीना चाहती हो ??
मेरे ना होने से भी तुम्हारी जिंदगी व इन खुशियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा :(
कसम हैं तुम्हें मेरी कि तुम हर पल मुस्कुराओगी 
गमों के सायों को कभी भी अपना दरवाजा तक नहीं खटखटाने दोगी ???
बहुत कोशिश कि ,तुम्हें बहुत हर्ट भी किया ताकि तुम मुझसे नफरत करना सिख जाओ 
मैं बुदबुदाई पर तुम यह सब क्यों कह रहे हो ??बहुत सारी आंशकाएं मन में घर करने लगी थी :(
उसका दर्द उसके आंसुओं में बह गया व उसके शब्द बिखर गए थे मुझे…… कैंसर  … हैं....... 
भरी आँखों व दबे पावों से चल पड़ी थी बिना कुछ सोचे व समझे 
कि तभी राज ने फिर से हाथ थाम लिया था मत जाओ ना :-)
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा नदी के किनारे बैठने से समस्या हल नहीं हो जायेगी 
तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हें छोड़कर जा सकती हू या तुम्हारे बिना जी सकती हू ??
मैंने राज के लड़खड़ाते कदमों को थामा और यह जताया कि अब तुम्हें सम्भालने के लिए मैं हू ;-)
कुछ दुआओं का असर व कुछ दवाओं और शायद कुछ प्यार का भी कि राज कुछ वक़्त बाद बिल्कुल ठीक हो गया सांसें व उम्र को एक-दूसरे के लिए बाँट लिया हम दोनों ने :-)

Wednesday 26 March 2014

इंटरनेट की दुनिया......

कल मन थोड़ा भारी सा था व कुछ बेचैनियों ने मुझे आ घेरा था 
मन व दिमाग विचारों के मामले में कल दोनों ही शांत हो गए थे 
अक्सर जो कि एक-दूसरे से उलझ जाया करते हैं पर कल दोनों ही चुप थे 
शायद कोई ज़िद्द भी नहीं थी .......... कि तभी मैंने सोचा आज किसी ऐसे इंसान को याद किया जाए जिससे बात किये हुए साल दो साल हो गए हो 
माँ का फ़ोन हाथ में लिया सारे कॉन्टेक्ट्स चेक किये कि मेरी आँखों के सामने प्रीति के नंबर 
आ गए डायल किये कि आवाज आयी यह नंबर स्विच ऑफ हैं कि मुझे याद आया हां 
उसे पोस्टिंग भी तो झाँसी मिली हैं सो शायद नंबर चेंज कर लिए हो :-)
खैर मोबाइल को एक तरफ रखते हुए लैपटॉप को देखने लगी 
कुछ देर बाद सोचा जीमेल चेक किया जाए उफ्फ कुछ भी तो नहीं हैं इस दुनिया में भी 
एक-दो लोग थे जीमेल पर जो दिल के बेहद करीब हैं पर बाबा महँगाई बहुत हैं 
तो लोगों के भी तो भाव.......... आहा मैंने कब कहा कि बढ़ गए हैं ,एक्चुअली समझती हू 
वक़्त नहीं मिल पाता हैं और मेरे अलावा भी तो बहुत लोग हैं इस दुनिया :-)
जीमेल को बंद करके सोचने लगी उस वक़्त को जो महज मैंने इंटरनेट पर ही बिता दिया या ……… 
2009 में जब बाहरवीं कक्षा में थी तब इंटरनेट की अबीसीडी भी नहीं आती थी 
धीरे-२ कुछ सिखा पर कभी ज्यादा लगाव नहीं हुआ इस दुनिया से 
कि फाइनल इयर (2011) में आते ही इंटरनेट का जादू मेरे सर चढ़कर बोला था 
वो पल बेहद याद आये जब मैं ,प्रीति और सरोज तीनों एक ही जगह बैठकर एक-दूसरे 
की फेसबुक दुनिया को साझा करते व कमेंट्स करते जाते……… उस वक़्त................हम्म :-)
फेसबुक एक नया जरिया मिल गया था मुझे अपने दर्द व गम को थोड़ा कम करने का 
बेशक अगर उस वक़्त मुझे वो दुनिया नहीं मिलती तो मुझे नहीं पाता मेरा क्या होता :(
कॉलेज से रूम ,रूम से कॉलेज तक की अपडेट भी फेसबुक पर होती थी :-)
यक़ीनन आज तक सबसे ज्यादा प्यार व बेइंतहा केवल मुझे अफबी से ही हुआ :-)
अक्सर ऐसा मेरे अपने कह दिया करते थे ………  पापाजी कितने सॉकड हुए थे जब उन्होंने मेरी प्रोफाइल देखि व उसमें ऐड 800 लोगों को.......... हा …हा …… तो दिसंबर 2012 में मैंने उन्हें भी अपनी आईडी बनाने का सुझाव दे डाला तथा ना जाने किस-किसकी आईडी को दिखाया था जिसमे मुझसे भी ज्यादा फ्रेंड्स ऐड थे ;-)
खैर मेरा सुझाव तब और ज्यादा उन्हें जरुरी लगा जब वो अशोक जी सर से मिलकर अभिनव राजस्थान अभियान के बारे में इंफॉर्मेशंस लेकर आये.…हूह पापाजी की फ्रेंड लिस्ट में भी पहला नाम मेरा ही होना था और जरुरी भी था सो इस शुभ काम को मैंने उनकी प्रोफाइल अपडेट करते ही अंजाम दे दिया :-)
उनके भी इस दुनिया में आते ही कैसे मेरी दुनिया छोटी हो गयी थी जानती हू मैं 
फ्रेंड्स के नंबर 800 से लुढ़क कर सीधा 186 पर रुके थे पर मुझे उन्हें अनफ्रेण्ड करने में कोई ग्लानि नहीं हुयी थी पता हैं मुझे उल्टा उस दिन मन हमेशा की बजाए थोड़ा ज्यादा खुश था :-)
फिर आया वो भी दिन 21 जून 2013 जिस दिन मैंने अपनी आईडी को डिलीट करने का फैसला कर लिया था 
वैसे मैंने इससे पहले भी ना जाने अपनी आईडी को कितनी बार डीएक्टिवेट व डिलीट किया  होगा पर हमेशा मेरी नाराजगी ज्यादा देर तक नहीं रह पाती थी फेसबुक से और मैं कुछ देर फिर लौट जाती थी उस दुनिया में पर उस दिन ना जाने क्यों …… खैर कोई कारण भी नजर नहीं आया मुझे लेकिन अपनी पागलपंती ही बहुत थी उफ्फ …आईडी के डिलीट होने के बाद उन लोगों का ख्याल आया जिनसे बिछड़ गयी थी 
मैंने सोचा देख लिया जाए कौन कितना याद करता हैं कौन मुझे ढूँढता हैं 
खैर उस वक़्त ने इस दुनिया की सचाई से बहुत अच्छे से रुबरु करवा दिया बता दिया कि यह दुनिया या किसी की जिंदगी ना ही अपनी वजह से चलती हैं और ना ही अपनी मोहताज हैं 
मैं आज भी ठहरी हू उन पुराने लोगों या यू कहू अपनों के साथ व उनकी यादों के साथ 
पर कोई ना आया जो मुझसे पूछता तुम क्यों ठहरी हो ???
क्यों दूसरों के लिए ख्वाब सजा रही हो ????
खैर मैं भी जिसके बिना रह नहीं पाती थी उससे बहुत दुरिया बढ़ा ली मैंने (
अब लोग पूछते हैं मैं फेसबुक पर क्यों नहीं हू हूह नहीं हू बस मेरी इच्छा …… हेहेहेहेहेः -)
समझा करो बाबा वहाँ भीड़ बहुत हैं और मुझे अकेले ही रहना व जीना पसंद हैं 
तभी तो आजकल मैंने  अपना आशियाँ भी उसके दिल को छोड़कर कहीं और बसा लिया हैं 
क्यूंकि वहाँ बाहरी लोग आकर अपना अधिकार जमा बैठे हैं 
और जन्म से ही हममें तो त्याग की भावना कुछ ज्यादा ही हैं सो 
हम उन्हें छोड़कर फरिश्ता बनकर आ बैठे हैं यहाँ ;-)
आजकल जीमेल व ब्लॉग की दुनिया भी ………हेहेहेहे मैंने कब कहा अच्छी नहीं लगती ????
इस भौतिकवादी दुनिया पर मुझे जितना गुस्सा आता था अब उससे कहीं ज्यादा ……
खैर जो भी हो लव टू दिस .......... :-)