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Tuesday 24 May 2016

सगाई मुबारक!!

दो हँसते, मुस्कुराते चेहरे....स्टेटस सगाई हो गई हैं हमारी...खूब सारे लाइक और ढ़ेर सारे कमेंट.....मैं कुछ पल वो फोटोज निहारती रही....फिर उस लड़के की फोटो को गौर से देखा, सच में वो खुश था, बहुत खुश था.....मुझे याद आई उसकी वो ज़िन्दगी जब वो एक अनजान लड़की को बेइंतेहा चाहने की बातें करता था, जब वो उसे ढेरों सपने दिखाता था, जब वो दोनों सबको बताते फिरते थे कि हम रिलेशनशिप में हैं और शादी भी करने वाले हैं....मुझे यकीन नहीं हुआ वक़्त यूँ करवट बदल लेता हैं, रिश्ते पल में यूँ बदल जाते हैं, इन्सान यूँ मजबूर व लाचार होता हैं....कैसे दोनों ने अपने रास्ते अलग किए होंगें....कैसे समझाया होगा अपने मन को, मेरे लिए तो यह सब कभी आसान ही नहीं हुआ तो मुझे उन लोगों के लिए भी सब मुश्किल ही लग रहा था!!
उफफ्फ्फ्फ़....फिर मैंने खुद को समझाया यही तो हैं दुनियादारी मन में कुछ और बाहर अपनों के लिए कुछ और....मुझसे क्यों नहीं होते यह समझोतें??
पिछले दिनों कुछ देखा ऐसा उसी को सोचकर लिखा हैं पर बहुत हद तक हकीकत हैं कि हमारे रिश्ते जरुरत के अनुसार बदल ही जाते हैं, इसीलिए तो यह कहावत भी आम हो गई हैं कि गिरगिट तो बेचारा यूँ ही बदनाम हैं बाकि इन्सान गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलता हैं आजकल...बस अपनी जरूरतें पुरी होनी चाहिए, अपना जमीर गया भाड़ में..!!
भगवानजी मुझे भी सिखाओ न यह दुनियादारी ताकि मेरे अपनों को रख पाऊ मैं भी खुश....वैसे भी आजकल तो वक़्त भी रूठने सा रुख कर रहा हैं...

1 comment:

Unknown said...

जब भी दुनिया की उलझनों से मन रूठ सा जाता है यही आता हूँ आजकल कई बार चुप चाप पढ़ के चला जाता हूँ आज तो थोड़ा इमोशनल हो गया लिखने पे मजबूर हो गया