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Saturday 28 June 2014

खुबसूरत सा दिन :-)

वैसे लिखना जरुरी तो नहीं हैं लेकिन विचार ही इतने
खूबसूरत से हैं आज जो कि इन्हें शब्द देना जरुरी हैं :-)
फादर`स डे पर पापाजी साथ में नहीं थे इसलिए आज वो शिकायत भी दूर हो ही गयी
दिनभर पापाजी मेरे साथ थे इसकी शायद वजह अब कुछ दिनों बाद मेरा चले जाना भी हो सकती हैं
हां मैं अब कुछ वक़्त के लिए अपने पापा से दूर रहूँगी
पता नहीं कब तक अनिश्चित काल के लिए :-(
आज हमनें दिनभर जी भरकर बातें की
मुझे गॉड गिफ्ट के रिश्तों में से सबसे अच्छा व प्यारा रिश्ता पिता-पुत्री का लगता हैं
यह रिश्ता मेरे लिए एहसास, सपना व हकीकत सब कुछ हैं
बेशक इस दुनिया में मैं सबसे ज्यादा अपने पापा से प्यार करती हू
माँ से भी करती हू पर वो कभी-कभार मुझे समझ नहीं पाते हैं
खैर आज हमनें विश्वास, यकीं और भरोसे की बातें की तो
विश्वास तोड़ने वालों और विश्वास ना करने वालों को भी कोसा
आज पापाजी ने मेरी सारी दोस्तों को याद किया
सुनीता, सुमन, रिंकू, सोनू(इसका तो वैसे भी कभी-कभार बेवजह भी जिक्र हो ही जाता हैं),
सरोज, प्रीती, भगवती etc लिस्ट बहुत लम्बी हैं भई
शादी के बारे में मेरे विचार भी जानें तो दुनियादारी भी समझायी
ओहो मैना का नाम लेना भूल गयी इससे याद आया
हमनें प्यार के बारे में भी अपने नजरिए से विचार साझा किए
मेरे लिए तो प्यार के मायने ही यह हैं हर रिश्ता इसीसे खूबसूरत होता हैं
हां पापाजी ने याद किया तो मैंने भी रजाक के बारे में अपने विचार बताए
रजाक नाम का जिकर मेरे ब्लॉग पर पहली बार खैर एक
दिन मैं इनके लिए पोस्ट लिख रही थी जब पापाजी इनसे मिलकर आए थे
"जनाब के नाम मेरा खुला पत्र"
पर फिर सिर फिर गया और मैंने उसे अपडेट नहीं किया
खैर रजाक के बारे में आज के मेरे विचार कुछ यू थे -
"पापा रजाक एक अलग इंसान हैं
मैं आज तक जितने लोगों से मिली हू उन सबमें से यह अलग हैं
एक ऐसा इंसान जिसे महज सफलता नाम की चीज़ से प्यार हैं
(हां यह और बात हैं कि कोई पागल सी दीवानी हैं जिससे भी बहुत प्यार हैं
खैर मैं हमेशा से उन्हें समझने व जज करने में गलत ही साबित हुई हू :-)
जिसे रिश्ते, दुनियादारी से कोई मतलब नहीं वो भावनाओं में नहीं बहते हैं
वो स्वाभिमान व आत्म-सम्मान वाले इंसान हैं "
खैर यह पोस्ट गलत राह पकड़ रही हैं सो फिर से पटरी पर लाते हैं वरना एक्सीडेंट……
ओफ्फो हां फिर पापाजी ने कहा देखते हैं तुझमें कितनी हिम्मत हैं
चल हम देखते हैं कौन किसे हराता हैं फिर हमनें वो वाला गेम खेला
अरे वो ही जो फिल्मों में खेला जाता हैं और अक्सर लड़का हार जाता हैं
हाथ को कौन जमीन पर टिका देगा
आज तो बेटी ने भी बहुत हिम्मत दिखाई मैं जीत गयी थी :-)
वैसे अक्सर पेरेंट्स बच्चों के लिए सब-कुछ हार ही जाते हैं
फिर मेरा मन कर गया सो मैंने, माँ ने व पापाजी ने साथ में मुगफली खायी
माँ ने मेरी तरफ देखते हुए कहा वैसे आजकल सरिता की हेल्थ ठीक हो रही हैं
मैं हँसने लगी कि पापा ने भी कह दिया हां अब तुम बिल्कुल ठीक हो
हम्म मैंने कहा वो इसलिए आजकल मैं डांस नहीं करती ना सो
कि माँ मेरे सारे एक्शंस बताने लग गए उफ्फ
पापाजी ने कहा तो अब तुम ट्रेंड हो गयी डांस में ??
मैंने कहा हां कर लेती हू ठीक-थक बस :-)
वैसे मेरे पापाजी की नज़रों में मैं एक समझदार बच्ची हू
जो कि मैं हमेशा बने रहना चाहती हू फिर चाहे यह मेरे लिए महज भ्रम भी क्यों ना हो ??
पेरेंट्स का साथ बस केवल पेरेंट्स का साथ चाहिए मुझे
मेरी फ्रेंड्स में से रिंकू व सरोज मेरे पापाजी को बहुत अच्छे से जानती व पहचानती हैं
तथा जैसे वो कभी-कभार मेरे पापाजी को जज करती हैं
उनके विचारों के आगे मैं नतमस्तक हो जाती हू
lot of thanks both of you....love u yar...:-)
सच बहुत खूबसूरत सा दिन था आज
उसकी कही गयी बात पर आज बहुत गुस्सा आया
कभी किसी ने कहा था कि -
"मुझे कोई हक़ व अधिकार नहीं हैं किसी से प्यार करने का:-)"
बेवकूफ कहीं का कितना बुझदिल व डरपोक हैं वो
जानती हू उसने यह बात क्यों कही थी पर आज मैं यकीन के
साथ कह सकती हू उसने कभी भी अपने पेरेंट्स व प्यार को समझा ही नहीं !!!
खैर हर पोस्ट में किसी भी रूप में उसका जिक्र जरुरी हैं
वरना अब तो बिन उसके व बिन प्यार के भी बिल्कुल पूरी हू मैं
अपने पेरेंट्स के साथ, अपनी जिंदगी के साथ खुश भी हू :-)
बेशक सब-कुछ भुला भी दिया अब तो एक धुंधला सा चेहरा नजर आता हैं
जो आएगा कभी किसी और रूप में मेरे सामने, बिल्कुल सामने !!!!!
बिना उसके जिक्र के भी पोस्ट तो पूरी हो गयी थी पर शायद जरुरी था :-)

Sunday 22 June 2014

मूक सा बचपन....

आज मेरे पास कुछ खाश विचार नहीं थे और
लिखने का भी कोई इरादा नहीं था पर अभी कुछ देर पहले ही
देखें गए एक दृश्य ने मुझे ऐसा कुछ लिखने को मजबूर कर दिया :-)
एक चीज़ तो बच्चें लाड़-प्यार से अच्छे नहीं बनते हैं
उन्हें अच्छा तो बेशक अनुशासन ही बनाता हैं
अफ़सोस मेरे पास अनुशासन नाम की कोई चीज़ हैं ही नहीं !!!
आज एक गाने के बोल याद आ गए -
बच्चों का क्या हैं बच्चे तो आखिर बच्चें हैं
समझा दो, बहला दो…………
पर मैं भी अभी तक बच्ची ही समझती आई हू अपने आपको
बेशक इसकी बहुत बड़ी वजह जिम्मेदारियों से डरना भी हो सकती हैं
खैर बचपन बिल्कुल पानी के जैसा ही होता हैं
जिस साँचे में डाला जाएगा वो उसी का ही रूप ले लेगा
हम ही हैं वो लोग जो बच्चों के गलत करने पर भी उन्हें गले से लगाते हैं
दूसरे बच्चों के बेकसूर होने पर भी अपने बच्चों को
सच्चा व अच्छा साबित करने की कोशिश करने वाले भी हम ही होते हैं
हम ही परिवारों का बंटवारा करके उन्हें सिखाते हैं बिखेरना
बच्चा बिल्कुल शांत सा बैठा बस एकटक देखता रहता हैं अपने परिवार को टूटता
हम ही हैं जो उन्हें धर्म व मजहब का पाठ पढ़ाते हैं
हम ही हैं जो उन्हें केवल पत्थर की मूर्ति में भगवान के होने का हवाला देते हैं
हम ही हैं जो उन्हें अमीर गरीब का भेद बताते हैं
हम ही हैं जो उन्हें संस्कारों से इतर महज हक़ व अधिकारों का पाठ पढ़ाते हैं
हम ही हैं जो उन्हें रियलिटी शोज में भेजकर उनके द्वारा अनाप-शनाप
व बेमतलब बोले जाने पर भी उन्हें तालियां बजाकर कहते हैं बहुत अच्छा :-)
हम ही हैं जो उन्हें यह सिखाते हैं कि हम जो भी करें वो सब जायज हैं
बहुत कुछ इंडिया में हो रहा हैं जो भारत में कभी नहीं होता था
बेशक भारत बेहद अच्छा व संस्कारित देश था
फिर भी कहते हैं इंडिया बहुत प्रगति कर रहा हैं
उफ़ यहाँ इंडिया में तो लड़कियों के कपड़े भी बहस का विषय बन जाते हैं
भारत में बच्चों को शीला की जवानी या मुन्नी बदनाम हुई देखने को नहीं मिलती थी
उस वक़्त बच्चों को रामायण-महाभारत दिखाई जाती थी
बच्चों को हक़ व अधिकार नहीं विरासत में संस्कार मिलते थे
शराब नहीं मिलती थी पिने को आजकल तो बाप-बेटे साथ में बैठकर पीते हैं जी
लड़कियों को बहन व माता जैसे शब्दों से सम्बोधित किया जाता था
भारत इंडिया बनते-२ बेशक अपनी पहचान खो चूका हैं
हम अमेरिका व इंग्लैंड की बराबरी कर पाएंगे या नहीं पता नहीं
पर बेशक हम आने वाली पीढ़ी को प्रगति का ऐसा पाठ पढ़ाने की कोशिश जरूर कर रहे हैं
जिसका मूल ध्येय सफलता और वो ना मिले तो बेशक आत्महत्या
इसमें कोई दोराय नहीं कि शादी सबको महज बंधन ही नजर आएगी
(बेशक मुझे तो अभी भी लगता हैं हम्म )
उफ़ फिर से दिमाग में जंग लग गयी
कहना यह था कि अगर हम समाज से वाकई बुराइयों को मिटाना चाहते हैं
तो हमें बच्चों के बचपन को अच्छाई के रंग में रंगना ही होगा :-)

Friday 20 June 2014

कच्ची उम्र के पक्के वादें

प्रिया अपने कमरे की चारों दीवारों को ताक रही थी
हमारा रिश्ता केवल इंसानों के साथ ही नहीं होता हैं
हम उस हर चीज़ से जुड़ जाते हैं जिसका वक़्त-बेवक़्त हमारी जिंदगी में दखल होता हैं
फिर चाहे वो दीवारें, किताबों के पन्नें या अपनी प्रिय डायरी ही क्यों ना हो
सबके साथ अपनत्व का रिश्ता तो बन ही जाता हैं
प्रिया ने एक निमंत्रण पत्र को देखा कि याद आया
उसे आज शाम को सम्मानित किया जायेगा
पर आज उसे जाने की कोई जल्दी व ख़ुशी नहीं थी
प्रिया ने सोचा यह मुकाम मैंने अपनी मेहनत से पाया हैं
फिर भी उसे किसी शख्स की कमी क्यों खल रही हैं ??
उसे बार-२ बस ना जाने क्यों यहीं शब्द याद आ रहे थे
तुम्हारी कोई मंजिल नहीं हैं, देखना तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगी
तुम्हारा कोई फ्यूचर नहीं हैं तुम्हारा जीवन लक्ष्यहीन हैं
प्रिया इसी उधेड़बुन में खोयी थी कि उसकी माँ ने कहा
प्रिया देखो तो यह ड्रेस ठीक हैं ना मैं आज के फंक्शन में यही पहन लू :-)
प्रिया ने आँखों को अपनी पुरानी डायरी से हटाते हुए पहले एक नजर अपनी माँ को देखा
और फिर उनकी ड्रेस को फिर अपनी माँ के गले में अपनी बाहों को डालते हुए बोली
माँ आपको पता हैं ना मुझे रंगों की ज्यादा समझ नहीं हैं और सजने-संवरने की भी
कि उसकी माँ तपाक से बोलें प्रिया चल मेरा छोड़ यह बता आज तू क्या पहन रही हैं ??
प्रिया ने बेमन से जवाब दिया माँ सम्मान समारोह में जा रहे हैं हम ना कि किसी फैशन शो में
बेशक मैं वो ही ब्लैक जीन्स व सफ़ेद कुर्ता ही पहनने वाली हू
माँ ने बिगड़ते हुए कहा तुझे मैं कैसे समझाऊ कि यह दुनिया रंगीन
हैं ब्लैक एंड वाइट का जमाना गया बेटा :-)
प्रिया ने माँ की बात को अनसुना करते हुए फिर से अपनी नज़रों को डायरी की और घुमा दिया
और अपनी डायरी में लिखी लाइन्स पढ़ने लगी-
"सोचती हू अगर जिंदगी के कभी किसी मोड़ पर तुम मुझे फिर मिल पाए तो
क्या तुम्हारी भी जिंदगी बिल्कुल मेरे जैसी ही बेरंग सी होगी ??
क्या तुम्हें भी लगेगा कि तुम्हारी हर सफलता मेरे बिना अधूरी हैं ??
क्या तुम्हें भी मेरी तरह अकेलापन अच्छा लगता होगा या
डर जाते हो अँधेरी व काली रातों में तन्हाई को देखकर ???
क्या तुम्हारे पास भी मेरे जैसी डायरी होगी जिसके हर पन्नें पर जिक्र होगा सिर्फ मेरा ??
या फिर तुम भी बिल्कुल मॉडर्न लोगों की तरह केवल मोबाइल में मैसेजेस से खुश हो ??
क्या कभी मुझे तुम्हारी आँखों में अपने लिए प्यार नजर आयेगा
या फिर वो ही पुरानी गुस्सैल सी आँखें तरस रही होगी मुझे काट खाने को ??
क्या तुम्हारी कही गयी कड़वाहट भरी बातें अब कच्ची दीवारों के तले दब गयी होगी ??
क्या अब तुम्हें भी कभी मेरी मासूमियत व मेरे बचपने पर प्यार आता होगा ??"
प्रिया का मन व आँखें दोनों ही डायरी को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे
पर प्रिया के जाने का वक़्त हो गया था माँ ने भी दो-तीन बार आवाज लगा दी थी
इसलिए प्रिया ने अपनी डायरी को सहलाते हुए टेबल पर रखा और चल दी
प्रिया और उसके मम्मी-पापा शाम होते ही बिल्कुल वक़्त पर ऑडिटोरियम में दाखिल हो गए
कि स्टेज से आवाज गूंजी और अब आज की हमारी खाश मेहमान प्रिया चौधरी हमारे बीच पहुँच चुकी हैं
जोरदार तालियों से उनका स्वागत कीजिए
प्रिया ने सबका अभिवादन स्वीकार किया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी
सभी लोगों की नजरें आज के खाश मेहमान पर ही टिकी थी मतलब प्रिया पर
प्रिया ने थोड़ा असहज महसूस किया फिर उसने एक नजर अपने आपको ही देखा
प्रिया बुदबुदाई मुझमें खास कुछ नहीं हैं फिर भी मैं आज की खाश मेहमान कैसे हुई ??
उसके इस सवाल का जवाब वहां लगे एक पोस्टर ने दिया-
"आर.अ.अस.(ras)-2012 की टॉपर प्रिया चौधरी का भव्य सम्मान समारोह":-)
प्रिया के पापा बेहद उत्साहित होकर सभी से यह बता रहे थे
यस शी इज़ माय डॉटर प्राउड ऑफ़ यू प्रिया :-)
यह शब्द सुनकर प्रिया का सीना जितना था उससे दुगुना चौड़ा हो गया था
और उसके पापा का सीना तो शायद उस वक़्त माप पाना भी मुमकिन नहीं था
कि प्रिया ने माइक की आवाज की और ध्यान दिया
जी हां तो अब आज की हमारी खाश मेहमान प्रिया जी स्टेज पर आए व
अपनी सफलता से जुड़े कुछ विचार व अनुभव हमारे साथ भी शेयर करें :-)
प्रिया ने कहा मैं सभी का शुक्रिया अदा करती हू मुझे इतना मान-सम्मान देने के लिए
हर सफलता का राज कड़ी मेहनत ही होती हैं
हार मानने से आसमां छुआ नहीं जा सकता
मुझे हमेशा से यह लाइन्स बेहद प्रेरित करती रही हैं कि-
"मुश्किलों से भाग जाना आसान होता हैं
हर पल जिंदगी का इम्तिहान होता हैं !
डरने वालों को कुछ नहीं मिलता
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता हैं !!"
और मेरी इस सफलता का श्रेय बेशक सबसे ज्यादा मेरे पेरेंट्स को जाता हैं
इनके अलावा भी किसी शख्स के कहे गए शब्दों ने कि
तुम कभी कुछ नहीं बन सकती को भी जाता हैं :-)
प्रिया के इतना बोलते ही तालियों की आवाज गूंजी जिसमें प्रिया द्वारा कही गयी
आखरी पंक्ति कि वो शख्श हैं यश चौधरी के शब्द कहीं घूम गए थे !!
कि फिर से सर स्टेज से बोलें
जी हां आज के हमारे मुख्य अतिथि यश चौधरी जी जो की ras-2010 के टॉपर थे
प्रिया को गुलदस्ता भेंट करेंगें व वो ही अपने शब्दों से आज के प्रोग्राम का समापन स्पीच देंगें
यश ना जाने क्यों यह नाम सुनकर प्रिया सहम गयी थी !!
तो मतलब यश सोचने लगी पर उस वक़्त सोचने का वक़्त कहा था
कि प्रिया को नजर आया वो ही पुराना व जाना-पहचाना सा चेहरा ,
वो ही पुराना सा चश्मा सोचने लगी अब चश्मे का नंबर तो बदल ही गया होगा
कि उसका ध्यान टुटा सामने था यश व उसके हाथों में प्राइज और गुलदस्ता
यश ने प्राइज देते हुए कहा प्रिया बधाई हो, happy to see you again..:-)
प्रिया बिना कोई जवाब दिए अपना इनाम लेकर आगे बढ़ गयी
बार-२ हैप्पी टू सी यू अगेन वर्ड्स बुदबुदाने लगी
वो इन शब्दों में इतना खो गयी कि उसने यश के स्पीच की और भी ध्यान नहीं दिया
सोचा तो क्या यश को भी मैं याद हू ??
रात को घर पहुंची तब तक प्रिया काफी थक गयी थी
यादों का बोझ कुछ ज्यादा ही थका जाता हैं
प्रिया माँ से बिना कुछ कहे ही अपने कमरे में चली गयी
रात भी काफी हो चुकी थी उसने अपनी डायरी में लिखा
"आज तुमसे मिली बेशक तुम्हारे अचंभित होने की सीमा नहीं रही होगी
जब तुमने मुझे इतने अच्छे मुकाम पर देखा
मैं तुम्हारे कहे गए शब्दों का जवाब देना चाहती थी
तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहती थी
पर फिर शायद वहाँ मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बाँध नहीं पाती
इसलिए बिना कोई जवाब दिए वहाँ से आगे बढ़ गयी
और वैसे भी मैं नहीं चाहती थी कि मेरे सवाल व शब्द तुम्हें तकलीफ दें :-)
गुड नाईट यश !!""
प्रिया सोने की बहुत कोशिश कर रही थी फिर भी काफी देर तक नींद ने उसके दरवाज़े पर दस्तक नहीं दी
इधर-उधर करवटें बदल रही थी कि फिर से उसकी आँखों के सामने यश का चेहरा नजर आ गया
प्रिया सोचने लगी -
आज से ठीक 8-9 साल पहले यश को उसने पहली बार देखा था
याद हैं सूरजमल मेमोरियल एजुकेशन सोसाइटी (SMES) जनकपुरी, देल्ही में
उस कैंप में सभी दसवीं कक्षा के ही तो बच्चे थे जिनमें यश व प्रिया भी तो थे
प्रिया को प्यार पर यकीं नहीं था पर ना जाने क्यों पहली ही नजर में यश पर यकीन जरूर हो गया था
कॉलेज मंडप में कैंप वाले बच्चों के लिए हवन करवाया गया
हवन के वक़्त बार-२ छुप-छुपके वो यश को ही देख रही थी
वो उसके चेहरे को देखकर कुछ पढ़ने की कोशिश कर रही थी पर नाकाम रही
कैंप के दूसरे ही दिन कर्नल गोपाल सर की क्लास थी
प्रिया ने अपने लक्ष्य व सपने तय नहीं किये थे सो
उसे कर्नल सर के गाइडेंस से ज्यादा अपनी नींद से प्यार था
और ना जाने कब यश के सपनों के गोते लगाते हुए वो नींद के गहरे सागर में डूबने ही वाली थी
कि कर्नल सर की चॉक ने उसके सपनों को चकनाचूर किया
सारी क्लास प्रिया को देखकर हंस रही थी और यश तो सबसे ज्यादा :(
कर्नल सर ने सवाल पूछा अभी भारत की जनसंख्या कितनी हैं ??
प्रिया को जैसे की सांप सूंघ गया या अल्लाह मुझे तो राजस्थान का भी नहीं पता भारत का क्या खाक पता होगा ??
प्रिया ने अपना मुँह जितना था उससे और ज्यादा निचा कर लिया
पढ़ना भी ना बड़ों को ख़ुशी व सुकून देता हैं पर
बच्चों के लिए तो पढ़ाई व किताबें किसी जानलेवा बीमारी से कम नहीं हैं
प्रिया सोच ही रही थी कि यश ने खड़े होकर एक ही सांस में सारे आंकड़ें बोल दिए
एक अरब दो करोड़ सत्यासी लाख सैंतीस हजार चार सौ छियासी (2001 के अनुसार) (1,02,87,37,486)
कर्नल सर ने कहा शाबाश लगता हैं बड़े होकर गणित के प्रोफेसर बनोगे :-)
प्रिया खुश होकर सोचने लगी ठीक हैं कल तो गणित की कक्षा में एक सीट मेरी भी रिज़र्व रहेगी
दूसरे दिन फिजिक्स व केमिस्ट्री की क्लासेज होने के बाद सर ने कहा
जिन लोगों को मैथ्स लेना हैं वो इसी रूम में बैठे रहे तथा
जिन्हें बायोलॉजी लेना हैं वो फोर्थ फ्लोर के रूम नंबर 24 में चले जायें
यह क्या प्रिया हैरान थी तो क्या यश बायोलॉजी लेगा ??
दिनभर अपने आपको कोसती रही कि इंतज़ार करने लगी रात के 9 बजने का
आज शाम को जब कॉमन रूम में जाने के लिए लाइन में खड़े रहेंगे तब यश से जरूर बात करुँगी
लाइन में खड़े-२ ही प्रिया लड़कों की बनी लाइन की तरफ तांक-झांक कर रही थी
कि बहुगुणा मैम बोले प्रिया बेटा वेट करो कुछ ही देर में दरवाजा खुलने वाला हैं
खड़ूस कहीं के मैं तो चाहती नहीं कि दरवाजे खुले ताकि मैं यश को देखती रहू प्रिया बुदबुदाई
कि लड़कियों के सबसे पीछे जाकर खड़ी हो गयी प्रिया तभी
कॉमन रूम का दरवाजा खुल गया
खुदा की टाइमिंग भी ना बहुत बुरी हैं और अपने पैरों को पटकते हुए रूम में चली गयी
लड़कों की साइड में जिस रो में यश बैठा था प्रिया लड़कियों की साइड में उसी पंक्ति में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गयी थी
उस शाम दूधवाले भैया प्रिया की लाइन तक पहुंचे तब उसने चुपके से यश की और देखा
वो दूध पी रहा था, उस शाम प्रिया ने भी बिना कोई नाटक किये एक गिलास अपने हाथ में ले लिया !!
इतेफाक से उसी शाम यश की टर्न आ गयी थी स्टेज पर बोलने की
"मैं यश चौधरी राजस्थान के अजमेर जिले का रहने वाला हू "
प्रिया अपनी सीट पर जोर से चिलाई युप्प वो मेरे शहर का हैं
कि ढाका जी सर जोर से बोलें क्या हुआ तुम्हें ??
देखा था उस वक़्त प्रिया ने यश चुपके से उसकी तरफ देखकर हंस दिया था
दो दिन बाद प्रिया ने निर्णय किया अब वो भी बायोलॉजी की क्लासेज अटेंड करेगी
वैसे भी उसे कौनसा यहाँ पढ़ना हैं और कैंप लगाया भी तो गाइड करने के लिए हैं
ताकि बच्चे सोच सके कि उन्हें कौनसा सब्जेक्ट लेना हैं ??
बायोलॉजी की क्लास में आज एक नयी स्टूडेंट थी प्रिया
सर ने उसीसे पूछ लिया बताओ कोशिका की खोज किसने की ??
उफ़ प्रिया मारे शर्म के पत्थर सी शीला बन गयी थी कि
फिर से जीनियस बच्चा खड़ा हो गया जी सर रॉबर्ट हुक ने :-)
वेरी गुड यश सिट डाउन, सिखने आए हो तो सीखो भी कुछ महज टाइमपास मत करो
प्रिया मन ही मन बुदबुदाई यश को इतना पढ़कर आने की कहाँ जरुरत हैं
कि यश प्रिया की तरफ देखता हुआ बोला
सर वैसे मुझे लगता हैं कि जो लोग फालतू बातों में इंटरेस्टेड हो उन्हें आर्ट्स ले लेना चाहिए
आफ्टर ऑल साइंस पढ़ना हर किसी के कहाँ बस में होता हैं :-)
प्रिया का मन किया यश को खींचकर एक चांटा लगा दे
पर भई मज़बूरी का नाम ही जिंदगी हैं इसलिए वो चुप ही रही
उस दिन प्रिया ने सोचा मुझे बायोलॉजी में ना तो लिवर की समझ हैं
और ना ही मैं RNA व DNA में अंतर समझ पाती हू
इससे अच्छी तो गणित हैं बाबा कम से कम मैं फायदा-नुकसान तो समझ पाती हू !!
फिर सैटरडे आ गया कर्नल सर आये फिर से क्लास लेने
बच्चों आज मैं आपको करियर के बारे में गाइडेंस दूंगा
आपमें से किसी को भी पता हैं क्या कि उसे क्या बनना हैं ??
उसे क्या अचीव करना हैं ??
यश खड़ा हुआ यस सर मुझे पता हैं कि मुझे क्या बनना हैं
सर ने कहा अच्छा बताओ क्या बनना हैं तुम्हें ??
सर मैं आरएएस बनूँगा :-)
शाबाश वेरी गुड !!
प्रिया ने एक बार फिर अपना सिर पकड़ लिया
आरएएस बनेगा उफ़ यहाँ तो टीचर बनने तक का भी नहीं सोच पा रही हू :(
क्लास ओवर होने से पहले सर ने कहा मुझे बताते हुए बेहद ख़ुशी हो रही हैं
कि कल हम आप सभी को घुमाने ले जायेंगे सबसे पहले आपको मेट्रो का सफर करवाया जायेगा
फिर इंदिरा गांधी एयरपोर्ट दिखाएंगे बाद में हमारे एनसीसी(NCC) हेडक्वार्टर जायेंगे
वहाँ आपको रिटायर्ड कर्नल सर स्पीच देंगें तथा डिफेन्स सर्विसेज के बारे में बताया जायेगा :-)
प्रिया संडे को सुबह थोड़ा जल्दी ही उठ गयी थी
कि सुबह-२  योगा क्लास में जाते-२ प्रिया दिन के प्रोग्राम के ख्वाब भी देख रही थी
योगा वाले सर ने सभी को दो मिनट लेट जाने को कहा
प्रिया की सबसे प्यारी दोस्त नींद ने एक ही पल में उसे अपने आगोश में ले लिया
सभी बच्चे फिर से बैठ गए थे पर प्रिया लेटी ही रह गयी
सर जोर से चिलाएँ अरे बच्ची रातभर क्या जागरण कर रही थी ??
उफ़ आज तो हिम्मत करके यश से बात कर ही लेती लेकिन नींद को भी शर्म नहीं आती वक़्त-बेवक़्त चली आती हैं
प्रिया हर दिन कुछ ऐसा कर ही देती जिससे उसका यश से बात कर पाना मुश्किल हो जाता
सोचती वो कितना समझदार और मैं कितनी बेवकूफ
प्यार तो बहुत दूर की बात हैं मैं तो उसकी दोस्ती के काबिल भी नहीं हू
यू ही छुपम-छुपाई में ही ना जाने कब महीना बीत गया था
लास्ट दिन प्रोग्राम के बाद प्रिया ने सोचा आज तो यश से बात करके ही रहूंगी
कि उसकी मैम ने कहा चलो बच्चों जल्दी से पैकिंग कर लो रात को नौ बजे हमारी ट्रैन हैं
इसलिए हम सात बजते ही जनकपुरी से पुरानी दिल्ली के लिए निकल जायेंगें
प्रिया ने अपनी मैम की बातों को नजरअंदाज किया और बदहवास सी भागी यश से मिलने के लिए
बॉयज हॉस्टल के बहार देवेन्द्र भैया खड़े थे
प्रिया ने पूछा भैया अभी तक आप गए नहीं ??
देवेन्द्र भैया प्रिया का चेहरा देखकर हँसे और फिर बोलें मुझसे पूछ रही हो या यश के बारे में जानना चाहती हो?प्रिया उसे अजमेर जाना था इसलिए वो चला गया और तुम्हें बता दू मुझे अजमेर नहीं बाड़मेर जाना हैं
पर भैया अजमेर तो हम लोग भी जायेंगे :-)
वैसे यश ने मेरे लिए कुछ कहा नहीं क्या ??
देवेन्द्र भैया ने कहा प्रिया उसने कुछ नहीं कहा लेकिन मैं कहना चाहता हू
मैं बाड़मेर के कवास गावं का रहने वाला हू जहाँ पिछले साल भयंकर बाढ़ आई थी
मेरी आँखों ने तबाही का मंजर देखा हैं वो काल मेरे सारे परिवार को खा गया था
मेरी एक छोटी सी प्यारी सी बहन थी बिल्कुल तुम्हारे जैसी
हर पल उसकी शरारतें याद आती हैं पर अब वो चेहरा कहीं नजर नहीं आता
मैं चाहता हू कि तुम मेरी मुँहबोली बहन बनो, मैं तुम्हारा जवाब जानना चाहता हू
प्रिया ने सोचा जिस दिन चोर बाजार में घूमने गए तब देवेन्द्र भैया ही तो उसे ढूंढकर लाये थे वरना वो तो घूम ही जाती देवेन्द्र भैया की बातों में प्रिया भूल ही गयी कि वो यश से बात करने आई थी
और मैम को भी तो कुछ बताया नहीं हैं पर उसने लापरवाही बरततें हुए
अपनी जेब से फ्रेंडशिप बेंड निकाला और कहा
भैया मैं यह लायी तो यश के लिए थी पर मैं आप जितने अच्छे इंसान को कैसे खो सकती हू
आप इसे ही राखी समझ लीजिए और प्रिया ने वो बेंड देवेन्द्र को दे दिया
ठीक हैं भैया अब मैं चलती हू मैम मुझे ढूंढकर परेशान हो रहे होंगें
प्रिया लौट आई दिल्ली से अपने राजस्थान, अपने हॉस्टल सोचा प्यार तो बेवजह होता हैं बातों से थोड़े ही !!
हॉस्टल पहुंचते ही बड़ी मैम की हिदायतें बच्चों का इंतज़ार कर रही थी
आज 1st जुलाई हो चुकी हैं उम्मीद करती हू सब बच्चें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देंगें :-)
वक़्त के साथ यादें धुंधला ही जाती हैं
कि तभी एक दिन प्रिया की रूममेट भागती हुई रूम में आई
प्रिया तुझे पता हैं अपने हॉस्टल में डिबेट कम्पटीशन में पार्टिसिपेट करने के लिए एक बेहद ही इंटेलीजेंट व स्मार्ट लड़का आया हैं यार:-)
 प्रिया ने उसकी बात की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया कि वो बोली उसका नाम यश बता रहे हैं
प्रिया भागती हुई ऑडिटोरियम में पहुँच गयी जहाँ डिबेट प्रतियोगिता होने वाली थी
उसने देखा यश तल्लीनता से डिबेट की तैयारी कर रहा था
उस दिन उसने अपनी सारी हदें पार कर दी
यश का हाथ थामकर बोली यश मैं तुमसे बेहद प्यार करती हू
शब्दों का रस कैसे गोलते हैं मुझे नहीं पता बस मैं शादी करुँगी तो तुमसे वरना करुँगी ही नहीं
यश ने अपने हाथों को प्रिया के हाथों से छुड़ाते हुए कहा how dare u..??
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की एक बार अपनी औकाद तो देख ली होती
देखना तुम ग्रेजुएशन तक नहीं कर पाओगी फोर्थ ग्रेड की नौकरी तक नहीं मिलेगी तुम्हें
कभी कुछ बन पाओ तो आना मेरे पास और बुदबुदाता हुआ यश वहाँ से चला गया था !!!
हल्की सी रौशनी की किरणें प्रिया के चेहरे पर उत्तर आई
उसने आँखें खोली उफ़ पता ही नहीं चला रात को सोचते-२ कब आँख लग गयी थी
माँ ने दरवाज़ा खटखटाया प्रिया उठो तो देखो तुम्हारी चिठ्ठी आई हैं
प्रिया ने आँखें मलते हुए चिठ्ठी खोली लिखा था
"हैलो प्रिया,
                   फिर से बधाई हो चाहता तो था तुम्हारे लिए फूल भेजूँ
पर फिर सोचा एक बार तुमसे इज्जाजत तो ले ली जाए
मैंने तुम्हें उस दिन भला-बुरा कहा उसके लिए माफी चाहता हू
लेकिन उसी का परिणाम हैं कि तुम आज इस मुकाम तक पहुंच पायी हो :-)
वरना प्यार तो मुझे भी तुमसे उसी दिन हो गया था जब तुम हवन के वक़्त बिल्कुल मेरे आगे बैठी व
बार-२ मुड़कर मेरी तरफ ही देख रही थी I LOVE YOU PRIYA"
क्या तुम अब भी प्यार करती हो मुझसे ??
तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा मुझे !!-यश
यश ने चिठ्ठी में अपने नंबर लिख दिए थे प्रिया ने अपना मोबाइल उठाया
टाइप किया शब्दों की समझ मुझे आज भी नहीं हैं
अक्सर कच्ची उम्र में किये गए वादें कच्चे नहीं होते हैं
जब पंद्रह साल की थी तभी तुम्हें अपना बनाने का सोच लिया था
इरादा नेक था इसलिए तुम पर मुझे पूरा भरोसा था
मैं तुम्हारे फूलों का इंतज़ार कर रही हु :-)  

Sunday 15 June 2014

कैसा यह नाता हैं??

 वक़्त बहुत देर से मिला शायद सुबह से अब तक
सभी ने शब्दों से अपने पिता का क़र्ज़ चूका ही दिया होगा ??
हम्म आप अब ज्यादा मत सोचिए कि सारिका हमेशा ऐसा ही क्यों सोचती हैं
सोच हैं बाबा विचारों का क्या हैं ??
वक़्त बदला कि सोच और इंसान सभी बदल जाते हैं :(
आज फादर`स डे हैं पापाजी तो अशोक सर के अभिनव राजस्थान अभियान
के प्रोग्राम में गए हैं और मैं भी अभी-२ कहीं जाकर ही आई हू !!
मेरी जिंदगी में सबसे ज्यादा मैंने अपने शौक व अपनी ख़ुशी के लिए लिखा हैं
फिर बहुत कुछ व बहुत ज्यादा अपने पिताजी को लिखा हैं
हर पत्र की शुरुआत कुछ यू होती हैं
"हैलो पापाजी,
                     रामजी-राम !!मैं जो कुछ भी सोचती हू या जो आपसे कहना चाहती हू
वो सब कह पाना मेरे लिए आसान नहीं हैं इसलिए लिख रही हू
जबसे होश संभाला हैं तबसे उस खुदा ने मुझे लिखने की थोड़ी कला सीखा दी
वरना बिन इन शब्दों के मेरा होता हैं ????"
फिर लास्ट लाइन
"उम्मीद करती हू आप मेरी बात को समझेंगें
शुक्रिया सारिका !!"
इस दुनिया में हर पिता अपने बच्चों को हर ख़ुशी देने की कोशिश करता हैं
और हर बच्चे के पापा उसके लिए दुनिया के बेस्ट पापा होते हैं !!
पापा अगर मुझे कुछ शब्दों की समझ होती तो मैं आपको अपनी
जिंदगी में लिखी बेस्ट लाइन्स डेडिकेट करती
मेरे पास जादू की छड़ी होती तो मैं उसे घुमाकर
इस दुनिया की सबसे बेस्ट, सच्ची, अच्छी व समझदार बेटी बनने की कोशिश करती

"पिता के धुप में तपते जूतों को छाया में रखती हैं बेटी
पिता के कहने से पहले शब्द समझ जाती हैं बेटी
पिता की आँखों का पानी पर सिर का नाज व गुमान होती हैं बेटी
पिता की हर ख़ामोशी का राज ढूंढती हैं बेटी
पिता के पसीने की कमाई पाई-२ का हिसाब रखती हैं बेटी
पिता के सिर पर बढ़ती हर सलवट का ख्याल रखती हैं बेटी :-)"
यह तो कुछ बातें हैं कि मैं ऐसा कुछ करती हू खैर आज फादर`स डे हैं
जब हम घूमने चले थे ना तब मैंने यह पिक चुपके से ले ली थी
वरना फोटो खिंचवाने का शौक तो आपने बहुत पहले ही छोड़ दिया :-)

"एक इंसान हैं जिनके जूते व उनकी सिम्प्लिसिटी कभी नहीं बदलती हैं
चाहे कितने भी मौसम बदले पर मेरे प्रति उनके विचार कभी नहीं बदलते हैं
चाहे कितने भी तूफान आए पर वो अपने बच्चों को हर ख़ुशी देने के लिए उनसे टकरा ही जाते हैं
चाहे हम बच्चे कितना भी गिरे पर वो हमारा ओहदा बढ़ा ही देते हैं "

कभी-कभार यू होता हैं कि विचारों का शब्द साथ नहीं दे पाते हैं
आज लिखना तो बहुत कुछ व बहुत अच्छा था पर..................
खैर पापाजी बस इतना ही कि जैसे जिंदगी के 20-21 साल आपके साथ बिताये हैं
वैसे ही मैं यह सारी उम्र व जिंदगी बिताना चाहती हु आपके साथ
सच आज शब्दों ने बिलकुल साथ नहीं दिया
इससे कहीं ज्यादा अच्छी पोस्ट तो वो भी हैं जो माँ के लिए लिखी थी
आप भी तो सब समझते हैं पापाजी
आज पुराने पत्रों में जो लाइन लिखी होती थी वो याद आ गयी
"अब आगे और क्या लिखू आप खुद भी बहुत समझदार हैं "

अक्सर जब मैं हॉस्टल में रहती थी तब जानवर मूवी का यह गाना बहुत याद आता था
"तुझको ना देखू तो जी घबराता हैं, देखके तुझको दिल को मेरे चैन आता हैं
यह कैसा रिश्ता, कैसा नाता हैं ???"