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Tuesday 12 November 2013

वो मेरी परछाई हैं :-))

वो आयी मेरे पास बैठी और कहा बहुत भूख लगी हैं
मैंने कहा बैठो खाना खा लो
बचपन की आदत को आज तक नहीं छोड़ पायी हैं 
थाली में झूठन छोड़ दी मेरे लिए
मैंने कहा अब तो सुधर जाओ, क्यूंकि तुम अब बच्ची नहीं रही 
उसने कहा झूठा खाने से प्यार बढ़ता हैं 
और मैं नहीं चाहती कि हमारा प्यार कभी भी कम हो :-))
उसने पूछा और कैसे हो ??????
मैंने कहा मैं ठीक रहती हू पर तुम्हारी फिकर सताती रहती हैं
ओहह..... आप फिर से शुरू हो गए कितनी बार कहू कि आप मेरी टेंशन मत लिया
करो मैं भी हमेशा वडिया ही रहती हू :-))
मैंने पूछा अब आगे का क्या प्रोग्राम हैं ?????
उसने कहा बहुत सारे काम बाकी हैं
पता हैं ना आपको कि मैं एक अच्छी इंसान बनना चाहती हू
मैंने कहा यह काम तुम शादी करके भी तो कर सकती हो
मुझे समझ में नहीं आता कि तुम शादी क्यों नहीं कर लेती ?????
उसने कहा उफ्फ मैं भुल ही गयी थी कि मुझे बच्चों ने बुलाया हैं
मुझे उनके साथ स्कूल में जाकर पौधे जो लगवाने हैं
"अब मैं चलती हू बाय माँ और हां आप टेंशन में 
रहते हो तब काफी अच्छे दिखते हो सो बाकी की टेंशन्स 
अगली बार के लिये :-))"
वो चली गयी और मैं उसे बस एकटक सी देखती रह गयी 
क्या सच में सारी बेटियां ऐसी होती हैं ?????????

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