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Saturday 9 November 2013

यह दूनिया एक गोरख धन्धा हैं :-)

क्या तेरा मेरा एक होना इतना ज्यादा मुश्किल था............ दो दिल बस साथ मांग रहे थे........ दो जिन्दगी बस जिंदगी मांग रहे थे........ दुनिया के सरे मसले अब सरल हुए...... बात इतनी हुई की हम दोनों अब अलग हुए....... हम दोनों का एक होना क्यू इतना ज्यादा मुश्किल था........ ख्वाब सभी सपनीले थे ..........दस्तूर सभी पथरीले थे...... नाजुक रिश्ता सम्हल न पाया....... पत्ते पर पानी ठहर न पाया....... सारे जतन सब विफल हुए..... हाँ हम दोनों ऐसे जुदा हुए....... हम दोनों का एक होना क्यू इतना ज्यादा मुश्किल था........:-)
-)



"मुझे नहीं पता क्या तेरी खता है पर जो भी रौशनी करता है उसे जला देते है ये लोग फ़क़ीर तू किस तलाश में इस शहर में निकला है छत पर बैठे परिंदे भी उड़ा देते है ये लोग" :-)

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