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Saturday 1 March 2014

बारिश में डराती वो कड़कती बिजली...

हम्म मैंने बचपन की यादों को बहुत सम्भाल के रखा हैं
कल शाम को बरसात के वक़्त मैं भी कुछ पुरानी बातों को याद
करके तरबतर हो गयी थी-

                                            (१ )-बोलो भीम 
यह बात कल की बारिश ने याद दिला दी 
बचपन में जब भी बारिश होती थी मैं बहुत डर जाती थी 
बारिश से नहीं कड़कती बिजलियों से 
डर लगता था कि अगर मुझ पे गिर गयी तो ???
कि एक दिन मेरे इस डर को भांपते हुए मेरे दोस्त ने कहा 
अगली बार जब भी बारिश हो और बिजली कड़कने पर डर लगे 
तो तुम बार-२ भीम-भीम-भीम दोहराना फिर तुम पर कभी भी बिजली नहीं गिरेगी !!
और बेशक इस आस्था के सहारे बहुत सारी बारिश की ऋतुऐं बीत गयी :-)


                                               (२ )अगले जन्म में मैं बनूगी....... :-)
सारिका तुझे पता हैं लोग मरने के बाद में आसमां में जाते हैं 
फिर वहाँ पर भगवानजी उन्हें अलग-२ पक्षियों के नाम बताते 
हुए पूछते हैं कि आप कौनसा पक्षी बनेंगे ??
सच सरोज ऐसा होता हैं क्या ???
सच्ची सारिका ऐसा ही होता हैं !!
ओके तब तो मैं भगवानजी से कहूगी कि मुझे पैरेट(तोता) बना दो :-)


                                              (३)मैं पुकारू तो सूने वो खुदा !!
अगर हम राम-राम यू आठ सौ नाम ले 
तब उस खुदा को अपनी पुकार एक बार सुनायी देती हैं !!
हम्म.……अगर यह सच हैं तो आज से मैं हर रोज 
उस खुदा को पांच बार पुकारा करुँगी :-)
फिर जब बचपन में वो कहानी सुनी कि 
वाल्मिकी जी तो राम नाम तक नहीं ले पाये थे 
लेकिन देखो वक़्त का पराक्रम कि उन्होंने बहुत पहले रामायण तक लिख दी थी 
बस तब से उस खुदा में मेरा विश्वास और भी ज्यादा गहरा हो गया !!


वैसे आजकल के बच्चों के लिये -
"आजकल के बच्चे हर सवाल का जवाब रखते हैं 
पहले माँ-बाप बच्चों को परखते थे,आजकल के बच्चे माँ-बाप को परखते हैं :-)"

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

निशब्द भाषा … बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Http://meraapnasapna.blogspot.com said...

aabhar....