आज सुबह मैंने आँखें खोली तो मेरे सिहराने एक चिठ्ठी रखी हुई थी, मैंने अधखुली आँखों से उसे पढ़ा और पढ़ने के बाद बेशक पूरी नींद खुल गई हैं जो कुछ यूँ थी-
प्यारी बिटिया
तुम्हें भला कुछ भी लिखने की कहाँ जरुरत हैं तुम खुद बहुत समझदार हो पर बीते वक़्त में तुम जैसे जी रही हो, जो सोच रही हो वो सब देखा तो मुझे तुम्हें लिखना जरुरी लगा, तुम एक मंजिल पर ठहर क्यों रही हो? तुम्हारी फितरत तो यह कभी थी ही नही, तूम अब बहकने सी बातें क्यों कर रही हो जबकि वो उम्र तो तुम्हारी कब की बीत गई हैं, बेटा सब लोग तो तुम्हारा बुरा कभी नहीं सोच सकते, तुम्हारे अपने हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगें तुम बस उन्हें आवाज देना वो एक पल में तुम्हारे नाम कर देंगें सारी खुशियाँ, तुम्हारे अपने सपने हैं, तुम्हारी अपनी ज़िन्दगी हैं फिर भी तुम दूसरों के दाग साफ़ करने के लिए अपने हाथ क्यों मैले करोगी?
तुम इतनी नासमझ कैसे हो सकती हो जो कि किसी नादानी के लिए अपनी अब तक की रेस्पेक्ट, अब तक की पूंजी, अब तक का मान-सम्मान, आज तक के रिश्ते-नाते सब बस एक इन्सान के लिए केवल इसलिए दांव पर लगा दोगी क्यूंकि तुम्हें लगता हैं कि तुम्हें उससे प्यार हैं, तुम उसकी परवाह करती हो इसलिए हमेशा उसके साथ रहकर उसका साथ देना चाहती हो!!
बेटा तुम्हारी अपनी सोच हैं, तुम्हारी अपनी ख्वाहिशें हैं तुम्हारी अपनी समझ हैं फिर भी मैं कहूँगा तुम कुछ चीजों को वक़्त पर छोड़ देना, सब कुछ अपने हाथ में मत लो, जल्दबाजी मत करना, वक़्त बीत जाने दो सब ठीक जो जायेगा, विश्वास रखना तुम्हारे साथ हमेशा अच्छा ही होगा, जो नेकी पर चलता हैं उसका तो खुदा भी साथ देता हैं..!!
उम्मीद करता हूँ तुम अब अपनी ज़िन्दगी में फिर से उड़ने लगोगी, हमेशा तुम्हारे लिए दुआएं ही निकलेगी....जीते रहना..!!
प्यारी बिटिया
तुम्हें भला कुछ भी लिखने की कहाँ जरुरत हैं तुम खुद बहुत समझदार हो पर बीते वक़्त में तुम जैसे जी रही हो, जो सोच रही हो वो सब देखा तो मुझे तुम्हें लिखना जरुरी लगा, तुम एक मंजिल पर ठहर क्यों रही हो? तुम्हारी फितरत तो यह कभी थी ही नही, तूम अब बहकने सी बातें क्यों कर रही हो जबकि वो उम्र तो तुम्हारी कब की बीत गई हैं, बेटा सब लोग तो तुम्हारा बुरा कभी नहीं सोच सकते, तुम्हारे अपने हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगें तुम बस उन्हें आवाज देना वो एक पल में तुम्हारे नाम कर देंगें सारी खुशियाँ, तुम्हारे अपने सपने हैं, तुम्हारी अपनी ज़िन्दगी हैं फिर भी तुम दूसरों के दाग साफ़ करने के लिए अपने हाथ क्यों मैले करोगी?
तुम इतनी नासमझ कैसे हो सकती हो जो कि किसी नादानी के लिए अपनी अब तक की रेस्पेक्ट, अब तक की पूंजी, अब तक का मान-सम्मान, आज तक के रिश्ते-नाते सब बस एक इन्सान के लिए केवल इसलिए दांव पर लगा दोगी क्यूंकि तुम्हें लगता हैं कि तुम्हें उससे प्यार हैं, तुम उसकी परवाह करती हो इसलिए हमेशा उसके साथ रहकर उसका साथ देना चाहती हो!!
बेटा तुम्हारी अपनी सोच हैं, तुम्हारी अपनी ख्वाहिशें हैं तुम्हारी अपनी समझ हैं फिर भी मैं कहूँगा तुम कुछ चीजों को वक़्त पर छोड़ देना, सब कुछ अपने हाथ में मत लो, जल्दबाजी मत करना, वक़्त बीत जाने दो सब ठीक जो जायेगा, विश्वास रखना तुम्हारे साथ हमेशा अच्छा ही होगा, जो नेकी पर चलता हैं उसका तो खुदा भी साथ देता हैं..!!
उम्मीद करता हूँ तुम अब अपनी ज़िन्दगी में फिर से उड़ने लगोगी, हमेशा तुम्हारे लिए दुआएं ही निकलेगी....जीते रहना..!!
एक अनदेखा खुदा!!
पता-आसमान!!
पता-आसमान!!
2 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 19 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
WOwww......aap kafi waqt bad najar aae ho....bahut sari yaadein taja ho gai h!!😊
Thank u so much!!
Jarur aayenge..halchal me😊😃
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