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Wednesday 30 April 2014

कुछ नए-पुराने दोस्त,....

कल लिखेंगे.............



7th मई 2014 -
उफ्फ अप्रैल भी खत्म हो ही गया ……
खैर हे भगवान कभी -कभार यह क्या हो जाता हैं 
आपको पता हैं ना मेरी कितनीं पोस्ट्स पेंडिंग हैं 
माफी चाहती हू कि वक़्त पर यह पोस्ट अपडेट नहीं कर पायी थी 
एक्चुअली मेरी तो कोई गलती थी ही नहीं 
मैं टाइप करके 1 st मई को ही अपडेट करने वाली थी कि………
खैर छोड़िए आप नहीं समझेंगे 
हां तो बात कर रहे थे कुछ नये पुराने दोस्तोँ की 
हुह नये दोस्तों से ना मुझे कोई उम्मीदें हैँ ओर ना ही कोई आशा 
और ना ही पुराने दोस्तों से कोई गिला-शिकवा हैं :-)
मैंने बचपन में कभी दोस्त नहीं बनाये या 
यू कह लीजिए तब मुझसे क़ोई दोस्ती करना ही नहीं चाहते थे 
कुछ बड़ी हुई कि मेरी किस्मत मुझे तेजास्थली में ले गयी 
तेजास्थली मिली ज़िन्दगी मिल गयी 
रिश्तों का मतलब समझ में आने लगा 
अपनापन क्या होता हैं यह जाना ,दुर जाने के बाद भी अपनों को दिल में जगह देना सीखा 
फिर बाहरवीं के बाद कुछ वक़्त रिंकू के साथ बिताया 
सच में उससे हर रिश्ते को सहजने की हिम्मत लेना चाहती हू :-)
किस्मत ने फ़िर अपना खेल खेला ओर ले गयी फ़िर से एक नये कॉलेज में 
जहां मेरे अपनों के चेहरे व नाम सब-कुछ बदल गये थे 
पर कमला नेहरू की कुड़ियों से मिलने के बाद मेरे सारे गिले-शिकवे दुर हो गये 
जिंदगी की सांसें उनके बिना अधूरी लगती थी 
यहाँ खेल खिलाड़ी सब बदल गये फ़िर भी खेलने में मजा आ रहा था 
पर कहते हैं ज्यादा प्रेम हानिकारक होता हैं 
यकीं मानिए अति हर चीज़ की बुरी होती हैं 
वक़्त के साथ मुझे फ़िर हर चीज़ से नफरत हो गयी 
दोस्तों से ,दोस्ती से व अपनेआपसे भी :(
इस बार मैंने अपने मन से कॉलेज चेंज किया था 
पर सम्भाल लिया ,अपने आपको समझा दिया था कि 
अब मैं अपनी जिंदगी में नये लोगों को बिल्कुल जगह नहीं दूंगी 
कुछ हद तक अपने आपको किताबों की दुनिया तक समेट लिया था 
कि एक दिन फ़िर से बिना इज्जाजत के वो मेरी जिंदगी मे आ गयी 
नाम किसी का भी ज्यादा महत्व नहीं रखता…………
आजकल अपनी जिंदगी को भी थोड़ा बदलनें का सोंचा हैँ 
सो देखो ना आज ही एक नयी फ्रैंड बनायीं हैँ 
हां अभी कुछ दिन पहले राना हॉस्पीटल गयी थीं 
तब भी तो एक नई फ्रेंड बनायीं थी पर अफ़सोस 
मुझे उसके नाम के अलावा उसके बारे मे सब-कुछ याद हैं 
वैसे ना आजकल दोस्ती थोड़ी संजीदगी के साथ करती हू 

याद हैं पहले दोस्त होते थे ना तब उनके नाम के सीवा 
उनके बारे में कोइ इन्क्वारी नहीं करते थे 
पर आजकल किसी के बारे में सब-कुछ जानने के बाद 
उन्हें दोस्त बनाते हैं 
अजीब हैं पर सच हैं :-)!!!!!

1 comment:

Yashwant R. B. Mathur said...

30 अप्रैल के कल के बाद की कल भी आ गयी।
आज लिख दीजिये :)