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Thursday 23 January 2014

बता दो शब्दों को कौनसे तराजु से तोलू ??

जितना सोचो उतनी परेशानियाँ इससे अच्छा
दिमाग को किसी ठंडे बस्ते में कैद करके रख दो सच कोई
भी परेशानी नहीं होगी
ना दुनिया की चिंता, ना अपनों की फिकर होगी
सच समझदार बनने में तकलीफ ही तकलीफ हैं बाबा
इससे ज्यादा अच्छा तो हैं लापरवाह बन जाना ही:-)
सच मर जाने में ही सुकून हैं वरना इस जिंदगी में बहुत शोर हैं भई
श्श्श.………अगर आप मेरे अपने हैं तो गौर सुनो
इतनी हिम्मत रखना कि आपको मेरी किसी बात का बुरा ना लगे
क्यूंकि मैं मुँहफट हू बाबा जब बोलती हू तब मैं नहीं सोचती
क्या बोलू और क्या नहीं >?????
सॉरी पर मैं शब्दों में नहीं बंध सकती  
मेरा नाम सारिका हैं एक पक्षी
जो हर पल बस उड़ने की चाह रखता हो
मुझे ठहराव पसंद नहीं हैं, कहीं कैद हो जाना
मुझे कोई मेरी हदें बताये उससे ज्यादा अच्छा हैं कि
लोग क्यों ना अपना नजरिया बदल ले :-)
आखिर हद की भी तो कोई सीमा नहीं हैं ??

बेशक वक़्त और हालातों के साथ बदलना सिखा
पर हद हैं इंसान के रूप में भी बदल जाऊ क्या ????
अस अ पर्सन मेरी आज पहली कमी मैं ब्लॉग पर शेयर
कर रही हू कि मैं बेहद ज्यादा बोलती हू, कोई हद नहीं हैं
बेशक मेरे माताजी की हिदायतें भी मुझे याद रहती हैं
पर क्या करू मैं अपने मुँह को सिल नहीं सकती ना :-)lol
बना लो खुद को हमारे जैसा और चलो
फिर साथ में सैर करते हैं इस गगन की :-)
क्या करे हमारी तो फितरत हैं उड़ना
भला हमें कब कोई आंधी-तूफाँ रोक पाए हैं ???
हूह.… कल शाम को याद करते हुए :-)
प्लीज भगवानजी इतनी हिम्मत दे दो ना
बना दो ना मुझे भी मेरी माँ जैसा :-)!!!!!!!!!!!

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