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Thursday 2 January 2014

मेरा खुदा, मन का राम :(

आज मैं खो गयी उस खुदा की खुदाई में, उसकी राह में
उसके जहाँ में
अपने मन में एक अलग ही ख़ुशी का आभास हो रहा था
जिसे ना शब्दों में बयां किया जा सकता था और
ना ही कलम से कागज पर लिखा जा सकता था
बचपन से ही मैं बहुत आध्यात्मिक प्रवृति की रही हू
और ताउम्र रहूंगी :-)
मुझे अपने संता की बात याद आयी कि-
सब जुग दिशे जातो, रहियो ने दिशे एक
(आशय-बस इतना ही कि मृत्यु शाश्वत सत्य हैं)
फिर सोचा यह सब तो ठीक हैं पर मैं पूजा किसकी करू ???
राम की, रहीम की, खुदा की, अल्लाह की etc .... !!
यहाँ मुझे मेरे विचार सही लगे कि-
खुदा तो एक ही हैं बस हम ही लोगों ने उसे बाँट दिया हैं :-)
मैं उससे लड़ने की ,उसे भला-बुरा कहने की हिम्मत कर ही नहीं सकती
खामखां जो बीत गया हैं उसका ताउम्र क्यों रोना रोना ????
मुझे उसका दिया हुआ सब-कुछ मंजूर हैं बिना किसी गिले-शिकवे के
जो लोग कहते हैं हम भगवान को नहीं मानते हैं
मैं उनकी इस बात पर केवल हंस सकती हू
मेरी मानो तो उसकी रजा के बिना तो एक पता भी नहीं हिलता हैं
अगर वो नहीं हैं तो आप एक दिन भी इस दूनिया के किसी काम
को अपने तजुर्बे पर करके दिखाओ तब मानूंगी :-)
"लोग बिना आँखें खोले चलते हैं और 
ठोकर लगने पर दोष पत्थर को देते हैं "

यह गलत बात हैं ना अपना दोष किसी और के सिर पर मढ़ना
उफ्फ़ उसने बुरा किया जो कि मुझसे मेरा सब-कुछ छीन लिया
अच्छा था ही कहाँ अपना सब-कुछ..... वो हर पल केवल हमें देने
का ही सोचता हैं हम उसे समेट नहीं पाते हो यह और बात हैं :-)
यह जिंदगी अपनी अमानत और अपनी सम्पति नहीं हैं
जो कि हम यहाँ आकर उसे भूल बैठे हैं और ऐसे हक़ जाता रहे हैं
जैसे कि हम हमेशा के लिये अमर रहेंगे
अरे! यह केवल उस खुदा की कृपा का रहमोकरम हैं
जो हमें एक अच्छा मनुष्य जन्म मिला हैं
इस भवसागर से पार उतरने का, अपने जन्म के उद्श्य को पाने का
बेशक हम युवा हैं पर दिमाग से आगे बढ़ने का सोचो अपने संस्कारो को पीछे धकलने का नहीं
अगर हम आज उसे भुलायेंगे तो कल वो हमें भुला देगा
मुझे याद हैं जब पिछले साल नवरात्रा में मैं अखंड सुमरण (यह वो विधी हैं जिसमें रामस्नेही लोग राम नाम का जाप करते हैं) करने रामद्वारा जाती थी तब किन्हीं आंटी ने मुझसे बोला था कि अभी तेरी उम्र नहीं हैं और मैं इस बात पर केवल हंस दी थी आई जस्ट थिंक कि-
"जीव तू सोचे कल की ,खबर नहीं हैं पल की :-)"
जब प्यार करने की कोई उम्र नहीं हैं
आगे बढ़ने के लिए कोई सही वक़्त की जरुरत नहीं हैं
तो उसके लिये आपने सही वक़्त क्यों चुना बुढ़ापे को
क्या पता वो आये भी ना ?????
थैंक यू खुदा इतनी अच्छी जिंदगी देने के लिये
इतने अच्छे पेरेंट्स और फिर विनोद बाईसा(संता) से मिलाने के लिये
जानती हू कुछ भी स्थायी\नहीं हैं सो मुझे आपका हर
फरमान मंजूर हैं बिना किसी शर्त के :-)
"मैं भी इस दूनिया से वैसे ही खो जाना चाहती हू 
बिल्कुल ओस की बूंद के पानी से जैसे 
खो जाते हैं लाखों-करोड़ों लोग लेकिन 
इसके बाद चाहती हू केवल आपका साथ 
बस मैं चाहती हू केवल ब्रह्म भक्ति 
की प्राप्ति और मोक्ष :-)"
ज्यादा तो नहीं माँगा ना भगवानजी ??????
लव यू :-))
प्लीज ऑलवेज स्टे विथ मी :(

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