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Monday 2 September 2013

मेरी डायरी -१ :-))

वैसे तो मैंने निर्णय किया था कि अब मैं इन
जख्मों को कभी भी हरा नहीं होने दूंगी
मैंने निर्णय किया था कि मैं तब तक नहीं लिखूंगी
जब तक कि मुझे कोई ऐसा पर्सन नहीं मिल जाता
जो कि मेरे इन सपनों को नया रंग दे सके
पर आज मैं मजबूर हू :-)
मुझे बहुत दर्द होता हैं कि मैं कभी भी अपने लिये नहीं जी
सकती आँखें भर आती हैं पर रो नहीं पाती
दर्द बहुत हैं इस दिल में पर बयां नहीं किया जा सकता :-))
मैं उस खुदा से पूछना चाहूंगी कि क्यूँ आखिर लड़की को ही
अपनी जिंदगी जीने का अधिकार नहीं हैं ???????
आखिर लड़की और लड़के में जमीं आसमां का फर्क क्यों रखा जाता हैं ????
एक बेबस और लाचार पत्नी अपने पति से पिटती हैं
क्यूंकि उसने हमेशा से पति को केवल पूजना सीखा हैं
वो देवता जो बन बैठा हैं
अरे !सिखा नहीं उसे सिखाया गया हैं :-(
वैसे भी औरत इतने अंधविश्वास में जकड़ी हैं कि
वो भी अपनी बेटियों को समाज का नाम देकर
खुद की ही तरह बेबस और मजबूर बना देती हैं :-)
एक लड़की पहले अपने घर में यह कहकर जलील की
जाती हैं कि तुम लड़की हो और लड़कियों को
चारदीवारी में रहना ही शोभा देता हैं
लड़की को अच्छा घर व पैसा देखकर दे दी जाती हैं
फिर दुल्हा चाहे बुढ्ढा भी क्यों ना हो ????
अगर वो दिल से रिश्ता ना निभा पाये तो ??????????
हम ऐसे देश में रह रहे हैं जहाँ एक बार मैंने न्यूज़ में
पढ़ा था दूल्हा 40 का और दुल्हन 4 की -
वाह वाह। … धन्य हो
हो रहा भारत निर्माण ,बढ़ रहा हैं राजस्थान :-))
मेरा भारत तो महान है फिर यहाँ ऐसी नीचता वाली हरकतें\क्यों ????
मुझे तरस आता हैं अपने आप पर और अपनी किस्मत पर :-(
भगवानजी ने मुझे ऐसा क्यों बनाया ????
क्यों मुझे दुसरों की तकलीफ से भी दर्द होता हैं ??????
खुद के दर्द कौनसे कम है जो कि
दूनिया के दर्द और ग़मों के बारे में सोचने बैठ जाती हू :-))
मुझे माफ कर देना प्लीज भगवानजी
आज मैंने खुद से किया हुआ वादा तोड़ दिया
पर क्या करू यह लिखने का बहुत मन कर रहा था
सो रियली सॉरी :-))
इस पोस्ट में मैंने कुछ बातें एडीट कर दी हैं 
ताकि किसी को कोई तकलीफ ना हो फिर 
भी अगर कोई बात किसी को तकलीफ दे तो 
मुझे माफ करने की हिम्मत रखे प्लीज आपकी मेहरबानी होगी :-))"
थैंक यू :-))
दिनांक -24th february २०१३ :-))

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