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Monday 14 March 2016

"एक लड़की की डायरी- 2"

शायद बेटी कोई पैदा नहीं करना चाहता पर हो जाती हैं बेटियाँ, फिर भी मुझे इस दुनिया में आने के बाद बेटी, लड़की या इन्सान बनने का मौका नहीं दिया जाता हैं, मुझे जन्म से ही सीधा बहु ही बनना सिखाया जाता हैं, मेरा भला-बुरा सब समझाया जाता हैं, कोई नहीं सिखाता कि बेटा पढ़-लिखकर अच्छी इन्सान बनना, खूब सारे सपने देखना और उन्हें सच करना, कोई नहीं कहता कल्पना चावला व किरण बेदी बनने का सभी किसी एक अच्छी बहु की तरह ही बनने का कहते हैं!!
नहीं होता हैं ना हक़ लड़कियों को सपने देखने व आसमान में उड़ने का, नहीं कर सकती मैं गर्व महज एक दो लड़कियों के कुछ अलग कर देने पर जबकि हर आम लड़की आज भी अपनी प्रारंभिक शिक्षा से भी वंचित हो...!!!!😐
क्रमश:.....-)

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