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Tuesday 25 February 2014

जीने दो.… जीने दो.......

आसान नहीं होता हैं खुद को मिटा डालना 
बहुत मुश्किल हैं इस जिंदगी को दूसरों के अनुसार बदल लेना 
हूह..... तभी तो लोग सही कहते हैं कि 
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले।।।
हम्म अब सोच लिया हैं मैंने कि जो होना हैं वो होकर रहेगा 
तो क्यूँ बेमतलब कि फिकर में अपनेआपको तकलीफें देना 
कहा तक ठीक हैं अपनों से मुँह मोड़ लेना ????
अपनों के साथ अपनी प्रॉबलम्स शेयर नहीं करना ????
अपने सारे एकाउंट्स से कन्नी काट लेना ?????
पुरानी बातों को भुला देने में ही सुकून हैं तो क्यूँ उनके साथ घुटना ??
क्यों उन सपनों को पंख देने जो सच नहीं होने ???
hmmmmmm............
जानती हू मैं बहुत नादान हू पर संभल जाऊगी मैं 
आज बहुत खुश हू कई अरसे बाद गीत से बात की हैं 
बहुत -२ आभार गीत..... :-)
तेरा सवाल अच्छा नहीं था कि मैंने तुझे कितनी बार याद किया ????
क्यूंकि तुझे नहीं पता तेरी दोस्ती के मायने मेरे लिये क्या हैं ???
इन दो -तीन सालों के वक़्त ने मुझे थोड़ा समझदार बना दिया हैं 
पर पता हैं अभी एक दिन चीकू खाते वक़्त मैंने और पापाजी ने 
कम्पटीशन किया यकीनन तुम और सुनीता बहूत याद आये 
याद हैं ना पावटा से कमला नेहरु तक की रोड चिकू और हम ????
एनीवे बात यह थी कि अब मैं आज और कल की फिकर में नहीं केवल आज मैं जिऊगी 
मुझे जो लोग अच्छे लगते हैं मैं उनके साथ अपना वक़्त बांटूगी 
जिंदगी की उलझनों को थोड़ा कम कर दूंगी 
बन जाऊगी मैं थोड़ी खुदगर्ज संवार लूगी थोड़ा और अपनेआपको 
फ़िक्र करुँगी केवल अपनी और अपनों की ना कि दूनिया की 
बन जाउगी मैं भी थोड़ी और बूरी :-)
"यह जिंदगी ना जाने कब और कौनसे मोड़ पर धोखा दे 
पर उस मोड़ से पहले मैं यु टर्न ले लेना चाहती हू 
उम्र काटना नहीं मैं जीना चाहती हू ,मैं जीना चाहती हू :-)"

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