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Monday 19 October 2015

हां नहीं हैं विश्वास:(

चलो अब फिर से अपनी इस दुनिया को थोडा वक़्त देते हैं:)
तुमने एक पल में ही मेरी धडकनों को कैसे छलनी कर दिया था यह कहकर कि तुम्हें तो मुझ पर विश्वास ही नहीं हैं
एक पल को तो बेहद बुरा लगा, बहुत गुस्सा आया तुम पर
अगले पल को होश संभाला तो पाया कि हां तुमने कुछ गलत भी तो नहीं कहा,
हां नहीं हैं मुझे तुम पर विश्वास :)
जनाब विश्वास बनाना पड़ता हैं
तुम पर तो मुज्गे अपने आपसे ज्यादा विश्वास था
पर एक बार कुछ खो जाए तो वो वापिस पहले जैसा कभी नहीं रह पाटा पता पाता हैं:(
हा नहीं हैं तुम पर विश्वास तब से जब टी तुमने मेरे अलावा भी किसी और की ओर हाथ बढाया था साथ देने के लिए
फिर चाहे उस वक़्त कोई ग़लतफ़हमी ही वजह क्यूँ ना रही हो?
हां नहीं हैं विश्वास तब से जब तुमने मुझे असफल होता देखकर मुज्ग्से मुझसे मुहं मोड़ लुया लिया था
हां नहीं हैं विश्वास तब से जब तुमने मुझे गिरता हुआ देखकर भी मेरे क़दमों को संभाला नहीं था:(
हां नहि नहीं हैं विश्वास तब से  जब तुमने अपनी जिंदगी को मेरे साथ बांटना बंद कर दिया😐
धत....नहीं चाहिए अब तुम्हारा विश्वास खुश हूँ मैं सुन रहे हो ना तुम....नहीं नहीं पढ़ रहे ही ना??

3 comments:

Kailash Sharma said...

सच में जब एक बार विश्वास टूट जाता है तो कठिन होता है उसका फिर से जुड़ना...बहुत भावपूर्ण और सुन्दर शैली..

Http://meraapnasapna.blogspot.com said...

सर मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो कि आपका आशीर्वाद मेरे साथ हैं😊

Http://meraapnasapna.blogspot.com said...

सर मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो कि आपका आशीर्वाद मेरे साथ हैं😊