"मैं नहीं हू सागर सी खारी ,मैं तो नदी की मीठी धार हू
भवसागर का ज्वार हू ,अभी अजन्मी बच्ची हू !!!!
रक्त में सरोबार हू ,मुझे खिलने दो फूलों के समान
खुशबु पहचानों मेरी ,फिर देखो मेरी क्षमताऐं !!!!!!
आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरूंगी ,इसलिए कहती हू मुझे जन्म लेने दो
परम्परा की कैंची से न काटो ,
नीड़ से निकली नवजात चिड़िया हू पर फड़फड़ाने दो मुझे !!!!!!!!
मेरे पर ना काटो ,बेरंग चिठ्ठी सा मुझे ना छांटों
मैं तो झरने सी कलकल करती ,नदी की सुमधुर आवाज हू !!!!!!!
दूर तक सुनायी देने वाला साज हू ,मुझे आप आत्मविश्वास के स्वर दो
नहीं किसी पर बनू मैं बोझ ,आपके स्वप्न करुँ साकार :-))
ऐसा वरदान दो सार्थक जीवन का सार बन
घर ,परिवार ,समाज और राष्ट्र का नाम करुँ इस वन्दनीय भूमि पर !!!!!!!!!!
प्रार्थना करती हू बस मुझे जीने का अधिकार दो
विश्वास का संसार दो ………:-))"
दिनांक -12th मई -2012 :-))
भवसागर का ज्वार हू ,अभी अजन्मी बच्ची हू !!!!
रक्त में सरोबार हू ,मुझे खिलने दो फूलों के समान
खुशबु पहचानों मेरी ,फिर देखो मेरी क्षमताऐं !!!!!!
आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरूंगी ,इसलिए कहती हू मुझे जन्म लेने दो
परम्परा की कैंची से न काटो ,
नीड़ से निकली नवजात चिड़िया हू पर फड़फड़ाने दो मुझे !!!!!!!!
मेरे पर ना काटो ,बेरंग चिठ्ठी सा मुझे ना छांटों
मैं तो झरने सी कलकल करती ,नदी की सुमधुर आवाज हू !!!!!!!
दूर तक सुनायी देने वाला साज हू ,मुझे आप आत्मविश्वास के स्वर दो
नहीं किसी पर बनू मैं बोझ ,आपके स्वप्न करुँ साकार :-))
ऐसा वरदान दो सार्थक जीवन का सार बन
घर ,परिवार ,समाज और राष्ट्र का नाम करुँ इस वन्दनीय भूमि पर !!!!!!!!!!
प्रार्थना करती हू बस मुझे जीने का अधिकार दो
विश्वास का संसार दो ………:-))"
दिनांक -12th मई -2012 :-))
4 comments:
जीने का अधिकार...बस इतना ही तो मांग रही हूँ.....
बहुत सुन्दर..
अनु
shukriya mam:-))
बस मुझे जीने का अधिकार दो .....
विश्वास का संसार दो....... दिल को छूती हुई रचना ....
mam main aapki profile se aapko circle me add kyun nahi kar paa rahi hu???????
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