कुछ यादें वक़्त के साथ बहूत धुंधली सी हो जाती हैं कि
लाख कोशीश करो पर फिर भी हम उन्हें समेट नहीं पाते हैं :-)
वक़्त बहुत जल्द अपनी करवट बदल लेता हैं ,
और हम केवल उसके हाथों ठगे से रह जाते हैं बस :-)
कभी कुछ पुरानी यादें दिल के बहूत करीब जैसे
कि दिल के किसी एक कोने में संभालके रखी हो
आंखें बंद करते ही बस एक पल में ही उभर आयेगी
और कभी केवल आंखों में तैरती हुई हमसे बहूत
दूर जाती हुई सी प्रतीत होती हैं। …… :-))
अक्सर वो दिन याद आते हैं -
"जब मैं दुसरे बच्चों को चॉकलेट खाते हुए देख बस अपनी ललचाई
नजरों से देखकर ठगी सी रह जाती थी
वो खेतों की पगडंडियों पर अठखेलियां करते हुए सबके साथ चलना
ना किसी से पीछे रहने का डर और ना ही किसी से आगे निकलने की जिद्द :-))
हम अक्सर इंतजार किया करते थे दीपावली के आने का और
बड़ो से आशीर्वाद लेने का पर पर अब खुद बड़े हो गये हैं ना सो
खुद के झुकने में कमर के लचक जाने का डर रहता हैं जी :-))"
बिना मन के कुछ लिखना भी बहुत मुश्किल होता हैं
दिनांक -29th oct. २०१३ !!!!!!!!!!!!!
लाख कोशीश करो पर फिर भी हम उन्हें समेट नहीं पाते हैं :-)
वक़्त बहुत जल्द अपनी करवट बदल लेता हैं ,
और हम केवल उसके हाथों ठगे से रह जाते हैं बस :-)
कभी कुछ पुरानी यादें दिल के बहूत करीब जैसे
कि दिल के किसी एक कोने में संभालके रखी हो
आंखें बंद करते ही बस एक पल में ही उभर आयेगी
और कभी केवल आंखों में तैरती हुई हमसे बहूत
दूर जाती हुई सी प्रतीत होती हैं। …… :-))
अक्सर वो दिन याद आते हैं -
"जब मैं दुसरे बच्चों को चॉकलेट खाते हुए देख बस अपनी ललचाई
नजरों से देखकर ठगी सी रह जाती थी
वो खेतों की पगडंडियों पर अठखेलियां करते हुए सबके साथ चलना
ना किसी से पीछे रहने का डर और ना ही किसी से आगे निकलने की जिद्द :-))
हम अक्सर इंतजार किया करते थे दीपावली के आने का और
बड़ो से आशीर्वाद लेने का पर पर अब खुद बड़े हो गये हैं ना सो
खुद के झुकने में कमर के लचक जाने का डर रहता हैं जी :-))"
बिना मन के कुछ लिखना भी बहुत मुश्किल होता हैं
दिनांक -29th oct. २०१३ !!!!!!!!!!!!!
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