(१)-सब कहते हैं मैं एक खुली किताब हू
अब तुम ही इस दिल के किसी एक "राज" को बता दो ना !!
(२ )-सब कहते मैं खुश हू
तुम ही इन आँखों में छुपी नमी को बयां कर दो ना !!
(३ )-सब कहते हैं कि मैं एक खामोश दरिया हू
तुम ही इस दिल में छुपे जज्बातों को बहा दो ना !!
(४ )-सब कहते हैं मैं दीवानी हू सिर्फ तुम्हारी
तुम ही सारे आशिकों के नाम उजागर कर दो ना !!
(५ )-सब कहते हैं मैं जी सकती हू बिन तुम्हारे भी
अब तुम ही सबको हमारे वज़ूद से रूबरू करवा दो ना !!
अब तुम ही इस दिल के किसी एक "राज" को बता दो ना !!
(२ )-सब कहते मैं खुश हू
तुम ही इन आँखों में छुपी नमी को बयां कर दो ना !!
(३ )-सब कहते हैं कि मैं एक खामोश दरिया हू
तुम ही इस दिल में छुपे जज्बातों को बहा दो ना !!
(४ )-सब कहते हैं मैं दीवानी हू सिर्फ तुम्हारी
तुम ही सारे आशिकों के नाम उजागर कर दो ना !!
(५ )-सब कहते हैं मैं जी सकती हू बिन तुम्हारे भी
अब तुम ही सबको हमारे वज़ूद से रूबरू करवा दो ना !!
15 comments:
बहुत सुन्दर .....
सुंदर !
सुंदर रचना !
lot of thanks sir G...:-)
thank you....
bahut-2 aabhar sir...:-)
thank you......
बहुत खूब .. कुछ एहसास लिए हर लम्हे को लिखा है ..
bahut-2 aabhar sir.....
bs thodi si koshish ki hain G...:-)
बहुत खूब ..
शुभ प्रभात
जीती रहो..
लिखती रहो
छपती रहो
सादर.....
aabhar......!!
बहूत-२ आभार मैम :-)
बस सब आपकी दुआओं और आशीर्वाद का रहमोकरम हैं जी !!
aapke blog pe main comment hi ni kar paa rahi hu id khulane me itna jyada waqt kyun lagta hain.....?????
actually mujhe wo tik-tik wala logo apne bhi blog pe lagana hain bahut achcha laga so kya aap help kar denge...??????
please....:-)
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