वैसे अक्सर इस दुनिया के बहुत सारे मुद्दे मेरे जेहन में आते हैं
पर हमेशा मैं उन पर लिखकर फिर वो पेपर्स किसी डिब्बे में
बंद करके उन्हें छुपा देती हू और अपने आपसे केवल इतना
ही बुदबुदा पाती हू आज तक हम इस दुनिया की परेशानियों
से केवल परेशां ही होते आये हैं कभी कुछ सुलझाया तो नहीं ना ??
तो खामखां टाइप करके इतनी देर क्यों परेशां होना
बस फुर्सत के पलों में वो डिबिया मेरी और तकती हैं
तथा मैं उसमें छुपे पेपर्स को व उसमें कैद की गयी घुटन को :(
पर पिछले २-४ दिनों की आप पार्टी पर लिखी खबरों को पढ़कर
हौसला थोड़ा बढ़ गया हैं
मुझमें इतनी हिम्मत नहीं हैं कि मैं किसी का विरोध कर सकू
और जिस दिन विरोध करना सिख लिया
अपने मन की सारी कड़वाहटों को कह डाला तो
कसम से मुझे यह जानकर भी कोई आश्चर्य नहीं होगा
कि इस दूनिया के सबसे ज्यादा विवादित लोगों में से एक नाम मेरा भी होगा
हूह.…। लगता हैं अब लोग आप पार्टी की साँसें छीनकर उसे
मुर्दा बनाकर ही दम लेंगे :(
सच मेरे घर पर कभी राजनीति की बात नहीं होती थी
इवन मेरी माँ तो यह तक कहते हैं कि यू ही हाथों को काला नहीं करना हमें !!
मेरे पापाजी जिन्हें ना सांसद से कोई मतलब होता तो
ना ही विधायक से लेना-देना, जिन्होंने पहली बार आप का करिश्मा देखा
मैं जो आज तक राजनीति को बूरा मानती थी
उसे इसमें अच्छाई नजर आने लगी
भाई ने बताया था कि मेरे कॉलेज के कोई भैया भी चुनाव लड़
रहे थे सो मैंने उन्हें ही वोट किया पर जब आप के बारे में पढ़ा
तब लगा कि सच में मैंने अपने वोट का यूज़ नहीं किया :-)
खाश किरण बेदी और अन्ना जी भी आप का साथ दे देते !
जो लोग खास हैं वो खुद को जमीं पर नहीं देखना चाहते :-)
अब मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं बांध पा रही हू
बस मेरा मन केवल यह कह रहा हैं कि आप के साथ जो रहा हैं
वो ठीक नहीं हैं आफ्टर आल वो लोग आम इंसानो की सुन रहे हैं
और मैं तो उनसे भी ज्यादा आम हू इसलिए मुझे यह पार्टी और
इसके विचार बेहद अच्छे लगे फिर इनका साहस भी तो देखो
हर जगह आम इंसान के साथ खड़े नजर आ रहे हैं
बाकी नेताओं की तरह केवल अपने महलों से ही फरमान नहीं सुना रहे हैं
वक़्त हैं बदलने का खैर बुराइयां हर जगह और हर इंसान में होती हैं
तो क्या हुआ दाग तो चाँद में भी हैं फिर क्यों नहीं कर लेते उसे अपनी मुठी में कैद ????
क्यों उसके ना निकलने पे अमावस्या की रात सबको काली ही नजर आती हैं ???
अब सरु जस्ट चिल्ल,,,,,इतनी ठण्ड में भी दिमाग इतना गर्म :-)
पर हमेशा मैं उन पर लिखकर फिर वो पेपर्स किसी डिब्बे में
बंद करके उन्हें छुपा देती हू और अपने आपसे केवल इतना
ही बुदबुदा पाती हू आज तक हम इस दुनिया की परेशानियों
से केवल परेशां ही होते आये हैं कभी कुछ सुलझाया तो नहीं ना ??
तो खामखां टाइप करके इतनी देर क्यों परेशां होना
बस फुर्सत के पलों में वो डिबिया मेरी और तकती हैं
तथा मैं उसमें छुपे पेपर्स को व उसमें कैद की गयी घुटन को :(
पर पिछले २-४ दिनों की आप पार्टी पर लिखी खबरों को पढ़कर
हौसला थोड़ा बढ़ गया हैं
मुझमें इतनी हिम्मत नहीं हैं कि मैं किसी का विरोध कर सकू
और जिस दिन विरोध करना सिख लिया
अपने मन की सारी कड़वाहटों को कह डाला तो
कसम से मुझे यह जानकर भी कोई आश्चर्य नहीं होगा
कि इस दूनिया के सबसे ज्यादा विवादित लोगों में से एक नाम मेरा भी होगा
हूह.…। लगता हैं अब लोग आप पार्टी की साँसें छीनकर उसे
मुर्दा बनाकर ही दम लेंगे :(
सच मेरे घर पर कभी राजनीति की बात नहीं होती थी
इवन मेरी माँ तो यह तक कहते हैं कि यू ही हाथों को काला नहीं करना हमें !!
मेरे पापाजी जिन्हें ना सांसद से कोई मतलब होता तो
ना ही विधायक से लेना-देना, जिन्होंने पहली बार आप का करिश्मा देखा
मैं जो आज तक राजनीति को बूरा मानती थी
उसे इसमें अच्छाई नजर आने लगी
भाई ने बताया था कि मेरे कॉलेज के कोई भैया भी चुनाव लड़
रहे थे सो मैंने उन्हें ही वोट किया पर जब आप के बारे में पढ़ा
तब लगा कि सच में मैंने अपने वोट का यूज़ नहीं किया :-)
खाश किरण बेदी और अन्ना जी भी आप का साथ दे देते !
जो लोग खास हैं वो खुद को जमीं पर नहीं देखना चाहते :-)
अब मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं बांध पा रही हू
बस मेरा मन केवल यह कह रहा हैं कि आप के साथ जो रहा हैं
वो ठीक नहीं हैं आफ्टर आल वो लोग आम इंसानो की सुन रहे हैं
और मैं तो उनसे भी ज्यादा आम हू इसलिए मुझे यह पार्टी और
इसके विचार बेहद अच्छे लगे फिर इनका साहस भी तो देखो
हर जगह आम इंसान के साथ खड़े नजर आ रहे हैं
बाकी नेताओं की तरह केवल अपने महलों से ही फरमान नहीं सुना रहे हैं
वक़्त हैं बदलने का खैर बुराइयां हर जगह और हर इंसान में होती हैं
तो क्या हुआ दाग तो चाँद में भी हैं फिर क्यों नहीं कर लेते उसे अपनी मुठी में कैद ????
क्यों उसके ना निकलने पे अमावस्या की रात सबको काली ही नजर आती हैं ???
अब सरु जस्ट चिल्ल,,,,,इतनी ठण्ड में भी दिमाग इतना गर्म :-)
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