सभी बिते पलों को कैद कर रहे हैं,
सबको यू वक़्त को समेटते हुए देखकर मैं थोड़ा बैचैन हो उठी
फिर जेहन में आया क्यों ना मैं भी कुछ बीते पलों को संजोने का प्रयास करुँ :-))
कि तभी सोचा चलो हिसाब करते हैं क्या खोया,क्या पाया
तभी लगा नहीं,नहीं जो बीत गया उसे जाने दू ना
वरना पता नहीं यह किस्मत कौनसी कयामत ढा देगी फिर से !!!!!!!!
मन भी बावरा पता नहीं क्या-२ सोचता रहता हैं ???????
तभी सोचा क्यों ना डायरी को पढ़ा जाय
फिर उससे अच्छे पलों को चुनकर रिजल्ट निकालकर
वो पल लिखे जाए बस ताकि मुझे लगेगा कि हां मैं खुश हू बिन तुम्हारे भी :-))
ऊफ्फ डायरी भी एक ही हाथ लगी थी 2011 की -
मैं थोड़ा चौंक गयी थी
फिर अपने आपसे ही फुसफुसाई यह २०११ नहीं 2013 खत्म होने को आया हैं :(
सारे पेज पलटे उन पर भी बिल्कुल मेरी जिंदगी की तरह रंज सी जम गयी थी
मैंने उन्हें साफ़ किया,बिना वक़्त जाया किये सारे पेज पलट डाले
इसी उधेड़बुन में कि क्या पता शायद कही २०१३ और २०१३ का भी जिक्र मिल जाए ?????
पर अफ़सोस जो काले पन्ने थे वो सब तुम्हारा जिक्र कर रहे थे
बाकी बचे सफ़ेद पन्ने मेरी तरफ देखकर हंस पड़े और फिर बोलें-
"अब तुम्हारा जीवन भी कोरा कागज :-))"
सच यह साल भी बदल रहा हैं मेरी आँखों के सामने ,बिल्कुल वैसे ही जैसे बदलते हैं इंसान
पहले उनके चहेरे,फिर उनके विचार और फिर उनके अपनों की लिस्ट :-))
ओफ्फो क्या लिख रही थी चलो अपने विचारों को विराम देते हैं
क्यूंकि अभी अभी भी हमने किसी लाश को देख लिया हैं सो
माइंड पूरा डाइवर्ट हो गया हैं,अब मन बड़ों सी बातें करने लगा हैं
तुम्हें डर लगा क्या ??????????
उफ्फ़ नहीं ना पर मुझे लग रहा हैं एक दिन इसी तरह मैं भी चली जाउगी ना?????
यह मौत भी ना,अगर मैं खुदा होती ना तो हर चीज को परमानेंट बना देती
लोगों को,वक़्त को,उपलब्धियों को
तभी तो नहीं हू :-))
सबको यू वक़्त को समेटते हुए देखकर मैं थोड़ा बैचैन हो उठी
फिर जेहन में आया क्यों ना मैं भी कुछ बीते पलों को संजोने का प्रयास करुँ :-))
कि तभी सोचा चलो हिसाब करते हैं क्या खोया,क्या पाया
तभी लगा नहीं,नहीं जो बीत गया उसे जाने दू ना
वरना पता नहीं यह किस्मत कौनसी कयामत ढा देगी फिर से !!!!!!!!
मन भी बावरा पता नहीं क्या-२ सोचता रहता हैं ???????
तभी सोचा क्यों ना डायरी को पढ़ा जाय
फिर उससे अच्छे पलों को चुनकर रिजल्ट निकालकर
वो पल लिखे जाए बस ताकि मुझे लगेगा कि हां मैं खुश हू बिन तुम्हारे भी :-))
ऊफ्फ डायरी भी एक ही हाथ लगी थी 2011 की -
मैं थोड़ा चौंक गयी थी
फिर अपने आपसे ही फुसफुसाई यह २०११ नहीं 2013 खत्म होने को आया हैं :(
सारे पेज पलटे उन पर भी बिल्कुल मेरी जिंदगी की तरह रंज सी जम गयी थी
मैंने उन्हें साफ़ किया,बिना वक़्त जाया किये सारे पेज पलट डाले
इसी उधेड़बुन में कि क्या पता शायद कही २०१३ और २०१३ का भी जिक्र मिल जाए ?????
पर अफ़सोस जो काले पन्ने थे वो सब तुम्हारा जिक्र कर रहे थे
बाकी बचे सफ़ेद पन्ने मेरी तरफ देखकर हंस पड़े और फिर बोलें-
"अब तुम्हारा जीवन भी कोरा कागज :-))"
सच यह साल भी बदल रहा हैं मेरी आँखों के सामने ,बिल्कुल वैसे ही जैसे बदलते हैं इंसान
पहले उनके चहेरे,फिर उनके विचार और फिर उनके अपनों की लिस्ट :-))
ओफ्फो क्या लिख रही थी चलो अपने विचारों को विराम देते हैं
क्यूंकि अभी अभी भी हमने किसी लाश को देख लिया हैं सो
माइंड पूरा डाइवर्ट हो गया हैं,अब मन बड़ों सी बातें करने लगा हैं
तुम्हें डर लगा क्या ??????????
उफ्फ़ नहीं ना पर मुझे लग रहा हैं एक दिन इसी तरह मैं भी चली जाउगी ना?????
यह मौत भी ना,अगर मैं खुदा होती ना तो हर चीज को परमानेंट बना देती
लोगों को,वक़्त को,उपलब्धियों को
तभी तो नहीं हू :-))
No comments:
Post a Comment