ह्म्म्म.....कुछ मत सोचिए बस जीते रहिए.....हमेशा आप सही-गलत का फैसला करते रहेंगें तो केवल जजमेंट में ही अपनी जिंदगी गंवा देंगे
ऐसा नहीं हैं कि मेरी जिंदगी में आए तुम पहले इन्सान थे.....ऐसा भी नहीं हैं कि तुममें कोई खामी नहीं हैं.....ऐसा भी नहीं हैं कि पहली दफा ही तुम पर मर मिटने का जी कर गया हो....ऐसा भी नहीं हैं कि तुम्हारे साथ सुनहरे सातों रंगों के मैंने सपने देख लिए हो......ऐसा भी नहीं हैं कि बिना तुम्हारे साथ के मैंने जिंदगी को बेरंग सा जीने का ठान लिया हो.....ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं हैं....बस बात इतनी सी हैं कि अगर कोई भी इन्सान औरतों की इज्जत करता हैं तो वो मुझे इस दुनिया का एक समझदार व अच्छा इन्सान लगता हैं और मैं उस इन्सान को अपने दिल में जगह दे देती हूँ.....तुम भी थे बिल्कुल ऐसे ही बाकी तुममें कुछ भी खाश नहीं था.....कभी-कभार कुछ शब्द हमारा दिल दुखा जाते हैं लाजमी भी हैं जरुरी तो नहीं हैं सबकी पसंद एक जैसी ही हो.....और बाबा रही बात प्यार की तो सच बताऊ तुम थोड़े निरे बुद्दू हो......मैं तो बड़ी जिन्दादिली से जीना पसंद करती हूँ इसलिए मुझे तो इस दुनिया के हर इन्सान व हर चीज़ से प्यार हैं......बात करूँ इस दुनिया के सबसे पवित्र प्यार की तो सच बताऊ वो केवल हमारे माता-पिता ही कर सकते हैं हमसे इससे ज्यादा मुझे नहीं पता.....मेरे गुस्सा करने भी माँ का एक लफ्ज़ तक ना कहना.....मैं जब भी किसी एग्जाम में पास नहीं होती तो रोने लग जाती तब मेरी माँ का मेरे पास बैठकर मुझे फिर से सारी दुनिया जीत लेने का सपना दिखा देने वाला अंदाज़ तो हमेशा ही काबिले तारीफ़ रहा हैं.....अब देखो फिर कभी और लिखेंगें प्यार पर पर सच बताऊ प्यार तो तब भी हैं जब मैं सब्जी लाने जाती हूँ और मेरे बिना कुछ कहे ही वो जो मुझे चाहिए होता हैं दे देते हैं सब्जी में कितना ख्याल रखते हैं वो अजनबी भी हमारी पसंद का......फलों वाले अंकल भी ऐसा ही करते हैं.....फिर भी तुम कहते हो मैं गलत हूँ.....हाँ हूँ गलत....सिखा हैं मैंने गलतियां करना....नहीं बन सकती मैं परफेक्ट और बनना भी नहीं......किसी का ख्याल रखना किसी की परवाह करना मेरे लिए गलत नहीं हैं और कभी हो भी नहीं सकता
# धत्त यह विचार भी ना पता नहीं कैसे-2 बहका जाते हैं......सब कुछ लिख डालना भी तो सही ही हैं
ऐसा नहीं हैं कि मेरी जिंदगी में आए तुम पहले इन्सान थे.....ऐसा भी नहीं हैं कि तुममें कोई खामी नहीं हैं.....ऐसा भी नहीं हैं कि पहली दफा ही तुम पर मर मिटने का जी कर गया हो....ऐसा भी नहीं हैं कि तुम्हारे साथ सुनहरे सातों रंगों के मैंने सपने देख लिए हो......ऐसा भी नहीं हैं कि बिना तुम्हारे साथ के मैंने जिंदगी को बेरंग सा जीने का ठान लिया हो.....ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं हैं....बस बात इतनी सी हैं कि अगर कोई भी इन्सान औरतों की इज्जत करता हैं तो वो मुझे इस दुनिया का एक समझदार व अच्छा इन्सान लगता हैं और मैं उस इन्सान को अपने दिल में जगह दे देती हूँ.....तुम भी थे बिल्कुल ऐसे ही बाकी तुममें कुछ भी खाश नहीं था.....कभी-कभार कुछ शब्द हमारा दिल दुखा जाते हैं लाजमी भी हैं जरुरी तो नहीं हैं सबकी पसंद एक जैसी ही हो.....और बाबा रही बात प्यार की तो सच बताऊ तुम थोड़े निरे बुद्दू हो......मैं तो बड़ी जिन्दादिली से जीना पसंद करती हूँ इसलिए मुझे तो इस दुनिया के हर इन्सान व हर चीज़ से प्यार हैं......बात करूँ इस दुनिया के सबसे पवित्र प्यार की तो सच बताऊ वो केवल हमारे माता-पिता ही कर सकते हैं हमसे इससे ज्यादा मुझे नहीं पता.....मेरे गुस्सा करने भी माँ का एक लफ्ज़ तक ना कहना.....मैं जब भी किसी एग्जाम में पास नहीं होती तो रोने लग जाती तब मेरी माँ का मेरे पास बैठकर मुझे फिर से सारी दुनिया जीत लेने का सपना दिखा देने वाला अंदाज़ तो हमेशा ही काबिले तारीफ़ रहा हैं.....अब देखो फिर कभी और लिखेंगें प्यार पर पर सच बताऊ प्यार तो तब भी हैं जब मैं सब्जी लाने जाती हूँ और मेरे बिना कुछ कहे ही वो जो मुझे चाहिए होता हैं दे देते हैं सब्जी में कितना ख्याल रखते हैं वो अजनबी भी हमारी पसंद का......फलों वाले अंकल भी ऐसा ही करते हैं.....फिर भी तुम कहते हो मैं गलत हूँ.....हाँ हूँ गलत....सिखा हैं मैंने गलतियां करना....नहीं बन सकती मैं परफेक्ट और बनना भी नहीं......किसी का ख्याल रखना किसी की परवाह करना मेरे लिए गलत नहीं हैं और कभी हो भी नहीं सकता
# धत्त यह विचार भी ना पता नहीं कैसे-2 बहका जाते हैं......सब कुछ लिख डालना भी तो सही ही हैं
2 comments:
बहुत खूब
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