ब्लॉग -अजीब बात हैं ना कि जब सारिका अपडेट करती थी
तब मेरे यहाँ लोगों का आना-जाना लगा रहता था
मेरी दुनिया बहुत बड़ी हो गयी थी, पर उसके ना आने से यह थोड़ा सिमट गयी हैं
मैं तनहा हू अब ना मेरे लिए कुछ लिखा जाता हैं और ना कोई मेरा हाल जानता हैं ??
अब जब वो वापिस आयेगी तब मैं सूरज की हलकी किरणें उसके चेहरे पर फैला दूँगा
कह दूंगा उससे कि आज फिर से अपने सारे विचारों को यहाँ लिख दो
कर दो ना मुझे रोशन प्लीज ?? :-)
डायरी -मेरी सबसे अच्छी दोस्त शायद कहीं खो गयी हैं
अक्सर कहती थी कि डिअर डायरी तुम हो तो हू मैं पूरी
अगर तुम ना होती तो मैं इस मासूम सी जिंदगी को कैसे संजोती ??
पर आजकल मेरी तरफ मुँह ही नहीं करती
सोचती ही नहीं कि मेरे पन्नों पर रंज जम गयी होगी
या फिर अब मेरे पन्नें पुराने हो गए सो मैं उसे पसंद नहीं या मेरी जगह.
…। नहीं।।।।नहीं
मुझे विश्वास हैं वो लौट आएगी तब पहले तो उसे सारे गीले-शिकवे सुना दूंगी
पर फिर प्यार से अपने पन्नें उसकी तरफ कर दूंगी इनमें रंग भरने के लिये
कह दूंगी बाँट दो मेरे साथ अपने सारे दुःख-दर्द
और तकलीफों को आदी हो गयी हू मैं तुम्हारी, जी लो ना तुम भी मुझमें अपना आज और कल :-)
मैं -अजीब मुसीबत हैं यह जिंदगी सच कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता हैं
कभी उलजाते रिश्तों के समीकरण तो कभी प्लस माइनस होती यह उम्र
हर सांस में कोई नहीं मरता जिंदगी का रंग धीरे -२ उतरता हैं
धुप भी निकलते-२ निकलती हैं एक पल में ही दूर नहीं हो जाता सारा कोहरा
हर पल बाँहें फैला कर जीना अच्छा नहीं होता कभी पड़ता हैं सिकुड़ना भी
यह जीवन हैं जिसमें भरमार हैं चाहतों की उम्मीदों की इच्छाओं की
कभी तड़कते सपनों की तो कभी सब कुछ पा लेने की :-)
बस भई यू ही नहीं मर जाता हैं कोई मार डालता हैं उसे उसका अकेलापन व एकांत …………
तब मेरे यहाँ लोगों का आना-जाना लगा रहता था
मेरी दुनिया बहुत बड़ी हो गयी थी, पर उसके ना आने से यह थोड़ा सिमट गयी हैं
मैं तनहा हू अब ना मेरे लिए कुछ लिखा जाता हैं और ना कोई मेरा हाल जानता हैं ??
अब जब वो वापिस आयेगी तब मैं सूरज की हलकी किरणें उसके चेहरे पर फैला दूँगा
कह दूंगा उससे कि आज फिर से अपने सारे विचारों को यहाँ लिख दो
कर दो ना मुझे रोशन प्लीज ?? :-)
डायरी -मेरी सबसे अच्छी दोस्त शायद कहीं खो गयी हैं
अक्सर कहती थी कि डिअर डायरी तुम हो तो हू मैं पूरी
अगर तुम ना होती तो मैं इस मासूम सी जिंदगी को कैसे संजोती ??
पर आजकल मेरी तरफ मुँह ही नहीं करती
सोचती ही नहीं कि मेरे पन्नों पर रंज जम गयी होगी
या फिर अब मेरे पन्नें पुराने हो गए सो मैं उसे पसंद नहीं या मेरी जगह.
…। नहीं।।।।नहीं
मुझे विश्वास हैं वो लौट आएगी तब पहले तो उसे सारे गीले-शिकवे सुना दूंगी
पर फिर प्यार से अपने पन्नें उसकी तरफ कर दूंगी इनमें रंग भरने के लिये
कह दूंगी बाँट दो मेरे साथ अपने सारे दुःख-दर्द
और तकलीफों को आदी हो गयी हू मैं तुम्हारी, जी लो ना तुम भी मुझमें अपना आज और कल :-)
मैं -अजीब मुसीबत हैं यह जिंदगी सच कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता हैं
कभी उलजाते रिश्तों के समीकरण तो कभी प्लस माइनस होती यह उम्र
हर सांस में कोई नहीं मरता जिंदगी का रंग धीरे -२ उतरता हैं
धुप भी निकलते-२ निकलती हैं एक पल में ही दूर नहीं हो जाता सारा कोहरा
हर पल बाँहें फैला कर जीना अच्छा नहीं होता कभी पड़ता हैं सिकुड़ना भी
यह जीवन हैं जिसमें भरमार हैं चाहतों की उम्मीदों की इच्छाओं की
कभी तड़कते सपनों की तो कभी सब कुछ पा लेने की :-)
बस भई यू ही नहीं मर जाता हैं कोई मार डालता हैं उसे उसका अकेलापन व एकांत …………
2 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
bahut-2 aabhar sir...!!!
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