कल रात को नींद बहुत मुश्किल से आई
देर रात तक तुम्हारे बारे में ही सोचा
फिर तुम्हारा भी ख्याल आया मैं सोचने लगी
शायद तुम भी आज मेरी तरह ही परेशान हुए होंगे ना ??
मेरे शब्द तुम्हें बहुत आहात कर जाते हैं ना ??
तुम भी डर रहें होंगें यह सोचकर कि क्या सच में मैं अब कभी तुम याद नहीं करुँगी ??
मेरी और तुम्हारी जिंदगी कितनी अलग हैं ना
बिल्कुल दो नादाँ परिंदों सी फिर भी.
देर रात तक तुम्हारे बारे में ही सोचा
फिर तुम्हारा भी ख्याल आया मैं सोचने लगी
शायद तुम भी आज मेरी तरह ही परेशान हुए होंगे ना ??
मेरे शब्द तुम्हें बहुत आहात कर जाते हैं ना ??
तुम भी डर रहें होंगें यह सोचकर कि क्या सच में मैं अब कभी तुम याद नहीं करुँगी ??
मेरी और तुम्हारी जिंदगी कितनी अलग हैं ना
बिल्कुल दो नादाँ परिंदों सी फिर भी.
1 comment:
बहुत मर्मस्पर्शी...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
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