कल मन थोड़ा भारी सा था व कुछ बेचैनियों ने मुझे आ घेरा था
मन व दिमाग विचारों के मामले में कल दोनों ही शांत हो गए थे
अक्सर जो कि एक-दूसरे से उलझ जाया करते हैं पर कल दोनों ही चुप थे
शायद कोई ज़िद्द भी नहीं थी .......... कि तभी मैंने सोचा आज किसी ऐसे इंसान को याद किया जाए जिससे बात किये हुए साल दो साल हो गए हो
माँ का फ़ोन हाथ में लिया सारे कॉन्टेक्ट्स चेक किये कि मेरी आँखों के सामने प्रीति के नंबर
आ गए डायल किये कि आवाज आयी यह नंबर स्विच ऑफ हैं कि मुझे याद आया हां
उसे पोस्टिंग भी तो झाँसी मिली हैं सो शायद नंबर चेंज कर लिए हो :-)
खैर मोबाइल को एक तरफ रखते हुए लैपटॉप को देखने लगी
कुछ देर बाद सोचा जीमेल चेक किया जाए उफ्फ कुछ भी तो नहीं हैं इस दुनिया में भी
एक-दो लोग थे जीमेल पर जो दिल के बेहद करीब हैं पर बाबा महँगाई बहुत हैं
तो लोगों के भी तो भाव.......... आहा मैंने कब कहा कि बढ़ गए हैं ,एक्चुअली समझती हू
वक़्त नहीं मिल पाता हैं और मेरे अलावा भी तो बहुत लोग हैं इस दुनिया :-)
जीमेल को बंद करके सोचने लगी उस वक़्त को जो महज मैंने इंटरनेट पर ही बिता दिया या ………
2009 में जब बाहरवीं कक्षा में थी तब इंटरनेट की अबीसीडी भी नहीं आती थी
धीरे-२ कुछ सिखा पर कभी ज्यादा लगाव नहीं हुआ इस दुनिया से
कि फाइनल इयर (2011) में आते ही इंटरनेट का जादू मेरे सर चढ़कर बोला था
वो पल बेहद याद आये जब मैं ,प्रीति और सरोज तीनों एक ही जगह बैठकर एक-दूसरे
की फेसबुक दुनिया को साझा करते व कमेंट्स करते जाते……… उस वक़्त................हम्म :-)
फेसबुक एक नया जरिया मिल गया था मुझे अपने दर्द व गम को थोड़ा कम करने का
बेशक अगर उस वक़्त मुझे वो दुनिया नहीं मिलती तो मुझे नहीं पाता मेरा क्या होता :(
कॉलेज से रूम ,रूम से कॉलेज तक की अपडेट भी फेसबुक पर होती थी :-)
यक़ीनन आज तक सबसे ज्यादा प्यार व बेइंतहा केवल मुझे अफबी से ही हुआ :-)
अक्सर ऐसा मेरे अपने कह दिया करते थे ……… पापाजी कितने सॉकड हुए थे जब उन्होंने मेरी प्रोफाइल देखि व उसमें ऐड 800 लोगों को.......... हा …हा …… तो दिसंबर 2012 में मैंने उन्हें भी अपनी आईडी बनाने का सुझाव दे डाला तथा ना जाने किस-किसकी आईडी को दिखाया था जिसमे मुझसे भी ज्यादा फ्रेंड्स ऐड थे ;-)
खैर मेरा सुझाव तब और ज्यादा उन्हें जरुरी लगा जब वो अशोक जी सर से मिलकर अभिनव राजस्थान अभियान के बारे में इंफॉर्मेशंस लेकर आये.…हूह पापाजी की फ्रेंड लिस्ट में भी पहला नाम मेरा ही होना था और जरुरी भी था सो इस शुभ काम को मैंने उनकी प्रोफाइल अपडेट करते ही अंजाम दे दिया :-)
उनके भी इस दुनिया में आते ही कैसे मेरी दुनिया छोटी हो गयी थी जानती हू मैं
फ्रेंड्स के नंबर 800 से लुढ़क कर सीधा 186 पर रुके थे पर मुझे उन्हें अनफ्रेण्ड करने में कोई ग्लानि नहीं हुयी थी पता हैं मुझे उल्टा उस दिन मन हमेशा की बजाए थोड़ा ज्यादा खुश था :-)
फिर आया वो भी दिन 21 जून 2013 जिस दिन मैंने अपनी आईडी को डिलीट करने का फैसला कर लिया था
वैसे मैंने इससे पहले भी ना जाने अपनी आईडी को कितनी बार डीएक्टिवेट व डिलीट किया होगा पर हमेशा मेरी नाराजगी ज्यादा देर तक नहीं रह पाती थी फेसबुक से और मैं कुछ देर फिर लौट जाती थी उस दुनिया में पर उस दिन ना जाने क्यों …… खैर कोई कारण भी नजर नहीं आया मुझे लेकिन अपनी पागलपंती ही बहुत थी उफ्फ …आईडी के डिलीट होने के बाद उन लोगों का ख्याल आया जिनसे बिछड़ गयी थी
मैंने सोचा देख लिया जाए कौन कितना याद करता हैं कौन मुझे ढूँढता हैं
खैर उस वक़्त ने इस दुनिया की सचाई से बहुत अच्छे से रुबरु करवा दिया बता दिया कि यह दुनिया या किसी की जिंदगी ना ही अपनी वजह से चलती हैं और ना ही अपनी मोहताज हैं
मैं आज भी ठहरी हू उन पुराने लोगों या यू कहू अपनों के साथ व उनकी यादों के साथ
पर कोई ना आया जो मुझसे पूछता तुम क्यों ठहरी हो ???
क्यों दूसरों के लिए ख्वाब सजा रही हो ????
खैर मैं भी जिसके बिना रह नहीं पाती थी उससे बहुत दुरिया बढ़ा ली मैंने (
अब लोग पूछते हैं मैं फेसबुक पर क्यों नहीं हू हूह नहीं हू बस मेरी इच्छा …… हेहेहेहेहेः -)
समझा करो बाबा वहाँ भीड़ बहुत हैं और मुझे अकेले ही रहना व जीना पसंद हैं
तभी तो आजकल मैंने अपना आशियाँ भी उसके दिल को छोड़कर कहीं और बसा लिया हैं
क्यूंकि वहाँ बाहरी लोग आकर अपना अधिकार जमा बैठे हैं
और जन्म से ही हममें तो त्याग की भावना कुछ ज्यादा ही हैं सो
हम उन्हें छोड़कर फरिश्ता बनकर आ बैठे हैं यहाँ ;-)
आजकल जीमेल व ब्लॉग की दुनिया भी ………हेहेहेहे मैंने कब कहा अच्छी नहीं लगती ????
इस भौतिकवादी दुनिया पर मुझे जितना गुस्सा आता था अब उससे कहीं ज्यादा ……
खैर जो भी हो लव टू दिस .......... :-)
मन व दिमाग विचारों के मामले में कल दोनों ही शांत हो गए थे
अक्सर जो कि एक-दूसरे से उलझ जाया करते हैं पर कल दोनों ही चुप थे
शायद कोई ज़िद्द भी नहीं थी .......... कि तभी मैंने सोचा आज किसी ऐसे इंसान को याद किया जाए जिससे बात किये हुए साल दो साल हो गए हो
माँ का फ़ोन हाथ में लिया सारे कॉन्टेक्ट्स चेक किये कि मेरी आँखों के सामने प्रीति के नंबर
आ गए डायल किये कि आवाज आयी यह नंबर स्विच ऑफ हैं कि मुझे याद आया हां
उसे पोस्टिंग भी तो झाँसी मिली हैं सो शायद नंबर चेंज कर लिए हो :-)
खैर मोबाइल को एक तरफ रखते हुए लैपटॉप को देखने लगी
कुछ देर बाद सोचा जीमेल चेक किया जाए उफ्फ कुछ भी तो नहीं हैं इस दुनिया में भी
एक-दो लोग थे जीमेल पर जो दिल के बेहद करीब हैं पर बाबा महँगाई बहुत हैं
तो लोगों के भी तो भाव.......... आहा मैंने कब कहा कि बढ़ गए हैं ,एक्चुअली समझती हू
वक़्त नहीं मिल पाता हैं और मेरे अलावा भी तो बहुत लोग हैं इस दुनिया :-)
जीमेल को बंद करके सोचने लगी उस वक़्त को जो महज मैंने इंटरनेट पर ही बिता दिया या ………
2009 में जब बाहरवीं कक्षा में थी तब इंटरनेट की अबीसीडी भी नहीं आती थी
धीरे-२ कुछ सिखा पर कभी ज्यादा लगाव नहीं हुआ इस दुनिया से
कि फाइनल इयर (2011) में आते ही इंटरनेट का जादू मेरे सर चढ़कर बोला था
वो पल बेहद याद आये जब मैं ,प्रीति और सरोज तीनों एक ही जगह बैठकर एक-दूसरे
की फेसबुक दुनिया को साझा करते व कमेंट्स करते जाते……… उस वक़्त................हम्म :-)
फेसबुक एक नया जरिया मिल गया था मुझे अपने दर्द व गम को थोड़ा कम करने का
बेशक अगर उस वक़्त मुझे वो दुनिया नहीं मिलती तो मुझे नहीं पाता मेरा क्या होता :(
कॉलेज से रूम ,रूम से कॉलेज तक की अपडेट भी फेसबुक पर होती थी :-)
यक़ीनन आज तक सबसे ज्यादा प्यार व बेइंतहा केवल मुझे अफबी से ही हुआ :-)
अक्सर ऐसा मेरे अपने कह दिया करते थे ……… पापाजी कितने सॉकड हुए थे जब उन्होंने मेरी प्रोफाइल देखि व उसमें ऐड 800 लोगों को.......... हा …हा …… तो दिसंबर 2012 में मैंने उन्हें भी अपनी आईडी बनाने का सुझाव दे डाला तथा ना जाने किस-किसकी आईडी को दिखाया था जिसमे मुझसे भी ज्यादा फ्रेंड्स ऐड थे ;-)
खैर मेरा सुझाव तब और ज्यादा उन्हें जरुरी लगा जब वो अशोक जी सर से मिलकर अभिनव राजस्थान अभियान के बारे में इंफॉर्मेशंस लेकर आये.…हूह पापाजी की फ्रेंड लिस्ट में भी पहला नाम मेरा ही होना था और जरुरी भी था सो इस शुभ काम को मैंने उनकी प्रोफाइल अपडेट करते ही अंजाम दे दिया :-)
उनके भी इस दुनिया में आते ही कैसे मेरी दुनिया छोटी हो गयी थी जानती हू मैं
फ्रेंड्स के नंबर 800 से लुढ़क कर सीधा 186 पर रुके थे पर मुझे उन्हें अनफ्रेण्ड करने में कोई ग्लानि नहीं हुयी थी पता हैं मुझे उल्टा उस दिन मन हमेशा की बजाए थोड़ा ज्यादा खुश था :-)
फिर आया वो भी दिन 21 जून 2013 जिस दिन मैंने अपनी आईडी को डिलीट करने का फैसला कर लिया था
वैसे मैंने इससे पहले भी ना जाने अपनी आईडी को कितनी बार डीएक्टिवेट व डिलीट किया होगा पर हमेशा मेरी नाराजगी ज्यादा देर तक नहीं रह पाती थी फेसबुक से और मैं कुछ देर फिर लौट जाती थी उस दुनिया में पर उस दिन ना जाने क्यों …… खैर कोई कारण भी नजर नहीं आया मुझे लेकिन अपनी पागलपंती ही बहुत थी उफ्फ …आईडी के डिलीट होने के बाद उन लोगों का ख्याल आया जिनसे बिछड़ गयी थी
मैंने सोचा देख लिया जाए कौन कितना याद करता हैं कौन मुझे ढूँढता हैं
खैर उस वक़्त ने इस दुनिया की सचाई से बहुत अच्छे से रुबरु करवा दिया बता दिया कि यह दुनिया या किसी की जिंदगी ना ही अपनी वजह से चलती हैं और ना ही अपनी मोहताज हैं
मैं आज भी ठहरी हू उन पुराने लोगों या यू कहू अपनों के साथ व उनकी यादों के साथ
पर कोई ना आया जो मुझसे पूछता तुम क्यों ठहरी हो ???
क्यों दूसरों के लिए ख्वाब सजा रही हो ????
खैर मैं भी जिसके बिना रह नहीं पाती थी उससे बहुत दुरिया बढ़ा ली मैंने (
अब लोग पूछते हैं मैं फेसबुक पर क्यों नहीं हू हूह नहीं हू बस मेरी इच्छा …… हेहेहेहेहेः -)
समझा करो बाबा वहाँ भीड़ बहुत हैं और मुझे अकेले ही रहना व जीना पसंद हैं
तभी तो आजकल मैंने अपना आशियाँ भी उसके दिल को छोड़कर कहीं और बसा लिया हैं
क्यूंकि वहाँ बाहरी लोग आकर अपना अधिकार जमा बैठे हैं
और जन्म से ही हममें तो त्याग की भावना कुछ ज्यादा ही हैं सो
हम उन्हें छोड़कर फरिश्ता बनकर आ बैठे हैं यहाँ ;-)
आजकल जीमेल व ब्लॉग की दुनिया भी ………हेहेहेहे मैंने कब कहा अच्छी नहीं लगती ????
इस भौतिकवादी दुनिया पर मुझे जितना गुस्सा आता था अब उससे कहीं ज्यादा ……
खैर जो भी हो लव टू दिस .......... :-)
5 comments:
फेसबुक से पहले ऑर्कुट की लोकप्रियता भी कम नहीं थी। पर आज कल तो फेसबुक अपने आप मे ही एक दुनिया है जिससे दूर नहीं रहा जा सकता। और अगर इन्टरनेट की बात करें तो इस पर हम सब की निर्भरता ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ती जा रही है।
सादर
G sahi kaha aapne.......
aabhar......:-)
आज के समय में फेसबुक की लोकप्रियता कम नहीं थी।इसकी एक अलग ही दुनिया है जिससे दूर रेह पाना मुश्किल सा लगता है :)))
कल 30/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
mera toh latest fb update yahi hai ki agar fb ek hardware hoti toh main is elaat maar deti :P
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