मेरे प्रिय ,
तुमने भी यह बात खूब सुनी होगी ना कि -
जब-२ इस धरती पर अत्याचार बढ़ता हैं तब-२ वो खुदा अवतार लेकर स्वयं धरती पर आते हैं
ठीक वैसे ही जब-२ तुम मुझे बेहद याद आते हो ,
तब-२ मेरे ब्लॉग पर तुम्हारे नाम की पोस्ट प्रकट होती हैं ……हेहेहेहेहे :-)
आज तक ना जाने कितनी बार तुमसे नाराज होने की एक्टिंग की हैं
पर अफ़सोस तुझसे खफ़ा कभी रह ना सकी ……
अपने आपसे वादें किये कि अब तुम्हें कभी याद नहीं करुँगी
खैर यह अलग बात हैं कि आज तक मैंने कभी भी किसी वादें और कसम को निभाया ही नहीं
सो इन्हें भी कैसे ना तोड़ू भला :(
कभी-कभार बेहद याद आते हो तुम
मुश्किल हो जाता हैं अपने आपको तुम्हे याद करने से रोकना ………
पर अब और नहीं .......इस बार मैंने तुम्हें अपनी दोस्ती से आजाद कर दिया हैं :-)
"और शायद उस रिश्ते से भी जो हैं अनकहा व चुभता सा ……
इस बार वादों पर डटे रहने की शुरुआत की हैं
सो अब तुम्हें कही गयी अपनी हर बात को मानने व निभाने का इरादा हैं …………
उस बात पर भी जो तुमने कही थी कि प्लीज सच बोलना छोड़ दो :-)
कदम दर कदम तेरी सोच को सहेजने का सोचा हैं
आदतें तो बहुत पहले ही मैं बदल चुकी हू पर सच में अहसास हुआ कि कुछ आदतें कितनी बुरी होती हैं ??
इस बार शायद ज़िद्द हैं कि अब कभी तुम्हें याद नहीं करुँगी
हां शायद ज़िद्द ही हैं और तुम्हें प्यार करना व चाहना भी तो महज एक ज़िद्द ही थी :(
दूसरों के दर्द को देखकर उसे अपने शब्दों में ढालना ज़िद्द ही तो थी
तेरी-मेरी बनती-बिछड़ती जिंदगी को बिगाड़ देना ज़िद्द ही तो थी
तुझे दूर जाता देखकर भी पास होने का महसूस करना ज़िद्द ही तो थी
हूह..........ज़िद्द हमेशा अच्छी होती हैं :-)
इसलिए चैत्र एकम मतलब नये साल से तुझे भुला देने और तुझसे नफरत करने की ज़िद्द की हैं :-)
तेरा तुझको मुबारक ………………………
जी लुंगी मैं ,हंस लुंगी मैं , समेट लुंगी मैं अपने आपको ,सब सिख जाउगी मैं भी मेरे प्रिय !!!!!
तुमने भी यह बात खूब सुनी होगी ना कि -
जब-२ इस धरती पर अत्याचार बढ़ता हैं तब-२ वो खुदा अवतार लेकर स्वयं धरती पर आते हैं
ठीक वैसे ही जब-२ तुम मुझे बेहद याद आते हो ,
तब-२ मेरे ब्लॉग पर तुम्हारे नाम की पोस्ट प्रकट होती हैं ……हेहेहेहेहे :-)
आज तक ना जाने कितनी बार तुमसे नाराज होने की एक्टिंग की हैं
पर अफ़सोस तुझसे खफ़ा कभी रह ना सकी ……
अपने आपसे वादें किये कि अब तुम्हें कभी याद नहीं करुँगी
खैर यह अलग बात हैं कि आज तक मैंने कभी भी किसी वादें और कसम को निभाया ही नहीं
सो इन्हें भी कैसे ना तोड़ू भला :(
कभी-कभार बेहद याद आते हो तुम
मुश्किल हो जाता हैं अपने आपको तुम्हे याद करने से रोकना ………
पर अब और नहीं .......इस बार मैंने तुम्हें अपनी दोस्ती से आजाद कर दिया हैं :-)
"और शायद उस रिश्ते से भी जो हैं अनकहा व चुभता सा ……
इस बार वादों पर डटे रहने की शुरुआत की हैं
सो अब तुम्हें कही गयी अपनी हर बात को मानने व निभाने का इरादा हैं …………
उस बात पर भी जो तुमने कही थी कि प्लीज सच बोलना छोड़ दो :-)
कदम दर कदम तेरी सोच को सहेजने का सोचा हैं
आदतें तो बहुत पहले ही मैं बदल चुकी हू पर सच में अहसास हुआ कि कुछ आदतें कितनी बुरी होती हैं ??
इस बार शायद ज़िद्द हैं कि अब कभी तुम्हें याद नहीं करुँगी
हां शायद ज़िद्द ही हैं और तुम्हें प्यार करना व चाहना भी तो महज एक ज़िद्द ही थी :(
दूसरों के दर्द को देखकर उसे अपने शब्दों में ढालना ज़िद्द ही तो थी
तेरी-मेरी बनती-बिछड़ती जिंदगी को बिगाड़ देना ज़िद्द ही तो थी
तुझे दूर जाता देखकर भी पास होने का महसूस करना ज़िद्द ही तो थी
हूह..........ज़िद्द हमेशा अच्छी होती हैं :-)
इसलिए चैत्र एकम मतलब नये साल से तुझे भुला देने और तुझसे नफरत करने की ज़िद्द की हैं :-)
तेरा तुझको मुबारक ………………………
जी लुंगी मैं ,हंस लुंगी मैं , समेट लुंगी मैं अपने आपको ,सब सिख जाउगी मैं भी मेरे प्रिय !!!!!
3 comments:
Waah Shandaar Jazbaat Ko Sameta Hai Aapne apni Lekhni Me...Badhai
hmmm......shukriya-2,....:-)
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