बीते इन तीन-चार दिनों का वक़्त ,इन दिनों का हर पल
हमेशा मेरे दिल के बेहद करीब रहेगा.......
हर पल बेहद ही खूबसूरत रहा पर यह होली भी रही बेरंग सी
इस बार रंगों को चेहरे पर नहीं पर अपने दिल से जरुर लगाया हैं
उम्मीद हैं इस बार का यह रंग कुछ ज्यादा ही गहरा चढ़ेगा !!!:-)
इस बार भाई की कही गयी हर एक बात मेरे दिल को छू रही थी
जिसमें से रात को जब डीजे लाया गया तब उसने कहा था कि -
इस हुल्लड़बाजी को तो मैं कभी सपोर्ट ही नहीं करता
त्यौहार का मतलब होता हैं अपनों के साथ वक़्त बांटना
उनसे हम हमेशा नहीं मिल पाते हैं इसलिए त्यौहार पर अपनों से मिला जाए
उनके साथ कुछ वक़्त उनकी तकलीफों व खुशियों को बांटा जाए !!!
मैंने अपना पासा फेंकते हुए कहा क्या बात हैं पापाजी इस बार तो लोगों का स्टेटस………
पापाजी समझ गये थे उन्होंने कहा जब बच्चा ग्रेजुएशन कर लेता हैं तब तक
वो मैच्योर हो जाता हैं कुछ बातें खुद-बेखुद समझने लग जाता हैं :-)
सबसे बड़ी उपलब्धि थी इस बार मेरी कि मेरा और राम का एक बार भी झगड़ा नहीं हुआ
मुझे वो भी बदला हुआ लगा व उसके विचार भी
इस बार मुझे वो कितना कुछ देकर जा रहा हैं
जिसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं
सच कहते हैं चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात
सब अपने-२ कारवां की और चल ही देते हैं
राम का भी शायद जाना बहुत जरुरी हैं सो नहीं रोक रही इस बार मैं उसे
जा राम विश यू अ वेरी हैप्पी जर्नी :-)
ख़ुशी हैं कि ग्रेजुएशन होते ही तू फिर से हमारे पास आ जायेगा
बहुत-२ आभार :-)
शायद जिंदगी का यही रंग और यही रूप हैं
कभी कोई बहुत दूर होकर भी दिल के बहुत करीब तो
कभी कोई बहुत करीब होने के बाद भी दिलों के फासले बहुत बढ़ जाते हैं
मिलना-बिछड़ना कहाँ स्थिर हैं यह तो दुनिया की एक रीत हैं
इस बार राम से मिलकर लगा कि मैं तो यू ही अपने आपको समझदार समझती हू
जबकि सच में मुझसे कहीं ज्यादा तो राम समझदार हैं
तभी तो लोग हमेशा से उसे ही मुझसे ज्यादा इंटेलीजेंट बताते आए हैं !!
हम्म …चलो भई रंग और रिश्तों की बातें बहुत हुई
अब थोड़ा हकीकत से रुबरु होते हैं
उफ्फ़ … एक्साम्स अब हंस सारिका
बच्चे थे तब सोचते थे भगवानजी 70-80 % तो बना ही देना ना
पर सच में इस बार मैं सोच रही हू भगवानजी केवल पासिंग मार्क्स आ जाए बस
केवल डिग्री मिल जाए और मेनू कछु नहीं चाहिए :(
बस यही जिंदगी का रंग रूप हैं तभी तो -
कभी बिन मांगे मोती मिले ,कभी माग्या मिले ना भीख :-)
कभी धुप कभी छांव कभी रंग बिरंगी तो कभी बेरंग सी हैं यह जिंदगी
बातें सेंटी कर रही हैं यू लग रहा हैं जैसे कि ब्लॉग से कहीं बहुत दूर जा रही हू ………
अब देखते हैं क्या होता हैं खैर डायरी को भी तो ख़ुशी मिलनी चाहिए ना ???
hmm.....सबसे मजेदार बात तो लिखना ही भूल गयी
मैंने इन दिनों राम को चश्मा लगाये हुए नहीं देखा और साथ में ना लाने का कारण भी पूछा तो वो बात को टाल गया था पर रवाना होने से पहले उसने बताया कि एक्चुअली मैं चश्मा तो साथ लाया था पर जब रात में मुझे नींद आने लगी तब मैंने उसे फेन पर रख दिया था और मैं वापिस उठा तब तक कोई उसे वहाँ से उठाकर ले गया था हेहेहे मुझे इस देश कि इंसानियत पर हँसी आ गयी थी ;-)
हमेशा मेरे दिल के बेहद करीब रहेगा.......
हर पल बेहद ही खूबसूरत रहा पर यह होली भी रही बेरंग सी
इस बार रंगों को चेहरे पर नहीं पर अपने दिल से जरुर लगाया हैं
उम्मीद हैं इस बार का यह रंग कुछ ज्यादा ही गहरा चढ़ेगा !!!:-)
इस बार भाई की कही गयी हर एक बात मेरे दिल को छू रही थी
जिसमें से रात को जब डीजे लाया गया तब उसने कहा था कि -
इस हुल्लड़बाजी को तो मैं कभी सपोर्ट ही नहीं करता
त्यौहार का मतलब होता हैं अपनों के साथ वक़्त बांटना
उनसे हम हमेशा नहीं मिल पाते हैं इसलिए त्यौहार पर अपनों से मिला जाए
उनके साथ कुछ वक़्त उनकी तकलीफों व खुशियों को बांटा जाए !!!
मैंने अपना पासा फेंकते हुए कहा क्या बात हैं पापाजी इस बार तो लोगों का स्टेटस………
पापाजी समझ गये थे उन्होंने कहा जब बच्चा ग्रेजुएशन कर लेता हैं तब तक
वो मैच्योर हो जाता हैं कुछ बातें खुद-बेखुद समझने लग जाता हैं :-)
सबसे बड़ी उपलब्धि थी इस बार मेरी कि मेरा और राम का एक बार भी झगड़ा नहीं हुआ
मुझे वो भी बदला हुआ लगा व उसके विचार भी
इस बार मुझे वो कितना कुछ देकर जा रहा हैं
जिसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं
सच कहते हैं चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात
सब अपने-२ कारवां की और चल ही देते हैं
राम का भी शायद जाना बहुत जरुरी हैं सो नहीं रोक रही इस बार मैं उसे
जा राम विश यू अ वेरी हैप्पी जर्नी :-)
ख़ुशी हैं कि ग्रेजुएशन होते ही तू फिर से हमारे पास आ जायेगा
बहुत-२ आभार :-)
शायद जिंदगी का यही रंग और यही रूप हैं
कभी कोई बहुत दूर होकर भी दिल के बहुत करीब तो
कभी कोई बहुत करीब होने के बाद भी दिलों के फासले बहुत बढ़ जाते हैं
मिलना-बिछड़ना कहाँ स्थिर हैं यह तो दुनिया की एक रीत हैं
इस बार राम से मिलकर लगा कि मैं तो यू ही अपने आपको समझदार समझती हू
जबकि सच में मुझसे कहीं ज्यादा तो राम समझदार हैं
तभी तो लोग हमेशा से उसे ही मुझसे ज्यादा इंटेलीजेंट बताते आए हैं !!
हम्म …चलो भई रंग और रिश्तों की बातें बहुत हुई
अब थोड़ा हकीकत से रुबरु होते हैं
उफ्फ़ … एक्साम्स अब हंस सारिका
बच्चे थे तब सोचते थे भगवानजी 70-80 % तो बना ही देना ना
पर सच में इस बार मैं सोच रही हू भगवानजी केवल पासिंग मार्क्स आ जाए बस
केवल डिग्री मिल जाए और मेनू कछु नहीं चाहिए :(
बस यही जिंदगी का रंग रूप हैं तभी तो -
कभी बिन मांगे मोती मिले ,कभी माग्या मिले ना भीख :-)
कभी धुप कभी छांव कभी रंग बिरंगी तो कभी बेरंग सी हैं यह जिंदगी
बातें सेंटी कर रही हैं यू लग रहा हैं जैसे कि ब्लॉग से कहीं बहुत दूर जा रही हू ………
अब देखते हैं क्या होता हैं खैर डायरी को भी तो ख़ुशी मिलनी चाहिए ना ???
hmm.....सबसे मजेदार बात तो लिखना ही भूल गयी
मैंने इन दिनों राम को चश्मा लगाये हुए नहीं देखा और साथ में ना लाने का कारण भी पूछा तो वो बात को टाल गया था पर रवाना होने से पहले उसने बताया कि एक्चुअली मैं चश्मा तो साथ लाया था पर जब रात में मुझे नींद आने लगी तब मैंने उसे फेन पर रख दिया था और मैं वापिस उठा तब तक कोई उसे वहाँ से उठाकर ले गया था हेहेहे मुझे इस देश कि इंसानियत पर हँसी आ गयी थी ;-)
8 comments:
एकजाम्स मे अच्छे नंबर आएंगे । निश्चिंत रहिये। खुश राहिये :)
सादर
hope so/////......
achche nahi bs passing marks hi chahie G
निश्चिंत रहिये।
बहुत-२ आभार :-)
बस मेहनत करें ...
सुन्दर अभिव्यक्ति
sir aaj to aapne bilkul mere papaji ki language me kaha hai G....:-)
aap aaye bahut-2 aabhar sir G....;-)
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