जब कुछ चीजों को हम आखरी बार कर रहे होते हैं
तब समझ में नहीं आता हैं कि क्या करें और क्या ना करें ?
आज ठीक वैसा ही कुछ हाल मेरा हैं
समझ में नहीं आ रहा हैं कि तुम्हारे लिए क्या लिखूँ और क्या नहीं ??
इरादा तो था "तुम्हारा लौट आना" नामक पोस्ट को लिखने का
पर तुम्हें तो पता हैं कि आज तक तुमने मेरी उम्मीदों पर पानी ही डाला हैं
ठीक वैसे ही पोस्ट भी बदल गयी
तुम्हें पता हैं मैंने तो कितना कुछ सोच लिया था -
ठीक तुम ट्रैन से उतरोगे कि मैं तुम्हें सामने खड़ी मिलूँगी
फिर तुम्हें अपनी बाहों में समेटते हुए कहूँगी
तीन साल कम नहीं होते हैं तुम्हें पता हैं ना ??
एक-२ सांस मैंने तुम्हारे नाम की ली हैं
ऐसे भी भला कोई अपनों को छोड़कर जाता हैं क्या ??
ऐसा क्या रूठना, अगर मेरी जान चली जाती तो ??:-(
कि फिर तुम दुःखी होकर मेरा चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहोगे
मुझे माफ कर दो :-) अब मैं कभी भी एक पल को भी तुमसे दूर नहीं जाऊगा............
पर तुम्हें तो पता हैं ना कि मेरी चाहतों में और तुम्हारी उम्मीदों में कितना फर्क हैं
हुआ वो ही जो तुम्हारी इच्छा थी :-(
तीन साल बहुत होते हैं किसी को भुलाने के लिए, बेवफा होने के लिए :-)
तुम्हारी तरह जीना मैं भी जानती हूँ............
पर मैंने तुम्हें बहुत वक़्त दिया
और अब तुम कभी नहीं समझ पाओगे मेरा व मेरी मोहब्बत का मोल
और वैसे भी हम दोनों बहुत अनमोल हैं और अनमोल चीज़ें तुम्हारी किस्मत में हैं ही नहीं
तुम भी कुछ दीवानों की तरह अब ग़लतफ़हमी मत पाल बैठना कि
तुम्हारे पास सफलता आते ही वक़्त के साथ मैं भी लौट आउंगी
कुछ लोग महज सफलता व पैसों के भूखे नहीं होते हैं
और अगर होते हैं तो उन्हें उस इंसान से नहीं उन चीज़ों से प्यार होता हैं
अरे बुद्धू मैं तो हमेशा से तुम्हारे साथ तब थी जब तुम्हारे साथ कोई नहीं था
जब तुम्हारे पास कुछ था भी नहीं और जब कुछ हुआ तुम्हारे पास
तो तुम्हारे चारों और इतनी भीड़ थी कि मैं तुम्हें कहीं नजर ही नहीं आई :-(
और मैंने भी तो तुम्हें दुःखी करना नहीं चाहा घुमसुम सी चली गई थी मैं तुम्हारी जिंदगी से
क्यूंकि तुम्हारी दुनिया तो पूरी थी बिना मेरे भी :-)
अब जब फिर तुम्हें सहारे की जरुरत हैं तो सोचते हो कि सब-कुछ पहले जैसा हो जाए
अरे तुमने तो मुझे पहले जैसा रहने कहाँ दिया हैं
तुमने तो कुछ वक़्त में ही मुझे जिंदगी के सारे मायने समझा दिये
क्यों भूल जाते हो कि जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरुरत थी तब तुम मेरे साथ नहीं थे :-(
आज तुम्हें लगता हैं कि कुछ पुरानी ग़लतफहमियों को हमें मिलकर दूर कर लेना चाहिए
पर क्यों बाबा अगर उन ग़लतफहमियों से मेरी जान निकल जाती तो ??
तुम सब-कुछ अपने हाथों से बिखेरकर सोच रहे हो कि मैं सब समेट लूँगा
तुम गलत हो जनाब हमेशा वो खुदा केवल आप पर ही अपनी रहमत नहीं बरसायेगा :-)
अब मैं समझ सकती हू कि तुम्हें कुछ चीज़ों के खोने का एहसास हैं
पर अफ़सोस...........................
बहुत कुछ लिख सकती हू पर अब से मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखुंगी
मेरी जिंदगी से तुम्हारे हिस्से की सांसें तुम बहुत पहले छीन चुके हो
अब मैं उतनी कमजोर नहीं जो कि आज कहू अबसे तुम्हें कभी याद नहीं करुँगी
और कल को तुम्हें इनबॉक्स में मैसेज मिले तुम बहुत याद आ रहे हो
बहुत बार भीख मांगी थी मैंने तुमसे हमारी दोस्ती की, अनकहे से उस रिश्ते की
जीने की वजह मांगी थी, अपने हिस्से की सांसें मांगी थी………
तुम बहुत निर्दयी हो इसलिए तुमने मुझे कुछ भी उधार नहीं दिया था
महज कुछ कड़वे शब्दों के किस्से मेरे हिस्से में जरूर आए थे
बहूत वक़्त दिया था मैंने, बहूत इंतज़ार किया था तुम्हारे लौट आने का
पर तुम कभी नहीं बदले फिर भी तुम्हारे प्रति मेरा प्यार हमेशा बढ़ता ही गया
मेरे दोस्त वक़्त का रुख हमेशा एक सा नहीं होता हैं
आज मैं तुम्हें व तुम्हारी दुनिया को ठोकर मारती हू
अपनी दोस्ती व जिंदगी से तुम्हें आजाद करती हू :-)
नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी जिंदगी में वो स्पेशल फ्रेंड वाली जगह !!
बड़ी मुश्किल से आज चैन मिला हैं शुक्रिया
आज से तुम्हें तुम्हारी अमावस्या मुबारक हो
और मुझे इंतज़ार हैं पूर्णिमा का जिस दिन मेरा पूरा चाँद होगा मेरे साथ बिल्कुल पूरा
और बस मैं बिलकुल भी तो अधूरी नहीं रहूगी बिना तुम्हारे भी
दीपावली मुबारक हो और तुम्हारी जिंदगी भी :-)
तब समझ में नहीं आता हैं कि क्या करें और क्या ना करें ?
आज ठीक वैसा ही कुछ हाल मेरा हैं
समझ में नहीं आ रहा हैं कि तुम्हारे लिए क्या लिखूँ और क्या नहीं ??
इरादा तो था "तुम्हारा लौट आना" नामक पोस्ट को लिखने का
पर तुम्हें तो पता हैं कि आज तक तुमने मेरी उम्मीदों पर पानी ही डाला हैं
ठीक वैसे ही पोस्ट भी बदल गयी
तुम्हें पता हैं मैंने तो कितना कुछ सोच लिया था -
ठीक तुम ट्रैन से उतरोगे कि मैं तुम्हें सामने खड़ी मिलूँगी
फिर तुम्हें अपनी बाहों में समेटते हुए कहूँगी
तीन साल कम नहीं होते हैं तुम्हें पता हैं ना ??
एक-२ सांस मैंने तुम्हारे नाम की ली हैं
ऐसे भी भला कोई अपनों को छोड़कर जाता हैं क्या ??
ऐसा क्या रूठना, अगर मेरी जान चली जाती तो ??:-(
कि फिर तुम दुःखी होकर मेरा चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहोगे
मुझे माफ कर दो :-) अब मैं कभी भी एक पल को भी तुमसे दूर नहीं जाऊगा............
पर तुम्हें तो पता हैं ना कि मेरी चाहतों में और तुम्हारी उम्मीदों में कितना फर्क हैं
हुआ वो ही जो तुम्हारी इच्छा थी :-(
तीन साल बहुत होते हैं किसी को भुलाने के लिए, बेवफा होने के लिए :-)
तुम्हारी तरह जीना मैं भी जानती हूँ............
पर मैंने तुम्हें बहुत वक़्त दिया
और अब तुम कभी नहीं समझ पाओगे मेरा व मेरी मोहब्बत का मोल
और वैसे भी हम दोनों बहुत अनमोल हैं और अनमोल चीज़ें तुम्हारी किस्मत में हैं ही नहीं
तुम भी कुछ दीवानों की तरह अब ग़लतफ़हमी मत पाल बैठना कि
तुम्हारे पास सफलता आते ही वक़्त के साथ मैं भी लौट आउंगी
कुछ लोग महज सफलता व पैसों के भूखे नहीं होते हैं
और अगर होते हैं तो उन्हें उस इंसान से नहीं उन चीज़ों से प्यार होता हैं
अरे बुद्धू मैं तो हमेशा से तुम्हारे साथ तब थी जब तुम्हारे साथ कोई नहीं था
जब तुम्हारे पास कुछ था भी नहीं और जब कुछ हुआ तुम्हारे पास
तो तुम्हारे चारों और इतनी भीड़ थी कि मैं तुम्हें कहीं नजर ही नहीं आई :-(
और मैंने भी तो तुम्हें दुःखी करना नहीं चाहा घुमसुम सी चली गई थी मैं तुम्हारी जिंदगी से
क्यूंकि तुम्हारी दुनिया तो पूरी थी बिना मेरे भी :-)
अब जब फिर तुम्हें सहारे की जरुरत हैं तो सोचते हो कि सब-कुछ पहले जैसा हो जाए
अरे तुमने तो मुझे पहले जैसा रहने कहाँ दिया हैं
तुमने तो कुछ वक़्त में ही मुझे जिंदगी के सारे मायने समझा दिये
क्यों भूल जाते हो कि जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरुरत थी तब तुम मेरे साथ नहीं थे :-(
आज तुम्हें लगता हैं कि कुछ पुरानी ग़लतफहमियों को हमें मिलकर दूर कर लेना चाहिए
पर क्यों बाबा अगर उन ग़लतफहमियों से मेरी जान निकल जाती तो ??
तुम सब-कुछ अपने हाथों से बिखेरकर सोच रहे हो कि मैं सब समेट लूँगा
तुम गलत हो जनाब हमेशा वो खुदा केवल आप पर ही अपनी रहमत नहीं बरसायेगा :-)
अब मैं समझ सकती हू कि तुम्हें कुछ चीज़ों के खोने का एहसास हैं
पर अफ़सोस...........................
बहुत कुछ लिख सकती हू पर अब से मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं लिखुंगी
मेरी जिंदगी से तुम्हारे हिस्से की सांसें तुम बहुत पहले छीन चुके हो
अब मैं उतनी कमजोर नहीं जो कि आज कहू अबसे तुम्हें कभी याद नहीं करुँगी
और कल को तुम्हें इनबॉक्स में मैसेज मिले तुम बहुत याद आ रहे हो
बहुत बार भीख मांगी थी मैंने तुमसे हमारी दोस्ती की, अनकहे से उस रिश्ते की
जीने की वजह मांगी थी, अपने हिस्से की सांसें मांगी थी………
तुम बहुत निर्दयी हो इसलिए तुमने मुझे कुछ भी उधार नहीं दिया था
महज कुछ कड़वे शब्दों के किस्से मेरे हिस्से में जरूर आए थे
बहूत वक़्त दिया था मैंने, बहूत इंतज़ार किया था तुम्हारे लौट आने का
पर तुम कभी नहीं बदले फिर भी तुम्हारे प्रति मेरा प्यार हमेशा बढ़ता ही गया
मेरे दोस्त वक़्त का रुख हमेशा एक सा नहीं होता हैं
आज मैं तुम्हें व तुम्हारी दुनिया को ठोकर मारती हू
अपनी दोस्ती व जिंदगी से तुम्हें आजाद करती हू :-)
नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी जिंदगी में वो स्पेशल फ्रेंड वाली जगह !!
बड़ी मुश्किल से आज चैन मिला हैं शुक्रिया
आज से तुम्हें तुम्हारी अमावस्या मुबारक हो
और मुझे इंतज़ार हैं पूर्णिमा का जिस दिन मेरा पूरा चाँद होगा मेरे साथ बिल्कुल पूरा
और बस मैं बिलकुल भी तो अधूरी नहीं रहूगी बिना तुम्हारे भी
दीपावली मुबारक हो और तुम्हारी जिंदगी भी :-)