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Wednesday 28 December 2016

एक मुलाकात:)

पोस्ट जरा बड़ी होगी उसके लिए गुस्ताखी माफ़ हो पर पढ़ियेगा जरुर..:)
ज़िन्दगी में ना हर चीज़ का एक तयशुदा वक़्त होता हैं वो तभी घटित होगी ना एक सेकंड पहले और ना ही एक पल बाद में, मैं उन्हें हमेशा मेसेज करती हम कब मिलेंगें या इस बार आओ तो मुझसे भी जरुर मिलना प्लीज और वो हमेशा बहुत ही प्यार से जवाब देते "सारिका हम जरुर मिलेंगें कभी न कभी!!"
इस बिच उनकी किताब आई हमने मंगवा भी ली, पढ़ भी ली और साथ ही साथ लेखिका का सपना लिए समीक्षा भी कर ही दी (जबकि मैं समीक्षा के लाइक खुद को बिल्कुल भी नहीं समझती हूँ सच्ची)
हमारे बिच भी नजदीकियां बढ़ ही रही थी फिर एक दिन बातों बातों में उन्होंने मुझे नाम दिया "छुटकी"....सच्ची उनका कमेंट पढ़कर पागल हो गई थी मैं😍😘
अब एक अरसे बाद शायद मेरी दुआ रंग लाई थी उन्होंने मुझे खुद से मिलने के लिए न्योता दे दिया था, 20 दिन में ना जाने मैंने कितनी बार प्लान बनाया और बिगाड़ा व फाइनली मैं उनसे मिलने जाने के लिए तैयार थी 24th दिसम्बर को, इस बिच मेरे सारे प्लान पर बस उन्होंने एक ही बात कही थी कि मैं जानती हूँ लड़कियों के लिए यूँ मिलने चल पड़ना थोड़ा मुश्किल होता हैं इसलिए नो प्रॉब्लम....ऑटो वाले को एड्रेस समझ नहीं आ रहा था इसलिए मुझे लेने के लिए भैया आ गए थे गाड़ी में बैठने से पहले दी के द्वारा इतना फिक्रमंद होकर कहना भाई रे टाइम नहीं हैं यूँ ही किसी की गाड़ी में मत बैठ जाना और उन्होंने मुझे गाड़ी के नंबर बता दिए....उफ्फ्फ़ इतनी फ़िक्र और इतना लड़कियों के बारे में मोनिका दीदी के अलावा कोई सोच भी नहीं सकता😍😊😃
गाड़ी घर के सामने रुकी, हमारा एक जानी-पहचानी सी सूरत इंतजार कर रही थी उफ़्फ़ मैं एक पल में गाड़ी से कूदकर उनसे गले लगना चाहती थी और भी पता नहीं मैं क्या क्या कर बैठती एकदम पागल हो रही थी (मैं हर किसी के लिए यूँ बेसब्र नहीं होती हूँ विश्वास कीजिए मोनिका दी से जितनी मिलने की तमन्ना थी उसकी 1% भी मोदी जी से या अपने विधानसभा क्षेत्र के mla से भी मिलने की नहीं होती हैं बस कुछ लोग मुझे खूब अच्छे लगते हैं केवल उनके लिए पागल होती हूँ), हां दीदी देखो मैं भी ना बहुत होशियार हूँ सब नोटिस कर लेती हूँ घर का नाम " मातृ छाया" एकदम से बस माँ के लिए बेशुमार प्यार उमड़ आता हैं, मैं सच में उनके सामने हूँ विश्वास नहीं हो रहा हैं, मुझसे बिल्कुल भी सहा नहीं जा रहा हैं कि वो हमें लाकर पानी पिलायें या हमारी मेहमाननवाजी करें, पर थोड़ी सी औपचारिकता शायद रिश्तों में लाजमी होती हैं.....मैं उनसे बस मिलकर खूब खुश हूँ मन मोर की तरह नाच रहा हैं, पागल हो रही हूँ अपनी ज़िन्दगी व किस्मत दोनों पर यकीं नहीं कर पा रही हूँ, उनका मेरे साथ इतने स्नेह, यूँ प्रेम व इतनी आत्मियता से पेश आना उफ्फ्फ़ अपने आपको सातवें आसमान पर पा रही हूँ, जो हर सप्ताह खूब आलेख लिखते हैं खूब छपते हैं मैं उनके सामने हाय रब्बा (इसमें जरा भी मैं ओवररियेक्ट नहीं कर रही हूँ सच में जब मैं दीदी के सामने थी तब भी बस बहुत वक़्त तक यहीं हाल था)
दीदी सच बताएं हमारी निगाहें उस इन्सान की सूरत से हटती नहीं हैं उसके सामने होने पर बस हम सारी दुनिया भुला देते हैं पर उफ्फ्फ्फ अब एक बार और आपकी तारीफ़ कर देंगे हम कि सच्ची बहुत खुबसूरत हैं आप आपके सामने होने पर हमें उसे देखना याद ही नहीं रहा😝😜😚यूँ खो गए थे हम आप ही में!!
दीदी ने मुझे अपनी किताब दी हैं जिद्द करके दो जगह ऑटोग्राफ लिया हैं, उन्होंने लिखा हैं "प्यारी छुटकी" को हाय रब्बा बावली हो गई हूँ सारी खुशियाँ आज ही मिलेगी क्या😚😘😙😀
आपने उन पलों में मेरे लिए इतना प्यार जताया हैं कि मैं सारी उम्र भूल नहीं पाऊगी...शुक्रिया, थैंक यू लफ्ज़ छोटा हैं उन पलों के लिए बस हमेशा साथ बनें रहना यूँ ही बड़ी दी बनकर😊😄
अब चलें भाई दीदी का घर छोड़ें हां इस बिच सबसे जरुरी बात आज के आधुनिक युग में भी दीदी अपने परिवार को जितना वक़्त देते हैं, जैसे पल-पल उनका जिक्र अपनों की फ़िक्र बस वो हैं जो कम ही लोगों में हैं आजकल पर आपमें हैं अपने बाबा के साथ इतनी शालीनता से पेश आते हैं सच बताऊ अभी बहुत सारा बचपना हैं मुझमें....अब थोड़ी तारीफ़ बचाकर रख लूँ क्या फिर कभी कर दूंगी ना??😝😋
मैं बैग पैक करके आई हूँ यहाँ दो दिन के लिए पर अब बस मैं खुश व संतुष्ट हूँ अब मेरी यहाँ रुकने की नहीं किसी अपने के साथ सफ़र तय कर लेने की इच्छा हो रही हैं अब मुझे यहाँ रुकने से ज्यादा सुकून व चैन वापिस चलें जाने में नजर आ रहा हैं, ज़िन्दगी प्लान्स से नहीं चलती हैं वो सब कुछ खुद तय करती हैं आपके लिए और मेरे सारे सपने वहीँ छोड़कर मैं वापसी वाली ट्रेन मैं बैठ गई हूँ, होता हैं अजीब से लोगों के साथ यूँ भी😝😜