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Tuesday 24 May 2016

सगाई मुबारक!!

दो हँसते, मुस्कुराते चेहरे....स्टेटस सगाई हो गई हैं हमारी...खूब सारे लाइक और ढ़ेर सारे कमेंट.....मैं कुछ पल वो फोटोज निहारती रही....फिर उस लड़के की फोटो को गौर से देखा, सच में वो खुश था, बहुत खुश था.....मुझे याद आई उसकी वो ज़िन्दगी जब वो एक अनजान लड़की को बेइंतेहा चाहने की बातें करता था, जब वो उसे ढेरों सपने दिखाता था, जब वो दोनों सबको बताते फिरते थे कि हम रिलेशनशिप में हैं और शादी भी करने वाले हैं....मुझे यकीन नहीं हुआ वक़्त यूँ करवट बदल लेता हैं, रिश्ते पल में यूँ बदल जाते हैं, इन्सान यूँ मजबूर व लाचार होता हैं....कैसे दोनों ने अपने रास्ते अलग किए होंगें....कैसे समझाया होगा अपने मन को, मेरे लिए तो यह सब कभी आसान ही नहीं हुआ तो मुझे उन लोगों के लिए भी सब मुश्किल ही लग रहा था!!
उफफ्फ्फ्फ़....फिर मैंने खुद को समझाया यही तो हैं दुनियादारी मन में कुछ और बाहर अपनों के लिए कुछ और....मुझसे क्यों नहीं होते यह समझोतें??
पिछले दिनों कुछ देखा ऐसा उसी को सोचकर लिखा हैं पर बहुत हद तक हकीकत हैं कि हमारे रिश्ते जरुरत के अनुसार बदल ही जाते हैं, इसीलिए तो यह कहावत भी आम हो गई हैं कि गिरगिट तो बेचारा यूँ ही बदनाम हैं बाकि इन्सान गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलता हैं आजकल...बस अपनी जरूरतें पुरी होनी चाहिए, अपना जमीर गया भाड़ में..!!
भगवानजी मुझे भी सिखाओ न यह दुनियादारी ताकि मेरे अपनों को रख पाऊ मैं भी खुश....वैसे भी आजकल तो वक़्त भी रूठने सा रुख कर रहा हैं...

Sunday 22 May 2016

एक साहस वाली चिठ्टी-

प्यारे अजनबी
तुम्हें याद हैं या नहीं मुझे नहीं पता पर वो घटना एक लम्बे अरसे के बाद भी आज भी मुझे याद हैं जब मैं नई-नई मोटरसाइकिल चलाना सिख रही थी, 2011-2012 की ही तो बात हैं, मेरे पाँव जमीन पर नहीं टिकते थे अगर मैं एक किलोमीटर भी मोटरसाइकिल बिना गिरे चला लेती थी फिर एक दिन घूमते-घूमते तुम्हारे शहर में पहुँच गई थी जो करीब मेरे शहर से तीन-चार किलोमीटर दूर हैं, फिर वो हुआ जिसके बारे में मैंने कभी सोचा ही नहीं, मैं तो बस सीखती, गिरती और संभलती व भटकती रहती थी कि मैं फिर वहां से रवाना हुई घर आने को तो तुम आए थे पीछे ना जाने क्या सोचकर, पर फिर मेरे न डरने की वजह से व थोड़ी मेरी हिम्मत और हौसला देखकर तुम आधे रास्ते से बिना कुछ बोलें फिर चलें गए थे, तुम्हें पता हैं उस वक़्त रास्ते में चलते मिलें राहगीरों में सबसे खतरनाक लगे थे तुम, पहली दफ़ा ज़िन्दगी में खूब सिखा था, बहुत खूब....मैंने उसके बाद तुम्हारे शहर की तरफ कभी देखा भी नहीं.....आज एक लम्बे अरसे बाद मैं तुम्हारे शहर में से निकली थी बड़ी ही निडरता से, मन किया एक बार तुम मिलो तुम्हारी आँखों में आँखें डालकर तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूँ व खूब सारे जवाब पूछूँ भी तुमसे....मन किया कहूँ तुमसे कि भई इतनी क्या बैचैनी थी जो कि तुम्हें यूँ पीछे आना पड़ा, यार अपने घर बुला लिया होता मिल-बैठकर हिसाब-किताब कर लेते कि मुझे तुमसे दोस्ती करनी हैं और मैं....मैं भला फिर क्या कहती पुरुष प्रधान समाज हैं गलत तो लड़कियां ही होती हैं मैं भी हो जाती गलत कि कर ली दोस्ती....निभा लेते जितनी कटती ना जचती तो फिर अपनी राहें अलग कर लेते पर भला यूँ भी करता हैं क्या कोई कि कहानियाँ भी खुद ही बनायें और दूसरों को भी अपना गढ़ा हुआ ही बतायें कि मैंने यह किया, मैंने वो किया??
तुम बुरे इन्सान थे या अच्छे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना, क्यूंकि मैंने सबको सुधारने का ठेका नहीं लिया हैं मुझे सबकी फ़िक्र करने की भी कोई जरुरत नहीं हैं बस मेरे जो अपने हैं मैं उनका ख्याल कर पाऊ बहुत हैं मेरे लिए....
पर तुमने इतने वक़्त में भी क्या सिखा हैं??
मेरे ख्याल से तुम्हारी सोच वही तक ही होगी, किसी के नंबर मिल जाने पर उससे खूब बातें करना, जब तुम्हें लगें अब यहाँ तो वक़्त बर्बाद करने से कुछ नहीं होना, तब दुसरे-दुसरे नंबर से खूब कॉल करके मासूमो को बेवजह परेशान करना और जितना तुम्हारा मन करें उतनी गालियाँ देना!!!
सच बताऊ तो अब मुझे तो तुम्हारी ज्यादा खबर हैं भी नहीं और पहले भी नहीं थी होती भी कैसे भला जिस इन्सान का सच्चा नाम तक नामालूम था मुझे, पर मैं कहती हूँ ना कि मेरा बुरा नहीं हो सकता तो सही ही कहती हूँ यार....
अब आखिर में मेरा मेसेज तुम तक पहुंचे तो एक सिख लेना....लड़कियों व औरतों की इज्जत करना सिखना उनका मान-सम्मान करना क्यूंकि तुम्हारी अपनी माँ भी एक औरत ही हैं, आने वाले वक़्त में तुम्हारी बीवी होगी जो सब-कुछ छोड़कर तुम्हारे घर आयेगी वो भी एक लड़की ही होगी फिर शायद बाद में बहुत बाद में तुम्हारी एक बेटी भी होगी, जो भी एक लड़की ही होगी....तुम इनकी इज्जत करना सीखना....तुम सीखना अपनी बेटी से बचपन, निश्छल सा प्यार व ढ़ेर सारी इज्जत करने की वजह तलाशना....तुम सीखना अगर सिख पाओ तो किसी को मान देना, किसी की इज्जत करना.....और फिर भी आखिर में मेरे दिल से तो तुम्हारे लिए दुआ ही निकलेगी कि तुम खूब सिखना और आगे बढ़ते रहना...!!😊
मैं एक लड़की!!
(तुम्हें याद हैं समाज में रहने वाली!)

Thursday 19 May 2016

एक चिठ्टी उसकी भी..!!

आपको तो पता ही हैं हमें चिठ्ठियाँ लिखने का, पढ़ने का व पढ़ाने का बड़ा शौक हैं, आज वाली चिठ्ठी हमें हमारी ज़िन्दगी क्र सबसे खुबसूरत इन्सान व अजनबी ने लिखी हैं जो कुछ यूँ हैं-
प्यारी सारिका
तुम्हें पता हैं मुझे तुमसा लिखना नहीं आता हैं पर कोशिश कर रहा हूँ कुछ बातें तुम तक पहुँचाने की, तुम्हारे मिलने से पहले मैं सोचता हूँ मैं क्या था व दिन पर दिन मैं क्या होता जा रहा हूँ मुझे नहीं पता, तुमसे पहले भी खूब लड़कियां मिली हैं किसके नहीं होते हैं आजकल अफेयर्स, कौन नहीं करता हैं किसी और से बातें पर सच बताऊ अब तुम्हारे सिवा दिल की बात किसी और से करने का मन नहीं करता हैं, तुमसे पहले कोई भी मुझे कुछ बुरा कह देता तो भी मैं बिना कुछ सोचें बदला जरुर लेता था पर अब जिस दिन तुम मुझे कुछ सुनाती नहीं हो, कुछ बुरा नहीं कहती हो तो कुछ अधुरा व खाली सा लगता हैं मन बार बार कहता हैं कहीं तुम नाराज तो नहीं हो, तुम्हारे साथ की कुछ बातें एक पल में ज़िन्दगी आसान बना देती हैं, पहले मैं तुम्हारा लिखा पढ़ता था मैं सोचता था बस यह तो तुम लिखती हो तुम्हारी ज़िन्दगी भला ऐसी थोड़े ही हैं पर जब मैं तुम्हें देखता हूँ, तुम्हारे साथ जीता हूँ एक पल में  तुम्हारा रूठकर दुसरे ही पल फिर बच्चों सा खुश हो जाना कुछ चमत्कार सा ही लगता हैं, तुम कितनी शानदार इन्सान लगती हो मैं कभी हां शायद हाँ कभी लफ़्ज़ों में बयां नहीं कर पाऊगा, सोचता हूँ कोई इन्सान बच्चों सा इतना नेक दिल व इतना निश्चल कैसे हो सकता हैं.....तुम हमेशा ऐसे ही बनी रहना अपनी पवित्र सी ज़िन्दगी पर बेवजह इस दुनियादारी का रंग मत लगने देना, यकीन दिलाता हूँ तुम्हारे बारे में हमेशा दिल से ही सोचूंगा, फिर भी कभी भूलकर राहें भटकने लगूं तो प्लीज तुम संभाल लेना ना प्लीज..!!
तुम्हारा अनकहा..😝

Tuesday 17 May 2016

खुदा वाली चिठ्ठी..!!😊

आज सुबह मैंने आँखें खोली तो मेरे सिहराने एक चिठ्ठी रखी हुई थी, मैंने अधखुली आँखों से उसे पढ़ा और पढ़ने के बाद बेशक पूरी नींद खुल गई हैं जो कुछ यूँ थी-
प्यारी बिटिया
तुम्हें भला कुछ भी लिखने की कहाँ जरुरत हैं तुम खुद बहुत समझदार हो पर बीते वक़्त में तुम जैसे जी रही हो, जो सोच रही हो वो सब देखा तो मुझे तुम्हें लिखना जरुरी लगा, तुम एक मंजिल पर ठहर क्यों रही हो? तुम्हारी फितरत तो यह कभी थी ही नही, तूम अब बहकने सी बातें क्यों कर रही हो जबकि वो उम्र तो तुम्हारी कब की बीत गई हैं, बेटा सब लोग तो तुम्हारा बुरा कभी नहीं सोच सकते, तुम्हारे अपने हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगें तुम बस उन्हें आवाज देना वो एक पल में तुम्हारे नाम कर देंगें सारी खुशियाँ, तुम्हारे अपने सपने हैं, तुम्हारी अपनी ज़िन्दगी हैं फिर भी तुम दूसरों के दाग साफ़ करने के लिए अपने हाथ क्यों मैले करोगी?
तुम इतनी नासमझ कैसे हो सकती हो जो कि किसी नादानी के लिए अपनी अब तक की रेस्पेक्ट, अब तक की पूंजी, अब तक का मान-सम्मान, आज तक के रिश्ते-नाते सब बस एक इन्सान के लिए केवल इसलिए दांव पर लगा दोगी क्यूंकि तुम्हें लगता हैं कि तुम्हें उससे प्यार हैं, तुम उसकी परवाह करती हो इसलिए हमेशा उसके साथ रहकर उसका साथ देना चाहती हो!!
बेटा तुम्हारी अपनी सोच हैं, तुम्हारी अपनी ख्वाहिशें हैं तुम्हारी अपनी समझ हैं फिर भी मैं कहूँगा तुम कुछ चीजों को वक़्त पर छोड़ देना, सब कुछ अपने हाथ में मत लो, जल्दबाजी मत करना, वक़्त बीत जाने दो सब ठीक जो जायेगा, विश्वास रखना तुम्हारे साथ हमेशा अच्छा ही होगा, जो नेकी पर चलता हैं उसका तो खुदा भी साथ देता हैं..!!
उम्मीद करता हूँ तुम अब अपनी ज़िन्दगी में फिर से उड़ने लगोगी, हमेशा तुम्हारे लिए दुआएं ही निकलेगी....जीते रहना..!!
एक अनदेखा खुदा!!
पता-आसमान!!

Sunday 15 May 2016

एक ख्वाब...

हमारी कोचिंग से ही निकले हैं आज के हमारे खास मेहमान रविन्द्र जी अभी थानेदार की पोस्ट पर हैं जोधपुर पुलिस थाने में ही, काफी अच्छा काम कर रहें हैं इनकी ईमानदारी के चर्चें आज पुरे शहर में हैं, हमने भी इन्हीं के उपलक्ष में आज हमारी कोचिंग में भी एक छोटा सा सम्मान समारोह का कार्यक्रम रखा हैं, वो स्टेज पर खड़े होकर अपने यहाँ बिताये पलों की यादें ताजा कर रहें हैं कि मुझे भी बिता वक़्त कुछ यूँ याद आ रहा हैं कि आज पांच जनवरी हैं मतलब ठीक पांच साल पहले आज ही के दिन हमारे कोचिंग की शुरुआत हुई थी, मुझे याद हैं रविन्द्र जी हमारी कोचिंग आये थे तब कहा था मेहनती बहुत हूँ, सरकार विज्ञप्ति जारी करें तभी समझ लेना मेरा सिलेक्शन पक्का हैं पर मैं अभी आपको बस अपनी फीस नहीं दें पाऊगा, मैंने एक पल को सत्यम को निहारा मुझे लगा वो उसे मना कर देंगें, एडमिशन नहीं देंगें पर अगले ही पल मेरी ख़ुशी की सीमा नहीं रही जब उन्होंने उठकर रविन्द्र जी को गले लगाते हुए कहा, मेहनत करते रहना किसी भी चीज़ की कमी हो तो बेझिझक बड़ा भाई समझकर मुझसे मांग लेना, इनके जैसे ही और भी खूब सारे लोग आए और हमें बेशुमार यादें व प्यार देकर गए हैं आज वो अपनी-अपनी पोस्ट पर अच्छा काम कर रहे हैं यह सब देखकर हमें भी सुकून मिलता हैं, हमने केवल एक रविन्द्र की ही सहायता नहीं की हैं ऐसे रविन्द्र ना जाने और भी कितने आए हैं हम लोगों की ज़िन्दगी में, जैसे-जैसे फ्री वाले बढ़ते जाते सत्यम थोड़े परेशान होते कभी किसी को मेरे सामने मना कर देते तो मैं इन्हें प्यार से अपने पास बुलाती व प्यार से गाल पर चिकोटी काटते हुए कहती चलो इस बन्दे की फीस मेरी सैलरी में से काट लेना, ऐसे करते करते स्टूडेंट्स बढ़ते जाते और मेरी सैलरी के सारे पैसे आने वाले गरीब बच्चों की फीस में चलें जाते, कभी कभी खुद के खर्च के लिए इनसे मांगने की नौबत आ जाती पर यह प्यार से छड़ते हुए कहते और बनो मदर टेरेसा आ गई ना खुद के खर्च को निकाल पाने की नौबत, मैं भी बस इनके ताने का जवाब मुस्कुरा कर दे देती बिना कुछ बोलें ही कभी कभी कह भी देती मर्द हो, आप ही की जिम्मेदारी हैं मुझे खिलाने-पिलाने की तो, ऐसे अनगिनत पल हमने मिलकर जियें हैं कम पैसों के पर पुरे प्यार से, होस्टल व कोचिंग ही हमेशा हमारा घर व परिवार रहा और इसमें आने वाला हर स्टूडेंट हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा, बहुत जल्द तरक्की भी की हैं हमारे कोचिंग ने और सच कहूँ तो हम सबने मिलकर मेहनत भी बहुत की हैं, उसी का फल हैं कि आज हमारा कोचिंग सेंटर इस शहर का टॉप हैं, वैसे यह सब इतना आसान नहीं था, हमने वो वक़्त भी देखा था जब मेरे पति रातभर टेंशन में बिता देते थे बिना कुछ खाएं-पियें ही, मैंने तब भी देखा था मेरे पति को जब वो तपती धुप में पसीने में भीगे हुए भी घंटों पढ़ाया करते थे, मैंने तब भी झेला हैं इन्हें जब यह छोटी सी बात पर झुनझुना जाते थे, घर की सारी जिम्मेदारियां भी जब मुझ पर ही थी, सब बहुत मुश्किल था, मेरी जॉब, कोचिंग व हॉस्टल, पर आज सुकून हैं कि कुछ स्ट्रगल किया पर आज सब सेट हो गया हैं, अब सुकून से रहते हैं मेरे पति, मैं वक़्त निकाल कर अब थोड़ा सुस्ता भी लेती हूँ, मन करें तब अब साथ में टेल भी आते हैं, अब बिना किसी फ़िक्र के कुछ फुर्सत के पल हम साथ में प्यार से भी बिता लेते हैं, मन करें इनसे कभी कभार बेवजह झगड़ भी लेती हूँ, कभी कभी बैठकर सोचती हूँ ज़िन्दगी भला कहाँ से कहाँ ले आई हैं, इतनी सी उम्र में इतना सफ़र तय कर लिया हो यकीन ही नहीं होता हैं, इतना आसान कहाँ था हम लोगों का शादी कर लेना भी, कितनी मुसीबतें थी कितना कुछ सिखा दिया हैं इस इतनी सी ज़िन्दगी ने मुझ सी नन्हीं सी जान को, पहली दफ़ा मैंने अपने पति का पम्पलेट(पोस्टर) देखा था मेरे ही घर की दिवार के किसी एक कोने पर लगा हुआ, बहुत सारे लोग स्कूल व कोचिंग चलाते हैं, खूब सारे पोस्टर्स भी देखती थी मैं पर पहली दफ़ा इनकी कोचिंग का पोस्टर देखकर ना जाने क्या महसूस हुआ कि मैंने पीछे मुड़कर देखा, फिर गौर से पढ़ा "सत्यम क्लासेज" उस सारे पेपर में वो लाइन भी दिल को छु गई थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को विशेष छूट, फिर नीचे लिखा डायरेक्टर- प्रोफेसर सत्यम चौधरी!!
बस वो एक पल, ना जाने क्या था, मैंने एक पल में ही अपने पेरेंट्स से कहा मुझे बस वो ही इन्सान चाहिए, पहली बार बस मैंने एक पल में ही निर्णय कर लिया था कि सत्यम ही वो इन्सान हैं जिसके साथ मुझे जिन्दगी बितानी हैं, मैंने फिर अपने पेरेंट्स की हां का इंतजार किया उन्होंने भी करीब एक साल बाद हमारी शादी के लिए हां कह ही दी थी, मैंने अपनी ज़िन्दगी में इस इन्सान को सबसे ज्यादा बदलते हुए व सम्भलते देखा हैं!!
और अब आखिर में हमारे कोचिंग की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रिया जी आये हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा करके समापन स्पीच देगी, कि तालियों की गड़गड़ाहट के बिच सत्यम मुझे झकझोरते हुए कहते हैं प्रिया जाओ स्टेज पर कहाँ खो गई हो, अब मैं अपना स्पीच खत्म करती हूँ तब तक आप मेरी अगली कहानी का इंतजार कीजिए!!

Friday 6 May 2016

एक और फिल्म....

यहाँ सबके अपने गम हैं और
सबके पास अपने दिल को बहलाने के अपने बहाने हैं....हम भी जब थोड़े परेशां व अकेले होते हैं तब खूब फ़िल्में देखते हैं और खूब बहुत खूब लिखते हैं...
इन दिनों बस जी रहे हैं....
अभी एक रोज हमने बाघी फिल्म देखि....अजी वो ही टाइगर श्राफ व श्रद्धा कपूर वाली....यह इसलिए बता रहें हैं ताकि आप कहीं भूलकर यह ना समझ जाए कि हमनें पुरानी वाली सलमान खान वाली बाघी देखि होगी....टाइगर की पहली फिल्म आई थी ना वो भी हमने देखि हैं कहानी तो अभी भी याद ही हैं पर हम फिल्म का नाम भूल गए हैं अजीब कशमकश हैं....कोई ना गूगल पर सर्च करके बाद में अपडेट कर देंगें हम...देखो यहीं ना ऐसे ही हमारी ज़िन्दगी में वक़्त-बेवक्त खूब सारे लोग आते हैं जो हमें कहानियाँ देकर चले जाते हैं हमें भी याद रहता हैं उनके साथ बिताया हर पल, पर एक वक़्त के बाद हम भुला देते हैं उन किरदारों के नाम....
मैं भी ना बावली बात तो फिल्म की थी ना, हमें हैं ना कहानी बड़ी अच्छी लगी हैं कुछ यूँ हैं कि हमें लव स्टोरी में बचपन से ही बड़ा इंटरेस्ट रहा हैं, यह भी प्यार की कहानी हैं....बारिश का और प्रेमियों का भी आपस में अपना कनेक्शन हैं, बेवजह ही सब लुभाते हैं कुछ किस्से व कहानियाँ...!!
आज हम फिल्म की कोई समीक्षा नहीं करेंगें....बस हमारा मन प्रसन्न हुआ हैं ऐसी फिल्म देखकर....एक प्यार वाली कहानी लिखने की हमारी भी इच्छा हो रही हैं पर उफ्फ्फ कमबख्त पहले कोई हमें दीवानों सा चाहें तो सही....कोई हमारे कहानी लिखने की वजह बनें तो सही, कोई हमें यह कहें तो सही कि आओ ना इस बारिश में भीगते हैं संग-संग और करते हैं मुहब्बत....कोई खास कोई.....
बस अब इसे अधुरा ही रहने देते हैं...छोड़ो...

Thursday 5 May 2016

निल बट्टे सन्नाटा...

फ़िल्में देखते रहना चाहिए...मन भी बहल जाता हैं और कभी-कभी कोई अच्छा सन्देश भी दे जाती हैं कुछ फ़िल्में....
अभी इस वक़्त में शायद फ़िल्में बनाने का महज उद्देश्य बस पैसा कमाना ही रह गया हैं फिर भी कुछ लोग महज कम बजट में अच्छी फ़िल्में दें रहे हैं वो तारीफ के काबिल हैं....अभी बीते रोज मैंने देखि "निल बट्टे सन्नाटा"....पहली दफ़ा तो नाम ही बड़ा अजीब लगा था....आज तक निल बट्टा जीरो जरुर सुना था पर पहली दफ़ा था जब निल बट्टे सन्नाटा से रूबरू हो रहे थे....फिल्म के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं...डायरेक्टर व प्रोडूसर ने कम वक़्त में बेहद शानदार फिल्म बनाई हैं, स्वरा भास्कर ने अपना किरदार बखूबी निभाया हैं....हर आम इन्सान चाहे तो फिल्म के हर पहलु को अपनी ज़िन्दगी से जोड़ सकता हैं....एक माँ अपनी बेटी के लिए इसलिए भी खूब मेहनत करती हैं ताकि उसकी बेटी कोई सपना देख सकें....ताकि उसकी बेटी बाई ना बनें....एक बाई की बेटी का आखिर में अपनी माँ का सपना सच करना व कलेक्टर बनना तो आँखों को नम कर दें तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए....
इस फिल्म में एक मालकिन व बाई के बिच के रिश्ते को जैसे पेश किया गया हैं वो दिल छू लेने वाला हैं....इतना अपनापन व इतना प्यार तो सगे-सम्बन्धियों के बिच भी नहीं होता होगा आजकल पर फिल्म में एक मालकिन बाई की मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं व उसके उलझन को सुलझाने को हमेशा तैयार होती हैं....फिल्म में कहीं नजर नहीं आता हैं कि मालकिन बाई को औछ्ची नजरों से देखती हो....
एक नादान बच्ची व माँ का रिश्ता....जैसे आम से घरों में होते हैं उतनी ही खूबसूरती से पेश किया गया हैं....फिल्म करीब 97मिनट की हैं एक पल को भी बिल्कुल भी उबाऊ नहीं लगती हैं....पहली बार बेमतलब सी कोशिश कर रहे हैं फिल्म की समीक्षा करने की....कोई भूल-चुक हो तो माफ़ करज्यो सा...!!
बस हमारी पोस्ट यहीं खत्म हुई....मन करें तो जरुर देखिए एक बार यह आम सी खास फिल्म...

Wednesday 4 May 2016

कुछ अनकही सी बातें

Dear X नहीं नहीं तुम्हें X कहना ठीक नहीं रहेगा और तब तो बिल्कुल भी नहीं जब तुम्हारी व मेरी पहली मुलाकात भी नहीं हुई हो, और शायद अपने बिच पहला व आखरी कुछ ना होना, सब कुछ सिर्फ और सिर्फ अधुरा होगा बस....
पता नहीं यह तुम्हें लिखने का सिलसिला कब तक चलता रहेगा, पर इसे मैं हमेशा जारी रखूंगी क्यूंकि मैं तुम्हें आये-गए लोगों में शामिल नहीं होने देना चाहती, सच में मैं तुम्हें नहीं भुलाना चाहती!!
तुम बुरे हो.....हां यक़ीनन हो तभी तो देखो तुम्हारा दिन कट जाता हैं मुझे बिना याद किए ही, तुम्हारे सम्बन्ध भी रहें होंगे ओरों के साथ अब मुझे इसमें भी कोई शक नहीं हैं....तुमने बहुतों को खूब सारे सपने भी दिखाए ही होंगें बेशक....तुम ना सच्ची इन्सान नहीं हो, कभी कभी मुझे लगता हैं तुम्हारा मकसद महज कुछ चीजें ही हैं , जैसे खूब सारा पैसा, गाड़ी, बंगला व ढेर सारी मस्ती बस....तुम ना रिश्ते नहीं जानते, दूसरों का मन रखना भी नहीं समझते, तुम्हें तो पता भी नहीं हैं कि मैंने बीते दिनों में तुमसे कितनी मुहब्बत की हैं यह नहीं हैं कि मैंने पहली बार की हैं यह मुहब्बत नहीं नहीं....खूब सारे लोग मिलते हैं ज़िन्दगी में जो बहुत अच्छे लगते हैं, पर तुम पहले थे जिसके साथ लगा सारी उम्र जी पाऊगी, जिसके लिए कुछ ना बदलकर भी मैंने बहुत कुछ अलग बना लिया था, अपने विचार, अपना रहना-करना सब तुम्हारी वजह से बदल रहा था, पर कभी कभार इन्सान गलत हो जाते हैं उन्हें मौका रहते अपनी गलतियों को सुधार लेना चाहिए, तुम्हारी वजह से मैंने अपनी ज़िन्दगी के सबसे करीब इन्सान को तकलीफ दी हैं पिछले दिनों में, तुम्हारी वजह से मेरे अपने रूठे हैं मुझसे पहली दफ़ा....कुछ भी कहो पर तुम गलत थे, और तुमने खूब सारी शायद गलतियां की हैं....मैं कितना भी पॉजिटिव क्यों ना सोचूं पर अब हमारी राहें अलग प्यारे...तुम हमेशा याद रहना!!!
प्यारे सलाह दूंगी अभी भी वक़्त हैं संभल जाना, बुरे का अंजाम हमेशा बुरा ही होता हैं, मेरा तुम पर कुछ भी कहने का कोई हक़ नहीं फिर भी कह देती हूँ कुछ अच्छा-बुरा.....क्यूंकि मैंने तुम्हें अपना कुछ वक़्त दिया हैं...एक पल को ही सही पर सच में तुमसे मुहब्बत की हैं, एक बार ही सही पर तुम्हें अपने बहुत करीब पाया हैं, बहुत कुछ लिखना हैं पर लिखते रहेंगें धीरे-धीरे.....तुम्हारी दुनिया में ना आना ठीक ही साबित होगा वरना तुम्हारी सारी बातें व हरकतें मेरा यह भोलापन छीन लेती तय हैं...!!

फिर लिखूंगी तुम्हारे नाम.....