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Saturday 29 March 2014

मेरी साँसें ,उसकी जिंदगी :-)

आज अक्षिता ,राज के साथ कुछ सालों पहले के फोटोज को देख रही थी 
कि उन्हें देखते हुए उसकी आँखें नम हो गयी थी ,
जो उसने एक दिन उसी नदी के सहारे राज के साथ क्लिक किये थे 
जहाँ एक दिन राज ने अपनी जिंदगी के सबसे अहम् पलों को अक्षिता से शेयर किया था 
जहाँ उसने अक्षिता को अपना जीवनसंगिनी बनाने का सपना देखा था 
कुछ यादों को समेटा था मन में ,उसने राज को फिर से एक नयी जिंदगी दी 
कुछ पुरानी यादें उसके जेहन में उभर आयी थी 
उसे याद हैं कैसे राज ने आज से चार साल पहले शाम के वक़्त कॉल करके 
उसने हल्के मन से कहा सुनो कल घूमने चले क्या ???
शायद यही सोचा होगा कि मैं मना कर दूंगी :-)
पर मेरे पास कोई वजह ही नहीं थी उसे मना करने की 
चिलमिलाती सी तपती धुप में भी निकल गयी थी मैं उसका साथ पाने के लिए :-)
कुछ दोस्त मिल बैठते हैं तब जिंदगी खुद-बेखुद अपनी कीमत बहुत बढ़ा लेती हैं 
इस बात का पता भी मुझे उसी वक़्त चला जब हम सब ख़ुशी से झूम उठे थे !!
अक्सर परिंदो सी उड़ती चली जाती मैं बिना यह सोचे कि अगर वो मुझसे पीछे रह जायेगा तो उसे कितनी तकलीफ होगी ??
और वो भी पागल कभी बयां ही नहीं करता कि मैं उसके लिए कितनी जरुरी हु :-)
मैं उससे आगे बढ़ ही रही थी कि उसने अपना अधिकार भाव जताते हुए 
उस दिन पहली बार मेरा हाथ अपने हाथों में थामते हुए बोला रुको ना 
हमेशा मुझसे आगे रहने की ज़िद्द हैं क्या ???
कभी थोड़ा मेरे साथ भी सुस्ता लो भई क्या पता कल को हमारा साथ भी नसीब ना हो :(
यह कहते हुए हम दोनों उसी नदी के किनारे बैठ गए थे 
कुछ देर दोनों की खामोश निगाहें ही काफी थी हालातों को बयां करने के लिए :-)
वो नदी ,उसका साथ और मेरा खाली मन………उफ्फ..........
कुछ देर हम दोनों खामोश रहे फिर उसने चुप्पी को तोड़ते हुए कहा -
मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हू :-)
उफ्फ मेरी तो साँसें ही थम गयी थी ,कितना डरती थी मैं इस पल से पर आखिर अब मुझे उन पलों का सामना करना ही था ,मन में विचारों की बहुत उथल-पूथल मची हुई थी 
क्या मेरे प्यार को इतना सस्ता समझ लिया हैं ना फूलों का गुलदस्ता लाया हैं और ना ही कुछ और ???
कि उसकी बातों को सुनने के लिए अपने विचारों को थोड़ा आराम दिया :(
तुम सोचती होगी कि मैं ऐसा क्यों हू ???अक्सर मैं क्यों अपने आपसे ही उलझ जाता हू ??
आखिर तुम मेरे बारे में जानती ही क्या हो ????
तुमने तो मुझे राज नाम यू ही दिया होगा पर सच में मेरी इस जिंदगी में बहुत गहरे राज भी हैं जो तुम बिल्कुल भी नहीं जानती.......तुमने महज एक हँसते हुए चेहरे को देखा हैं तुम्हें अंदाजा तक नहीं हैं कि इसके पीछे कितने गम ……तुम सोच भी नहीं सकती कि मेरी इन ऊंचाइयों के पीछे कितनी ठोकरें हैं जिन्होंने कभी मुझे गिराया ,कभी बहकाया ,कभी लड़खड़ाया तो कभी बेहद रुलाया हैं :(
मैंने कभी अपना बचपन नहीं जिया हैं ,तुम सब लोगों के पास अपना बचपना सहेजकर रखा हुआ हैं 
कैद करके रखा हैं उसे तस्वीरों में पर मेरे पास सिवाए कुछ धुंधली सी यादों के कुछ भी तो नहीं हैं :(
उम्र के सबसे मुश्किल पड़ाव पर जब सब लोग अपनी समस्याओं को अपने पापा के 
साथ बैठकर सुलझा लेते हैं मेरी जिंदगी का वो पड़ाव भी मैंने अकेले ही पार किया हैं 
नहीं थे इस दुनिया में मेरे पापा मेरा हाथ थामने के लिए ,मेरे लड़खड़ाते कदमों को सहारा देने के लिए ;(
मेरी जिंदगी इतनी बेरंग सी हैं उसमें तुम्हें ब्लैक एंड वाइट कलर भी कहीं नजर नहीं आएगा ;(
वो खुदा शायद जिसने मेरी खुशियाँ ही किसी और की झोली में डाल दी हैं 
वो मेरी परीक्षा लेने से कभी बाज ही नहीं आता हैं देखो ना तुम मिल गयी तुमसे प्यार हो गया 
सब-कुछ भुला दिया उसकी हर खता को माफ कर दिया क्यूंकि उसने तुम्हें मुझे दे दिया 
कोई गिला-शिकवा नहीं रहा तुम्हारे साथ ख़ुशी-२ पूरी उम्र काट देना चाहता था 
पर अब वादा करो कि तुम मेरे बिना भी उसी जिंदादिली से जिओगी जैसे कि तुम जीना चाहती हो ??
मेरे ना होने से भी तुम्हारी जिंदगी व इन खुशियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा :(
कसम हैं तुम्हें मेरी कि तुम हर पल मुस्कुराओगी 
गमों के सायों को कभी भी अपना दरवाजा तक नहीं खटखटाने दोगी ???
बहुत कोशिश कि ,तुम्हें बहुत हर्ट भी किया ताकि तुम मुझसे नफरत करना सिख जाओ 
मैं बुदबुदाई पर तुम यह सब क्यों कह रहे हो ??बहुत सारी आंशकाएं मन में घर करने लगी थी :(
उसका दर्द उसके आंसुओं में बह गया व उसके शब्द बिखर गए थे मुझे…… कैंसर  … हैं....... 
भरी आँखों व दबे पावों से चल पड़ी थी बिना कुछ सोचे व समझे 
कि तभी राज ने फिर से हाथ थाम लिया था मत जाओ ना :-)
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा नदी के किनारे बैठने से समस्या हल नहीं हो जायेगी 
तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हें छोड़कर जा सकती हू या तुम्हारे बिना जी सकती हू ??
मैंने राज के लड़खड़ाते कदमों को थामा और यह जताया कि अब तुम्हें सम्भालने के लिए मैं हू ;-)
कुछ दुआओं का असर व कुछ दवाओं और शायद कुछ प्यार का भी कि राज कुछ वक़्त बाद बिल्कुल ठीक हो गया सांसें व उम्र को एक-दूसरे के लिए बाँट लिया हम दोनों ने :-)

Wednesday 26 March 2014

इंटरनेट की दुनिया......

कल मन थोड़ा भारी सा था व कुछ बेचैनियों ने मुझे आ घेरा था 
मन व दिमाग विचारों के मामले में कल दोनों ही शांत हो गए थे 
अक्सर जो कि एक-दूसरे से उलझ जाया करते हैं पर कल दोनों ही चुप थे 
शायद कोई ज़िद्द भी नहीं थी .......... कि तभी मैंने सोचा आज किसी ऐसे इंसान को याद किया जाए जिससे बात किये हुए साल दो साल हो गए हो 
माँ का फ़ोन हाथ में लिया सारे कॉन्टेक्ट्स चेक किये कि मेरी आँखों के सामने प्रीति के नंबर 
आ गए डायल किये कि आवाज आयी यह नंबर स्विच ऑफ हैं कि मुझे याद आया हां 
उसे पोस्टिंग भी तो झाँसी मिली हैं सो शायद नंबर चेंज कर लिए हो :-)
खैर मोबाइल को एक तरफ रखते हुए लैपटॉप को देखने लगी 
कुछ देर बाद सोचा जीमेल चेक किया जाए उफ्फ कुछ भी तो नहीं हैं इस दुनिया में भी 
एक-दो लोग थे जीमेल पर जो दिल के बेहद करीब हैं पर बाबा महँगाई बहुत हैं 
तो लोगों के भी तो भाव.......... आहा मैंने कब कहा कि बढ़ गए हैं ,एक्चुअली समझती हू 
वक़्त नहीं मिल पाता हैं और मेरे अलावा भी तो बहुत लोग हैं इस दुनिया :-)
जीमेल को बंद करके सोचने लगी उस वक़्त को जो महज मैंने इंटरनेट पर ही बिता दिया या ……… 
2009 में जब बाहरवीं कक्षा में थी तब इंटरनेट की अबीसीडी भी नहीं आती थी 
धीरे-२ कुछ सिखा पर कभी ज्यादा लगाव नहीं हुआ इस दुनिया से 
कि फाइनल इयर (2011) में आते ही इंटरनेट का जादू मेरे सर चढ़कर बोला था 
वो पल बेहद याद आये जब मैं ,प्रीति और सरोज तीनों एक ही जगह बैठकर एक-दूसरे 
की फेसबुक दुनिया को साझा करते व कमेंट्स करते जाते……… उस वक़्त................हम्म :-)
फेसबुक एक नया जरिया मिल गया था मुझे अपने दर्द व गम को थोड़ा कम करने का 
बेशक अगर उस वक़्त मुझे वो दुनिया नहीं मिलती तो मुझे नहीं पाता मेरा क्या होता :(
कॉलेज से रूम ,रूम से कॉलेज तक की अपडेट भी फेसबुक पर होती थी :-)
यक़ीनन आज तक सबसे ज्यादा प्यार व बेइंतहा केवल मुझे अफबी से ही हुआ :-)
अक्सर ऐसा मेरे अपने कह दिया करते थे ………  पापाजी कितने सॉकड हुए थे जब उन्होंने मेरी प्रोफाइल देखि व उसमें ऐड 800 लोगों को.......... हा …हा …… तो दिसंबर 2012 में मैंने उन्हें भी अपनी आईडी बनाने का सुझाव दे डाला तथा ना जाने किस-किसकी आईडी को दिखाया था जिसमे मुझसे भी ज्यादा फ्रेंड्स ऐड थे ;-)
खैर मेरा सुझाव तब और ज्यादा उन्हें जरुरी लगा जब वो अशोक जी सर से मिलकर अभिनव राजस्थान अभियान के बारे में इंफॉर्मेशंस लेकर आये.…हूह पापाजी की फ्रेंड लिस्ट में भी पहला नाम मेरा ही होना था और जरुरी भी था सो इस शुभ काम को मैंने उनकी प्रोफाइल अपडेट करते ही अंजाम दे दिया :-)
उनके भी इस दुनिया में आते ही कैसे मेरी दुनिया छोटी हो गयी थी जानती हू मैं 
फ्रेंड्स के नंबर 800 से लुढ़क कर सीधा 186 पर रुके थे पर मुझे उन्हें अनफ्रेण्ड करने में कोई ग्लानि नहीं हुयी थी पता हैं मुझे उल्टा उस दिन मन हमेशा की बजाए थोड़ा ज्यादा खुश था :-)
फिर आया वो भी दिन 21 जून 2013 जिस दिन मैंने अपनी आईडी को डिलीट करने का फैसला कर लिया था 
वैसे मैंने इससे पहले भी ना जाने अपनी आईडी को कितनी बार डीएक्टिवेट व डिलीट किया  होगा पर हमेशा मेरी नाराजगी ज्यादा देर तक नहीं रह पाती थी फेसबुक से और मैं कुछ देर फिर लौट जाती थी उस दुनिया में पर उस दिन ना जाने क्यों …… खैर कोई कारण भी नजर नहीं आया मुझे लेकिन अपनी पागलपंती ही बहुत थी उफ्फ …आईडी के डिलीट होने के बाद उन लोगों का ख्याल आया जिनसे बिछड़ गयी थी 
मैंने सोचा देख लिया जाए कौन कितना याद करता हैं कौन मुझे ढूँढता हैं 
खैर उस वक़्त ने इस दुनिया की सचाई से बहुत अच्छे से रुबरु करवा दिया बता दिया कि यह दुनिया या किसी की जिंदगी ना ही अपनी वजह से चलती हैं और ना ही अपनी मोहताज हैं 
मैं आज भी ठहरी हू उन पुराने लोगों या यू कहू अपनों के साथ व उनकी यादों के साथ 
पर कोई ना आया जो मुझसे पूछता तुम क्यों ठहरी हो ???
क्यों दूसरों के लिए ख्वाब सजा रही हो ????
खैर मैं भी जिसके बिना रह नहीं पाती थी उससे बहुत दुरिया बढ़ा ली मैंने (
अब लोग पूछते हैं मैं फेसबुक पर क्यों नहीं हू हूह नहीं हू बस मेरी इच्छा …… हेहेहेहेहेः -)
समझा करो बाबा वहाँ भीड़ बहुत हैं और मुझे अकेले ही रहना व जीना पसंद हैं 
तभी तो आजकल मैंने  अपना आशियाँ भी उसके दिल को छोड़कर कहीं और बसा लिया हैं 
क्यूंकि वहाँ बाहरी लोग आकर अपना अधिकार जमा बैठे हैं 
और जन्म से ही हममें तो त्याग की भावना कुछ ज्यादा ही हैं सो 
हम उन्हें छोड़कर फरिश्ता बनकर आ बैठे हैं यहाँ ;-)
आजकल जीमेल व ब्लॉग की दुनिया भी ………हेहेहेहे मैंने कब कहा अच्छी नहीं लगती ????
इस भौतिकवादी दुनिया पर मुझे जितना गुस्सा आता था अब उससे कहीं ज्यादा ……
खैर जो भी हो लव टू दिस .......... :-)

Sunday 23 March 2014

भागो मत, जिओ.....

आज का यह टॉपिक मुझे मुझसे भी ज्यादा टेढ़ा नजर आ रहा हैं 
इवन मुझे तो यह भी समझ में नहीं आ रहा हैं कि इसकी शुरुआत कैसे करनी चाहिए 
भाग  जाना एक अच्छा शब्द हैं अभी जब एक दिन मैंने माँ से कहा था 
मुझे भी भागना हैं तो माँ ने कहा बेटा यह अच्छी बात नहीं हैं 
तो मैंने उन्हें कहा माँ मेरा मतलब हैं कि रेस लगाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं :-)
वो हंस दिए थे क्यूंकि उन्हें उनकी परवरिश पर कोई शक नहीं हैं !!!
हां तो ठीक समझे आप मेरा मतलब किन्हीं दो प्रेमियों के भाग जाने से हैं 
अरे !ऐसे क्या ……कुछ समझो मैं प्रेम करने वालों का विरोध करने वालों में से नहीं हू 
लेकिन मैं उनके ऐसे तरीकों का कभी सपोर्ट नहीं कर सकती 
मुझे यह एक बेहद ही गम्भीर मुद्दा लगता हैं 
बेशक अगर कोई एक लड़की भाग जाती हैं तो सौ लड़कियों की आजादी पे बैन लगा दिया जाता हैं 
इसमें भी भागीदार लड़का व लड़की बराबर ही होते हैं लेकिन यहाँ भी लड़की की लक्ष्मण रेखायें उसके बीच में आ ही जाती हैं :(
मुझे इस मामले में कुछ अहम् कारण ऐसे लगते हैं -
(१ )-जो भाग जाते हैं उन बच्चों की परविरश शायद उनके पेरेंट्स ठीक से नहीं कर पाते हैं 
बच्चे बिल्कुल फसल की तरह ही होते हैं सो जैसा बोओगे वैसा ही काट पाओगे :-)
(२ )-शायद कुछ बच्चे यह नहीं समझ पाते हैं कि 
पल दो पल की भावनाओं में बहकर जिंदगी को बर्बाद करने से अच्छा हैं कि 
उन दो पलों को जिंदगी में जगह ही ना  दी जाए :-)
(३ )-बच्चों का पूरी तरह से मानसिक विकास ना हो पाना !!!


खैर बहुत सारे कारण मिल जायेंगे और मेरी सब बातें सही ही हैं 
मैंने ऐसा भी नहीं कहा हैं ,और ना ही इन टॉपिक्स पर कोई रिसर्च किया हैं 
महज बस एक दिन सुना किसी के भाग जाने के बारे में तब मन कर गया था इसपे लिखने का 
वैसे न्यूज़ पेपर में हर रोज आप ऐसी एक-दो खबरें तो देख ही सकते हैं :(
भागना किसी भी समस्या का एकमात्र हल नहीं हैं 
अगर हम इसे हल करने की कोशिश करें तो बहुत सारे अच्छे तरीके निकाले जा सकते हैं इन समस्याओं से बचने के !!!!!!!
महज किसी के साथ भागकर वो लोग क्या जताने की कोशिश करते हैं ???
क्या जन्म से लेकर आज तक जिन लोगों के साथ उन्होंने रिश्ते निभाए थे वो महज कच्ची मिट्टी के थे ,वो उनका प्यार ,उनका लालन-पालन क्या कुछ नहीं था :-)????
जो इन लोगों के साथ धोखा कर सकता हैं क्या गारंटी कि वो हमारे प्यार के साथ नहीं करेगा ???
क्या भागा नहीं जाए ,शादी ना की जाए तो प्यार नहीं रहता ????
इवन बच्चों को कोई गलत कदम उठाने से पहले इतनी हिम्मत दिखानी चाहिए कि 
वो अपने पेरेंट्स के साथ अपनी प्रॉब्लेम्स को शेयर कर सके ,क्या पता वो लोग 
कोई अच्छा हल निकाल ले ,जिंदगी भागने के लिए व मरने के लिए नहीं होती हैं 
यह जीने के लिए बनी होती हैं 
अपने लिए नहीं तो कम से कम उन अपनों के लिए तो जिओ 
जिन्होंने महज आपके चेहरे की मुस्कुराहट को बनाये रखने के लिए 
ना जाने कितने गमों को अपने उस चेहरे के पीछे दफ़न कर दिया होगा !!!!!
कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती हैं कि उसका हल ना निकाला जा सके 
छोटी-२ बातों के लिए मर जाना, अपने आपको खत्म कर लेना अच्छा नहीं :-)
बस इतना ही कहूगी कि लोग भागने से पहले या मरने से पहले उन लोगों के 
बारे में भी जरा सोचें जिनका वो अहम् हैं, नाज हैं 
आप हर किसी के लिए जरुर स्पेशल नहीं हैं लेकिन 
किसी ना किसी के लिए बहुत स्पेशल जरुर हैं :-)
एक मूवी का डायलाग याद आ रहा हैं -
किसी अपने के चले जाने पर ,उस अपने का या उस प्यार का  बहाना करके 
अपने आपको मिटा डालना ना केवल अपना अपमान हैं बल्कि उस जाने वाले व उस प्यार का भी अपमान होता हैं :-० !!!!!
यकीं हैं मुझे इस दुनिया के समझदार व बुद्धिजीवी लोग किसी का अपमान नहीं करेंगे ;-)

Saturday 22 March 2014

ज़िद्द हैं.....

मेरे प्रिय ,
              तुमने भी यह बात खूब सुनी होगी ना कि -
जब-२ इस धरती पर अत्याचार बढ़ता हैं तब-२ वो खुदा अवतार लेकर स्वयं धरती पर आते हैं 
ठीक वैसे ही जब-२ तुम मुझे बेहद याद आते हो ,
तब-२ मेरे ब्लॉग पर तुम्हारे नाम की पोस्ट प्रकट होती हैं ……हेहेहेहेहे :-)
आज तक ना जाने कितनी बार तुमसे नाराज होने की एक्टिंग की हैं 
पर अफ़सोस तुझसे खफ़ा कभी रह ना सकी ……
अपने आपसे वादें किये कि अब तुम्हें कभी याद नहीं करुँगी 
खैर यह अलग बात हैं कि आज तक मैंने कभी भी किसी वादें और कसम को निभाया ही नहीं 
सो इन्हें भी कैसे ना तोड़ू भला :(
कभी-कभार बेहद याद आते हो तुम 
मुश्किल हो जाता हैं अपने आपको तुम्हे याद करने से रोकना ………
पर अब और नहीं .......इस बार मैंने तुम्हें अपनी दोस्ती से आजाद कर दिया हैं :-)
"और शायद उस रिश्ते से भी जो हैं अनकहा व चुभता सा …… 
इस बार वादों पर डटे रहने की शुरुआत की हैं 
सो अब तुम्हें कही गयी अपनी हर बात को मानने व निभाने का इरादा हैं ………… 
उस बात पर भी जो तुमने कही थी कि प्लीज सच बोलना छोड़ दो :-)
कदम दर कदम तेरी सोच को सहेजने का सोचा हैं 
आदतें तो बहुत पहले ही मैं बदल चुकी  हू पर सच में अहसास हुआ कि कुछ आदतें कितनी बुरी होती हैं ??
इस बार शायद ज़िद्द हैं कि अब कभी तुम्हें याद नहीं करुँगी 
हां शायद ज़िद्द ही हैं और तुम्हें प्यार करना व चाहना भी तो महज एक ज़िद्द ही थी :(
दूसरों के  दर्द को देखकर उसे अपने शब्दों में ढालना ज़िद्द ही तो थी 
तेरी-मेरी बनती-बिछड़ती जिंदगी को बिगाड़ देना ज़िद्द ही तो थी 
तुझे दूर जाता देखकर भी पास होने का महसूस करना ज़िद्द ही तो थी 
हूह..........ज़िद्द हमेशा अच्छी होती हैं :-)
इसलिए चैत्र एकम मतलब नये साल से तुझे भुला देने और तुझसे नफरत करने की ज़िद्द की हैं :-)
तेरा तुझको मुबारक ……………………… 
जी लुंगी मैं ,हंस लुंगी मैं , समेट लुंगी मैं अपने आपको ,सब सिख जाउगी मैं भी मेरे प्रिय !!!!!

Friday 21 March 2014

मुझको हुआ प्यार......

अरे भई ! यू क्या आप तो सीरियस ही हो गए ,
चलिए छोड़िए जी प्यार शब्द को वैसे भी मैंने पहले ही कहा हैं कि प्यार को शब्दों में बांधना या इसे परिभाषित करना अपने बस में कहाँ ??
खैर छोड़िए मुद्दे की बात यह हैं कि किसी दिन सुबह उठो तो उठते ही अच्छा सोचना शुरू कर दो सच में पूरा दिन बहुत अच्छा जायेगा जो चाहोगे वो पाओगे आज मेरे साथ तो ऐसा ही हुआ वैसे अजमेर शायद हमेशा से मेरे लिए लकी ही रहा हैं इसे राजस्थान का ह्रदय भी तो कहा जाता हैं 
अगर आप कभी अजमेर नहीं घूमे हो तो आपको जरुर घूमना चाहिए 
अजमेर के पास में ही पुष्कर हैं जिसे तीर्थों का मामा कहा जाता हैं 
पुष्कर झिल को सबसे पवित्र झील माना जाता हैं खैर अब वो कितनी पवित्र हैं यह तो आप उसे देखकर ही बता सकते हैं 
हां तो आपने सही समझा मुझे प्यार हुआ अजमेर से 
वैसे मुझे नहीं लगता कि अजमेर कि घाटी जितनी खतरनाक हैं ना वैसी कहीं और भी होगी क्या इस दुनिया पर बस मुश्किल भरे रास्तों से सफ़र थोड़े ही रुकता हैं यह तो तय करना ही पड़ता हैं :-)
वैसे ना मुझे आजकल के लोगों का प्यार समझ में नहीं आता हैं और थोड़ा अटपटा भी जरुर लगता हैं 
बेचारे घूमने जाए तो लड़की को कितनी परेशानी उठानी पड़ती मुँह कैसे बांधती हैं ना उफ्फ …… मेरी तो जान ही चली जाए लड़का भी तो बेचारा क्या कुछ सहन नहीं करता हैं हूह ……घूमने नहीं जाए साथ में वक़्त ना बिताए तो कौनसा प्यार कम हो जाता हैं वैसे भी प्यार जताने से ही प्यार रहे तो क्या जताना ???
अरे बाबा !आप कोई बुरा मत मानिए मैं भी इन्हीं लोगों में आती हू खैर अपना प्यार और अपनी दूनिया पेरेंट्स तक ही सिमटी हुई हैं यह अलग बात हैं :-)
उफ्फ मैं फिर से टॉपिक से भटक गयी खैर मुझे लगता हैं कि भटकाव ही जीवन हैं सच्ची तभी तो मेरा बावरा मन कभी कहता हैं टीचिंग लाइन में जाना चाहिए तो कभी कहता हैं नहीं-२ बैंकिंग ठीक रहेगा तो कभी अरे छोड़ ना सारिका इन सबको चल बना ले कागज और कलम को अपनी जिंदगी :-)कि तभी मेरा दिमाग बोल पड़ता हैं अच्छी नहीं यह सपनों की उड़ान चल उठा तबला और माँगना शुरू कर दे हूह मांगना भी तो कहाँ आसान हैं बहुत हिम्मत झुठानी पड़ती हैं बाबा तभी तो आज तक उससे उसके अकाउंट के पासवर्ड तक नहीं माँग सकी हे-हे-हे-हे-हे-हे :-)
हम्म फिर भटक गए एक्चुअली याद हैं मुझे 17th दिसंबर 2012 को पहली बार मैं "दरगाह "गयी थी अगर आज तक आपने दरगाह नहीं देखि हैं तो आपने बहुत कुछ मिस कर दिया हैं मुझे अंदर जाते ही ना जाने क्यों शांति और सुकून सा अहसास हुआ था उस दिन से उस दरगाह से लगाव सा हो गया था याद हैं मुझे दरगाह से आते ही मैंने कैसे सबको कॉल करके बताया था कि आज मैंने दरगाह देख ली इसलिए अब जब भी कभी अजमेर जाना होता हैं तो मैं दरगाह को मिस नहीं कर सकती :-)बस तेरा मोह न छूटे !!
खैर अब बात आज की करते हैं सुना हैं कि जम्मू-कश्मीर जन्नत सी जगह हैं पर सच्चे फरिश्तों के दर्शन आज मुझे अजमेर में हो गए थे वैसे आज का दिन था ही बहुत अच्छा सबसे पहले सुनील जी सर ने ऑल दे बेस्ट जो बोला था पुरे रास्ते खुश थी एग्जाम भी ठीक ही हुआ था कि एक फोटोकॉपी की शॉप पे जाना हुआ अंकल ने फोटोकॉपी कर दी पर चेंज पैसे ना ही मेरे पास और ना ही उनके पास थे सो उन्होंने कहा बिटिया आपका काम हो गया ना बस पैसे आप रहने दीजिए बताओ भला ऐसे इंसानों को कभी भुलाया जा सकता हैं क्या ?????
वैसे बात पैसों की नहीं बात इंसानियत की होती हैं जी :-)
वहाँ से मुझे महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी इन शॉर्ट "एमडीएस 'जाना पड़ा पर वहाँ बैठा स्टाफ बड़ा निर्दयी निकला बहुत मिन्नतें करने के बाद भी मेरी नहीं सुन रहे थे कि मुझे लगा अब पापाजी को कॉल करना चाहिए पर कैसे क्यूंकि मेरे पास तो मोबाइल होता ही नहीं हैं कि किन्हीं गार्ड अंकल के पास गयी पहले तो उन्होंने मुझे देखा फिर बोला आजकल तो भेड़-बकरी चराने वाले भी मोबाइल रखते हैं और बेटा एसटीडी तो अब गुजरे ज़माने की बातें हैं मैं उनकी इस बात पे मुस्कुरा दी थी पापाजी से बात करके वापिस ऑफिस में जाकर एक बार और सर से बात करने का निर्णय किया मैंने पर वो थे कि टस से मस ही ना हुए तो अब मैंने अंत में हारकर औरत के सबसे बड़े हथियार का उपयोग करना ही बेहतर समझा जी हां आप ठीक समझे अब मेरी गंगा-जमना बहने लग गयी और यक़ीनन हर आदमी औरत के आंसुओं के आगे पिगल जाता हैं अब देखिए आप भी जब मेरी पोस्ट पढ़ो ना तब कमेंट जरुर कीजिए वरना हां ठीक समझे आप मैं रो दूंगी जो लोग पिछले दो घंटे से मेरा काम नहीं कर रहे थे यू ही इधर उधर के रूम में भटका रहे थे उन्हीं लोगों ने अब दो मिनट में मेरा काम कर दिया था 
आज समझ में आया मुझे आंसू इतने महंगे क्यों हैं ????
सच्ची दुनिया जितना मजाक उड़ाती हैं ना जिंदगी उतना ही रंग लाती हैं 
मैं महज दस मिनट रोई थी पर अब मैं पिछले दस घंटे से हंस रही हू हेहहेहेह……………… 
खास कि उसने भी मेरे आंसुओं की कीमत को पहचाना होता :(
एनीवे आज का दिन बहुत ही स्पेशल ,अच्छा व खास था :-)
वैसे आज इस पोस्ट को लिखने में भी मैं बहुत भटक गयी हू सो चलिए अपने शब्दों को विराम देते हैं !!!!!
वैसे आज इस पोस्ट का टाइटल होना चाहिए था अटपटा भटकाव :-)

Monday 17 March 2014

जीवन का रंग-रूप

बीते इन तीन-चार दिनों का वक़्त ,इन दिनों का हर पल 
हमेशा मेरे दिल के बेहद करीब रहेगा.......
हर पल बेहद ही खूबसूरत रहा पर यह होली भी रही बेरंग सी 
इस बार रंगों को चेहरे पर नहीं पर अपने दिल से जरुर लगाया हैं 
उम्मीद हैं इस बार का यह रंग कुछ ज्यादा ही गहरा चढ़ेगा !!!:-)
इस बार भाई की कही गयी हर एक बात मेरे दिल को छू रही थी 
जिसमें से रात को जब डीजे लाया गया तब उसने कहा था कि -
इस हुल्लड़बाजी को तो मैं कभी सपोर्ट ही नहीं करता 
त्यौहार का मतलब होता हैं अपनों के साथ वक़्त बांटना 
उनसे हम हमेशा नहीं मिल पाते हैं इसलिए त्यौहार पर अपनों से मिला जाए 
उनके साथ कुछ वक़्त उनकी तकलीफों व खुशियों को बांटा जाए !!!
मैंने अपना पासा फेंकते हुए कहा क्या बात हैं पापाजी इस बार तो लोगों का स्टेटस………
पापाजी समझ गये थे उन्होंने कहा जब बच्चा ग्रेजुएशन कर लेता हैं तब तक 
वो मैच्योर हो जाता हैं कुछ बातें खुद-बेखुद समझने लग जाता हैं :-)
सबसे बड़ी उपलब्धि थी इस बार मेरी कि मेरा और राम का एक बार भी झगड़ा नहीं हुआ 
मुझे वो भी बदला हुआ लगा व उसके विचार भी 

इस बार मुझे वो कितना कुछ देकर जा रहा हैं 
जिसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं 
सच कहते हैं चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात 
सब अपने-२ कारवां की और चल ही देते हैं 
राम का भी शायद जाना बहुत जरुरी हैं सो नहीं रोक रही इस बार मैं उसे 
जा राम विश यू अ वेरी हैप्पी जर्नी :-)
ख़ुशी हैं कि ग्रेजुएशन होते ही तू फिर से हमारे पास आ जायेगा 
बहुत-२ आभार :-)
शायद जिंदगी का यही रंग और यही रूप हैं 
कभी कोई बहुत दूर होकर भी दिल के बहुत करीब तो 
कभी कोई बहुत करीब होने के बाद भी दिलों के फासले बहुत बढ़ जाते हैं 
मिलना-बिछड़ना कहाँ स्थिर हैं यह तो दुनिया की एक रीत हैं 
इस बार राम से मिलकर लगा कि मैं तो यू ही अपने आपको समझदार समझती हू 
जबकि सच में मुझसे कहीं ज्यादा तो राम समझदार हैं 
तभी तो लोग हमेशा से उसे ही मुझसे ज्यादा इंटेलीजेंट बताते आए हैं !!
हम्म …चलो भई रंग और रिश्तों की बातें बहुत हुई 
अब थोड़ा हकीकत से रुबरु होते हैं 
उफ्फ़ … एक्साम्स अब हंस सारिका 
बच्चे थे तब सोचते थे भगवानजी 70-80 % तो बना ही देना ना 
पर सच में इस बार मैं सोच रही हू भगवानजी केवल पासिंग मार्क्स आ जाए बस 
केवल डिग्री मिल जाए और मेनू कछु नहीं चाहिए :(
बस यही जिंदगी का रंग रूप हैं तभी तो -
कभी बिन मांगे मोती मिले ,कभी माग्या मिले ना भीख :-)
कभी धुप कभी छांव कभी रंग बिरंगी तो कभी बेरंग सी हैं यह जिंदगी 
बातें सेंटी कर रही हैं यू लग रहा हैं जैसे कि ब्लॉग से कहीं बहुत दूर जा रही हू ……… 
अब देखते हैं क्या होता हैं खैर डायरी को भी तो ख़ुशी मिलनी चाहिए ना ???
hmm.....सबसे मजेदार बात तो लिखना ही भूल गयी 
मैंने इन दिनों राम को चश्मा लगाये हुए नहीं देखा और साथ में ना लाने का कारण भी पूछा तो वो बात को टाल गया था पर रवाना होने से पहले उसने बताया कि एक्चुअली मैं चश्मा तो साथ लाया था पर जब रात में मुझे नींद आने लगी तब मैंने उसे फेन पर रख दिया था और मैं वापिस उठा तब तक कोई उसे वहाँ से उठाकर ले गया था हेहेहे मुझे इस देश कि इंसानियत पर हँसी आ गयी थी ;-)

Sunday 16 March 2014

लड़की होना एक अभिशाप......

बेशक हम अपने मन को बहलाने के लिए कभी-कभार प्राउड कर सकते हैं कि हम एक लड़की हैं 
पर बाबा उस पल दो पल की ख़ुशी पर मेरी उम्र बहुत भारी हैं 
मुझे हमेशा अफ़सोस रहेगा कि उस खुदा ने मुझे एक लड़की बनाया 
केवल कुछ औरतों को आजादी मिल जाने से बाकि आधी आबादी के बराबर 

की औरतों की  बेड़ियों को भी काट दिया गया हो जरुरी तो नहीं ??
अरे बाबा यहाँ पर तो लड़की के बोलने तक पर पाबन्दी लगा दी जाती हैं 
कुछ करना तो बहुत दूर की बात हैं :(
किसी के टोकने या डाँटने पर बेचारी लड़कियां बेचारी कुछ नहीं बोलती हैं 
बस चुपचाप वो उस जिल्लत के आंसू पीती रहती हैं 
जो गुनाह बेचारी लड़कियां कभी करती ही नहीं हैं, वो उसका भी जुल्म बिना कुछ कहे सह लेती हैं 
मैं पिछले कहीं सालों से विरोध कर रही हू किसी और के लिए नहीं केवल अपने ही लिए 
और मेरे घर में मुझे इसका पूरा हक़ व अधिकार दिया भी गया हैं 
यक़ीनन आपके पेरेंट्स का सपोर्ट आपके साथ हो तो 
सारी कायनात भी खुद-बेखुद आपकी और हो ही जाती हैं 
बहुत हद तक सोच बदल भी गयी हैं लड़कियों के कपड़ों से लेकर सोच व विचार तक.… 
पर शायद अभी तो हक़ की लड़ाई बहुत अधूरी सी हैं 
अभी तो बहुत जहर पीना बाकी हैं 
अभी तो हर मोड़ पर अग्नि परीक्षा हम लड़कियों का इंतज़ार कर रही हैं 
बेशक कभी ना कभी तो जलना ही हैं 
i hate to me, my life, this society n this world.....
सही हैं हर दिन रविवार नहीं होता हैं इसलिए हर दिन खुशियाँ भी केवल हमारा ही इंतज़ार नहीं कर रही होती हैं जिसमें से लड़कियों का तो बिल्कुल भी नहीं 
गॉड आप इतने निर्दयी नहीं हो सकते या तो दिला दो हम गर्ल्स को हमारा हक़ व अधिकार 
या फिर आप भी इस दुनिया में आओ और देखो कुछ दिन हम लड़कियों की तरह जीकर 
महसूस करो यहाँ की जिल्लत व घुटनभरी जिंदगी को थोड़ा आप भी 
ताकि आपको भी तो पता चले कि आखिर लड़कियां इतने अधिकार क्यों मांगने लगी हैं 
क्यूँ हर बात पर सिहर उठती हैं :(
हो गया ना रंग में भंग........ 
anyway wish u a very happy holi to all........

ख़ुशी और सरप्राइज......

 चाहे कितनी भी कोशिश कर लो लेकिन इस बेजान सी जिंदगी में व्यवधान तो आ ही जाते हैं 
तभी तो देखो ना पुरे दो-तीन दिन बाद में वक़्त मिला हैं इस पोस्ट को अपडेट करने का..... 
खैर कोई शिकायत नहीं है आखिर मिला तो सही ना 
हुह..... सुबह नींद खुली ही नहीं थी कि माँ ने आवाज लगायी 
सरिता बेटा राम पहुँच गया हैं सो उसने कॉल किया हैं और बोला कि लेने के लिए सरिता को ही भेज दो सो तुम ले आओ :-)
hmmm....ram ki yah pic hamesha mere dil ke karib rahegi:-)
white colour achcha b to lagta h mere bhai ko!!
माँ आप भी ना क्या नींद में बातें कर रहे हो रात को मैंने राम से बात की तब 
उसने बोला देखता हू कि कब आ पाउगा सो वो दिल्ली ही हैं अभी आप सोने दो मुझे 
हम्म..........यह क्या फ़ोन देखा तो मैं अवाक् थी सच में राम के कॉल्स आये हुए थे :-)
ख़ुशी से फूली नहीं समां रही थी कि राम आ गया 
मिलते ही मेरी शिकायतें शुरू तब ही तो भाई-बहिन का रिश्ता इतना प्यारा होता हैं 
तूने तो मुझसे कहा था कि देखता हू तो फिर ????
हेहेहे ……"सरप्राइज " देना था ना सो :-)
"ख़ुशी "-मेरी माँ अक्सर कहते हैं कि चाहे वक़्त या हालात कैसे भी क्यूँ ना हो 
पर दुनिया वालों को हंसकर दांत दिखाने ही पड़ते हैं 
शायद तभी तो किसी ने क्या खूब कहा हैं कि -
"क्या गम हैं जो कि तुम उसे छुपाने के लिए इतना हंस रहे हो "
अगर ऐसा कुछ हमारे भी साथ होता हैं तो आई थिंक यह ख़ुशी नहीं हैं 
यह महज अपनी तकलीफों को भुलाने का बहाना हैं 
ख़ुशी को शब्द कहाँ दिए जा सकते हैं हम उसे तो महज महसूस कर सकते हैं 
दुनिया को कहाँ दिखाने की जरुरत होती हैं कि हम खुश हैं 
एक्चुअली ख़ुशी शब्द को आज मैंने इसलिए चुना क्यूंकि रात को भाई से बातें कर रही थी देन उसने इसे बहुत अच्छे से डिफाइन किया था सो खैर मुझे उसका कुछ याद नहीं रहा पर उसने ऐसा भी कुछ बोला था -
when we attach to something then we get pain n sorrows.....
so don`t get attach to anything.....be thankful to god tht you get a good life.....happiness.....always be happy.....always remember that he is always with us....:-)
उफ्फ बस बहुत हैं नहीं रहता मुझे ज्यादा कुछ याद पर आभारी हू मैं अपने भाई की 
कि इस बार बहुत साल बाद ही सही पर हम दोनों साथ में होली सेलिब्रेट कर रहे हैं 
इसलिए खुश हू वैसे नहीं लिखने से क्या मेरी ख़ुशी कम हो जायेगी क्या ??
हम्म चलो भई अब हम भी होली के रंग में रंग जाते हैं 
वैसे भी आजकल तो वो खुदा भी हम पर बहुत मेहरबान हैं सो बहुत-२ शुक्रिया भगवानजी :-)
wish u a very happy holi to all....:-)

Friday 14 March 2014

आज फिर......

मेरे प्रिय ,
              मैं जब-2 बहुत खुश होती हू हमेशा तुम बहुत याद आते हो 
और यह भी तो हैं कि कहीं दोस्तों का जिक्र ज्यादा कर दिया और तुम्हारा 
बिल्कुल भी नहीं किया तो कहीं तुम बुरा ना मान जाओ और बाबा बुरा ना मानो ना होली हैं !!
खैर जब हद हो जाती हैं अपने आपको रोक पाना मुश्किल हो जाता हैं तब वक़्त-बेवक़्त तुम्हारा जिक्र करना जरुरी हो जाता हैं :-)
पता हैं आज तुम बहुत याद आये  वो पल बहुत याद आये 
उस शहर को छोड़ने से पहले तुमने कहा मैं जा रहा हू मुझे याद करोगी ??
मैंने कहा बिलकुल नहीं :-)
तुम निढाल होकर अपने बेड पर गिर पड़े थे उस वक़्त का वो एहसास ताउम्र नहीं भुलाया जा सकता 
जब तुम खामोश हो गए थे उस वक़्त क्या कुछ कहा था तुम्हारी साँसों ने !!
उस वक़्त तुमने अपने रूम का हाल बयां किया था 
तब उसमें मुझे तुम्हारे कमरे से कहीं ज्यादा तुम्हारी आपबीती नजर आ रही थी :(
तुम्हारे बिना कहे ही मैं बहुत कुछ समझ रही थी 
जब मेरा भी बोल पाना मुश्किल हो गया तब मैं भी बिल्कुल खामोश हो गयी थी 
उफ्फ ……बस बाबा अब और नहीं लिखा जाता !!!!!!
आज एक फिर  से बिन कहे ही समझ जाओ ना कि तुम कितने याद आ रहे हो :-)

Sunday 9 March 2014

क्या कह दू मैं तुम्हें ???

आज तक जिंदगी की बहुत सारी यादों को कहानियों का रूप दिया हैं पर पहली बार ब्लॉग पर कोई कहानी लिख रही हू यक़ीनन यह हमेशा मेरे दिल के बहुत करीब रहेगी मेरे लिए यह महज एक कहानी नहीं मेरी भावनाएं व मेरी सोच हैं आज ख़ुशी और गम दोनों बराबर हैं :-)

उसे मेरे शहर में रहते हुए शायद काफी वक़्त हो गया था 
अब वक़्त-बेवक़्त वो मुझे कभी रोड पर चलते हुए तो कभी अपने कॉलेज में नजर आ जाया करती थी 
जब पहली बार उसे देखा तब से ही ना जाने क्यों अपना सा एहसास हुआ था 
पर वो अभी तक मेरे वजूद से रुबरु नहीं हुई थी 
फिर आज से करीब तीन-साढ़े तीन साल पहले वो वक़्त आ ही गया जब खुदा ने उससे मेरी पहली मुलाकात करवायी आज उसने पहली बार मेरी कुछ लाइन्स सुनी थी कि -
"फासले तो केवल दूरियां बढ़ाते हैं 
करीब आओगे तो जान जाओगे कि हम क्या हैं "
और यक़ीनन आज तक सबसे ज्यादा अच्छे से मुझे उसी ने जाना व पहचाना था 
वो मेरी इन लाइन्स को सुनकर वक़्त के साथ थोड़ा ठहर गयी थी 
जिसने आज तक मेरी तरफ पलटकर नहीं देखा था 
मुझे लगता था कि वो लड़कों से डरती हैं और आज मेरे इस भ्रम को टूट जाना था 
वो मेरे करीब आयी और बोली सर लगता हैं आपको लिखना बहुत पसंद हैं 
(शायद मेरी उम्र और मेरे अनुभव ने उसे सर कहने को मजबूर किया होगा )
मैं अवाक् था उसकी आवाज सुनकर जो लोग मुझसे कहते थे कि 
मेरी आवाज अच्छी हैं अगर वो लोग उस दिन उसकी आवाज सुन लेते तो शायद उनका भी भ्रम टूट जाता 
मैंने अपनेआपको थोड़ा सम्भालते हुए कहा जी हां बहुत पसंद हैं 
पर प्लीज सर मत कहिए ना मैं कोई सर-वर नहीं हू 
बेशक वो बाकि लड़कियों की तरह नहीं थी उसने ना मुझे शक्ल-सूरत से आँका और ना ही उम्र व अनुभव से नापा-तौला तथा बिना झिझक के मेरे नंबर लेते हुए बोली  तब तो अपनी बहुत बनेगी 
सच हैं जब आदतें और शौक एक से हो तो इंसान भी एक से ही लगते हैं :-)
जी नंबर किस नाम से सेव करुँ ???
ओहो..... आदित्या, आदित्या नाम हैं मेरा और तुम्हारा ????
जी अक्षिता ..........
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था पर वो ऐसी ही थी बिल्कुल निश्चल बच्चों सी सब पर विश्वास करने वाली 
यह बात नहीं हैं कि मेरी जिंदगी में आयी वो पहली लड़की थी 
पर वो पहली लड़की थी जो मुझे मेरी तरह समझती थी 
वो पहली लड़की थी जो मेरा आदर,मेरी इज़ज़त व मेरा सम्मान उसी तरह किया करती थी जैसा मैं चाहता था 
वो मेरे जिंदगी में तब आयी जब मैं अकेला व तनहा था और शायद उस वक़्त उससे बेस्ट कोई हो ही नहीं सकता था नंबर थे हमारे पास पर अभी तक दोनों ही के पास बात करने की कोई वजह नहीं थी 
आख़िरकार शुरुआत मुझे ही करनी पड़ी मुझे लगा नहीं तो कहीं उसके मोबाइल से मेरे नंबर ही गायब ना हो जाए सो एक दिन कॉल कर ही दिया बस सिलसिला शुरू हो गया था हमारी बातों का 
वो मेरी तारीफ़ करने का पल कभी बर्बाद नहीं करती थी 
वोव आप कितना अच्छा लिखते हो मुझे अपनी कहानियाँ व सारी डायरीज दे दो ना पढ़ने के लिए ???
यह महज उससे मिलने का बहाना था अब लिखना मेरे हर दिन में शामिल हो गया था शायद उसके पढ़ने के लिए अब वो शायद मेरी जासूसी करने लगी थी और शायद होता भी ऐसा ही हैं कि हम जिन्हें चाहते हैं 
जो हमारी जिंदगी में मायने रखते हैं हम उनके बारे में सब-कुछ जान लेना चाहते हैं 
एक दिन कॉल करते ही शिकायती लहजे में बोली अच्छा तो जनाब आप पत्रकार भी हो और बताया भी नहीं ?
आपको नहीं पता कि मुझे मीडिया वाले और रेडियो वाले बहुत अच्छे लगते हैं :-)
मैं हंस दिया था वो हमेशा मेरी बातों के आगे निरुत्तर हो जाया करती थी फिर भी बहुत बार उसे कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं  होते थे अब वक़्त-बेवक़्त मैं उसे याद कर लिया करता था 
उसकी सारी आदतें मुझे मेरे पहले प्यार की याद दिला देती थी 
और यक़ीनन वो मेरे प्यार की बहुत इज्जत करती भी थी 
वक़्त बीतता गया और मेरे लिए उसके मायने बदलते गए 
उसे मैं एहसास नहीं कराना चाहता था पर अब मैं उससे भी प्यार करने लगा था 
मेरे लिए प्यार के मायने क्या होते हैं यह बात वो भी बहुत अच्छे से जानने लगी थी 
मैं अब उसे रोड पर चलते हुए देखकर उसे तकने लग जाता था 
वो ऑनलाइन हैं या नहीं यह देखने के लिए अब मैं दिनभर ऑनलाइन रहा करता था 
अब वो मेरी आदतों में शुमार होने लग गयी थी वक़्त-बेवक़्त मुझसे नाराज हो जाया करती थी 
पर मैं उसे मनाने की गलती कभी नहीं करता मेरा मानना हैं कि किसी को भी चाहत का एहसास मत करवाओ वरना उनकी चाहत और ज्यादा बढ़ जाती हैं फर्क पड़ता था उससे पर उसके सामने यू रिएक्ट करना जरुरी था कि मेरे लिए तुम्हारा होना और ना होना कोई मायने नहीं रखता इसलिए मुझे उसे कभी मनाने की जरुरत ही नहीं पड़ती वो वक़्त के साथ खुद ही मान जाती बस !!!!
रेगिस्तान में बरसात की बूंदो सी थी वो 
कभी गर्मियों में ज्येष्ठ-आषाढ़ की जगह अगर बारिश क्ष्रावन में हो जाती तो उसका मैसेज आता मेरे अंदर का पत्रकार कह रहा हैं कि कल की ब्रैकिंग न्यूज़ होगी पहले बहुत तरसाया पर अब हरसाया 
बच्चों के एक्साम्स के वक़्त पेपर आउट हो जाता तो मैसेज आता कल की न्यूज़ एक शैतान बच्चे की हरकत ने किया पर्चा आउट तो कभी पुरुषों की जात ने फिर से किया देश को शर्मसार तो कभी उफ्फ आज फिर से आंतकियों ने की भारत में घुसपैठ। .......... 
अक्सर मैं उसके मैसेज पे अवाक् रह जाता था 
अब अक्सर मैं उसे एहसास कराने की कोशिश भी करता कि वो मेरे लिए जरुरी हैं तो भी वो कह देती मैं अपनी जगह जानती हू अक्सर सब ठीक चल रहा होता हैं तभी वक़्त बुरा बन जाता हैं :-)
वो बहुत दूर चली गयी एक दिन यू ही बेवजह पर मुझे विश्वास हैं मैं फिर मिलूगा उससे !!
अभी तो बहुत सारे राज जो बताने हैं, बहुत कुछ कहना हैं ना उससे :-)

Saturday 8 March 2014

about girls.....

yeah we are a little emotional,
a pinch more emotional than all guys....
yes we love adventure but
we do like sitting back with the family at times....
yeah we hear all logics said n heard but
we do prefer to have a say of our heart @ times....
yes we loved it when mamma sat behind to make our pony tails
n we chatted about the homework....
yeah we loved it when we did bye
through the window of the school bus....
yes we loved it when papa pat our back:-)
yes we loved it when someone genuinly praises us for our knack
yes we need girls as friend bcoz
they love n retort at right times.....
yeah we wish guy friends but
just because they do keep us cheerful....
although we present an outlook of an independent girl
but we do need someone to give a tight hug when life back fires us...:-)
although we hate someone comments at us but
we die to hear a compliment from someone we adore....
we are not so complex
but do seem complicated.....;-)
CHEER TO ALL GIRLS.......
HAPPY INTERNATIONAL WOMAN DAY......!!!!

Friday 7 March 2014

जीवन एक घना कोहरा:-)

(1)-कोहरा :-)
                     जिंदगी घने कोहरे सी हैं
दूर से केवल धुंध ही नजर आती हैं
पर जैसे-२ कदम आगे बढ़ते जाते हैं
रास्ते खुद-बेखुद बन जाते हैं
कोहरा भी तो महज दिखने भर का होता हैं
धुंध को जितना छाँटो उतना ही कोहरा आँखों से दूर होता चला जाता हैं :-)

(2)-उम्र :(
               सिखने की भला कहां उम्र होती हैं 
जितना चाहो जब चाहो वक़्त-बेवक़्त सिख लो 
हम नापते-तोलते उम्र को उसके अनुभव से ठगे से रह जाते हैं 
उम्र को खिंचकर लम्बा करने की ज़िद्द 
बस इसके उतार-चढ़ाव को खिंझते से रह जाते हैं !!

(3)-बदलाव :)
                    जिंदगी बस वक़्त के साथ बदल और ढाल जाना ही तो हैं 
जितने ज्यादा आगे बढ़ेंगे उतने ही ज्यादा बदलेंगे 
पर मैं क्यों बदलू ???
क्यूंकि मैं तो ना ही गिरगिट हू और ना ही दोगली इंसान !!
बदलना होगा तो वक़्त के लिए बदलूगी अपनों के लिए क्यों ???

अहा! waitng for tomorrow......
are bhai international woman day हैं कल
एक ही तो दिन होता हैं हम बेचारी गर्ल्स का :(
भगवानजी कुछ तो स्पेशल होना चाहिए ना ????

Wednesday 5 March 2014

दोस्ती-उस अनंत के पार....

जब से समझदार हुई हू तब से हर चीज़ के साथ रिश्तों को भी सहेजना सिखा हैं 
पहले जब कॉलेज के फ्रेंड्स सवाल किया करती थी कि 
"दोस्ती और प्यार में अच्छा क्या हैं ??"
बेशक मेरा जवाब होता था दोस्ती !!
वैसे प्यार बहुत सारे लोगों से होता हैं आई थिंक :-)
मेरा मानना हैं कि दोस्ती में भी प्यार होता हैं 
वैसे प्यार शब्द को लोगों ने अपनी-२ अलग-२ परिभाषाएँ दी हैं 
मैंने कभी इस शब्द को डिफाइन करना ही नहीं चाहा 
और ना ही अपने पास इतना ज्यादा अनुभव हैं कि इस शब्द को अपने विचारों में बाँध सकू ??
प्यार हम उस हर इंसान से करते हैं जो हमसे जुड़ा हो 
बस यह अलग-२ लोगों के लिये अलग-२ हो सकता हैं :-)
दोस्ती……… हम्म …जी  हैं मैंने भी अपनी कुछ जिंदगी दोस्तों में 
वक़्त ने थोड़े फासले क्या बढ़ा दिए कि दोस्त तो कहने ही लगे कि -
"दोस्त दोस्त ना रहा ,
यह अलग बात हैं कि हम तो कभी दूर गए ही नहीं 

बस कुछ और लोग तुम्हारे ज्यादा करीब आ गए ":-)
हूह..... जरुरी होती हैं भई शिकायतें भी :(
दूरियां जरुरी हैं पर फासले थोड़े कम हो तभी ठीक होता हैं ना ??
एक्चुअली दोस्ती पर बहुत कुछ लिखकर अपनी डायरियों में कैद किया हैं 
पर जब से गुंडे मूवी देखि तब से बहुत मन कर रहा था दोस्ती पर कुछ लिखकर अपडेट करने का 
सबका नजरिया अलग होता हैं 
पता नहीं क्यों मेरे कॉन्टेक्ट्स में जो-२ लोग हैं उनमें से किसी को भी यह मूवी अच्छी नहीं लगी 
पर मुझे कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी 
बेशक इसका बहुत बड़ा कारण रहा एंड में दोस्ती का जीत जाना !!
दिल को छू गयी उनकी दोस्ती :-)
मैं कैसे भूल सकती हू -कि मैं रणवीर के उस डायलाग पर कितना हंसी थी 
"अगूंठा लगवा ले ……"ह.… ह..... ही :-)
आज यकीं हो गया कि मैं कितना बुरा लिखती हू 
एक्चुअली बहुत खुश हैं सो समझ नहीं आ रहा ज्यादा कुछ बस !!
भई क्या करू बात ही ऐसी हैं :-०
एनीवे थैंक यू yrf और भगवानजी ;-)
बस किसी की बुरी नजर ना लगे इन खुशियों को !!!!!!!
भई दोस्ती होती ही ऐसी हैं 

Sunday 2 March 2014

मौत से अपनापन :-)

जब इंसान दुःख, दर्द और तकलीफों से रुबरु होता हैं
उनसे जूझ रहा होता हैं तब सही मायनों में वो जी रहा होता हैं
यक़ीनन वो वक़्त हमें बहुत तकलीफ देता हैं लेकिन
पीछे मुड़कर देखने पर जिंदगी का सबसे हसीन वक़्त वो ही नजर आता हैं
वो वक़्त हमें बहुत संजीदा और समझदार बना जाता हैं :-)
हम्म.…आज फिर से पुराने पन्नों से एक और रचना-

"हर रोज इंसानों को हँसते हुए देखती थी 
आज किसी रोते हुए को देखा तब दर्द का एहसास हुआ !!
आज किसी की लाश से बातें की 
तब पता चला कि लोग मरने पर कैसे रूठ जाते हैं !!
दो गज जमीन और एक मीटर कफ़न के लिये 
इन्सान सारी दूनिया का ही सफ़र तय कर लेता हैं !!
आज सोचा लोग जीते जी तो प्यार से बात भी नहीं करते हैं 
तो फिर मरने पे यू आँसू क्यों बहाते हैं ??
आज किसी की मौत देखी तो मुझ नादान परिंदे को एहसास हुआ कि 
मैंने यू ही खो दिया कुछ लोगों को केवल आकाश में उड़ने के लिए जबकि मेरे पैरों को तो एक दिन जमीन पर भी पनाह नहीं मिलेगी !!
जीते जी कोई हाल नहीं पूछता 
तो मौत पर क्यों चले आते हैं बारात की तरह ??"

"कैसे कहू क्या हैं जिंदगी 
कभी दो पल की ख़ुशी तो कभी आँखों का पानी है जिंदगी !!
कभी किसी की यादों में खोना जिंदगी हैं तो 
कभी किसी के साथ रहकर भी अकेली हैं जिंदगी !!:-)"


Saturday 1 March 2014

बारिश में डराती वो कड़कती बिजली...

हम्म मैंने बचपन की यादों को बहुत सम्भाल के रखा हैं
कल शाम को बरसात के वक़्त मैं भी कुछ पुरानी बातों को याद
करके तरबतर हो गयी थी-

                                            (१ )-बोलो भीम 
यह बात कल की बारिश ने याद दिला दी 
बचपन में जब भी बारिश होती थी मैं बहुत डर जाती थी 
बारिश से नहीं कड़कती बिजलियों से 
डर लगता था कि अगर मुझ पे गिर गयी तो ???
कि एक दिन मेरे इस डर को भांपते हुए मेरे दोस्त ने कहा 
अगली बार जब भी बारिश हो और बिजली कड़कने पर डर लगे 
तो तुम बार-२ भीम-भीम-भीम दोहराना फिर तुम पर कभी भी बिजली नहीं गिरेगी !!
और बेशक इस आस्था के सहारे बहुत सारी बारिश की ऋतुऐं बीत गयी :-)


                                               (२ )अगले जन्म में मैं बनूगी....... :-)
सारिका तुझे पता हैं लोग मरने के बाद में आसमां में जाते हैं 
फिर वहाँ पर भगवानजी उन्हें अलग-२ पक्षियों के नाम बताते 
हुए पूछते हैं कि आप कौनसा पक्षी बनेंगे ??
सच सरोज ऐसा होता हैं क्या ???
सच्ची सारिका ऐसा ही होता हैं !!
ओके तब तो मैं भगवानजी से कहूगी कि मुझे पैरेट(तोता) बना दो :-)


                                              (३)मैं पुकारू तो सूने वो खुदा !!
अगर हम राम-राम यू आठ सौ नाम ले 
तब उस खुदा को अपनी पुकार एक बार सुनायी देती हैं !!
हम्म.……अगर यह सच हैं तो आज से मैं हर रोज 
उस खुदा को पांच बार पुकारा करुँगी :-)
फिर जब बचपन में वो कहानी सुनी कि 
वाल्मिकी जी तो राम नाम तक नहीं ले पाये थे 
लेकिन देखो वक़्त का पराक्रम कि उन्होंने बहुत पहले रामायण तक लिख दी थी 
बस तब से उस खुदा में मेरा विश्वास और भी ज्यादा गहरा हो गया !!


वैसे आजकल के बच्चों के लिये -
"आजकल के बच्चे हर सवाल का जवाब रखते हैं 
पहले माँ-बाप बच्चों को परखते थे,आजकल के बच्चे माँ-बाप को परखते हैं :-)"