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Tuesday 31 December 2013

कल को बिताये पल आज हुए हैं पुराने....

इस साल के बीतने का मुझे उतना ही गम हैं
जितनी ख़ुशी हैं नए साल के आने की !!
2014 का एक-एक बीतता दिन हमें 2013 से और
ज्यादा दूर लेकर जाता रहेगा और फिर
वो वक़्त भी आएगा जब बाकी बीते सालों
की तरह २०१३ की यादें भी कुछ धुंधली सी हो जायेगी:-)
2013 मेरी जिंदगी का कभी ना भुलाने वाला साल
काफी दिनों से इसकी यादों को ही कैद करने में उलझी हुयी हू
पर जिद्दी पन्ने कुछ नया लिखने ही नहीं दे रहे हैं :(
आज मुझे मेरी डायरी के पहले पृष्ठ पर लिखी हुई लाइन्स सही लग रही हैं कि-
"जिंदगी को कभी भी डायरी में नहीं लिख सकते!!"
अब सोचो भला क्या-क्या लिखू डायरी में
365 दिन ,8760 घंटे या फिर-
कॉलेज कैंप वाले वो दिन,वो बालोतरा वाला सफर,
वो दरगाह की मस्तियाँ
thank you khuda....
ab sari duae kabul ho gayi hain.....:-)
,वो मीरा मंदिर में की गयी शैतानियाँ
वो फेसबुक पर हर पल अपडेट करने की आदत
वो अपनी माँ को परेशान करने वाले पल
वो रामद्वारा में जाकर हर बार भगवानजी से वादा करना कि
आज के बाद कभी भी आपको एक पल के लिये भी नहीं भुलाऊगी ,
प्रॉमिस अब कभी भी गुस्सा नहीं करुँगी etc…।
वो भाई के साथ झगड़ा करना कि आज के बाद तुझसे कभी बात नहीं करुँगी
और उसके जेएनयू में पहुँचते ही मेरा कॉल करके शिकायत करना
कि मुझे बाय क्यों नहीं बोलकर गया ??????
वो पापा का कहना कि मेहनत की पूजा होती हैं
और मेरा उल-फिजूल बातों के बारे में सोचकर नाराज हो जाना और
फिर कहना अच्छा तो आपका मतलब मैं मेहनत नहीं करती हू ????
(सोच रही हू कि क्यों ना अब मैं अपना नाम मेहनत रख लू..... हा.… हा )
वो हर रोज मेरे अपनों का मेरे लिये ख्वाब सजाने वाले पल.....
वो मेरा अपने आपसे सौ वादे करना जिनमें से निन्यानवें तोड़ देना
और एक को मेरे द्वारा ना निभाए जाने का अफ़सोस करना :(
कितना कुछ हैं ना अब बताओ क्या लिखू ????????
वो बेवजह बेचैन हो जाना………
खैर आज मैं २०१३ से कहना चाहती हू कि
शुक्रिया मुझे बेपनाह खुशियां देने के लिये
थोड़ा समझदार बनाने के लिए
गिराकर फिर से सम्भालने के लिए(वैसे भी गिरते वो लोग हैं जो सम्भलना जानते हैं)
सच मैंने इस बार अपनी जिंदगी को,उम्मीदों को,नये सपनों को तुममें जिया हैं :-)
सबसे अच्छी बात कि इस बार जितने भी एग्जाम का रिजल्ट आया
सबने बेपनाह ख़ुशी दी और जो एग्जाम दे रखे हैं
आई विश कि उनका परिणाम भी अच्छा ही आए और यह नया साल भी मुझे तोहफा दे दें
ऑफ्टर all मैं इतनी अच्छी बच्ची जो हू :-)2014 का भी मेरे लिये इतना तो करने का फर्ज़ बनता ही हैं
२०१३ में मैंने केवल अपने बगीचे के फूलों को ही चुनकर इकठ्ठा किया था
इसलिए शायद आज मुझे बिल्कुल भी चुभन नहीं हो रही हैं
शायद इस साल में मुझे अच्छे-बुरे में फर्क पता नहीं चला था या
फिर मैंने मेरी जिंदगी के सारे कोने खुशियों के लिये ही रिज़र्व कर रखे थे
तभी तो कड़वाहटों को कहीं जगह ही नहीं मिली
उम्मीद करती हू आने वाला हर साल भी इस जाने वाले साल की तरह हो
आज अब मैं २०१३ के चंद लम्हों को केवल अपनी नम आँखों से बीतते हुए देख सकती हू
सिवा इसके कुछ कर भी तो नहीं सकती खाश यह वक़्त भी ठहर जाता कुछ और दिन मेरे साथ
इसे हथेलियों में कैद करके भी तो नहीं रख सकती मेरा मोहताज थोड़े ही ना हैं
आज बिल्कुल वैसा ही लग रहा हैं जैसे स्कूल में किन्हीं favourite टीचर का ट्रान्सफर
हो जाता या वो छोड़कर चले जाते तो हम बच्चे भी जिद्द पकड़कर बैठ जाते कि
उनके बिना यह सब्जेक्ट किसी और से पढ़ेंगे ही नहीं :-)
खैर जाना तो हैं ही सो अलविदा २०१३ और
स्वागत हैं २०१४ का,नए सपनों का
नयी उम्मीदों का,दुनिया बदलने के जज्बे का.…।
सबकों नववर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ 
wish u a very happy new year to all....:-)

Thursday 26 December 2013

.......कि अब पतंग कटी

मुझे गांव में रहना हमेशा सुकून दे जाता हैं.…।
यहाँ कि मिट्टी में अपनेपन का एक अलग ही एहसास होता हैं
जिसे मैं कभी भी शहर की बड़ी-२ इमारतों में भी नहीं पा सकती
खैर यह सब बातें गांव वाले चैप्टर में लिखेंगे किसी रोज :-))
अभी छत पर टहलते हुए मेरी नजरें पियूष पर जा टिकी थी
वो मुझसे बेखबर था और बस अपनी पतंगबाज़ी में मस्त था
तो मैंने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और बस अपने विचारों की
दुनिया में लौट आयी.……
मुझे लगा सच इस दुनिया में केवल दो ही चीज़ें सबसे प्यारी हैं
नींद और बचपन बस :-))
नींद को  मैंने मेरे हिसाब से चुना हैं क्यूंकि
मेरे हर मर्ज का इलाज मुझे नींद में ही नजर आता हैं सो.……
बचपन……… ज्यादा अच्छे से जी नहीं पायी ना इसलिए
अच्छा लगता हैं
बड़े होने की जिद्द और समझदारी के आगोश में ही
शायद कहीं खो गया था :-))
खैर अब अपनी सारी हरकतें बच्चों से कहीं कम नहीं होती हैं :-)
वैसे बात पियूष की थी सो.…-
4th कक्षा में पढ़ता हैं,पर अभी छुटियां हैं तो
बुक्स की तरफ मुँह भी नहीं करता हैं
उसका पूरा दिन बिना कुछ खाये,बिना किसी अपने के
यू ही बच्चों के साथ पतंग उड़ाने में कब बीत जाता
हैं शायद उसे खुद भी नहीं पता :(
ना किसी से आगे निकलने की जिद्द और
ना किसी से पीछे रहने का डर
ना दुनियादारी की कोई फिकर और
ना ही झूठे रिश्तों की उलझन
हां अभी पतंग उड़ाते हुए उसे एक डर सता रहा हैं कि
कहीं मेरी पतंग कट ना जाये बिल्कुल
जिंदगी की साँसों की तरह :-)
कल तो मैंने उसे यू ही डरा दिया था कि
आज पापाजी को बोलूंगी कि तुझे पढ़ाये
वो मेरे पास आया और बोला जब तक पापा आयेंगे तब तक मैं सो जाऊगा
पागल बच्चा:-))
एक दिन मैंने बेवजह पियूष के दो चांटे लगा दिये थे
खैर बाद में मुझे मेरा अहम् बहुत अच्छे से नजर आ रहा था
for that day really i m so sorry piyush.....:-))
मैं दुआ करती हू कि तुम्हारी पतंग कभी ना कटे :-))

Tuesday 24 December 2013

बँटवारा......

आज तुम यह सोचकर गलतफहमी मत पाल बैठना कि
आज मैं फिर से वो सारी बातें  कहूँगी कि
चलो ना हम आपस में जमीं और आसमां को बाँट लेते हैं ?????
हां तो -
आसमां तुम्हारा, जमीं मेरी
सारे हिरे-मोती तुम्हारे और नदी के किनारे की सारी सीपियां मेरी
सारा समुंद्र तुम्हारा और तुम्हारी आँखों का पानी मेरा
चाँद-सितारे तुम्हारे दिन को तपता सूरज मेरा
ओके बाबा चलो सारी दुनिया तुम्हारी और तुम सिर्फ मेरे
समझे ना सिर्फ मेरे ??????
किसी के साथ शेयर करने का तो ख्याल भी मत लाना अपने मन :-))
हा.…। हा.…… !!!!!!!!!!!
ओफ़्फ़ो मैं भी ना फिर से  ……………। ??????
एक्चुअली बताना भूल गयी कि बंटवारा इस बार चीजों का नहीं
ब्लॉग्स का हुआ हैं,हमारे प्यार और दर्द का हुआ हैं :(
माफ करना पर अब यहाँ फिर से कभी तुम्हारा जिक्र नहीं होगा :-))
जो कि तुम्हें बेइंतहा दर्द और दूसरों को बेपनाह खुशी देगा :-))
अब तुम्हारी खुशियों का हिसाब कैसे चुकाऊ ???????//
तुम खुश रह सकते हो मुझे पता हैं सो @!!!!!!!
चलो यह सब छोड़ते हैं फिर से एक नयी शुरुआत करते हैं :-))
क्यूँकि पुरानी बातों को नहीं भुलायेंगे तो किसी नएपन की शुरुआत कैसे होगी ???????
और अगर कुछ नया नहीं करेंगे तो यह पुरानी बातों का बोझा कब तक
ढोते रहेंगे ?????????
afterall अभी तो एक पूरी जिंदगी गुजारनी(काटनी) हैं वो भी अकेले
अब यह तो हैं  नहीं कि तुम साथ हो जो कि साल पलों में कट जायेंगे :-))


"सुनो !बदल रहा हैं यह साल और 
बदल रही हू मैं ,मेरा मन और मेरा दीवानापन :-))"

खैर सब-कुछ तुमसे ही तो सीखा हैं
"अब मुझे मिल गए हैं 
जीने के बहाने और आगे बढ़ने के सपने :-))"
तुम्हारे लहेजे में बोलू तो -
don`t let ur dreams just be dreams....:-))
आगे तुम खुद भी बहुत समझदार हो। .... lol 

मेरी जिंदगी और मेरा वक़्त अब तुम्हारे मोहताज नहीं रहे :(
अब तुम भी जरा तलाश लेना शायर बनने के कुछ बहाने :-)
शायद थोड़ा सुकून मिल जाये !!!!!!!!!!!

Thursday 19 December 2013

तेरा शुक्रिया,ऐ मेरे खुदा :-))

PRECIOUS MOMENTS-
(a)-जब मेरे पापाजी मेरी गुल्लक के  पास में पैसे रख देते हैं :-))

(b)-जब मेरी माँ कोई काम करते हैं तो बोलते हैं
बेटा!यह ठीक हैं ना ??????
आखिर अपनी भी तो भागीदारी बनती हैं :-))

(c)-जब मेरे पापाजी मेरा चेहरा देखकर मेरा हाल बता देते हैं और
दर्द को बाँट लेते हैं तथा खुशियों को शेयर कर लेते हैं :-))

(d)-जब भगवानजी को कुछ बोलती हू
और वो विश उसी वक़्त पूरी हो जाये -
यह नहीं हैं कि सोना-चांदी मांगू और मिल जाए
मेरा मतलब छोटी-२ wishes से हैं जैसे-
भगवानजी नेट अच्छा चला दो ना,
यह सोंग जल्दी से सेंड कर दो ना
आज तो सुबह वक़्त पे उठा दोगे ना ????
आज का दिन अच्छा बीतेगा ना ?????etc
एंड दिन के अंत में मेरे लबों पे होता हैं
लोट ऑफ़ थैंक्स भगवानजी दिनभर मेरे साथ रहने के लिये
मुझे अपनी जिंदगी का एक और बहूत ही अच्छा दिन जीने का अधिकार देने के लिए
थैंक यू :-))

आखिर छोटे-२ पलों से ही तो मिलकर बनती हैं एक दिन पूरी जिंदगी
जिसके  कुछ लम्हें कही बिखरे मिलते हैं तो कहीं और ही हम :-))

सुना हैं साल बदल रहा हैं:-))

सभी बिते पलों को कैद कर रहे हैं,
सबको यू वक़्त को समेटते हुए देखकर मैं थोड़ा बैचैन हो उठी
फिर जेहन में आया क्यों ना मैं भी कुछ बीते पलों को संजोने का प्रयास करुँ :-))
कि तभी सोचा चलो हिसाब करते हैं क्या खोया,क्या पाया
तभी लगा नहीं,नहीं जो बीत गया उसे जाने दू ना
वरना पता नहीं यह किस्मत कौनसी कयामत ढा देगी फिर से !!!!!!!!
मन भी बावरा पता नहीं क्या-२ सोचता रहता हैं ???????
तभी सोचा क्यों ना डायरी को पढ़ा जाय
फिर उससे अच्छे पलों को चुनकर रिजल्ट निकालकर
वो पल लिखे जाए बस ताकि मुझे लगेगा कि हां मैं खुश हू बिन तुम्हारे भी :-))
ऊफ्फ डायरी भी एक ही हाथ लगी थी 2011 की -
मैं थोड़ा चौंक गयी थी
फिर अपने आपसे ही फुसफुसाई यह २०११ नहीं 2013 खत्म होने को आया हैं :(
सारे पेज पलटे उन पर भी बिल्कुल मेरी जिंदगी की तरह रंज सी जम गयी थी
मैंने उन्हें साफ़ किया,बिना वक़्त जाया किये सारे पेज पलट डाले
इसी उधेड़बुन में कि क्या पता शायद कही २०१३ और २०१३ का भी जिक्र मिल जाए ?????
पर अफ़सोस जो काले पन्ने थे वो सब तुम्हारा जिक्र कर रहे थे
बाकी बचे सफ़ेद पन्ने मेरी तरफ देखकर हंस पड़े और फिर बोलें-
"अब तुम्हारा जीवन भी कोरा कागज :-))"
सच यह साल भी बदल रहा हैं मेरी आँखों के सामने ,बिल्कुल वैसे ही जैसे बदलते हैं इंसान
पहले उनके चहेरे,फिर उनके विचार और फिर उनके अपनों की लिस्ट :-))




ओफ्फो क्या लिख रही थी चलो अपने विचारों को विराम देते हैं
क्यूंकि अभी अभी भी हमने किसी लाश को देख लिया हैं सो
माइंड पूरा डाइवर्ट हो गया हैं,अब मन बड़ों सी बातें करने लगा हैं
तुम्हें डर लगा क्या ??????????
उफ्फ़ नहीं ना पर मुझे लग रहा हैं एक दिन इसी तरह मैं भी चली जाउगी ना?????
यह मौत भी ना,अगर मैं खुदा होती ना तो हर चीज को परमानेंट बना देती
लोगों को,वक़्त को,उपलब्धियों को
तभी तो नहीं हू :-))

Tuesday 17 December 2013

SOME MESSAGES:-))-february-2012

                                                  १ 
आग लगी है इस दिल में ,
                                   दुनिया में आग लगाने दो
नंगे जलते पैरो से ,
                           भूतल पर राख बिछाने दो !!
इन नोखंडे महलों के निचे
                                     कुटिया मुझे बनाने दो
सदियों से सोयी हुई
                                शक्ति की अब तो ज्योति जलाने दो !!!!!!!!!

                                                                  २ 
उड़ते पंछी ने सोचा
                            मैंने गगन को बदला हैं
चमकते झुंगनू ने सोचा
                                  मैंने चमन को बदला हैं
पर मैंने तो यह समझा कि -
लोगों का नजरियां तो मेरा ही हैं
                                                पर लोगों ने तर्क जरुर बदला हैं :-))

                                                      ३ 
टूटते हुए ख्वाबों में हकीकत ढूंढती हू
पत्थर के दिलों में मोहब्बत ढूंढती हू
नादान हू मैं अब तक यह भी नहीं समझी
बेजान बातों में इबादत ढूंढती हू !!!!!

मेरे जज्बातों की कीमत यहाँ कुछ भी नहीं
बईमानी के बाजारों में शराफत ढूंढती हू
इस अजनबी दुनिया में अपना कोई भी नहीं
गैरों की आँखों में अपनी सूरत ढूंढती हू !!!!!!!!!

"उम्मीद की थी प्यार की 
                                  बस यही भूल थी मेरी 
गिरते हुए आंसुओं में अपनी हसरत ढूंढती हू :-))"


                                                        ४ 
गनीमत हैं नगर वालों लुटेरों से लुटे हो
गाँव में तो अक्सर हमें दरोगा ही लूट ले जाता हैं :-))


अब बस बहुत हैं
बोलों तो अब लब थरथराते हैं इसलिये फिर कभी लिखेंगे
रेत पर बिखरे हुए रिश्तों को
तब तक कोशिश करते हैं इन्हें थोड़ा संजोने का
उफ्फ़ आँखों में चुभता कल का धुँआ :-))

मिस यू निर्भया(ज्योति):-))

सॉरी!!!!!एक्चुअली कल से कोशिश कर रही थी निर्भया तुम्हारे बारे में लिखने की :-))
और बेशक अगर पोस्ट भी कल ही अपडेट करती तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता
पर क्या करू वक़्त और दिमाग दोनों एक साथ में साथ नहीं दे पा रहे है मेरा पता नहीं क्यों ?????
शायद वो इसलिए भी कि मैं अगर मन की कड़वाहटें लिखने लगी तो पता नहीं क्या-२ लिख दुगी
और तुम्हे पता हैं ना कि हम लड़कियाँ सवतंत्र नहीं है
हमें बोलने का अधिकार नहीं हैं
पता नहीं किस किसको बुरा बता देती -
वक़्त,समाज ,दोगले इंसानों को ??????
देखो ना क्या लिखू ??????
एक्चुअली मैं तुम्हारे लिए शब्द ढूंढ नहीं पा रही हू
चलो कल कुछ लिखा था तुम्हारे लिये वो पोस्ट कर दू बस-

"वैसे मुझे अक्सर अपने आपसे ही उलझना अच्छा लगता है 
पर आज सुबह आँख खुली तो आज की डेट याद करके अनायास ही 
लबों पर तुम्हारा नाम आ गया था :-))
मुझे नहीं पता तुम कैसी थी बस मैं केवल इतना जानती हू कि 
तुम भी बिल्कुल मेरी तरह अपने पेरेंट्स की प्यारी-दुलारी बच्ची थी 

वैसे जन्म से आज तक मैंने कभी विरोध करना सिखा ही नहीं 
और मुझे कभी लगा भी नहीं कि मुझे कभी ऐसा करना चाहिए 
अक्सर मैं तो सोचा करती थी कि 
विरोध करने से केवल मन में कड़वाहटें ही पैदा होगी और कुछ नहीं 
सो हमेशा लगा कि बड़ों का कहा सर -आँखों पर 
पर नहीं अब मुझे लगता है अगर बड़े गलत हो तो हमें जरुरत हैं 
विरोध करने की ,अपना हक़ और अधिकार मांगने की :-))
उफ्फ यह कैसी दूनिया ,कैसा न्याय ,कैसा अधिकार 
आज एक साल हो गया है जबकि बदला क्या ?????
अगर हमारा सविंधान और उसकी रक्षा करने वाले लोग इतने ही कमजोर हैं 
तो अपराधियों को जनता के हवाले कर देना चाहिए था 
ताकि उस वक़्त यह जनता न्याय कर देती पर यह लोग बड़े समझदार है 
इन्हे पता हैं जनता केवल विरोध चार ही दिन करती हैं 
फिर वो भूल जाती हैं सब -कुछ वैसे ही जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो 
और अगर यह लोग सचमुच में ताकतवर हैं तो फिर 
सजा घोषित करने के बाद भी अब क्या उन्हें सजा देने के लिए 
किसी और अपराधी के आने का इंतज़ार कर रहे हैं ??????
ताकि जेल में जो उनकी जगह हैं वो खाली ना रहे :-((
उफ्फ क्या बदला शायद कुछ भी तो नहीं 
बेशक तुम्हारे जाने के बाद भी हत्यायें हुई हैं ,बलात्कार भी हुए है 
और तो और हद तो तब हो गयी जब बड़े -२ पदों पर आसीन लोग 
औरतोँ के अधिकारों के लिये लड़ने वाले लोगों का नाम भी 
बलात्कारियों में शामिल हो गया 
उफ्फ बचपन में गुनगुनाया करते थे ना कि -
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान ????
निर्भया !शायद अभी इन लोगों के लिये एक निर्भया का बलिदान काफी नहीं हैं :-))"

मुझे खुद को समझ में नहीं आया कि मैंने क्या लिखा ओफ्फ
खैर परिवार की ख़ुशी के लिये महिला की साधी गयी चुप्पी को
उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए :-))
नहीं तो फिर -
"यह जंग की आग जलनी ही चाहिए 
तेरे दिल में नहीं तो ,मेरे दिल में ही सही ;-))"

Sunday 15 December 2013

खास यू होता,हर शाम साथ तू होता :-))

जिंदगी का सबसे मुश्किल वक़्त हम अकेले अनजानी सी राहों पर
ना मंजिल का पता ना राहों की खबर :-))
अजनबी शहर में अकेले तन्हा ,बेवजह वक़्त की फिक्र
अपनों से दूर रहने का गम :-((
एक अनजान सा शहर अनजाने से लोग
बेशक वक़्त के साथ-साथ वहाँ के लोगों के चेहरे भी थोड़े
जाने-पहचाने से लगने लग ही जाते हैं :-))
तंग गलियाँ बेपनाह भीड़
जिसमे दूर-दूर तक ना कोई अपना नजर आये
"तब दिल कह उठता है खास -
इस भीड़ में कोई अपना भी होता 
गर पर लड़खड़ाते तो उसकी बाँहें थाम लेते :-))"
इस भीड़ से दूर जाने के लिये थोड़ा उसके साथ ठहरते 
किसी की आँखों में खोने के लिये 
थोड़ा जिंदगी की खुशियों का गणित मिलाते ;-))


कभी अकेले बैठकर सोचती हू खास कोई ऐसा अपना होता 
जिसके साथ कुछ देर बैठते ,बिना कहे वो सब-कुछ सून लेता 
जिसके साथ हम अपने दिल में दबे सारे राज खोल देते 
जिसके महज होने भर से अपनी दुनिया बदल जाती :-))
"आई मीन कभी-कभार भावनाओं को शब्द देना मुश्किल हो जाता हैं :-))"
ऊफ्फ आज फिर से वो बात याद आ गयी तुम्हें भी याद हैं ना ?????
कि -
शब्दों में क्या रखा हैं ,भावनाओं को समझो 
हा....हा ...…हा …हा … :-))
जस्ट चिल सारु। ……। सेन्टी कहीं की :-))

"इस दिल की जिद्द हो तुम वरना 
इन आँखों ने हसीन बहुत देखे हैं :-))" 

Friday 13 December 2013

8/12/2010....

जन्म लिया जिसकी कोख से
वो माँ मेरी परियों के देश से
चलना सिखा जिनकी उंगली थामके
वो पापा मेरे दुनिया की भीड़ से
बचपन था मेरा प्यारा सा
भाई-बहनों के संग गुज़ारा था
जब वो बचपन छूट गया
जिंदगी का हसीं रंग लूट गया
नादानी की कहीं नादानियों में
सम्भाला माँ-पापा ने हर मोड़ पर
कैसे चुकायेंगे कर्ज़ उनका
होगा उनका शुक्रिया अदा हर सोच में
ये दिन ना लौट आयेंगे ,ना ये पल लौट आयेंगे
दे दो उन्हें हर लम्हा ख़ुशी का
क्यूँकि फिर ना मिलेगा ये बसेरा सपनों का :-))
"जब पहली बार गर्ल्स के टॉपिक पे लिखना 
शुरू किया उस दिन मैंने सबसे पहले यह लिखा था लाइक 
that first of all some lines for my parents:-))"
n today i wanna say that-
मेरी दुनिया ,मेरी दुनिया बस आप हो ;-))

बिटिया-रानी

अहसास की गर्मी से तपाए
ऐसा लगाव हैं बेटी
हृदय में सोया हुआ एक कोमल भाव हैं बेटी
प्रीत की क्यार में बाबुल की फुलवारी में
रंग और खुशबु से भरा गुलाब हैं बेटी !!!!!!!!!
जिंदगी यदि गीत है तो ताल है बेटी
घर की आन-बान और सम्मान है बेटी !!
रिश्तों के जंगल में भटके हुए मानव को
नेह-नाजों से भरी मुस्कान है बेटी !!!!!!!!
मुस्कान और अनुराग की मनुहार होती है बेटी
दुनिया के रिश्तों में खरा व्यवहार होती है बेटी !!
बेटी जहाँ हंसती है :-))
बाबुल के आँगन में जगमग करती है
दीवाली का त्यौहार होती है बहना
प्रभु की वंदना होती हैं :-))
मंदिर का दीपक होती है बिटिया
पिता के माथे पे चंदन होती हैं !!!!!!!!!:-))))
"यह हम नहीं कहते यह तो खुदा कहता हैं कि 
जब मैं बहूत खुश होता हू तब जन्म लेती है बेटियां :-))"

Tuesday 10 December 2013

एक था वो भी दिन

कल रात को एक अजीब सी कश्मकश थी
सर थोडा भारी सा ,मन बहूत हल्का
बस बहूत देर तक यू ही करवटें बदलती रही
पर नींद ने बहुत देर तक मेरे दरवाज़े पर दस्तक नहीं दी थी
शायद रास्ता भटक गयी होगी बिल्कुल मेरी तरह :-))
तभी तुम बहुत याद आये
एक अजीब सी बेचैनी ने आ घेरा था मुझे
तुम ठीक तो हो ना ,खुश तो हो ना ??????
या कही फिर से !!!!!!!!
नहीं   नहीं मैं भी ना पता नहीं क्या-२ सोच लेती हू ????
फिर सोचा तुम्हें तो कभी मैं याद आती ही नहीं हू 
तो फिर यू ही खामखां बेवजह वक़्त बेवक़्त मैं तुम्हारी फिक्र क्यूँ कर बैठती हू ??????
हर वो अपना-बेगाना सा पल याद आया
तुम्हारा रूठना,मेरा मनाना तुम्हें याद है ना वो सारे पल ?????
अपना रिश्ता एक अनाम सा जिसकी जड़े हर रिश्ते से ज्यादा गहरी थी
पर उसके टूटने पर पता चला कि मैं एक कमजोर तना तो
तुम तूफान थे :-((
मैं भी भला तुम्हारे आगे कब तक डटी रह सकती थी
मुझे तो टूटकर बिखरना ही था
फिर चाहे वो तेरी बाहें थी या मिट्ठी :-))
बातें ख़त्म झगड़े शुरू
दूरियों का एहसास हो गया था मुझे पर
यह इतनी और यू बढ़ेगी मुझे पता ना था :-))
सिवाय तुम्हारी यादों के मेरे पास कुछ भी तो ना बचा था
फिर एक दिन हैरान परेशां सी उठी मैं
मैंने अपने आपको सम्भाला सोचा किसी एक के लिये सारी दुनिया से मुँह मोड़ लेना अच्छा नहीं ;-((
कड़वाहटों से जिंदगी को कब तक काटती रहुंगी ?????
या तो जब हम थे तब मैं नहीं थी ,या फिर अब मैं नहीं हू :-))
जो सब -कुछ बिखर गया था उसे समेटा 
फिर खुद को भी आखिर मैं भी तो एक लिपटा हुआ सामान मात्र ही तो रह गयी थी :-))
सच थका कोई एक ही था पर हम दोनों ही हार गये :-)))
क्यों ,कब ,कैसे और किसके लिये कुछ पता नहीं???????

"कुछ शरारतें है तुम्हारी,कुछ नादानियां हैं मेरी। … 
यह तो वक़्त ही बड़ा बेरहम निकला वरना ना बेवफा तुम थे और ना मैं :-))"

Sunday 1 December 2013

मेरा पहला वोट :-))

सही कहते है बच्चे बड़े जल्दी ही बड़े हो जाते है :-))
सच वक़्त पंख लगाकर उड़ता चला जाता है
लाख कोशिश करो पर ठहरता ही नहीं हैं
यप्प फाइनली बच्ची बड़ी हो गयी हा.…… हा :-))
आज मैंने अपनी जिंदगी का पहला वोट दिया है
चलो जी अब तो किसी काम में अपनी भी तो भागीदारी
बनती है आफ्टर ऑल हम भी जागरूक नागरिकों में आते है
(अब कितने जागरूक है यह तो वो खुदा ही जाने :-))
पर सुबह से बड़ी excited थी कि मुझे भी वोट देना है
और दे भी दिया वैसे मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी
नहीं है सो मैंने इस बार नए बटन नोटा का यूज़ किया है :-))
हां कुछ औरतों  ने तो कहा भी कि मैं यहाँ वोट कैसे दे सकती हू ?????
अब यह उनकी सोच है
उफ्फ मैं भी ना कितनी भुलक्कड़ हू
बचपन में सुना नहीं क्या कि बेटी का असली घर तो उसका अपना
ससुराल होता है
रीत, रस्में-रिवाजें!!!!!!!!!!!!

खैर मुझे ना इस घर से मतलब हैं और ना ही उस घर से
मुझे मतलब है केवल अपने आपसे,मेरे काम से
और जो मेरे लिये सबसे जरुरी है वो मेरे पेरेंट्स है
जिनसे मुझे कभी भी कोई भी दूर नहीं कर सकता
जान ना ले लू अगर कोई कोशिश भी कर ले तो :-))

खैर मैं कोशिश करुँगी कि मैं पहले एक अच्छी इंसान बनू
जो गलत के विरोध में आवाज उठा सके
अपने हक़ के लिये लड़ सके, अपने अधिकारों का
सही उपयोग कर सके

"लहरों ने बगावत की तो ,समुंद्र का क्या होगा !!!!
सितारों ने बगावत की तो ,आसमान का क्या होगा ????
बेटियों को अभिशाप समझने वालों ,अगर हम जैसी 
बेटियों ने बगावत की तो ,इस समाज का क्या होगा ????
                                      इस देश का क्या होगा -२ ?????????'"

जवाब दो ??????
हम्म :-))